जैव विविधता और पर्यावरण
छत्तीसगढ़ वन विभाग ने CFRR निर्देश वापस लिया
- 17 Jul 2025
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प्रिलिम्स के लिये:सामुदायिक वन संसाधन अधिकार, राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता 2023, लघु वनोत्पाद, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान मेन्स के लिये:सामुदायिक वन संसाधन अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, वन प्रशासन और प्रबंधन |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अपने उस निर्देश को वापस ले लिया, जिसमें उसने वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (Community Forest Resource Rights- CFRR) के कार्यान्वयन के लिये खुद को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया था।
- यह निर्देश सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) को राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता (NWPC) 2023 के अनुरूप बनाने के लिये जारी किया गया था। इसने ग्राम सभाओं की अधिकारिता को कम करने का प्रयास किया, जिससे ज़मीनी स्तर पर तीव्र विरोध हुआ और अंततः इसे वापस ले लिया गया।
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) क्या हैं?
- परिचय: CFRR, FRA, 2006 की धारा 3(1)(i) के तहत एक प्रमुख प्रावधान है, जो वनों में रहने वाले समुदायों को अपने पारंपरिक वनों की रक्षा, पुन: उत्पन्न, संरक्षण और प्रबंधन करने का अधिकार देता है।
- CFRR की मुख्य विशेषताएँ:
- अधिकारों की मान्यता: CFRR अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (Other Traditional Forest Dwellers- OTFD) को उस वन भूमि पर रहने, उपयोग करने तथा कृषि करने का कानूनी अधिकार देता है जिस पर वे निर्भर रहे हैं।
- शासकीय निकाय के रूप में ग्राम सभा: CFR अधिकार ग्राम सभाओं को वनों के प्रबंधन, संरक्षण और पुन: उत्पन्न के लिये कानूनी रूप से सशक्त बनाते हैं।
- ग्राम सभाएँ स्थानीय आवश्यकताओं जैसे आजीविका, पुनर्स्थापन और जैव विविधता पर केंद्रित वन प्रबंधन योजनाएँ तैयार करती हैं। इन्हें आधिकारिक योजनाओं के अनुरूप होना चाहिये, लेकिन उनके द्वारा नियंत्रित नहीं होना चाहिये, ताकि स्थानीय ज्ञान अनुकूल वन प्रबंधन का मार्गदर्शन कर सके।
- सतत् आजीविका: समुदाय बाँस, शहद, जड़ी-बूटियाँ आदि जैसे गैर-लकड़ी वन उत्पादों (NTFP) (लघु वनोत्पाद) एकत्र कर सकते हैं और बेच सकते हैं।
- महत्त्वपूर्ण वन्यजीव पर्यावास (CWH): CFRR पारिस्थितिक संरक्षण को अधिकारों के साथ संतुलित करता है, तथा लोगों को अनुचित तरीके से विस्थापित किये बिना वन्यजीव संरक्षण सुनिश्चित करता है।
- वनों की कटाई, अवैध खनन और अन्य बाहरी खतरों को रोकने के लिये स्थानीय लोगों को सशक्त बनाना।
- महत्त्व:
- ऐतिहासिक विसंगति में सुधार: सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) औपनिवेशिक काल की केंद्रीकृत वन प्रबंधन प्रणाली को चुनौती देता है, और स्थानीय समुदायों को अधिकार देकर उस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारता है, जिसमें पारंपरिक स्थानीय संस्थाओं को हटा कर नौकरशाही आधारित वन विभागों को स्थापित किया गया था।
- संरक्षण को मज़बूत करना: राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों में वनों और जैव विविधता के प्रबंधन में पारंपरिक ज्ञान की भूमिका को मान्यता देता है।
- समुदायों को सशक्त बनाना: यह संरक्षण की शक्ति और ज़िम्मेदारी उन लोगों के हाथों में देता है जो वनों के सबसे निकट रहते हैं।
वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006
- परिचय: वन अधिकार अधिनियम, 2006 (अनुसूचित जनजातियाँ और अन्य परंपरागत निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006) उन वन-निवासी अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (OTFD) को वन अधिकार प्रदान करता है, जो पीढ़ियों से वनों में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास इसका कोई औपचारिक दस्तावेज़ी प्रमाण नहीं है।
- इसका उद्देश्य ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करना, भूमि तक सतत् पहुँच सुनिश्चित कर समुदायों को सशक्त बनाना और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देना है।
- यह अधिनियम ग्राम सभा की स्वीकृति के साथ जन-कल्याणकारी परियोजनाओं के लिये वन भूमि के रूपांतरण की प्रक्रिया को भी सरल बनाता है।
- मुख्य प्रावधान:
- स्वामित्व अधिकार: बाँस, झाड़-झंखाड़/ब्रुशवुड आदि लघु वन उपज (MFP) पर स्वामित्व प्रदान करता है।
- सामुदायिक अधिकार: चराई, मत्स्यन, जल संसाधनों तक पहुँच तथा परंपरागत रीति-रिवाजों की रक्षा जैसे अधिकार शामिल हैं।
- आवास अधिकार: आदिम जनजातीय समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों के पारंपरिक आवास क्षेत्रों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- सामुदायिक वन संसाधन (CFR): समुदायों को वनों का स्थायी प्रबंधन और पुनरुत्थान करने का अधिकार देता है, जिससे वे अपने वन संसाधनों को संरक्षित तथा पुनर्जीवित कर सकें।
राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, 2023 क्या है तथा यह सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, 2023: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी की गई यह संहिता भारत में वैज्ञानिक वन प्रबंधन के लिये एक संशोधित रूपरेखा है।
- यह वर्ष 2004 और 2014 की पूर्व संहिताओं पर आधारित है, लेकिन इसमें एक अधिक समन्वित और अद्यतन दृष्टिकोण अपनाया गया है।
- इस संहिता का उद्देश्य राज्य वन विभागों को सतत् वन योजना में मार्गदर्शन देना है, जिसमें जैव विविधता संरक्षण, वन उत्पादकता, मृदा और जल प्रबंधन तथा सामाजिक-आर्थिक लाभों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- CFRR प्रबंधन में NWPC को लेकर चिंताएँ:
- टॉप-डाउन एप्रोच: NWPC वनों पर वन विभाग का नौकरशाही प्रधान भूमिका को बढ़ावा देती है, जबकि वन अधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) के अनुसार इन वनों का प्रबंधन ग्राम सभाओं द्वारा किया जाना चाहिये।
- औपनिवेशिक लकड़ी-केंद्रित दृष्टिकोण: NWPC का मूल आधार औपनिवेशिक वानिकी प्रणाली पर आधारित है, जिसमें जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय आजीविका की आवश्यकताओं की उपेक्षा करते हुए लकड़ी के दोहन को प्राथमिकता दी जाती है। यह दृष्टिकोण FRA के सामुदायिक आधारित प्रबंधन मॉडल से टकराता है, जिसका उद्देश्य ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना और वनों का सतत् संरक्षण एवं आजीविका को सुनिश्चित करना है।
- सामुदायिक ज्ञान की उपेक्षा: यह पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान और स्थानीय वन निवासियों के जीवन अनुभव को नज़रअंदाज़ करता है तथा इसके स्थान पर तकनीकी एवं आँकड़ों पर आधारित पद्धतियों को प्राथमिकता देता है।
- असंगत योजना निर्माण: NWPC की कठोर रूपरेखा तथा तकनीकी मांगें, सामुदायिक स्तर पर आवश्यक लचीली और संदर्भ-आधारित CFR योजनाओं के अनुकूल नहीं हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर वन शासन में देरी होती है।
- दुरुपयोग की संभावना: NWPC का उपयोग वन विभागों द्वारा CFR क्षेत्रों पर पुनः नियंत्रण स्थापित करने के लिये किया जा सकता है, जिससे ग्राम सभाओं की कानूनी स्वायत्तता कमज़ोर पड़ सकती है।
- जलवायु अनुकूलन में बाधा: NWPC के तहत बनाए गए स्थिर कार्य योजना जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं के अनुरूप स्वयं को ढालने में असमर्थ रहती हैं, जबकि सामुदायिक नेतृत्व वाली CFR योजनाएँ अधिक अनुकूल और त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान कर सकती हैं
प्रभावी CFRR क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये कौन-से उपाय आवश्यक हैं?
- संस्थागत स्पष्टता और कानूनी अनुपालन: वन विभागों को ग्राम सभा की अधिकारिता को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिये। जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA), जो FRA का नोडल मंत्रालय है, को ग्राम सभाओं की स्वायत्तता की सक्रिय रूप से रक्षा करनी चाहिये और ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करना चाहिये जो NWPC 2023 जैसे अन्य माध्यमों से वन शासन को दोबारा केंद्रीकृत करने की दिशा में कानून को कमज़ोर करने का प्रयास करें।
- ग्राम सभाओं को वित्तीय और प्रशासनिक सहायता: ग्राम सभाओं के लिये वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन: 15वें वित्त आयोग ने स्थानीय निकायों को प्रत्यक्ष वित्तीय हस्तांतरण (Direct Devolution) की सिफारिश की है।
- जिन ग्राम सभाओं के पास समुदायिक वन संसाधनों (CFR) के अधिकार हैं, उनके लिये वन संरक्षण और सतत् उपयोग हेतु एक विशिष्ट वित्तीय प्रावधान निर्धारित किया जाना चाहिये।
- हरित भारत मिशन (Green India Mission) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसी योजनाओं में CFR प्रबंधन योजनाएँ तैयार करने और लागू करने के लिये समुदायों को प्रशिक्षित करने वाले मॉड्यूल शामिल किये जाने चाहिये।
- CFR योजना निर्माण का सरलीकरण और विस्तार: धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान CFR प्रबंधन योजनाओं के लिये एक संकेतक ढाँचा (Indicative Framework) प्रदान करता है।
- राज्यों को इसे अनुकूलन के साथ अपनाना चाहिये और अनुक्रियात्मक (Iterative) सीखने की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिये।
- डिजिटल मैपिंग और डैशबोर्ड: ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने डिजिटल मैपिंग के माध्यम से CFR क्षेत्रों में सफलता हासिल की है।
- राष्ट्रीय स्तर पर एक CFR डैशबोर्ड (जैसे PMAY या जल जीवन मिशन डैशबोर्ड) बनाया जाना चाहिये, जिससे CFR अधिकारों की मान्यता और कार्यान्वयन की निगरानी की जा सके।
- स्वतंत्र निगरानी: राज्य स्तर पर CFR कार्यान्वयन समितियों का गठन किया जाना चाहिये, जिनमें आदिवासी नेता, पारिस्थितिकी विज्ञानी और कानूनी विशेषज्ञ शामिल हों।
- इन समितियों द्वारा शिकायतों की समीक्षा की जानी चाहिये ताकि कार्यावयन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।
- न्यायिक समर्थन: भारतीय वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत CFR अधिकारों को सर्वोच्चता प्राप्त है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने Wildlife First बनाम MoEFCC (2019) जैसे मामलों में स्पष्ट किया है।
- सर्विच्च न्यायालय (जैसे कि वाइल्डलाइफ फर्स्ट बनाम MoEFCC, 2019 के मामले में) ने FRA (वन अधिकार अधिनियम) के तहत अधिकारों की प्रधानता पर ज़ोर दिया है। न्यायपालिका को CFRR के प्रशासनिक रूप से कमज़ोर पड़ने के प्रयासों पर सतर्क निगरानी रखनी चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न प्र. सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (Community Forest Resource Rights) के अंतर्गत वन शासकीय व्यवस्था में ग्राम सभा की भूमिका पर चर्चा कीजिये। नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) के प्रतिरोध के संदर्भ में ग्राम सभाओं की स्वायत्तता को कैसे सशक्त किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |