झारखंड Switch to English
जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा
चर्चा में क्यों?
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 1 नवंबर 2025 से “जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा” नामक दो सप्ताहिक
राष्ट्रीय उत्सव शुरू किया है।
- यह आयोजन वर्षभर चलने वाले जनजातीय गौरव वर्ष के समापन के साथ-साथ भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित श्रद्धांजलि भी है। 15 नवंबर, 1875 को जन्मे भगवान बिरसा मुंडा एक महान जनजातीय नायक थे, जिनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में पूरे देश में मनाई जाती है।
मुख्य बिंदु
- उत्सव के बारे में:
- जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI), एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS), TRIFED और NSTFDC के संयुक्त प्रयासों से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों की समृद्ध संस्कृति, विरासत और उपलब्धियों का प्रदर्शन करना है।
- प्रमुख पहलें:
- प्रधानमंत्री जनमन (विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह विकास मिशन):
- वर्ष 2023 में आरंभ किया गया यह मिशन 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के समग्र विकास पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत आवास, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, शिक्षा, स्वच्छ जल और आजीविका के अवसर प्रदान किये जाते हैं ताकि वंचित जनजातीय समुदाय भी राष्ट्र की विकास यात्रा का अभिन्न अंग बन सकें।
- दजगुआ (DAJGUA) (जनजातीय गौरव और विशिष्ट उपलब्धियों का डिजिटल अभिलेखागार):
- यह एक अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, लोककथाओं, कला और मौखिक परंपराओं का दस्तावेज़ीकरण करता है। इसका उद्देश्य आदिवासी विरासत को छात्रों, शोधकर्त्ताओं और आम जनता के लिये सुलभ बनाना तथा आने वाली पीढ़ियों के लिये भारत के स्वदेशी आख्यानों का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
- आजीविका और उद्यमिता कार्यक्रम:
- TRIFED और NSTFDC के अंतर्गत वन धन विकास केंद्रों और सूक्ष्म उद्यम मॉडल जैसी योजनाओं ने मूल्य संवर्द्धन, ब्रांडिंग और डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से आदिवासी उत्पादकों को सशक्त बनाया है। इन पहलों ने ग्रामीण आय में वृद्धि की है और आदिवासी कारीगरों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- प्रधानमंत्री जनमन (विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह विकास मिशन):
भगवान बिरसा मुंडा की विरासत
- भगवान बिरसा मुंडा (1875–1900) भारत के सबसे प्रतिष्ठित जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों और समाज-सुधारकों में से एक थे।
- झारखंड के उलिहातु गाँव में जन्मे बिरसा ने उलगुलान (महान विद्रोह) का नेतृत्व किया, जो ब्रिटिश शासन द्वारा जनजातीय भूमि छीनने वाली शोषणकारी ज़मींदारी व्यवस्था के खिलाफ एक संगठित आंदोलन था।
- उनके आंदोलन ने जनजातीय भूमि अधिकारों, स्वशासन और सांस्कृतिक गरिमा पर ज़ोर दिया।
- अपने बिरसाइत विश्वास के माध्यम से, बिरसा ने स्वदेशी परंपराओं को पुनर्जीवित किया और औपनिवेशिक तथा मिशनरी प्रभुत्व के खिलाफ विभिन्न जनजातियों के बीच एकता को प्रेरित किया।
- यद्यपि 1900 में मात्र 25 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके आंदोलन के कारण छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (1908) पारित हुआ, जिसने जनजातीय भूमि स्वामित्व की रक्षा की।
- “धरती आबा” (पृथ्वी के पिता) के रूप में पूज्य बिरसा मुंडा की विरासत आज भी वन अधिकारों, सतत् जीवनशैली और स्वदेशी सशक्तीकरण के लिये भारत के दृष्टिकोण को प्रेरित करती है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन गणना 2025 प्रारंभ
चर्चा में क्यों?
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने ICAR–केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), कोच्चि में राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य गणना (MFC) 2025 का शुभारंभ किया।
- यह भारत की पहली पूर्णतः डिजिटाइज्ड मत्स्य गणना है, जो डेटा-आधारित और प्रौद्योगिकी-सक्षम समुद्री शासन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
मुख्य बिंदु
- गणना के बारे में:
- राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य गणना 2025 एक 45-दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान है, जिसका उद्देश्य भारत के समुद्री मत्स्य क्षेत्र से संबंधित व्यापक आँकड़ों का संकलन करना है।
- यह गणना 9 तटीय राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित लगभग 4,000 समुद्री मत्स्य ग्रामों के 12 लाख मत्स्य-गृहों (fisher households) को कवर करेगी।
- गणना की अवधि 3 नवंबर से 18 दिसंबर, 2025 तक निर्धारित की गई है।
- इस पहल का समन्वय मत्स्य विभाग (DoF), मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसमें केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) नोडल एजेंसी तथा फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) संचालन सहयोगी के रूप में कार्य कर रही हैं।
- उद्देश्य:
- समुद्री मत्स्य समुदायों, अवसंरचना एवं सामाजिक-आर्थिक संकेतकों का एक व्यापक डिजिटल डाटाबेस तैयार करना।
- सत्यापित डिजिटल डेटा के माध्यम से मत्स्य प्रबंधन का आधुनिकीकरण तथा कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार करना।
- सभी मत्स्य-समुदायों को राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) से जोड़ना, ताकि सरकारी योजनाओं तक पहुँच को सुगम बनाया जा सके।
- प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM–MKSSY) तथा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना।
- डिजिटल प्रमाणित और रियल-टाइम डेटा संग्रह प्रणाली:
- पहली बार यह गणना पूर्णतः डिजिटल पद्धति से की जा रही है, जिसमें CMFRI द्वारा विकसित दो विशेष मोबाइल अनुप्रयोगों (Apps) का उपयोग किया जा रहा है, जिससे सटीकता, पारदर्शिता एवं कार्यकुशलता सुनिश्चित की जा सके।
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मोबाइल उपकरण |
वास्तविक कार्य |
प्रभाव पर प्रभाव |
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व्यास भारत (VyAS Bharat) |
डेटा अध्ययन और जियो-रेफरेंसिंग |
12 लाख मत्स्य-गृहों से सामाजिक-आर्थिक डेटा और प्रमुख आँकड़ों को क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा उपयोग किया जाता है। प्रत्येक डेटा प्रविष्टि को भू-संदर्भन (geo-referenced) के माध्यम से एक विशिष्ट स्थान से जोड़ा जाता है। |
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व्यास सूत्र (VyAS Sutra) |
सत्यापन और पर्यवेक्षण |
यह क्षेत्रीय डेटा के त्वरित सत्यापन की सुविधा प्रदान करता है तथा देशभर में गणना की प्रगति की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग हेतु एक केंद्रीकृत डिजिटल मंच उपलब्ध कराता है। |
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