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डेली न्यूज़

  • 04 Jun, 2025
  • 43 min read
शासन व्यवस्था

ऑनलाइन गेमिंग में मनी लॉन्ड्रिंग

प्रिलिम्स के लिये:

रियल मनी गेमिंग, कौशल आधारित खेल, वस्तु एवं सेवा कर (GST), म्यूल बैंक अकाउंट, भारतीय रिज़र्व बैंक 

मेन्स के लिये:

मनी लॉन्ड्रिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा ऑनलाइन गेमिंग का विनियमन

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों? 

वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा के उद्देश्य से, भारत सरकार ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग (RMG) को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के दायरे में लाने की योजना बना रही है।

भारत में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग का परिदृश्य कैसा है?

  • परिभाषा: रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं को फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और कौशल-आधारित प्रतियोगिताओं जैसे खेलों में संभावित जीत के लिये वास्तविक निधि दाव पर लगाने की अनुमति देते हैं।
  • बाज़ार की गति: भारत वर्ष 2023 में 568 मिलियन गेमर्स और 9.5 बिलियन ऐप डाउनलोड के साथ विश्व का सबसे बड़ा गेमिंग बाज़ार बन गया। वर्ष 2023 में इस बाज़ार का मूल्य 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वर्ष 2028 तक 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • मुख्य विकास कारक: किफायती इंटरनेट डेटा तथा स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच ने ऑनलाइन गेमिंग को और अधिक सुलभ बना दिया है, विशेषकर भारत की बड़ी एवं युवा आबादी के लिये।
    • डिजिटल भुगतान के बढ़ने से लेन-देन सहज हो गया है, वहीं तकनीकी प्रगति के साथ घरेलू गेमिंग स्टूडियो भी तेज़ी से विकसित हुए हैं।
    • उच्च बेरोज़गारी और सीमित आय के अवसरों के कारण कई लोग त्वरित पैसे कमाने की चाह रखते हैं, जिससे सट्टेबाज़ी ऐप्स/बेटिंग ऐप्स उन्हें अत्यधिक आकर्षित करती हैं।
    • इसके अलावा, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे लोकप्रिय खेल टूर्नामेंटों और सेलिब्रिटी प्रचार के चलते भोले-भाले युवाओं को इन प्लेटफॉर्म्स की ओर खींचा जाता है। भारत में कम डिजिटल साक्षरता (केवल 38% परिवार डिजिटल रूप से साक्षर हैं) उनकी भेद्यता को और बढ़ा देती है।
  • विनियमन: भारत में, गेमिंग, सट्टेबाज़ी और जुए से संबंधित कानून बनाने का विशेष अधिकार राज्य विधानसभाओं को है, जो भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II (राज्य सूची) के प्रविष्टि 34 के अंतर्गत आता है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर, सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 (Public Gambling Act, 1867) में कौशल-आधारित खेलों को दंड से छूट दी गई है, जबकि पुरस्‍कार प्रतियोगिता अधिनियम, 1955, पुरस्‍कार आधारित प्रतियोगिताओं को नियंत्रित करता है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 के अंतर्गत ऑनलाइन गेम, ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ, ऑनलाइन रियल मनी गेम्स (RMG), अनुमेय खेल और स्व-नियामक निकायों जैसे महत्त्वपूर्ण शब्दों की परिभाषाएँ दी गई हैं, ताकि तेज़ी से विकसित हो रहे डिजिटल गेमिंग परिदृश्य में अधिक संरचना लाई जा सके।
    • भारत में लॉटरी, जुआ तथा सट्टेबाज़ी क्षेत्रों में विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
  • कराधान: वैध रियल मनी गेमिंग (RMG) कंपनियों पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाया जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत लॉटरी, कार्ड गेम या किसी भी खेल (कौशल आधारित खेल सहित) से 10,000 रुपए से अधिक की जीत पर 30% (अधिभार और उपकर को छोड़कर) कर लगाया जाता है।
  • RMG में मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया: ऑनलाइन गेमिंग में मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया सामान्यतः तीन चरणों में सामने आती है।
    • पहला चरण, प्लेसमेंट (Placement) में अवैध निधि को गेमिंग इकोसिस्टम में जमा या वर्चुअल क्रेडिट की खरीद के माध्यम से डाला जाता है।
    • इसके बाद आता है लेयरिंग (Layering), जिसमें इन-गेम ट्रांसफर, मुद्रा रूपांतरण और कई जटिल लेन-देन के माध्यम से निधि के स्रोत को छुपाया जाता है।
    • अंत में, इंटीग्रेशन (Integration) चरण में इस "क्लीनड" निधि को वैध कमाई (जैसे- जीत की राशि या रिफंड) के रूप में निकाला जाता है, जो प्रायः क्रिप्टोकरेंसी चैनलों या सीमा पार भुगतान प्रणालियों के माध्यम से किया जाता है।

Money_Laundering_Gaming

PMLA के तहत ऑनलाइन गेमिंग का विनियमन क्यों आवश्यक है?

  • वर्तमान विनियामक अंतराल: भारत का सार्वजनिक जुआ अधिनियम (1867) सार्वजनिक जुए पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन कौशल आधारित खेलों को इससे छूट देता है।
    • राज्य सट्टेबाज़ी और जुए को अलग-अलग तरीकों से विनियमित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक खंडित कानूनी वातावरण बनता है जिसका दुरुपयोग अवैध संचालक करते हैं। 
    • भारत में अवैध ऑफशोर संचालक नियामकीय खामियों का लाभ उठाते हुए करों की चोरी करते हैं और उपयोगकर्त्ताओं की धनराशि को विदेश भेजकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। महादेव ऐप (₹6,000 करोड़ की संदिग्ध आय) और फीविन (₹400 करोड़ की धोखाधड़ी) जैसे मामले अवैध संचालन की व्यापकता को दर्शाते हैं।
      • बेईमान संचालक अवैध धन को वैध बनाने के लिये शेल कंपनियों, क्रिप्टो वॉलेट्स और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं।
    • यह जटिल परिदृश्य यह रेखांकित करता है कि ऑनलाइन गेमिंग को PMLA के कठोर नियामक दायरे में लाया जाना आवश्यक है, ताकि वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और निगरानी को सशक्त किया जा सके।
  • जवाबदेही को सुदृढ़ करना: वर्ष 2023 के धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) नियमों ने वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं को नियामकीय निगरानी के दायरे में शामिल कर दिया, जिससे वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU) को उल्लंघनों की बेहतर निगरानी करने और दंडित करने में सक्षम बनाया गया।
    • ऑनलाइन RMG में वर्चुअल एसेट्स को इस ढाँचे के अंतर्गत शामिल करने से लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखने तथा संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने में मदद मिलती है, जिससे गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र में जवाबदेही और अधिक सुदृढ़ होती है।
  • आतंकवाद वित्तपोषण: ऑनलाइन RMG अपनी गुमनाम और सीमाहीन प्रकृति के कारण आतंकवाद वित्तपोषण का एक गंभीर खतरा उत्पन्न करती है। आतंकवादी ऑपरेटिव इस गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर गुप्त संचार तथा अवैध लेन-देन की सुविधा के लिये गेमप्ले का दुरुपयोग कर सकते हैं।
    • RMG को PMLA के तहत शामिल करने से इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रभावी रूप से सुरक्षित और निगरानी योग्य बनाया जा सकता है।
  • साइबर सुरक्षा: भारत का साइबर सुरक्षा ढाँचा नवोन्मेषी डिजिटल प्लेटफार्मों, जिनमें ऑनलाइन गेमिंग भी शामिल है, की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अभी भी अपर्याप्त है।
    • ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों का दुरुपयोग ट्रोजन या मैलवेयर तैनात करने के लिये किया जा सकता है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं के बैंक खातों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और वित्तीय हानि हो सकती है।
    • PMLA के तहत समेकित करने से नियामकीय निगरानी मज़बूत होगी और साइबर धोखाधड़ी तथा बैंक से संबंधित नुकसान के जोखिम कम होंगे।

ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मनी लॉन्ड्रिंग-विरोधी नियमों को लागू करने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • म्यूल खाते और प्रॉक्सी भुगतान चैनलों का उपयोग: अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म अक्सर भुगतान मार्गदर्शन के लिये "म्यूल" बैंक खाते या तृतीय-पक्ष वॉलेट्स का उपयोग करते हैं।
    • ये खाते अक्सर ऐसे व्यक्तियों या शेल संस्थाओं के नाम पर दर्ज होते हैं जिनका लेन-देन से कोई संबंध नहीं होता, जिससे लेन-देन की उत्पत्ति और उद्देश्य छिप जाते हैं।
    • ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म हर मिनट हज़ारों सूक्ष्म-लेन-देन (माइक्रो-ट्रांज़ेक्शन) को संसाधित करते हैं, जिससे वास्तविक समय में संदिग्ध पैटर्न का पता लगाना कठिन हो जाता है। वैध गेमप्ले को बाधित किये बिना अवैध गतिविधि को चिह्नित करने के लिये स्वचालित सिस्टम को असाधारण रूप से मज़बूत होना चाहिये।
  • इन-गेम खरीद और डिजिटल वॉलेट का दुरुपयोग: खिलाड़ी वास्तविक धनराशि को इन-गेम संपत्तियों या डिजिटल मुद्राओं में परिवर्तित कर सकते हैं, जिन्हें बिना किसी ट्रेस के बदला, उपहार दिया या वास्तविक धनराशि के रूप में निकाला जा सकता है।
    • कई वित्त पोषण विधियाँ (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, कार्ड, वॉलेट, क्रिप्टो आदि) असंरचित इनफ्लो और आउटफ्लो पैटर्न बनाती हैं, जिन्हें व्यापक रूप से मॉनिटर करना कठिन होता है। AML जाँच के लिये बैंकिंग सिस्टम के साथ समन्वय अभी भी अपर्याप्त या असंगत है।
  • सीमा-पार और अधिकार क्षेत्र संबंधी समस्याएँ: गेमिंग प्लेटफॉर्म विदेशी देशों में पंजीकृत हो सकते हैं, जिससे सीमा पार विभिन्न नियामक प्राधिकरणों के बीच समन्वय करना कठिन हो जाता है।
    • विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में अलग-अलग AML कानून होते हैं, जो प्रवर्तन और अनुपालन निगरानी को जटिल बना देते हैं।
    • 1xBet जैसे ऑफशोर साइट्स अक्सर अपने डोमेन और बैंक साझेदारों को बदलते रहते हैं, जिससे प्रवर्तन तथा अभियोजन अत्यंत जटिल हो जाता है।
  • उद्देश्य की पुष्टि करने में कठिनाई: उच्च दाव वाली गेमिंग और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के बीच अंतर करना कठिन हो सकता है।
    • खिलाड़ी यह दावा कर सकते हैं कि उच्च मात्रा या तीव्र लेन-देन वैध गेमप्ले का हिस्सा हैं।
  • धोखाधड़ी की विकसित होती तकनीकें: मनी लॉन्ड्रर लगातार नई रणनीतियाँ अपनाते रहते हैं, जैसे- रिफंड का दुरुपयोग, रेफरल बोनस, या नकली गेमप्ले का उपयोग कर धनराशि को वैध करने के लिये कानूनी खामियों का लाभ उठाना।
    • मनी लॉन्ड्रिंग की नई प्रवृत्तियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये निरंतर नियामकीय और प्रौद्योगिकीय उन्नयन आवश्यक होता है।
  • अप्रभावी दंड और प्रवर्तन: भारत में एक केंद्रीय गेमिंग नियामक की अनुपस्थिति एक खंडित प्रवर्तन वातावरण उत्पन्न करती है। प्रवर्तन निदेशालय, गृह मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसी कई एजेंसियों द्वारा आंशिक ज़िम्मेदारियाँ साझा किये जाने से नियामकीय अतिक्रमण तथा खामियाँ उत्पन्न होती हैं, जो AML प्रवर्तन को समयबद्ध और समन्वित रूप से लागू करने में बाधा बनती हैं।
    • AML जाँच में असफल होने के बाद भी, प्रमुख जुआ कंपनियाँ अक्सर ज़ुर्माने को नियमित लागत के रूप में मानती हैं, निवारक के रूप में नहीं, जिसके कारण बार-बार उल्लंघन होता है।

भारत ऑनलाइन गेमिंग में उपयोगकर्त्ता की सुविधा के साथ नियामक कठोरता को कैसे संतुलित कर सकता है?

  • स्तरीकृत KYC दृष्टिकोण: उपयोगकर्त्ता गतिविधि और लेन-देन की मात्रा के आधार पर क्रमिक KYC को लागू करें - ऑनबोर्डिंग के दौरान प्रारंभिक सत्यापन (जैसे मोबाइल नंबर पर OTP) किया जाएगा और निर्धारित सीमा पार करने पर पूर्ण KYC प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
    • यह दृष्टिकोण भारत में स्थापित विनियामक मिसालों के अनुरूप है। उदाहरण के लिये, भारतीय रिज़र्व बैंक  (RBI) ₹10,000 तक के बैलेंस वाले प्रीपेड भुगतान साधनों के लिये OTP-आधारित ऑनबोर्डिंग की अनुमति देता है, जिससे कम जोखिम वाले उपयोगकर्त्ताओं के लिये सरलीकृत पहुँच संभव हो जाती है।
  • स्तरीकृत विनियमन मॉडल अपनाना: आकस्मिक खेलों, प्रतिस्पर्द्धी कौशल-आधारित खेलों और वास्तविक धन वाले खेलों के बीच अंतर करें।
    • ब्रिटेन के जुआ आयोग के ढाँचे के समान जोखिम के स्तर के आधार पर आनुपातिक विनियमन लागू करना।
  • कानून के रूप में एल्गोरिथम जवाबदेही: गेमिंग प्लेटफार्मों को एल्गोरिथम ऑडिट और डार्क पैटर्न प्रतिबंधों (जैसे- लूट बॉक्स, मनोवैज्ञानिक धक्का-मुक्की) के लिये प्रस्तुत होना होगा, जैसा कि यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम में देखा गया है। 
    •  भारत को आगामी डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत प्लेटफॉर्म लाइसेंस से जुड़ी “गेमिंग आचार संहिता” को अनिवार्य बनाना चाहिये।
  • खुफिया सूचना आधारित प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करें: वैध उपयोगकर्त्ताओं और प्लेटफार्मों को अलग करने से बचने के लिये व्यापक उपाय करने के बजाय उच्च जोखिम वाले ऑपरेटरों तथा  संदिग्ध गतिविधियों पर संसाधनों को प्राथमिकता दें।
  • उपभोक्ता संरक्षण और साइबर सुरक्षा: विनियमों में डेटा चोरी, ऑनलाइन दुरुपयोग और नाबालिगों की सुरक्षा के विरुद्ध सुरक्षा उपाय भी अनिवार्य होने चाहिये।
  • गेमिंग कंपनियों के लिये सुरक्षित ठिकानों पर ध्यान देना: संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिये सुरक्षित ठिकानों के रूप में कार्य करते हैं, जो विनियमन और प्रवर्तन हेतु चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
    • कूटनीति को सुदृढ़ करने और गेमिंग फर्मों की मेज़बानी करने वाले देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियों पर हस्ताक्षर करने से जवाबदेही सुनिश्चित होगी एवं सीमा पार लेन-देन की निगरानी में सुधार होगा।
  • ज़िम्मेदार प्रचार और सेलिब्रिटी समर्थन: केवल वैध गेमिंग ऐप्स को बढ़ावा देकर ज़िम्मेदार विपणन को प्रोत्साहित करना और सुनिश्चित करना कि सेलिब्रिटी समर्थन गेमिंग उद्योग की आचार संहिता का पालन करते हैं ।

गेमिंग उद्योग द्वारा अपनाई गई आचार संहिता क्या है?

और पढ़ें: ऑनलाइन गेमिंग नैतिकता को समझना

निष्कर्ष

ऑनलाइन गेमिंग में वित्तीय अपराधों को रोकने के लिये एक सुदृढ़ और संतुलित विनियामक ढाँचा आवश्यक है , ताकि नवाचार को बाधित किये बिना इसे रोका जा सके। PMLA को तकनीक-संचालित, जोखिम-आधारित विनियमन के साथ एकीकृत करके उपयोगकर्त्ता सुरक्षा और वित्तीय अखंडता सुनिश्चित की जा सकती है। भारत को अपने डिजिटल गेमिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित एवं वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाने हेतु निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में डिजिटल गेमिंग उद्योग के तेज़ी से बढ़ने के साथ, उपयोगकर्त्ता की सुविधा, नवाचार और वित्तीय अखंडता के बीच संतुलन सुनिश्चित करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया।  
  2.  एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के अंदर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें।  
  3.  हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केंद्रों में वाई-फाई की सुविधा प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

IoT क्रांति और स्मार्ट भविष्य

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), वाई-फाई, ब्लूटूथ, 5G, API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस), स्मार्ट सिटीज़, एज कंप्यूटिंग, AI, ML, डीपफेक, पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर (PKI), राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति, 2020     

मेन्स के लिये:

दैनिक जीवन में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) की भूमिका, इसकी विशेषताएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ, IoT पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के उपाय।

स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

 इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एक परिवर्तनकारी शक्ति बन गई है, जो हमारे आस-पास की दैनिक वस्तुओं में बुद्धिमत्ता का संचार कर रही है, जिससे हमारे दैनिक जीवन पर गहरा असर पड़ रहा है। खाने को ताज़ा रखने  वाले स्मार्ट रेफ्रिजरेटर से लेकर रियल-टाइम अलर्ट देने वाली सुरक्षा प्रणालियों तक, IoT हमारे घरों को ज़्यादा सहज, कुशल और सुरक्षित बना रहा है

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) क्या है?

  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) भौतिक उपकरणों के एक नेटवर्क को संदर्भित करता है- जो सेंसर, सॉफ्टवेयर और कनेक्टिविटी से जुड़े होते हैं- जो डेटा एकत्र करते हैं, उसका आदान-प्रदान करते हैं तथा उस पर कार्य करते हैं।
    • इन स्मार्ट उपकरणों में दैनिक घरेलू वस्तुओं (जैसे- रेफ्रिजरेटर और थर्मोस्टैट) से लेकर औद्योगिक मशीनें, वाहन व पहनने योग्य तकनीक शामिल हैं
  • IoT की मुख्य विशेषताएँ: 
    • कनेक्टिविटी: यह वायर्ड और वायरलेस दोनों कनेक्शनों के साथ कार्य करते हुए नेटवर्क (वाई-फाई, ब्लूटूथ, 5G) पर डिवाइस संचार को सक्षम बनाता है।
    • स्वचालन एवं बुद्धिमत्ता: उपकरण स्वायत्त रूप से निर्णय लेते हैं, जैसे यातायात के अनुसार स्वयं-चालित कारें। 
    • दूरस्थ निगरानी: उपयोगकर्त्ता दूरस्थ रूप से उपकरणों तक पहुँच और प्रबंधन कर सकते हैं, जैसे कि स्मार्टफोन पर घरेलू सुरक्षा कैमरे देखना
    • अंतरसंचालनीयता: एकीकरण के लिये विभिन्न डिवाइस मानकीकृत प्रोटोकॉल, संगत सॉफ्टवेयर और खुले API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का उपयोग करके एक साथ कार्य करते हैं।
    • मापनीयता: सिस्टम डिवाइसों को जोड़कर विकसित होते हैं, जैसे- स्मार्ट सिटी में सेंसर्स और फैक्टरियों में मशीनों को जोड़कर।
    • डेटा एनालिटिक्स और AI एकीकरण: यह रॉ डेटा को कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि में बदल देता है, उदाहरण के लिये स्मार्ट शहरों में यातायात विश्लेषण।
    • अनुकूलन और निजीकरण: यह उपयोगकर्त्ता की प्राथमिकताओं के अनुसार अनुकूलित होता है, जैसे- स्मार्ट होम, पहनने योग्य स्वास्थ्य उपकरण और व्यक्तिगत खुदरा।
  • IoT के प्रमुख घटक:
    • सेंसर्स और एक्चुएटर्स (भौतिक परत): ये IoT की आँखें और हाथ हैं, जो वास्तविक संसार के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
      • सेंसर पर्यावरण में परिवर्तन (तापमान, गति, प्रकाश, आर्द्रता, आदि) का पता लगाते हैं, उदाहरण- स्मार्ट थर्मोस्टैट्स में तापमान सेंसर
      • एक्ट्यूएटर्स सेंसर डेटा के आधार पर कार्य करते हैं, उदाहरण- स्मार्ट लॉक जो ऐप के माध्यम से खुलते हैं
    • कनेक्टिविटी (नेटवर्क लेयर): IoT डिवाइस डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिये विभिन्न संचार प्रोटोकॉल पर निर्भर करते हैं, जिन्हें उनकी शक्ति, रेंज और बैंडविड्थ आवश्यकताओं के आधार पर चुना जाता है। उदाहरण-
      • स्मार्ट घरों और पहनने योग्य उपकरणों के लिये ब्लूटूथ (कम रेंज)
      • स्मार्ट बिल्डिंग अनुप्रयोगों के लिये वाई-फाई (मध्यम-रेंज)
      • स्मार्ट शहरों, कृषि और लॉजिस्टिक्स समाधान के लिये सेलुलर (4G/5G) (लंबी दूरी)।
    • IoT गेटवे (डिवाइस और क्लाउड के बीच सेतु): वे स्थानीय डिवाइस और क्लाउड सर्वर के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, क्लाउड लोड को कम करने के लिये डेटा प्रीप्रोसेसिंग करते हैं और ट्रांसमिशन से पहले डेटा को एन्क्रिप्ट करके सुरक्षा बढ़ाते हैं।
      • उदाहरण- एज कंप्यूटिंग विलंबता को कम करने के लिये डेटा को स्थानीय रूप से संसाधित करती है।
    • क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा प्रोसेसिंग (IoT का मस्तिष्क): रॉ सेंसर डेटा क्लाउड पर भेजा जाता है, जहाँ Google क्लाउड IoT जैसे प्लेटफॉर्म डेटा स्टोरेज को सँभालते हैं और AI/ML एल्गोरिदम इसका विश्लेषण करते हैं ताकि पूर्वानुमानित रखरखाव जैसी अंतर्दृष्टि सक्षम हो सके।
      • उदाहरण के लिये एक स्मार्ट कृषि प्रणाली मिट्टी की नमी का डेटा एकत्र करती है → क्लाउड AI इसका विश्लेषण करती है → एक्ट्यूएटर्स को सिंचाई आदेश भेजती है।
    • उपयोगकर्त्ता इंटरफेस (IoT के साथ मानव संपर्क): उपयोगकर्त्ता विभिन्न इंटरफेस के माध्यम से IoT प्रणालियों को नियंत्रित और मॉनिटर करते हैं, जिसमें हाथ-मुक्त कमांड के लिये वॉयस असिस्टेंट जैसे मोबाइल ऐप व कम फ्रिज आपूर्ति के बारे में अधिसूचना जैसे स्वचालित अलर्ट शामिल हैं।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?

  • स्मार्ट सिटीज़: IoT सेंसर यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाकर जाम और दुर्घटनाओं को कम करते हैं, जबकि स्मार्ट स्ट्रीटलाइट्स मूवमेंट के आधार पर अपनी रोशनी की तीव्रता को समायोजित करके ऊर्जा बचाती हैं और सुरक्षा बढ़ाती हैं।
    • इसके अतिरिक्त, स्मार्ट बिन अधिकारियों को समय पर अपशिष्ट संग्रहण के लिये सूचित करते हैं, और आपदा निगरानी सेंसर बाढ़ तथा भूकंप के लिये पूर्व चेतावनी प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, जयपुर शहर ने “जयपुर स्मार्ट सिटी” परियोजना शुरू की है, जिसमें स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सॉल्यूशन शामिल हैं। 
  • स्मार्ट होम: स्वचालित लाइटिंग और उपकरण, जैसे स्मार्ट थर्मोस्टैट एवं लाइटिंग सिस्टम उपयोग के आधार पर समायोजित होकर ऊर्जा की बचत करते हैं, जबकि कैमरे, दरवाज़े के ताले तथा मोशन सेंसर सहित IoT-सक्षम सुरक्षा उपकरण वास्तविक समय अलर्ट एवं दूरस्थ निगरानी प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, गूगल का नेस्ट थर्मोस्टैट ऊर्जा दक्षता, लागत बचत और सुविधा के लिये घर की हीटिंग एवं कूलिंग को अनुकूलित करने के लिये AI, सेंसर तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करता है।
  • स्वास्थ्य सेवा: दूरस्थ रोगी निगरानी में IoT-सक्षम चिकित्सा उपकरणों (ग्लूकोज़ मॉनिटर) का उपयोग किया जाता है, जिससे डॉक्टरों को वास्तविक समय का डेटा भेजा जाता है तथा आपातकालीन अलर्ट सिस्टम सेवाओं को सूचित करता है कि क्या कोई रोगी संकट में है।
    • स्मार्टवॉच (जैसे, एप्पल वॉच) जैसे पहनने योग्य उपकरण हृदय गति और नींद चक्र की निगरानी करने में सक्षम होते हैं ।
  • स्मार्ट परिवहन: फ्लीट ट्रैकिंग लॉजिस्टिक्स कंपनियों को वाहनों की स्थिति, ईंधन उपयोग और चालक के व्यवहार की निगरानी में सहायता करती है, जबकि स्मार्ट पार्किंग सेंसर ड्राइवरों को खाली स्थानों तक मार्गदर्शन करते हैं, जिससे भीड़ कम होती है।
    • कनेक्टेड वाहन IoT का उपयोग करते हैं ताकि मेंटेनेंस का पूर्वानुमान लगाया जा सके, टक्करों को रोका जा सके और सेल्फ-ड्राइविंग फीचर्स का समर्थन किया जा सके।
    • उदाहरण के लिये, टेस्ला का ऑटोपायलट एक उन्नत ड्राइवर-सहायता प्रणाली (ADAS) है जो AI, कैमरे, रडार और सेंसर का उपयोग करके ड्राइविंग कार्यों जैसे कि एडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल, लेन-कीपिंग एवं सेल्फ-पार्किंग को स्वचालित करता है, जिससे सुरक्षा तथा सुविधा बढ़ती है।
  • औद्योगिक एवं कार्यस्थल सुरक्षा: कारखाने पूर्वानुमानित रखरखाव के लिये IoT का उपयोग करते हैं, श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये गैस रिसाव और अत्यधिक तापमान जैसे खतरों की निगरानी करते हैं तथा चोरी एवं हानि को कम करने के लिये वास्तविक समय में परिसंपत्तियों पर नज़र रखते हैं।
    • उदाहरण के लिये, सीमेंस IoT-सक्षम अग्नि सुरक्षा प्रणाली भवनों एवं महत्त्वपूर्ण अवसंरचना में आग की रोकथाम, पहचान और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाती हैं।
  • कृषि और खाद्य सुरक्षा: परिशुद्ध कृषि में मृदा की आर्द्रता, मौसम एवं फसल के स्वास्थ्य की निगरानी के लिये IoT सेंसर का उपयोग किया जाता है, जिससे जल और कीटनाशक का उपयोग अनुकूलतम होता है, जबकि पशुधन की निगरानी में IoT टैग के साथ पशु स्वास्थ्य तथा स्थान पर नज़र रखी जाती है।
    • इसके अतिरिक्त, खाद्य आपूर्ति शृंखला सेंसर परिवहन के दौरान खराब होने की संभावना को कम करने के लिये सुरक्षित भंडारण तापमान बनाए रखते हैं।
    • उदाहरण के लिये, फीलो किसानों को फसल की गुणवत्ता सुधारने, उपज बढ़ाने तथा उत्पादन लागत कम करने के लिये IoT और डेटा-संचालित सटीक कृषि से सशक्त बनाता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स में जोखिम और चुनौतियाँ क्या हैं?

  • साइबर सुरक्षा कमज़ोरियाँ: कई IoT डिवाइस कमज़ोर डिफाॅल्ट पासवर्ड का उपयोग करते हैं, जिससे वे बॉटनेट हमलों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जैसे कि मिराई बॉटनेट, जिसने वर्ष 2016 में प्रमुख वेबसाइटों को प्रभावित किया और वर्ष 2025 में फिर से सक्रिय हुआ।
    • इसके अतिरिक्त, असुरक्षित एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) IoT इकोसिस्टम साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो सकता है तथा इससे अनधिकृत पहुँच या डेटा इंटरसेप्शन संभव हो जाता है।
    • उदाहरण के लिये, अमेज़ॅन रिंग (एक लोकप्रिय स्मार्ट डोरबेल) को इसकी API में सुरक्षा खामियों के लिये आलोचना का सामना करना पड़ा।
  • अनधिकृत पहुँच: IoT डिवाइस बड़ी मात्रा में संवेदनशील डेटा एकत्र करते हैं, जिससे गोपनीयता संबंधी कई चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि हैक किये गए स्मार्ट स्पीकर या कैमरों के माध्यम से ईव्सड्रॉपिंग (गुप्त रूप से निजी बातचीत सुनना) और अनएन्क्रिप्टेड ट्रांसमिशन से व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट जानकारी का लीक होना। 
  • मानकीकरण और पारस्परिक संचालन की कमी: IoT इकोसिस्टम में विभिन्न संचार प्रोटोकॉल (जैसे- Zigbee, LoRaWAN, सेल्युलर) और स्वामित्व वाले इकोसिस्टम के कारण विखंडन होता है, जिससे अनुकूलता संबंधी समस्याएँ तथा सीमित विस्तारशीलता उत्पन्न होती है।
    • अमेज़ॅन एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट प्रायः ZigBee या Z-Wave डिवाइसों के साथ एकीकृत होने में कठिनाई का सामना करते हैं, जिससे मल्टी-ब्रांड स्मार्ट होम इकोसिस्टम के सुचारु संचालन में बाधा आती है।
  • मापनीयता और अवसंरचना की मांग: अरबों IoT उपकरणों का प्रबंधन डेटा अधिभार उत्पन्न करता है—जिससे प्रतिवर्ष लगभग 73 ज़ेटाबाइट डेटा प्राप्त होता है—जिसके लिये उन्नत क्लाउड/एज कंप्यूटिंग की आवश्यकता होती है। वहीं, दूरस्थ क्षेत्रों में बैटरी-चालित सेंसरों के लिये ऊर्जा खपत एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।  
  • AI-संचालित साइबर खतरे: हमलावर अब IoT कमज़ोरियों का लाभ उठाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि डीपफेक हमलों द्वारा संवेदक डेटा में हेर-फेर कर नकली अलार्म उत्पन्न करना या प्रणाली को विफल करना।

IoT से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?

IoT पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?

  • IoT सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करना: उपकरणों की पहचान के लिये मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) और पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर (PKI) लागू करना तथा व्यवधान से बचने के लिये नियमित फर्मवेयर अपडेट को स्वचालित करना।
    • नेटवर्क सेगमेंटेशन एवं ज़ीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर को लागू करना चाहिये ताकि IoT उपकरणों को अलग किया जा सके और खतरे की पहचान तथा असामान्य गतिविधियों की निगरानी के लिये AI-संचालित व्यवहार विश्लेषण तैनात कर सकें।
  • अंतर-संचालन क्षमता और मानकीकरण में सुधार: उपकरणों की संगतता और विस्तारशीलता के लिये सार्वभौमिक IoT मानक अत्यंत आवश्यक हैं।
    • उद्योग संघ और मानकीकरण संस्थाएँ, जैसे कि ओपन कनेक्टिविटी फाउंडेशन (OCF) जैसी संस्थाओं को, वैश्विक प्रोटोकॉल विकसित करने के लिये सहयोग करना चाहिये, जो सहज क्रॉस-प्लेटफॉर्म संचार सक्षम करें।
  • अनुपालन ढाँचे को सुदृढ़ बनाना: सरकारों को व्यापक डेटा संरक्षण कानून लागू करने चाहिये, जो IoT उपकरण निर्माताओं को व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, भंडारण और संचरण से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बाध्य करें।
  • मज़बूत अवसंरचना का निर्माण: IoT समाधानों के विस्तार के लिये मज़बूत अवसंरचना आवश्यक है। 5G नेटवर्क वह बैंडविड्थ और कम विलंबता प्रदान करते हैं जो स्वायत्त वाहनों जैसे वास्तविक समय अनुप्रयोगों के लिये आवश्यक है। एज-सक्षम डेटा केंद्र विशाल IoT डेटा प्रवाह को सँभालते हैं, जबकि स्मार्ट ग्रिड्स स्मार्ट शहरों में ऊर्जा और उपकरण प्रबंधन को अनुकूलित करते हैं।

निष्कर्ष

IoT स्मार्ट कनेक्टिविटी के माध्यम से दैनिक जीवन और उद्योगों में क्रांति ला रहा है, लेकिन इसे साइबर सुरक्षा जोखिमों और पारस्परिकता से संबंधित समस्याओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षा ढाँचे को सुदृढ़ करना, प्रोटोकॉल को मानकीकृत करना और भारत के DPDP अधिनियम एवं 5G रोलआउट जैसी सरकारी पहलों का लाभ उठाना, एक सुरक्षित तथा विस्तारशील IoT पारिस्थितिकी तंत्र को सुनिश्चित करते हुए इसके पूर्ण संभावित उपयोग के लिये आवश्यक हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: "इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) परिवर्तनकारी लाभ प्रदान करता है, लेकिन यह महत्त्वपूर्ण सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित चुनौतियाँ भी उत्पन्न करता है।" इन चुनौतियों पर चर्चा कीजिये तथा भारत के IoT पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने हेतु उपाय सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना 
  3. रोगों का निदान
  4. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2, 3 और 5
(b) केवल 1,3 और 4
(c) केवल 2,4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. "ब्लॉकचेन तकनीकी" के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. यह एक सार्वजनिक खाता है जिसका हर कोई निरीक्षण कर सकता है, परंतु जिसे कोई भी एक उपभोक्ता नियंत्रित नहीं करता।
  2. ब्लॉकचेन की संरचना और अभिकल्प ऐसा है कि इसका समूचा डेटा केवल क्रिप्टोकरेंसी के विषय में है।
  3. ब्लॉकचेन के आधारभूत वैशिष्ट्यों पर आधारित अनुप्रयोगों को बिना किसी व्यक्ति की अनुमति के विकसित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020)

प्रश्न. सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) आधारित परियोजनाओं/कार्यक्रमों का कार्यान्वयन आमतौर पर कुछ विशेष महत्त्वपूर्ण कारकों की दृष्टि से ठीक नहीं रहता है। इन कारकों की पहचान कीजिये  और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के उपाय सुझाइये। (2019)


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