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ICAR की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में भूमिका

  • 17 Jul 2025
  • 11 min read

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) 16 जुलाई, 2025 को अपना 97वाँ स्थापना दिवस मनाया, जो एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है और भारतीय कृषि को सशक्त बनाने तथा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी रूपांतरणकारी भूमिका को रेखांकित करता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)

  • परिचय: यह भारत में कृषि, बागवानी, पशु विज्ञान और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन तथा प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।
    • इसकी स्थापना 16 जुलाई, 1929 को सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत एक पंजीकृत संस्था के रूप में की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • कार्यप्रणाली: यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन के रूप में कार्य करता है।
    • ICAR विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है, जिसके अंतर्गत पूरे भारत में 113 अनुसंधान संस्थान और 74 कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में ICAR की भूमिका की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • कृषि विकास एवं खाद्य सुरक्षा: ICAR ने वर्ष 1950-51 से 2021-22 तक खाद्यान्न (6.21x), बागवानी (11.53x), मछली (21.61x), दुग्ध (13.01x) तथा अंडे (70.74x) के उत्पादन को बढ़ाकर हरित क्रांति और खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • वर्ष 2024–25 में भारत ने अब तक का सबसे अधिक 353.95 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन किया। साथ ही भारत विश्व में सबसे बड़ा धान और दुग्ध उत्पादक बन गया है, जबकि गेहूँ, बागवानी तथा मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
  • अनुसंधान उत्कृष्टता और नवाचार: ICAR ने 679 फसल किस्में विकसित कीं (जिसमें 27 जैव-संवर्धित शामिल हैं), विश्व की पहली दो जीन-संपादित धान की किस्में पेश कीं और 50,000 करोड़ रुपए के बासमती निर्यात में 90% का योगदान दिया।
    • इससे 115.3 मीट्रिक टन गेंहूँ उत्पादन (ICAR  किस्मों के अंतर्गत 85%) बढ़ा तथा दलहन एवं तिलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई ।
  • बागवानी, मत्स्य पालन, पशुधन और इंजीनियरिंग में उन्नति: 83 बागवानी किस्में, 2,950+ टन प्रजनक बीज और 22 लाख रोपण सामग्री विकसित की गई। 
    • इसने सुपर-इंटेंसिव झींगा पालन, 7 मत्स्य प्रजातियों के लिये प्रजनन प्रोटोकॉल, 10 पशुधन नस्लों का पंजीकरण, 2 मुर्गी की किस्मों का विमोचन तथा 45 नई कृषि-मशीनों को तैनात करना शुरू किया, जिससे खेत पर दक्षता और स्थिरता में वृद्धि हुई।
  • जलवायु-स्मार्ट और संसाधन प्रबंधन पहल: नेशनल सोइल स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी की स्थापना की गई, 35 अच्छे कृषि अभ्यास (GAP) तथा 10 फसल प्रणालियों के लिये जैविक खेती मॉडल विकसित किये गए, ओडिशा में कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया गया और चावल की खेती में मीथेन उत्सर्जन को 18% तक कम करने वाले एक माइक्रोबियल कंसोर्टियम का नवाचार किया गया।
  •  क्षमता निर्माण, शिक्षा और विस्तार: कृषि शिक्षा पर 6वीं डीन समिति की रिपोर्ट को लागू किया गया, पीएम-वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (PM-ONOS) योजना शुरू की गई।
    • इसने आसियान फेलोशिप प्रदान की और कर्मयोगी जन सेवा के अंतर्गत कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया। ICAR ने 18.57 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया, 4.19 करोड़ मोबाइल परामर्श जारी किये तथा पराली जलाने की घटनाओं में 80% की कमी लाने में मदद की।
  • वैश्विक सहयोग और रणनीतिक पहल: आसियान, सार्क, जी-20, क्वाड, ब्रिक्स आदि के साथ संबंधों को मज़बूत किया, 9 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर परामर्श समूह (CGIAR) तथा शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICARDA) जैसे मंचों में भाग लिया।
    • इसने ग्लोबल सेंटर ऑन मिलेट्स (श्री अन्न), स्वच्छ पौध कार्यक्रम, राष्ट्रीय जीन बैंक, महर्षि पहल और 40 फसलों में जीनोम संपादन जैसे परिवर्तनकारी कार्यक्रम भी शुरू किये, जिससे भारत को अगली पीढ़ी के कृषि-अनुकूलन के लिये तैयार किया गया।

भारत में कृषि को बढ़ावा देने हेतु प्रमुख पहल क्या हैं?

  • ऋण एवं वित्तीय सहायता:
  • फसल बीमा:
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): बुवाई से पूर्व से लेकर कटाई के बाद तक फसल के नुकसान को कवर करती है।
    • पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS): मौसम संबंधी जोखिमों को कवर करती है।
  • मशीनीकरण एवं अवसंरचना:
  • अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी:
    • राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र (NRCM): मखाना प्रसंस्करण मशीनें विकसित कीं और 24 उद्यमों को सहायता प्रदान की।
    • परियोजना विस्तार: AI चैटबॉट, एग्रीस्टैक और किसानों की वास्तविक समय की प्रतिक्रिया को एकीकृत करने वाला एकीकृत डिजिटल कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र।
    • ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS): यह 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट्स और मेघदूत तथा मौसम जैसे ऐप्स के माध्यम से मौसम संबंधी परामर्श प्रसारित करती है।
  • जैविक एवं सतत् कृषि:
  • संस्थागत समर्थन और विकेंद्रीकरण:
  • सामूहिकीकरण एवं बाज़ार पहुँच:
  • पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा:
  • कौशल विकास और शिक्षा
    • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)
    • ग्रामीण युवाओं का कौशल प्रशिक्षण (STRY): कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में 7 दिवसीय अल्पकालिक प्रशिक्षण।
    • स्टूडेंट रेडी प्रोग्राम: कृषि छात्रों के लिये कौशल-उन्मुख प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और ग्रामीण अनुभव।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भारत में 'जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)' दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी०सी०ए०एफ०एस०) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।
  2. सी०सी०ए०एफ०एस० परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी०जी०आई० ए०आर०) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय फ्राँस में है।
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई०सी०आर०आइ० एस०ए०टी०), सी०जी०आई०ए०आर० के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 


प्रश्न. भारत में, निम्नलिखित में से किन्हें कृषि में सार्वजनिक निवेश माना जा सकता है? (2020)

  1. सभी फसलों के कृषि उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना
  2.  प्राथमिक कृषि साख समितियों का कंप्यूटरीकरण
  3.  सामाजिक पूंजी विकास
  4.  कृषकों को निशुल्क बिजली की आपूर्ति
  5.  बैंकिंग प्रणाली द्वारा कृषि ऋण की माफी
  6.  सरकारों द्वारा शीतागार सुविधाओं को स्थापित करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2 और 5
(b) केवल 1,3, 4 और 5
(c) केवल 2, 3 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (c)

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