प्रारंभिक परीक्षा
GSAT-7R: भारत का सबसे भारी नौसैनिक संचार उपग्रह
- 03 Nov 2025
- 48 min read
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा से GSAT-7R (जिसे CMS-03 भी कहा जाता है), भारत का सबसे भारी स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत संचार उपग्रह, सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह देश की अंतरिक्ष क्षमताओं और नौसैनिक संचार में एक बड़े सुधार को दर्शाता है।
CMS-03 (GSAT-7R) के बारे में मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय: CMS-03 को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) का इस्तेमाल करके इसकी पाँचवीं ऑपरेशनल उड़ान (LVM3-M5) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
- CMS-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है, जो भारतीय भौगोलिक क्षेत्र सहित विस्तृत समुद्री क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करेगा।
- CMS-03, जिसका वजन लगभग 4400 किलोग्राम है, भारत से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च किया गया सबसे भारी संचार उपग्रह है।
- LVM3 के पिछले मिशन ने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था, जिसमें भारत पहला ऐसा देश बन गया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग की।
- तकनीकी विशेषताएँ: उपग्रह को GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में स्थापित किया गया है और बाद में यह अपने ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग करके अंतिम जियोस्टेशनरी कक्षा में पहुँच जाएगा।
- CMS-03 को 15 वर्ष की मिशन लाइफ के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसमें उन्नत बहु-बैंड ट्रांसपॉन्डर हैं, जो वॉइस, डेटा और वीडियो सिग्नल प्रसारित करते हैं, जिससे भारतीय नौसेना हेतु भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में सुरक्षित तथा उच्च-क्षमता वाली संचार सुविधा सुनिश्चित होती है
- महत्त्व: GSAT-7R ने वर्ष 2013 में लॉन्च हुए दशक पुराने GSAT-7 (रुक्मिणी) को प्रतिस्थापित किया है, जिसका अब परिचालन जीवन समाप्त हो चुका है।
- यह नया उपग्रह पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रगति का प्रतीक है।
- LVM3-M5 भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को मज़बूत करता है और भारी पेलोड जैसे कि यूरोपीय Ariane-5 के लिये विदेशी लॉन्च वाहनों पर निर्भरता को कम करता है।
- यह गगनयान की तैयारियों का समर्थन करता है, LVM3 की हैवी-लिफ्ट क्षमता और भविष्य के मिशनों के लिये क्रायोजेनिक इंजन री-इग्निशन परीक्षण को प्रदर्शित करता है।
लॉन्च व्हीकल मार्क (LVM)-3
- LVM-3, जिसे पहले जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV Mk 3) कहा जाता था, सॉलिड, लिक्विड और क्रायोजेनिक ईंधन आधारित इंजन का उपयोग करता है। यह 8,000 किग्रा तक का पेलोड निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में (पृथ्वी की सतह से 2,000 किमी ऊँचाई तक) तथा 4,000 किग्रा तक का पेलोड जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में (लगभग 36,000 किमी) स्थापित कर सकता है।
- मुख्य उपलब्धियाँ: चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 चंद्र मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
- इसके द्वारा गगनयान कार्यक्रम के तहत री-एंट्री टेस्ट हेतु भारत का पहला क्रू मॉड्यूल (2014) ले जाया गया।
- वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक प्रक्षेपण विकल्पों की कमी के बीच इसरो ने 72 वनवेब (OneWeb) उपग्रहों को LEO में प्रक्षेपित किया।
- इन मिशनों ने ISRO के लचीलेपन को प्रदर्शित किया और इसी के परिणामस्वरूप “GSLV Mk-3” को “LVM-3” के रूप में रीब्रांड किया गया।
- उन्नयन और भविष्य के सुधार: ISRO भविष्य के मिशनों, जैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र अन्वेषण अभियानों के लिये LVM-3 को उन्नत बना रहा है।
- योजना है कि इसके लिक्विड स्टेज (तरल चरण) को परिष्कृत केरोसीन और तरल ऑक्सीजन से संचालित सेमी-क्रायोजेनिक इंजन से प्रतिस्थापित किया जाए।
- इन सुधारों से इसकी पेलोड क्षमता बढ़कर 10,000 किलोग्राम तक (LEO में) पहुँच सकती है।
- ISRO अगली पीढ़ी का “लूनर मॉड्यूल लॉन्च व्हीकल (LMLV)” भी विकसित कर रहा है, जो 80,000 किलोग्राम तक का भार ले जाने में सक्षम होगा। इसके साथ ही LVM-3 को भारत की डीप-स्पेस (गहरे अंतरिक्ष) और मानव अंतरिक्ष उड़ान महत्त्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने वाला “बाहुबली रॉकेट” के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न. GSAT-7R (CMS-03) क्या है?
GSAT-7R (CMS-03) भारतीय नौसेना के लिये स्वदेशी रूप से विकसित एक मल्टीबैंड संचार उपग्रह है। इसे श्रीहरिकोटा से LVM-3 (M5) रॉकेट द्वारा जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में प्रक्षेपित किया गया। यह भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में सुरक्षित वॉयस, डेटा और वीडियो संचार की सुविधा प्रदान करेगा।
प्रश्न. GSAT-7R (CMS-03) मिशन में LVM-3 ने कौन-सी उपलब्धि हासिल की?
इस मिशन में ISRO ने C25 क्रायोजेनिक स्टेज को उपग्रह पृथक्करण के बाद दोबारा प्रज्वलित किया जो भारत के लिये पहली बार था। इससे भविष्य के मिशनों में मल्टी-ऑर्बिट डिप्लॉयमेंट (अर्थात् एक ही मिशन में कई कक्षाओं में उपग्रह भेजना) संभव होगा।
प्रश्न. LVM-3 की पेलोड क्षमता क्या है?
LVM-3 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 8,000 किलोग्राम तक और जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (GEO) में 4,000 किलोग्राम तक का भार ले जाने में सक्षम है।
प्रश्न. LVM-3 के प्रमुख पिछले मिशन कौन-से हैं?
LVM-3 ने चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वर्ष 2022 में 72 वनवेब (OneWeb) उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
- PSLV से वे उपग्रह प्रमोचित किये जाते हैं जो पृथ्वी संसाधनों के मॉनिटरन उपयोगी हैं जबकि GSLV को मुख्यतः संचार उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- PSLV द्वारा प्रमोचित उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर रहते प्रतीत होते हैं जैसा कि पृथ्वी के एक विशिष्ट स्थान से देखा जाता है।
- GSLV Mk III, एक चार स्टेज वाला प्रमोचन वाहन है, जिसमें प्रथम और तृतीय चरणों में ठोस रॉकेट मोटरों का तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरणों में द्रव रॉकेट इंजनों का प्रयोग होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर: (a)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मंगलयान:
- इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बन गया है।
- भारत अपने पहले ही प्रयास में स्वयं के अंतरिक्षयान द्वारा मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल एकमात्र देश बन गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
