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सतत् विकास के वित्तपोषण हेतु सेविला प्रतिबद्धता

  • 16 Jul 2025
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), लिंग आधारित हिंसा, सतत्् विकास लक्ष्य, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग (UNDESA), संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC), UNCTAD

मेन्स के लिये:

जलवायु वित्त और इसका महत्त्व, महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

स्पेन के सेविला शहर में आयोजित विकास के लिये वित्तपोषण पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) सेविला प्रतिबद्धता (Sevilla Commitment) के साथ संपन्न हुआ। इस प्रतिबद्धता में सतत् विकास वित्त को बढ़ावा देने, वैश्विक ऋण संकट का समाधान करने, और बढ़ते ऋण एवं आर्थिक अस्थिरता के बीच अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार के लिये उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।

सेविला प्रतिबद्धता क्या है?

  • सेविला प्रतिबद्धता: सेविला प्रतिबद्धता (Sevilla Commitment) एक व्यापक ढाँचा है जिसे FfD4 सम्मेलन के दौरान विकसित और अंगीकृत किया गया। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने हेतु हर वर्ष 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय कमी को दूर करना है।
    • विकास के लिये वित्तपोषण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD) एक संयुक्त राष्ट्र (UN)-प्रायोजित मंच है जिसे हर दशक में एक बार आयोजित किया जाता है। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा आयोजित किया जाता है।
    • यह घरेलू संसाधन जुटाने और कर प्रणालियों को मज़बूत करने, सामाजिक सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं और जलवायु अनुकूलन तक पहुँच का विस्तार करने पर केंद्रित है।
    • यह लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने, 60 से अधिक पहलें महिलाओं के सशक्तीकरण, महिला वित्त पोषण और अवैतनिक देखभाल कार्य के पुनर्वितरण पर केंद्रित हैं
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वित्तीय प्रवाह और नीतियों को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करना, ऋण स्थिरता सुनिश्चित करना, जलवायु वित्त का विस्तार करना तथा 2030 एजेंडा और SDG को आगे बढ़ाना है।
  • कार्यान्वयन तंत्र: सेविला प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (Sevilla Platform for Action), जिसमें 130 पहलें शामिल हैं — सेविला प्रतिबद्धता के कार्यान्वयन तंत्र के रूप में कार्य करता है।
  • प्रमुख घटक:
    • निवेश को उत्प्रेरित करना: सार्वजनिक-निजी भागीदारी और मिश्रित वित्त मॉडल के माध्यम से सतत् विकास वित्तपोषण को बढ़ावा देना।
    • ऋण संकट का समाधान: डेब्ट स्वैप (Debt Swaps), पॉज क्लॉज़ (Pause Clauses) और विकास हेतु ऋण विनिमय (Debt-for-Development Swaps) जैसे उपकरणों का प्रस्ताव, जिससे निम्न-आय वाले देशों पर ऋण का बोझ कम किया जा सके।
    • वैश्विक वित्तीय संरचना में सुधार: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को पुनर्गठित करने का आह्वान किया गया है ताकि इसे अधिक न्यायसंगत, समावेशी और विकासशील देशों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी बनाया जा सके।
      • ये सभी उपाय अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा (2015) के अनुरूप हैं और वैश्विक असमानता को दूर करने के लिये वित्त, निवेश और ऋण राहत में त्वरित सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

विकास प्रक्रिया के लिये वित्तपोषण का विकास

  • विकास के लिये एजेंडा (1997): संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विकास के लिये एजेंडा अपनाया, जिसमें सतत् विकास प्राप्त करने में वित्तपोषण चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की आवश्यकता का प्रस्ताव रखा गया।
  • मॉन्टेरी सहमति (मेक्सिको), 2002: पहला FfD सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसने विकास वित्त पर वैश्विक सहयोग की नींव रखी, जिसमें गरीबी उन्मूलन, सतत् आर्थिक विकास और घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों को जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • दोहा घोषणा (कतर), 2008: वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान दूसरा FfD सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें मोंटेरे सहमति की फिर से पुष्टि की गई और समावेशी तथा स्थिर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा (इथियोपिया), 2015: तीसरे FfD सम्मेलन के दौरान, वैश्विक वित्तीय रणनीतियों को 2030 सतत् विकास एजेंडा और SDGs के साथ संरेखित किया गया।

सेविला प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (FfD4) के तहत शुरू की गई प्रमुख पहलें क्या हैं?

  • ऋण पहल: 
    • विकास केंद्र के लिये ऋण स्वैप (स्पेन और विश्व बैंक के नेतृत्व में): तकनीकी क्षमता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाकर ऋण स्वैप को बढ़ाने और ऋण सेवा बोझ को कम करने के लिये शुरू किया गया।
    • विकास के लिये ऋण विनिमय कार्यक्रम (इटली के नेतृत्व में): 230 मिलियन यूरो के अफ्रीकी ऋण को विकास परियोजनाओं के लिये निवेश में परिवर्तित करना, सतत्् वित्तपोषण को बढ़ावा देना।
    • ऋण "पॉज क्लॉज़" गठबंधन (Debt "Pause Clause" Alliance): बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs) और उनके साझेदार देशों के नेतृत्व में गठित यह पहल, ऋण समझौतों में संकट-प्रेरित "पॉज क्लॉज़" को शामिल करने का लक्ष्य रखती है। इसका उद्देश्य है कि आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे प्राकृतिक आपदा या वैश्विक संकट) में ऋण भुगतान को अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सके।
    • ऋण पर सेविला फोरम: स्पेन के नेतृत्व और संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से शुरू किया गया यह मंच, विकासशील देशों के बीच ज्ञान साझा करने, समन्वय और समावेशी ऋण पुनर्गठन प्रयासों के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • निवेश पहल: 
    • ग्लोबल सॉलिडेरिटी लेवी गठबंधन (Coalition for Global Solidarity Levies) – (फ्राँस, केन्या और बारबाडोस के नेतृत्व में) यह पहल प्रीमियम श्रेणी की हवाई यात्रा और प्राइवेट जेट्स पर कर लगाने का प्रस्ताव रखती है, ताकि जलवायु कार्रवाई और सतत् विकास के लिये धन एकत्र किया जा सके।
    • स्केल्ड प्लेटफॉर्म (जर्मनी, कनाडा, फ्राँस, यूके, डेनमार्क, दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व में): इसका उद्देश्य अनुकरणीय और प्रभावोन्मुख वित्तपोषण साधनों का विकास करके मिश्रित वित्त को बढ़ाना है।
    • FX EDGE टूलबॉक्स (इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक और डेल्टा के नेतृत्व में): यह पहल मुद्रा जोखिम प्रबंधन उपकरण प्रदान करती है, ताकि विकासशील देशों में स्थानीय मुद्रा में ऋण को बढ़ावा मिल सके।
    • उच्च निवल संपत्ति वाले व्यक्तियों के प्रभावी कराधान की पहल (ब्राज़ील और स्पेन के नेतृत्व में): इसका उद्देश्य उच्च निवल संपत्ति वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक वित्त में उचित योगदान करने के लिये प्रोत्साहित करके प्रगतिशील कराधान सुनिश्चित करना है।

विकासशील देशों में संप्रभु ऋण से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • ऋण बोझ: संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग के अनुसार, 3.3 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ ऋण चुकाने पर होने वाला खर्च स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे आवश्यक क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यय से भी अधिक है।
  • आवर्ती राजकोषीय मांगें: विकासशील देश एक तरफ तो ऋण चुकाने और दूसरी तरफ जलवायु अनुकूलन, बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक सेवाओं जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के वित्तपोषण के बीच फंसे हुए हैं। इससे उनका समग्र विकास बाधित हो रहा है।
  • विकास और जलवायु न्याय के मुद्दे के रूप में ऋण: उच्च ब्याज दरें और वित्त तक सीमित पहुँच के कारण देशों को ऋण चुकौती और जलवायु अनुकूलन में निवेश के बीच कठोर विकल्प चुनने के लिये बाध्य होना पड़ता है। 
    • इसका सबसे अधिक प्रभाव उन देशों पर पड़ता है जो जलवायु परिवर्तन के लिये सबसे कम ज़िम्मेदार हैं, लेकिन उसके प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।

जलवायु वित्त से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: जलवायु वित्त से संबंधित चुनौतियाँ

एक समतापूर्ण एवं समावेशी वैश्विक वित्तपोषण प्रणाली सुनिश्चित करने के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये?

  • ऋण से अनुदान की ओर बदलाव: विकासशील और जलवायु-संवेदनशील देशों को अनुदान-आधारित या अत्यधिक रियायती जलवायु वित्त के लिये प्राथमिकता दी जानी चाहिये। 
    • ऋण बोझ बढ़ाए बिना सहायता प्रदान करने के लिये "ऋण-बदले-जलवायु" (Debt-for-Climate Swaps) और "हानि एवं क्षति सुविधा" (Loss-and-Damage Facilities) जैसे तंत्रों को बढ़ावा देना चाहिये।
  • क्रेडिट रेटिंग प्रणाली में सुधार: क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया जाना चाहिये और उनकी पद्धतियों में जलवायु सहनशीलता (Climate Resilience) से संबंधित संकेतकों को शामिल किया जाना चाहिये।
    • ऋण राहत ढाँचे में भाग लेने वाले देशों को ऐसे दंडात्मक डाउनग्रेड से नहीं गुजरना चाहिये जो उनके भविष्य के उधारी विकल्पों को सीमित कर दे।
  • लिंग-संवेदनशील बजट को लागू करना: सरकारों को सार्वजनिक व्यय को ट्रैक करना, रिपोर्ट करना और लिंग समानता एवं सामाजिक समावेशन लक्ष्यों के साथ संरेखित करना चाहिये। 
    • इसमें बाल देखभाल, वृद्ध देखभाल, और मातृ स्वास्थ्य सेवाओं जैसे केयर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना शामिल है, ताकि समावेशी और सतत् आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
  • एक संप्रभु ऋण समाधान तंत्र का निर्माण: G20 का क्रेडिटर-प्रधान कॉमन फ्रेमवर्क पर्याप्त नहीं है। इसके परे जाकर, संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक बहुपक्षीय सार्वभौमिक ऋण समाधान तंत्र की आवश्यकता है, जो समयबद्ध, न्यायसंगत और समावेशी पुनर्संरचना सुनिश्चित कर सके, विशेषकर उन देशों के लिये जो गंभीर ऋण संकट से जूझ रहे हैं।

निष्कर्ष:

FfD4 सेविला सम्मेलन ने सतत् विकास के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है, लेकिन यह इरादा तभी सार्थक होगा जब उसे संरचनात्मक कार्यवाही में बदला जाए। यदि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में प्रणालीगत सुधार नहीं होते, तो जलवायु-संवेदनशील और ऋण-संकटग्रस्त देश ऋण, आपदा और वंचना के दुष्चक्र में फँसे रहेंगे।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

विकासशील देशों को रियायती जलवायु वित्त प्राप्त करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? इन चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर किन नीतिगत उपायों की आवश्यकता है? चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (वर्ष 2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे और यह वर्ष 2017 में लागू हुआ था।  
  2. समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2ºC या 1.5ºC से अधिक न हो।  
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने हेतु वर्ष 2020 से सालाना 1000 अरब डॉलर की मदद के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: b


मेन्स:

प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (वर्ष 2021)

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