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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वियतनाम-यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता

  • 16 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वियतनाम और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर करार किया गया है। इस समझौते के बाद भारत द्वारा यूरोपीय संघ को निर्यात किये जाने वाले समुद्री खाद्य पदार्थ प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

प्रमुख बिंदु: 

  • भारत प्रति वर्ष लगभग 50,000 करोड़ रुपए के समुद्री खाद्य पदार्थों का निर्यात करता है। साथ ही भारत के शीर्ष दस निर्यातक देशों में से चार यूरोपीय संघ से संबंधित हैं।
  • भारत द्वारा यूरोपीय संघ को निर्यात किये जाने वाला समुद्री खाद्य पदार्थ में इस वर्ष गिरावट आने की संभावना है क्योंकि इस निर्यात में भारत के सबसे बड़े प्रतियोगी वियतनाम और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement-FTA) हो गया है।
  • वियतनाम झींगे की खेती में अग्रणी हुआ करता था, लेकिन भारत ने विस्तृत पैमाने झींगा उत्पादन करके इसको पछाड़ दिया।
  • भारत पर यूरोपीय संघ द्वारा झींगा निर्यात पर 6% की दर से सीमा शुल्क लगाया गया है। इसके विपरीत वियतनाम पर शून्य शुल्क है। इस कारण वियतनाम को झींगें के निर्यात में ज़्यादा लाभ होगा। 
  • भारत सरकार के मंत्रालय ने इस संबंध में यूरोपीय संघ से बात करने में असमर्थता व्यक्त की है क्योंकि यूरोपीय संघ भारत में अपने डेयरी उत्पादों के लिये बाज़ार चाहता है। 
  • इसके विपरीत वियतनाम ने FTA पर हस्ताक्षर करके डेयरी उत्पादों को वियतनाम में आने की अनुमति दी हैं।
  • यूरोपीय संघ भारत द्वारा निर्यात किये गए समुद्री खाद्य में से 50% का नमूना परीक्षण करता है, वहीं दूसरी अन्य देशों के निर्यात का मात्र 10% नमूना परीक्षण किया जाता है। जितना अधिक नमूना परीक्षण किया जाता है, उतनी ही अधिक कमियों की संभावना रहती है।
  • भारत के निर्यात पर मुख्य विवाद समुद्री खाद्य में पाया जाने वाला एंटी-बायोटिक अवशेष (Antibiotic Residue) है। 

मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement- FTA)

  • मुक्त व्यापार समझौते का प्रयोग व्यापार को सरल बनाने के लिये किया जाता है। FTA के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है।
  • इसका एक बड़ा लाभ यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता किया जाता है, उनकी उत्पादन लागत बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है। इसके लाभ को देखते हुए दुनिया भर के बहुत से देश आपस में मुक्त व्यापार समझौता कर रहे हैं।
  • इससे व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलती है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। इससे वैश्विक व्यापार को बढ़ाने में भी मदद मिलती रही है। हालाँकि कुछ कारणों के चलते मुक्त व्यापार समझौते का विरोध भी किया जाता रहा है।


स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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