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भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना

  • 21 Dec 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना, संरक्षण, वन संसाधन, वनों की कटाई, क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) और इकोमार्क योजना

मेन्स के लिये:

भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना, वन संसाधन, संरक्षण

स्रोत: पी. आई. बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय वन एवं लकड़ी प्रमाणन योजना (Indian Forest & Wood Certification Scheme- IFWCS) शुरू की है। यह राष्ट्रीय वन प्रमाणन योजना देश में स्थायी वन प्रबंधन और कृषि वानिकी को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये स्वैच्छिक तृतीय-पक्ष प्रमाणीकरण प्रदान करती है।

भारतीय वन एवं लकड़ी प्रमाणन योजना (IFWCS) क्या है?

  • उद्देश्य:
    • IFWCS का लक्ष्य भारत में काम कर रही निजी विदेशी प्रमाणन एजेंसियों के लिये एक विकल्प प्रदान करना है। यह स्थायी वन प्रबंधन और लकड़ी-आधारित उत्पादों को प्रमाणित करने में अधिक अखंडता, पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता सुनिश्चित करना चाहता है।
  • प्रमाणन का दायरा:
    • इस योजना में प्रमाणन के लिये तीन मुख्य क्षेत्र शामिल हैं:
      • सतत् वन प्रबंधन.
      • वनों के बाहर पेड़ों का स्थायी प्रबंधन (जैसे वृक्षारोपण)।
      • हिरासत की शृंखला, जो उनकी आपूर्ति शृंखला में वन उत्पादों की ट्रेसबिलिटी की गारंटी देती है, नैतिक सोर्सिंग और हैंडलिंग सुनिश्चित करती है।
  • नोडल एजेंसियाँ:
    • इस योजना की देख-रेख भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन परिषद द्वारा की जाएगी, जो एक बहुहितधारक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करेगी।
    • भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल योजना संचालन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा और योजना के समग्र प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होगा।
    • भारतीय गुणवत्ता परिषद के अधीन प्रमाणन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड प्रमाणन निकायों को मान्यता देगा जो स्वतंत्र ऑडिट करेगा तथा योजना के तहत निर्धारित मानकों पर विभिन्न संस्थाओं के पालन का आकलन करेगा।
  • वनों के बाहर एक अन्य पेड़ मानक:
    • वनों के बाहर एक अलग पेड़ मानक, अब नई शुरू की गई भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना के एक भाग के रूप में पेश किया गया है
      • 'वनों के बाहर के पेड़' का अर्थ रिकॉर्ड किये गए तथा अधिसूचित वनों के बाहर, व्यक्तिगत किसानों अथवा छोटे किसानों के समूह की कृषि भूमि अथवा संस्थानों एवं उद्योगों की निजी भूमि पर वृक्षारोपण क्षेत्र इत्यादि में उगने वाले वृक्षों से हैं जिसमें बाड़ (Hedge) व मेड़ों पर लगे सभी पेड़, कृषिवानिकी, सिल्वो-पशुपालन, शहरी एवं ग्रामीण वानिकी प्रणालियों तथा ब्लॉक वृक्षारोपण के विभिन्न मॉडलों में उगाए गए पेड़ भी शामिल हैं।
  • लाभ:
    • इस प्रमाणन से वन प्रबंधन तथा लकड़ी-आधारित उत्पादों से संबंधित प्रक्रियाओं में विश्वास तथा पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।
    • IFWCS, उत्तरदायी संचालन वाले वन प्रबंधन तथा कृषि वानिकी प्रथाओं का पालन करने वाली विभिन्न संस्थाओं को बाज़ार प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।
    • इसमें राज्य वन विभाग, व्यक्तिगत किसान अथवा कृषि वानिकी एवं फार्म वानिकी में संलग्न किसान उत्पादक संगठन और साथ ही अन्य लकड़ी-आधारित उद्योग शामिल हैं।
  • वैश्विक संदर्भ:

वन प्रबंधन से संबंधित अन्य हालिया घोषणाएँ क्या हैं?

  • राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, 2023:
    • MoEFCC ने जुलाई 2023 में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन और नए दृष्टिकोण विकसित करने के लिये "राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023" जारी की है।
      • राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, जिसे पहली बार 2004 में अपनाया गया था, बाद में 2014 में संशोधन के साथ एकरूपता लाई गई और हमारे देश के विभिन्न वन प्रभागों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिये कार्य योजना की तैयारी के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य किया गया।
      • "भारतीय वन प्रबंधन मानक (IFMS)" जो इस कोड का एक हिस्सा है, प्रबंधन में एकरूपता लाने का प्रयास करते हुए हमारे देश में विविध वन पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखता है।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) और इकोमार्क योजना:
    • पर्यावरण के लिये ‘जीवन शैली’ (LiFE ) आंदोलन के तहत MoEFCC ने अक्तूबर 2023 में GCP और इकोमार्क योजना शुरू की है।
      • GCP एक अभिनव बाज़ार-आधारित तंत्र है जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) कार्यक्रम कार्यान्वयन, प्रबंधन, निगरानी एवं संचालन के लिये ज़िम्मेदार GCP प्रशासक के रूप में कार्य करता है।
      • इकोमार्क योजना घरेलू और उपभोक्ता उत्पादों के लिये मान्यता तथा लेबलिंग प्रदान करती है जो भारतीय मानदंडों के अनुसार गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए विशिष्ट पर्यावरणीय मानदंडों को पूर्ण करते हैं।
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