चर्चित स्थान
कामचटका प्रायद्वीप
स्रोत:लाइव मिंट
रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी तट के पास, जो एक विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र है, पाँच भूकंप आए, जिनमें सबसे शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता 7.4 मापी गई।
- कामचटका प्रायद्वीप: यह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर स्थित है। इसके पश्चिम में ओखोटस्क सागर और पूर्व में प्रशांत महासागर तथा बेरिंग सागर हैं।
- यह प्रायद्वीप प्रशांत और उत्तर अमेरिकी विवर्तनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है, जिससे यह अत्यंत सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र बन जाता है।
- यहाँ दो प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ हैं — श्रेडिनी (Sredinny) और वोस्तोचनी (Vostochny)। इस क्षेत्र की प्रमुख नदी कामचटका नदी है, जो इसका मुख्य जलमार्ग है।
- ज्वालामुखीय और भू-तापीय गतिविधि: कामचटका प्रायद्वीप में कामचटका के ज्वालामुखी स्थित हैं, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
- यहाँ 150 से अधिक ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 29 सक्रिय हैं। क्लुचेव्स्कॉय (Klyuchevskoy) इस क्षेत्र का सबसे ऊँचा और सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।
- जलवायु और पर्यावरण: यह क्षेत्र मुख्य रूप से टुंड्रा जलवायु का अनुभव करता है। कठोर जलवायु के कारण यहाँ जनसंख्या घनत्व बहुत कम है।
- कुरिल द्वीप समूह कामचटका से लेकर जापान तक फैला हुआ है तथा यह रूस और जापान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
और पढ़ें: रूस का शिवेलुच ज्वालामुखी
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों पर भारत की चिंताएँ
प्रिलिम्स के लिये:उत्तर अटलांटिक संधि संगठन, क्वाड, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, सामरिक पेट्रोलियम भंडार मेन्स के लिये:ऊर्जा सुरक्षा और भारत की विदेश नीति, वैश्विक दक्षिण अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिबंधों का प्रभाव, भारत के तेल आयात के भू-राजनीतिक आयाम |
स्रोत: TH
चर्चा में क्यों?
भारत ने प्रस्तावित अमेरिकी रूसी प्रतिबंध अधिनियम, 2025 की तीखी आलोचना की है, जिसमें रूसी तेल और ऊर्जा उत्पादों का आयात करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने की धमकी दी गई है।
- यह कदम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन (NATO) के कड़े दबाव के साथ आया है, जिसने भारत, चीन और ब्राज़ील को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने रूसी तेल की खरीद जारी रखी, तो उन्हें 100% सेकेंडरी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
- भारत ने पश्चिमी देशों पर "दोहरे मानदंड" अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि यूरोप अभी भी रूसी ऊर्जा खरीद रहा है जबकि अन्य देशों पर इसे रोकने का दबाव बना रहा है।
द्वितीयक प्रतिबंध (Secondary Sanctions) क्या होते हैं?
- परिचय: द्वितीयक प्रतिबंध एक प्रकार का आर्थिक दंड है जो सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाले देश या इकाई को लक्षित नहीं करता है, बल्कि तीसरे पक्ष, आमतौर पर अन्य देशों, कंपनियों या व्यक्तियों को दंडित करता है जो प्राथमिक प्रतिबंध लक्ष्य के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं।
- इसका लक्ष्य प्राथमिक लक्ष्य (जैसे: रूस, ईरान आदि) को और अधिक पूर्णतः अलग करना है तथा अन्य पक्षों को उनसे जुड़ने से हतोत्साहित करना है, भले ही वे तृतीय पक्ष स्वयं किसी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन न कर रहे हों।
- मुख्य विशेषताएँ: ये प्राथमिक प्रतिबंधों को और प्रभावशाली बनाते हैं, तथा प्रतिबंध कानूनी खामियों (लूपहोल्स) को बंद करते हैं और प्रतिबंधों से बचने के तरीकों (वर्कअराउंड्स) को हतोत्साहित करते हैं।
- सेकेंडरी प्रतिबंध के तहत 100% टैरिफ (शुल्क) लगाया जा सकता है, वित्तीय पहुँच को अवरुद्ध किया जा सकता है तथा व्यापार पर रोक लगाई जा सकती है, यहाँ तक कि उन विदेशी संस्थाओं पर भी जो प्रतिबंध लगाने वाले देश से सीधे जुड़ी नहीं होतीं।
- सेकेंडरी प्रतिबंधों को लेकर चिंताएँ: ये प्रतिबंध एक देश के कानूनों को दूसरे देशों के मामलों में थोपते हैं, जिसे कई देश आर्थिक दबाव (इकोनॉमिक कोर्शन) मानते हैं।
- द्वितीयक प्रतिबंध राजनयिक संबंधों में तनाव उत्पन्न कर सकते हैं, खासकर यदि लक्षित तीसरा पक्ष सहयोगी हो।
रूसी तेल भारत के लिये कितना महत्त्वपूर्ण है?
- वैश्विक अस्थिरता के बीच रणनीतिक संरक्षण: रूस-यूक्रेन युद्ध (2022) के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूसी तेल रियायती दरों पर बेचा गया। इसने भारत को मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करने, चालू खाता घाटा को स्थिर रखने तथा ईंधन सब्सिडी को कम करने में मदद की है।
- रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल आयात करके भारत ने लगभग 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2022-2024) की बचत की है।
- वर्ष 2022 के बाद बढ़ती निर्भरता: वित्त वर्ष 2022 में, भारत के तेल आयात में रूस का योगदान केवल 2.1% था। वित्त वर्ष 2025 तक, यह बढ़कर 35.1% हो गया, जिससे रूस पश्चिम एशियाई स्रोतों (कतर, यूएई) से आगे निकलकर शीर्ष आपूर्तिकर्त्ता बन गया।
- 2024 में, भारत ने रूस से प्रतिदिन लगभग 1.9 मिलियन बैरल तेल आयात किया, जबकि 2021 में यह मात्र 0.1 मिलियन बैरल/दिन (mb/d) था।
भारत रूसी प्रतिबंध अधिनियम और NATO के टैरिफ खतरों का विरोध क्यों कर रहा है?
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी 85% से अधिक कच्चे तेल की आवश्यकता आयात करता है और वर्ष 2022 से रूसी तेल इसका एक प्रमुख स्रोत रहा है।
- रूस, जो वैश्विक तेल का 10% आपूर्ति करता है, को बाहर करने से कीमतें 130 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं, जिससे कीमतों में उछाल आएगा और उपभोक्ताओं को नुकसान होगा।
- पश्चिम द्वारा दोहरा मापदंड: भारत ने यह इंगित किया है कि कई यूरोपीय देश अब भी रूसी ऊर्जा खरीदते हैं, प्राय: किसी तीसरे देश के माध्यम से। उदाहरणस्वरूप, वर्ष 2024 में यूरोपीय संघ ने अपनी 18% प्राकृतिक गैस रूस से आयात की।
- भारत का तर्क है कि पश्चिमी देशों पर वही मानक लागू नहीं किये जाते, जिससे अमेरिका और NATO द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वैधता और निष्पक्षता पर प्रश्न उठता है।
- व्यापारिक संप्रभुता को खतरा: प्रस्तावित 100%–500% टैरिफ भारत के सभी अमेरिकी निर्यातों को प्रभावित करेंगे, जिससे वर्ष 2024-25 में भारत के 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार अधिशेष को खतरा है, विशेष रूप से IT, वस्त्र और दवा क्षेत्रों में।
- इससे पहले, वर्ष 2019 में भारत ने अमेरिका के द्वितीयक प्रतिबंधों के चलते ईरानी तेल आयात बंद किया था, जो उसकी आर्थिक संप्रभुता पर दबाव को दर्शाता है।
- वार्ता की रणनीति: भारत इन प्रतिबंधों की धमकी को दबाव की रणनीति मानता है तथा अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है ताकि अपनी चिंताओं को साझा कर सके और प्रस्तावित टैरिफ से छूट या रियायतें प्राप्त कर सके।
भूराजनीतिक दबाव के बीच ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भारत कौन-सी रणनीतियाँ अपना सकता है?
- ऊर्जा आयात का विविधीकरण: भारत अब 40 देशों से कच्चा तेल आयात करता है, जबकि पहले यह संख्या 27 थी। अमेरिका और ब्राज़ील से आयात में वृद्धि हुई है।
- साथ ही भारत सऊदी अरब, इराक और अफ्रीकी देशों से तेल आयात बढ़ा रहा है ताकि रूस पर निर्भरता कम की जा सके।
- भारत को ऊर्जा अनुकूलन के लिये क्वाड, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO), सार्क और बिम्सटेक जैसे मंचों के साथ सहयोग मज़बूत करना चाहिये।
- साथ ही, उसे G20 और अमेरिका व यूरोपीय संघ के साथ 2+2 वार्ता जैसे रणनीतिक संवाद मंचों का उपयोग करके प्रतिबंधों से छूट प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।
- सामरिक तेल भंडार (Strategic Oil Reserves) बनाना: भारत को अपने सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) के विस्तार की गति तीव्र करनी चाहिये ताकि वैश्विक आपूर्ति में रुकावट के समय यह एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य कर सके।
- विश्वसनीय आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ भविष्य-उन्मुख समझौते करें, जिससे सुनिश्चित और पूर्वानुमेय कीमतों पर तेल की आपूर्ति बनी रहे।
- घरेलू ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाना: नीतिगत समर्थन और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से घरेलू तेल तथा गैस क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना। कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने के लिये इथेनॉल मिश्रण, जैव-ईंधन और हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाना।
- राष्ट्रीय सौर मिशन और ग्रीन हाइड्रोजन पहलों के तहत बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखना। नवीकरणीय ऊर्जा के समावेशन के लिये भंडारण और ट्रांसमिशन बुनियादी ढाँचे में सुधार करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत रूस के साथ ऊर्जा व्यापार में पश्चिम के "दोहरे मानदंडों" की निंदा करता है। इस आलोचना और भारत के भू-राजनीतिक रुख को आकार देने में इसकी प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. भट्टी के तेल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में पाया जाने वाला शब्द 'वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट' निम्नलिखित में से किसे संदर्भित करता है: (2020) (a) कच्चा तेल उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |
मुख्य परीक्षा
कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग द्वारा भारत के कदन्न मानकों को मान्यता
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
भारत द्वारा संपूर्ण कदन्न (मिलेट्स) या मोटे अनाजों के लिये समूह मानक विकसित करने में निभाई गई अग्रणी भूमिका की सराहना कोडेक्स एलेमेंटेरियस आयोग (CAC) की 88वीं कार्यकारी समिति की बैठक 2025 के दौरान की गई, जो इटली के रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) मुख्यालय में आयोजित की गई थी।
कोडेक्स एलेमेंटेरियस आयोग (CAC) क्या है?
- परिचय: CAC एक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक संस्था है, जिसे वर्ष 1963 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा खाद्य व्यापार में निष्पक्ष प्रथाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
- CAC के 189 सदस्य हैं और भारत वर्ष 1964 में इसका सदस्य बना।
- कोडेक्स एलेमेंटेरियस: कोडेक्स एलेमेंटेरियस या ‘फूड कोड’ मानकों, दिशानिर्देशों और व्यवहार संहिता का एक संग्रह है, जिसे CAC द्वारा अपनाया गया है।
- यह सभी प्रमुख खाद्य पदार्थों (प्रसंस्कृत, अर्द्ध-प्रसंस्कृत या कच्चे) के लिये मानक निर्धारित करता है तथा स्वच्छता, योजक, अवशेष, संदूषक, लेबलिंग और निरीक्षण जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों के आवेदन पर समझौते के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा से संबंधित व्यापार विवादों के समाधान में कोडेक्स मानक मार्गदर्शक भूमिका निभाते हैं।
- भारत और CAC: भारत ने कोडेक्स स्ट्रैटेजिक प्लान 2026–2031 पर चर्चाओं में सक्रिय भागीदारी निभाई और SMART (विशिष्ट, मापन योग्य, प्राप्त करने योग्य, प्रासंगिक, समयबद्ध) प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का समर्थन किया।
- वर्ष 2014 से, भारत मसालों और पाककला जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति की अध्यक्षता कर रहा है तथा कदन्न, ताज़े खजूर के लिये वैश्विक मानकों के विकास का नेतृत्व कर रहा है। भारत ताज़ी हल्दी और ब्रोकली के लिये मानक विकसित करने हेतु नए कार्य प्रस्तावों में सह-अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करेगा। इसने क्षमता निर्माण के लिये कोडेक्स ट्रस्ट फंड के उपयोग को भी बढ़ावा दिया है।
कदन्न क्या हैं और भारत इन्हें बढ़ावा देने में कैसे अग्रणी है?
- कदन्न (Millets): कदन्न, जिन्हें ‘श्री अन्न’ के नाम से भी जाना जाता है, छोटे अनाज वाली खाद्यान्न फसलें हैं जो मुख्यतः खरीफ फसल के रूप में उगाई जाती हैं और पोएसी (घास) से संबंधित होती हैं।
- महत्त्व: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष या पोषक अनाज वर्ष (IYM) घोषित किया।
- कदन्न गेहूँ और चावल की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं। इनमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। वे ग्लूटेन-फ्री हैं और उनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है, जो सीलिएक और मधुमेह रोगियों के लिये उपयुक्त है।
- कदन्न कम जल में भी अच्छी पैदावार देते हैं और अनुत्पादक मृदा में भी उग सकते हैं। इसलिये, ये संधारणीय कृषि के लिये आदर्श फसलें मानी जाती हैं।
- कदन्न पर भारत के मानक: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 15 प्रकार के कदन्न या मिल्लेट्स के लिये समूह मानक तैयार किये हैं, जिसमें 8 गुणवत्ता पैरामीटर निर्दिष्ट किये गए हैं, अर्थात नमी की मात्रा, यूरिक एसिड की मात्रा, बाहरी पदार्थ, अन्य खाद्य अनाज, दोष, घुन लगे अनाज, अपरिपक्व अनाज और सिकुड़े हुए अनाज की अधिकतम सीमा।
- ये मानक वैश्विक मानकों के विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण आधार तैयार करते हैं।
- भारत की बाजरा उत्पादन में स्थिति: भारत विश्व का सबसे बड़ा कदन्न उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 38.4% योगदान देता है। (स्रोत: FAO, 2023)
- भारत में ज्वार, बाजरा, रागी और फॉक्सटेल, बार्नयार्ड, कोदो और प्रोसो मिल्लेट्स सहित कई प्रकार के कदन्न उगाए जाते हैं।
- वित्त वर्ष 2024 में कदन्न की खेती का कुल क्षेत्रफल 12.19 मिलियन हेक्टेयर था, जिससे 15.38 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन हुआ।
- क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में राजस्थान सबसे आगे है, उसके बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान है।
- निर्यात: भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 1.46 लाख मीट्रिक टन बाजरा का निर्यात किया, जिससे 70.89 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आय हुई। प्रमुख निर्यात गंतव्य देशों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, अमेरिका, जापान और नेपाल शामिल हैं।
- कदन्न को बढ़ावा देने के लिये भारत की पहल:
- कदन्न-आधारित उत्पादों के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLISMBP) (2022–2027): PLISMBP उन कंपनियों को प्रोत्साहन देती है जो ≥15% कदन्न सामग्री वाले रेडी-टू-ईट/रेडी-टू-कुक उत्पाद बनाती हैं।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के अंतर्गत पोषण अनाज (कदन्न) पर उप-कार्य मिशन: यह योजना 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करती है और इसमें प्रमुख, लघु तथा छद्म कदन्न (जैसे कि कुट्टू और रामदाना) को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह किसानों को बीज उत्पादन, बेहतर कृषि तकनीकों, उपकरणों और जागरूकता प्रशिक्षण के लिये प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- पोषण और सार्वजनिक वितरण: कदन्न को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), समेकित बाल विकास सेवा (ICDS), मिड-डे मील योजना और पोषण अभियान में शामिल किया गया है।
- FSSAI का 'ईट राइट' अभियान: संतुलित आहार के एक भाग के रूप में कदन्न को बढ़ावा देता है।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): RKVY के तहत राज्यों को स्थानीय प्राथमिकताओं के आधार पर कदन्न को बढ़ावा देने की छूट है।
- असम, बिहार, ओडिशा, कर्नाटक और अन्य राज्यों ने भी अपने-अपने कदन्न आधारित मिशन शुरू किये हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: कदन्न और मिल्लेट्स को बढ़ावा देने के भारत के प्रयास घरेलू उत्पादन से आगे बढ़कर वैश्विक मानक स्थापित करने तक भी हैं। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. 'गहन कदन्न संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (Initiative for Nutritional Security through Intensive Millets Promotion)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. “भारत में स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में बाजरा की भूमिका की व्याख्या कीजिये।” (2024) |