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डेली न्यूज़

  • 04 Jan, 2019
  • 26 min read
शासन व्यवस्था

राज्यसभा में पारित हुआ RTE (संशोधन) विधेयक

चर्चा में क्यों?


हाल ही में राज्यसभा में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक [Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendment) Bill] पारित किया। विधेयक में संशोधन के बाद स्कूलों में अनुत्तीर्ण छात्रों को उसी कक्षा में रोकने या न रोकने का अधिकार राज्यों के पास होगा। उल्लेखनीय है लोकसभा ने इस संसोधन विधेयक को जुलाई, 2018 में ही पारित कर दिया गया था।

नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy)

  • शिक्षा का अधिकार के मौजूदा प्रावधान के अनुसार, छात्रों को 8वीं कक्षा तक फेल होने के बाद भी अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाता है, इसे ही 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के नाम से जानते हैं।
  • नो डिटेंशन पॉलिसी, शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम हिस्सा है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि बच्चों को आठवीं तक किसी भी कक्षा में फेल होने पर उसी कक्षा में पुनः पढ़ने के लिये बाध्य न किया जाए; अगर किसी छात्र के प्राप्तांक कम हैं तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेज दिया जाए।
  • इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य यह था कि छात्रों की सफलता का मूल्यांकन केवल उनके द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर न किया जाए बल्कि इसमें उनके सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखा जाए।
  • किंतु, इसके लागू होने के कुछ ही वर्षों में यह शिकायत मिलने लगी कि बच्चो में उस कक्षा के स्तर की अपेक्षित जानकारी नहीं है जिस कारण उनके सीखने के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसा माना जा रहा था कि इस पॉलिसी के लागू होने से छात्र और अभिभावक दोनों सुस्त हो गए थे, जिससे सीखने और सिखाने की प्रक्रिया में गिरावट आई।

निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009

  • इस अधिनियम के अंतर्गत छह से चौदह वर्ष के बीच के सभी बच्चों को अपने पड़ोस के स्कूल में प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1-8) प्राप्त करने का अधिकार है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा समाप्त होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में रोका नहीं जा सकता है। अगली कक्षा में स्वतः प्रमोशन से यह सुनिश्चित होता है कि पहले की कक्षा में बच्चे को न रोकने के परिणामस्वरूप वह स्कूल नहीं छोड़ता है।
  • हाल के वर्षों में विशेषज्ञ समितियों ने इस अधिनियम के नो डिटेंशन प्रावधान की समीक्षा की और यह सुझाव दिया कि इसे हटा दिया जाए या चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाए।

निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2017 

  • नो डिटेंशन प्रावधान को हटाने के लिये निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में संशोधन हेतु लोकसभा में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2017 पेश किया गया था।

विधेयक की विशेषताएँ

  • निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन को प्रतिबंधित करता है। लेकिन यह विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि कक्षा 5 तथा कक्षा 8 में प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में नियमित परीक्षा संचालित की जाएगी। अगर विद्यार्थी परीक्षा पास करने में असफल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त शिक्षण दिया जाएगा और दोबारा परीक्षा ली जाएगी।
  • अगर विद्यार्थी दोबारा असफल हो जाता है तो संबंधित केंद्र या राज्य सरकार का स्कूल बच्चे को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन की अनुमति दे सकता है।

नो डिटेंशन से संबंधित प्रमुख मुद्दे

  • असफल होने पर बच्चों को पिछली कक्षा में रोका जाना चाहिये या नहीं इस संबंध में अधिनियम के इस प्रावधान को लेकर भिन्न-भिन्न मत हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि अगली कक्षा में स्वतः प्रमोशन से बच्चों में सीखने और अध्यापकों में सिखाने की भावना कम हो जाती है।
  • कुछ अन्य लोगों का यह मानना है कि बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन के परिणामस्वरूप वे स्कूल छोड़ (drop out) देते हैं। जबकि वे व्यवस्था संबंधी उन कारकों पर ध्यान नहीं देते हैं जिसमें अध्यापकों और स्कूल की गुणवत्ता, मूल्यांकन का तरीका, पठन-पाठन की शैली जैसे कारक शामिल हैं।
  • संशोधित विधेयक 1.4 मिलियन प्राथमिक विद्यालयों के 180 मिलियन से अधिक छात्रों को प्रभावित करेगा।

पृष्ठभूमि

  • पिछले कुछ सालों में लगभग 25  राज्यों ने इस पॉलिसी के कारण शिक्षा का स्तर गिरने की बात कहते हुए केंद्र सरकार इसे समाप्त करने की मांग से की थी। इसके बाद संशोधन का फैसला लिया गया था।
  • अप्रैल 2010 में आरटीई अधिनियम की शुरुआत के बाद से पहली से लेकर  आठवीं कक्षा तक कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ था, लेकिन इस अभ्यास ने शिक्षा के खराब स्तर के लिये इसे आलोचना का शिकार बना दिया।
  • गैर-लाभकारी संगठन ‘प्रथम’ द्वारा प्रकाशित ग्रामीण भारत के लिये शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति (ASER) के अनुसार, पाँचवी कक्षा के सभी छात्रों का अनुपात जो कि कक्षा दो के  स्तर की पाठ्य पुस्तक पढ़ सकते थे, 2014 में 48.1% से गिरकर 2016 में 47.8% हो गया था। अंकगणित और अंग्रेज़ी विषय में भी यही स्थिति देखी गई।

क्या बदलाव का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा?

  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 को मूल अधिकार बनाने का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। लेकिन नो-डिटेंशन पॉलिसी में प्रस्तवित बदलाव सामाजिक-आर्थिक कारकों को नज़रअंदाज़ करता दिख रहा है।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, 2014-2015 में प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर लगभग 4% थी और बच्चों को परीक्षाओं के आधार पर फेल करने से स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि होगी।
  • आर्थिक रूप से वंचित समूहों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे अपने बच्चों को निजी ट्यूशन दिला सकें। नो-डिटेंशन पॉलिसी में बदलाव के कारण फेल होने वाले बच्चों को आगे की कक्षाओं में प्रोन्नति नहीं मिल सकेगी और ऐसे में उनके माता-पिता का यह सोचना स्वाभाविक है कि बच्चे स्कूल जाने की बजाय कहीं काम पर जाएँ।
  • लड़कियों के लिये तो यह बदलाव और भी गंभीर साबित हो सकता है। कम उम्र में विवाह, स्कूल का घर के नज़दीक न होना, कम लागत वाले सैनिटरी नैपकिन और स्कूलों में शौचालयों का अभाव आदि कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वज़ह से लड़कियाँ माध्यमिक स्तर तक पहुँचते-पहुँचते स्कूल छोड़ देती हैं। अब नो डिटेंशन पॉलिसी में यह बदलाव उनके स्कूल छोड़ने का एक और कारण बन सकता है।
  • यह भी देखा गया है कि जब किसी बच्चे को उसकी उम्र से कम उम्र के बच्चों के समूह में बैठने को मजबूर किया जाता है, तो वह परेशान होता है; दूसरे बच्चे उसका मज़ाक बनाते हैं, परिणामस्वरूप वह स्कूल छोड़ देता है।

स्रोत : द हिंदू, मिंट एवं पी.आर.एस


भारतीय राजनीति

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की फिलहाल कोई योजना नहीं

चर्चा में क्यों?


हाल ही में विधि और न्याय मंत्रालय ने एक संसदीय स्थायी समिति द्वारा न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के लिये की गई सिफारिश का जवाब देते हुए यह स्पष्ट किया कि वर्तमान में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की योजना नहीं है।

क्या थी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश?

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 67 साल कर दी जानी चाहिये और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 साल कर दी जानी चाहिये।
  • भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली समिति का मानना है कि ऐसा करने से मौजूदा न्यायाधीशों को बनाए रखने में मदद मिलेगी और इससे न्यायिक रिक्तियों के साथ-साथ लंबित मामलों की संख्या को कम करने में भी मदद मिलेगी।

समिति द्वारा व्यक्त की गई चिंताएँ

  • समिति ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों की बड़ी संख्या पर चिंता जताई।
  • अब तक देश भर के 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 1,079 स्वीकृत पदों में से केवल 695 पद ही भरे गए हैं।

विधि और न्याय मंत्रालय का रुख

  • मंत्रालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायपालिका और कार्यपालिका की सतत् और सहयोगात्मक प्रक्रिया है।
  • मंत्रालय के अनुसार, रिक्त पदों को तेजी से भरने के लिये हर संभव प्रयास किये जाते हैं। किंतु सेवानिवृत्ति, इस्तीफे या न्यायाधीशों की प्रोन्नति और न्यायाधीश की शक्ति में वृद्धि के कारण रिक्तियाँ उत्पन्न होती रहती हैं।

सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के लिये 2010 में भी हुई थी पहल

  • अगस्त 2010 में तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने लोकसभा में संविधान (114वाँ संशोधन) विधेयक, 2010 पेश किया था जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने का प्रस्ताव था लेकिन संसद में इस पर कोई विचार नहीं किया गया और 15वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही यह समाप्त हो गया।

स्रोत- द हिंदू


विविध

वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल ने जारी की 11 देशों की सूची

चर्चा में ?


हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल (Financial Action Task Force-FATF) ने पाकिस्तान और श्रीलंका सहित 11 ऐसे देशों की पहचान की है, जो धन-शोधन रोधी (Anti-Money Laundering-AML) उपायों तथा आतंकवाद के वित्तपोषण (Combating of Financing of Terrorism-CFT) का मुकाबला करने में रणनीतिक रूप से कमज़ोर हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ अन्य नौ क्षेत्राधिकार इस प्रकार हैं- बहामा, बोत्सवाना, इथियोपिया, घाना, सर्बिया, सीरिया, त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य, ट्यूनीशिया तथा यमन।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल (FATF) ने अपने सदस्यों और अन्य क्षेत्राधिकारों से कहा है कि वे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को कोरिया से आने वाले धन-शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण (ML/FT) जोखिम से बचाने के लिये उपाय लागू करें।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल की निर्णय लेने वाली संस्था, FATF प्लेनरी (FATF Plenary) वर्ष में तीन बार बैठक करती है और इन विवरणों को अपडेट करती है।
  • पाकिस्तान के संदर्भ में वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल के अनुसार, जून 2018 में पाकिस्तान ने धन-शोधन रोधी (Anti-Money Laundering-AML) उपायों तथा आतंकवाद के वित्तपोषण (Combating of Financing of Terrorism-CFT) से मुकाबला करने और अपने रणनीतिक आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिये उच्चस्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता तय की थी। पाकिस्तान विभिन्न उद्देश्यों हेतु अपनी कार्ययोजना को लागू करने के लिये काम करेगा।
  • हालाँकि सभी देशों की स्थितियाँ अलग-अलग हैं फिर भी सबने चिह्नित कमियों को दूर करने के लिये एक उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता तय की है। वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल द्वारा अभी तक कई अधिकार क्षेत्रों की समीक्षा नहीं की गई है।

क्या है वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल?

  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल वर्ष 1989 में जी-7 की पहल पर स्थापित एक अंतः सरकारी संस्था है। इसका उद्देश्य ‘टेरर फंडिंग’, ‘ड्रग्स तस्करी’ और ‘हवाला कारोबार’ पर नज़र रखना है। इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस में है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल?

  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल किसी देश को निगरानी सूची में डाल सकता है। निगरानी सूची में डाले जाने के बावजूद यदि कोई देश कार्रवाई न करे तो उसे ‘खतरनाक देश’ घोषित कर सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम और अमेरिका जैसे देश इसकी रिपोर्ट का कड़ाई से पालन करते हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

खाद्य उत्पादों की पैकिंग हेतु नए नियम

चर्चा में?


हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नए पैकेजिंग नियमों को अधिसूचित किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इन नियमों के अनुसार, खाद्य उत्पादों की पैकिंग, उनके आवरण, भंडारण, ढुलाई या वितरण के लिये अखबार या पुर्नचक्रित प्लास्टिक के उपयोग प्रतिबंधित होगा।
  • ये नए नियम 1 जुलाई, 2019 से लागू होंगे।
  • नया विनियमन खाद्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिये उपयोग की जाने वाली विभिन्न सामग्रियों हेतु मानकों को परिभाषित करता है।
  • इन नियमों के अनुसार, खाद्य उत्पादों की पैकिंग या भंडारण हेतु उपयोग की जाने वाली पैकेजिंग सामग्री अनुसूची में प्रदान किये गए भारतीय मानकों के अनुरूप ही होगी।
  • स्याही और रंजक के कार्सिनोजेनिक प्रभाव (Carcinogenic Effect) का संज्ञान लेते हुए, ये नियम खाद्य पदार्थों की पैकिंग या उनके आवरण के लिये समाचार पत्र तथा अन्य ऐसी सामग्रियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं।
  • खाद्य पैकेजों पर मुद्रण हेतु उपयोग की जाने वाली स्याही के लिये भी भारतीय मानकों को शामिल किया गया है।
  • FSSAI ने नए नियमों को प्रस्तुत करने से पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग (IIP), मुंबई और नेशनल टेस्ट हाउस (NTH), कोलकाता के साथ मिलकर अध्ययन किया था।
  • इन अध्ययनों में यह बात खुलकर सामने आई थी कि संगठित क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग सामग्री काफी हद तक सुरक्षित है, जबकि असंगठित क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग सामग्री के उपयोग के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI)

  • केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का गठन किया। जिसे 1 अगस्‍त, 2011 को केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया गया।
  • इसका संचालन भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
  • इसका मुख्‍यालय दि‍ल्ली में है, जो राज्‍यों के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विभिन्‍न प्रावधानों को लागू करने का काम करता है।
  • FSSAI मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था को सुनिश्चित करने का काम करता है।
  • इसके अलावा, यह देश के सभी राज्‍यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्‍तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के निर्धारित मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है। यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की भी जाँच करता है।

स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (4 जनवरी)

  • राज्यसभा ने पारित किया निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक; लोकसभा में पिछले साल ही पारित हो चुका है यह विधेयक; बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 प्राथमिक शिक्षा यानी कक्षा 8 तक की शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने (डिटेंशन) को प्रतिबंधित करता है; इस प्रावधान को संशोधित करता है यह विधेयक; पर्याप्त अवसर देने के बाद भी सफल न होने पर विद्यार्थी को उसी कक्षा में रोका जा सकेगा
  • पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने पेशावर स्थित हिंदुओं के प्राचीन धार्मिक क्षेत्र ‘पंज तीरथ’ को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया; ‘पंज तीरथ’ में बने हैं पाँच तालाब और एक मंदिर; खैबर पख्तूनख्वा के डायरेक्टोरेट ऑफ आर्कियोलॉजी एंड म्यूज़ियम ने खैबर पख्तूनख्वा एंटीक्विटीज़ एक्ट, 2016 के तहत एक नोटिफिकेशन जारी कर ‘पंज तीरथ पार्क’ को एक ऐतिहासिक विरासत घोषित किया; इसे क्षति पहुँचाने वाले को 20 लाख रुपए तक जुर्माना और पाँच साल तक की हो सकती है जेल
  • पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस नियुक्त किये गए आसिफ सईद खोसा; वर्तमान चीफ जस्टिस साकिब निसार 17 जनवरी को हो रहे हैं रिटायर; जस्टिस आसिफ सईद खोसा उन न्यायाधीशों में शामिल थे, जिन्हें परवेज मुशर्रफ सरकार के दौर में बर्खास्त कर दिया गया था; 2016 से पाकितानी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश रहे जस्टिस आसिफ सईद खोसा के नाम को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने दी मंज़ूरी
  • एक बार फिर से चर्चा में आया कड़कनाथ; मध्य प्रदेश के झाबुआ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने टीम इंडिया (क्रिकेट) के लिये इसको डाइट में शामिल करने की दी सलाह; कम कोलेस्ट्राल, कम फैट और अधिक प्रोटीन होने की वज़ह से दुनियाभर में जाना जाता है कड़कनाथ मुर्गा; स्थानीय तौर पर ‘कालामासी’ भी कहा जाता है इसे; पिछले कुछ समय से किये जा रहे हैं कड़कनाथ की मार्केटिंग के प्रयास; 2017 में झाबुआ के कड़कनाथ को मिला था GI टैग; 2017 में ही राज्य सरकार ने जारी किया था कड़कनाथ एप
  • IIT दिल्ली ने विकसित किया मोबाइल एप आधारित बायोसेंसर; इस बायोसेंसर को मोबाइल कैमरे के सामने लगाकर की जा सकेगी बैक्टीरिया की पहचान; बायोसेंसर से खींची गई फोटो का विश्लेषण शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित Colorimetric Detector मोबाइल एप करेगा; मात्र 6 घंटे में पहचान कर लेता है जीवित या मृत बैक्टीरिया की; बैक्टीरिया का पता लगाने का यह बेहद आसान, किफायती और सुविधाजनक तरीका माना जा रहा है
  • चीन के रोवर चांग ई-4 ने चंद्रमा के अनदेखे हिस्से में की लैंडिंग; पृथ्वी से नहीं दिखाई देता चंद्रमा का यह हिस्सा; साउथ पोल एटकेन बेसिन क्रेटर कहलाता है यह हिस्सा; यह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा इम्पैक्ट क्रेटर है; पहली बार चंद्रमा के इस हिस्से में उतरे रोवर चांग ई-4 को 8 दिसंबर को चीन ने अपने मार्च-3बी रॉकेट से रवाना किया था
  • भारतवंशी के.पी. जॉर्ज बने अमेरिका के टेक्सास प्रांत में फोर्ट बेंड काउंटी के जज; अमेरिका की सबसे विविध आबादी वाली काउंटी मानी जाती है फोर्ट बेंड; केरल से है इस काउंटी में जज का पदभार संभालने वाले पहले भारतवंशी के.पी. जॉर्ज का संबंध, अमेरिका में सभी काउंटीज़ में आकार के आधार पर अलग-अलग होता है जज का कार्य
  • भारतीय मूल के सिंगापुर निवासी छात्र ध्रुव मनोज ने वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप में जीते दो गोल्ड मैडल; उन्होंने बालकों के वर्ग में Names & Faces तथा Random Words कम्पटीशन में 56 प्रतिभागियों की पीछे छोड़ा; इस प्रतियोगिता में कई देशों के 260 से अधिक विद्यार्थियों में हिस्सा लिया
  • दक्षिण अफ्रीका बना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य; अफ्रीकी महाद्वीप में संघर्ष समाप्त करने को बताया अपनी प्राथमिकता; कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों के साथ अफ्रीका में चरमपंथी समूहों के उभार की चुनौती पर रहेगा फोकस
  • Climate Change Performance Index (CCPI) 2019 में स्वीडन को मिली टॉप रैंकिंग; उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को दूसरे और लिथुआनिया तीसरे स्थान पर रहा; सऊदी अरब, अमेरिका, ईरान, दक्षिण कोरिया, चीनी ताइपे शामिल रहे अंतिम पाँच में; ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा का उपयोग और जलवायु नीति जैसे चार वर्गों में 14 संकेतकों के आधार पर दी जाती है रैंकिंग; विश्व के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने में सफल रहा मोरक्को
  • साहित्य की हर विधा में दखल रखने वाले बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार दिब्येंदु पालित का कोलकाता में निधन; बिहार के भागलपुर में जन्मे दिब्येंदु को उनके उपन्यास ‘अनुभव’ के लिये 1998 में मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार; कुल मिलाकर उनके 42 उपन्यास, 26 कहानी संग्रह, 10 कविता संग्रह और 4 निबंध संग्रह प्रकशित हुए

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