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डेली न्यूज़

  • 03 Jan, 2019
  • 43 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

MSME के ​​पुनरुद्धार हेतु RBI पैनल

चर्चा में क्यों?


हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) को समय से कर्ज़ की सुविधा और उनकी आर्थिक तथा वित्तीय मज़बूती के संदर्भ में दीर्घकालिक उपाय सुझाने के लिये यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। ध्यातव्य है कि यू.के. सिन्हा पूंजी बाज़ार विनियामक, सेबी (Securities and Exchange Board of India-SEBI) के पूर्व अध्यक्ष हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • आरबीआई के अनुसार, यूके सिन्हा की अध्यक्षता वाली इस समिति में कुल 8 सदस्य होंगे।
  • यह समिति MSMEs इकाइयों हेतु आवश्यक ऋण उपलब्धता को प्रभावित करने वाले कारकों की पड़ताल करेगी।
  • RBI द्वारा यह भी कहा गया है कि विशेषज्ञ समिति जून 2019 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
  • यह समिति MSMEs क्षेत्र को समर्थन देने हेतु मौजूदा संस्थागत रुपरेखा की समीक्षा करेगी और हाल के आर्थिक सुधारों का इस क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के साथ ही क्षेत्र के विकास को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक समस्याओं की भी जाँच-पड़ताल करेगी।
  • यह समिति दुनिया भर में MSMEs क्षेत्र में किये गये विभिन्न उपायों का अध्ययन करेगी और इन उपायों में से भारत के संदर्भ में उपयुक्त कुछ उपायों को अपनाने का सुझाव भी देगी।
  • देश में MSMEs क्षेत्र की मौजूदा नीतियों और उनके प्रभावों की समीक्षा का काम भी समिति को दिया गया है।

MSMEs क्षेत्र की हालत

  • MSMEs क्षेत्र को जीएसटी (Goods and Services Tax-GST) और विमुद्रीकरण (Demonetization) जैसी नीतियों के कार्यान्वयन की वज़ह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं समस्याओं से उबारने और MSMEs क्षेत्र को आर्थिक गति प्रदान करने के उद्देश्यों के साथ इस समिति का गठन किया गया है।

स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

असम समझौते की धारा 6 लागू किये जाने की मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम समझौते की धारा 6 को लागू करने के लिये एक उच्‍चस्‍तरीय समिति के गठन की मंज़ूरी दी।

पृष्ठभूमि

  • 1979-1985 के दौरान हुए असम आंदोलन के पश्‍चात् 15 अगस्‍त, 1985 को असम समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए।
  • समझौते की धारा 6 के अनुसार, असम के लोगों की सांस्‍कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान व विरासत के संरक्षण और उसे प्रोत्‍साहित करने के लिये उचित संवै‍धानिक, विधायी और प्रशासनिक उपाय किये जाएंगे।
  • इसलिये मंत्रिमंडल ने एक उच्‍च स्‍तरीय समिति के गठन को मंज़ूरी दी है जो असम समझौते की धारा 6 के आलोक में संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक  सुरक्षात्‍मक उपायों से संबंधित अनुशंसाएँ करेगी।
  • बोडो समझौते पर 2003 में हस्‍ताक्षर किये गए। इसके परिणामस्‍वरूप भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (Bodoland Territorial Council) का गठन हुआ।

प्रमुख बिंदु

  • समिति असम समझौते की धारा 6 को लागू करने के लिये 1985 से अब तक किये गए कार्यों के प्रभाव का मूल्‍यांकन करेगी।
  • समिति सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करेगी और असम के लोगों के लिये असम विधानसभा तथा स्‍थानीय निकायों में आरक्षण हेतु सीटों की संख्‍या का आकलन करेगी। 
  • समि‍ति असमी और अन्‍य स्‍थानीय भाषाओं को संरक्षित करने, असम सरकार के तहत रोज़गार में आरक्षण का प्रतिशत तय करने तथा असमी लोगों की सांस्‍कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान व विरासत को सुरक्षित, संरक्षित तथा प्रोत्‍साहित करने के लिये अन्‍य उपायों की आवश्‍यकता का आकलन करेगी।
  • गृह मंत्रालय समिति की संरचना और शर्तों के संबंध में अलग से अधिसूचना जारी करेगा।
  • यह महसूस किया गया है कि समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के लगभग 35 साल बाद भी असम समझौते की धारा 6 को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
  • उम्मीद है कि समिति के गठन से असम समझौते को अक्षरश: लागू करने का मार्ग प्रशस्‍त होगा और यह असम के लोगों के लंबे समय से चली आ रही उम्मीदों को पूरा करेगा।
  • मंत्रिमंडल ने बोडो समुदाय से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे मामलों के समाधान के लिये विभिन्‍न उपायों को अपनाए जाने की भी मंज़ूरी दी है।
  • मंत्रिमंडल ने बोडो म्‍यूजियम सह-भाषा व सांस्‍कृतिक अध्‍ययन केंद्र की स्‍थापना, कोकराझार में वर्तमान के ऑल इंडिया रेडियो स्‍टेशन व दूरदर्शन केंद्र को आधुनिक बनाने तथा BTAD (Bodoland Territorial Area Districts) से होकर गुज़रने वाली एक सुपर-फास्‍ट ट्रेन का नाम अरोनई एक्‍सप्रेस रखने के प्रस्‍तावों को भी मंज़ूरी दी है।
  • राज्‍य सरकार भूमि नीति और भूमि कानूनों के संबंध में आवश्‍यक कदम उठाएगी। इसके अलावा राज्‍य सरकार स्‍थानीय समुदायों के रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषायी शोध तथा प्रलेखन के लिये संस्‍थाओं की स्‍थापना करेगी।

क्या है असम समझौता?

  • 1985 में असम समझौते पर इस आश्वासन के साथ हस्ताक्षर किये गए कि केंद्र सरकार असम में विदेशियों की समस्या का संतोषजनक समाधान खोजने के लिये प्रयास करेगी।
  • परिणामस्वरूप असम में आव्रजन मुद्दे को हल करने के लिये लागू किये जाने वाले प्रस्तावों को केंद्र सरकार के समक्ष रखा।
  • समझौते के अनुसार, 1 जनवरी, 1966 से पहले असम आने वाले सभी लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
  • 1 जनवरी, 1966 तथा 24 मार्च, 1971 के बीच आए लोगों का “विदेशी अधिनियम, 1946 (Foreigners Act, 1946) और विदेशी (ट्रिब्यूनल) आदेश 1964 [The Foreigners (Tribunal) Order,1964] के प्रावधानों के अनुसार पता लगाया जाएगा।
  • उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे और उन्हें 10 साल की अवधि के लिये विस्थापित किया जाएगा।
  • समझौते के अनुसार, 25 मार्च, 1971 या उसके बाद असम आए विदेशियों का पता लगाए जाने का कार्य जारी रहेगा, ऐसे विदेशियों को निष्कासित करने के लिये व्यावहारिक कदम उठाए जाएंगे।

बोडोलैंड की मांग

  • बोडो (असमिया) समुदाय के लोग पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं तथा भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत भारत की एक महत्त्वपूर्ण जनजाति है।
  • प्रतिबंधित संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) पिछले कई सालों से असम में बोडो आदिवासी समुदाय के लिये एक अलग राज्य की मांग उठाता रहा है।

स्रोत : पी.आई.बी. एवं द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

तीन बैंकों के विलय को स्‍वीकृति

चर्चा में क्यों?


प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक तथा देना बैंक के विलय (amalgamation) की योजना को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा हस्‍तांतरिती (transferee) बैंक होगा जबकि विजया बैंक तथा देना बैंक हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंक (transferor banks) होंगे।
  • यह भारत में बैंकों का पहला त्रिपक्षीय विलय होगा।
  • विलय के बाद यह बैंक भारत का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होगा।
  • विलय की यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से प्रभावी होगी।
  • योजना शुरू होने पर हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंकों के सभी व्‍यवसाय, परिसम्‍पत्तियाँ (assets), अधिकार, स्‍वामित्‍व (titles), दावे, लाइसेंस, स्‍वीकृतियाँ, अन्‍य विशेषा‍धिकार और सभी उधारी (borrowings), देनदारियाँ (liabilities) एवं दायित्‍व (obligations) हस्‍तांतरिती बैंक को हस्‍तांतरित कर दिये जाएंगे।
  • हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंक के सभी स्‍थायी और नियमित अधिकारी या कर्मचारी हस्‍तांतरिती बैंक में अधिकारी और कर्मचारी होंगे। हस्‍तांतरिती बैंक द्वारा दिये जाने वाले वेतन (pay) और भत्‍ते (allowance) हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंकों के वेतन और भत्‍ते से कम नहीं होंगे।
  • हस्‍तांतरिती बैंक का बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि हस्‍तांतरित होने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के हित सुरक्षित हों।
  • हस्‍तांतरिती बैंक हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंक के शेयर धारकों को शेयर विनिमय अनुपात (Share Exchange Ratio) के अनुसार शेयर जारी करेगा। हस्‍तांतरिती बैंक तथा हस्‍तांतरणकर्त्ता बैंकों के शेयर धारकों को शेयर विनिमय अनुपात के संबंध में कोई शिकायत है होने पर वे उसे विशेषज्ञ समिति के माध्‍यम से उठाने में सक्षम होंगे।

विलय से होने लाभ

  • इस विलय से एक मज़बूत वैश्विक स्पर्द्धी बैंक बनाने में मदद मिलेगी।
  • आकार और आपसी समन्‍वय की दृष्टि से बैंक को एक-दूसरे के नेटवर्कों, कम लागत की जमा (low-cost deposits) और तीनों बैंकों की सहायक संस्‍थाओं की शक्तियों का लाभ मिलेगा और उपभोक्‍ता आधार, बाज़ार पहुँच, संचालन क्षमता (operational efficiency), उत्‍पाद और सेवा आधार में बढ़ोतरी होगी।

विलय के बाद बैंक की शक्तियाँ

  • विलय के बाद बैंक बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की ऋण ज़रूरतों को पूरा करने, किसी प्रकार के नुकसान (shocks) को सहन करने और संसाधन बढ़ाने की क्षमता को पूरा करने में बेहतर तरीके से लैस होगा।
  • बैंक के व्‍यवसाय का आकार बढ़ेगा साथ ही व्‍यापकता, मुनाफा, व्‍यापक उत्‍पाद पेशकश, टेक्नोलॉजी अपनाने और श्रेष्‍ठ व्‍यवहारों की दृष्टि से सुधार होगा तथा व्‍यापक पहुँच के माध्‍यम से लागत क्षमता, उन्नत जोखिम प्रबंधन और वित्‍तीय समावेश सुनिश्चित होगा।
  • विलय से वैश्विक बैंकों की तुलना में यह बड़े आकार का बैंक बनेगा जो भारत के साथ ही विश्‍व स्तर पर भी प्रभावी स्पर्द्धा करने में सक्षम होगा।
  • प्रत्‍येक बैंक की व्यक्तिगत स्थिति – जैसे कम लागत वाले CASA (Current Account Saving Account) जमा में देना बैंक की ऊँची पहुँच, विजया बैंक का मुनाफा और पूंजी उपलब्‍धता तथा बैंक ऑफ बड़ौदा की व्‍यापकता, वैश्विक नेटवर्क और पेशकश से बाज़ार पहुँच, संचालन क्षमता तथा व्‍यापक उत्‍पाद और सेवा देने के संदर्भ में लाभ होगा।
  • बैंकों के विलय के बाद प्रतिभा का व्‍यापक पूल सुनिश्चित होगा और बड़ा डेटाबेस उपलब्ध होगा जिसका फायदा तेज़ी से डिजिटलीकृत हो रही बैंकिंग प्रणाली में स्पर्द्धी लाभ लेने के लिये उठाया जा सकता है। व्‍यापक पहुँच के कारण लाभ में वृद्धि होगी। वितरण नेटवर्क बढ़ेगा और सहायक संस्‍थाओं के उत्‍पाद एवं सेवाओं के वितरण लागत में कमी आएगी।
  • जन-साधारण की पहुँच मज़बूत नेटवर्क के माध्‍यम से व्‍यापक बैंकिंग सेवाओं तक होगी और उन्‍हें विभिन्‍न प्रकार के उत्‍पाद सेवाएँ मिलेंगी तथा उनके लिये ऋण प्राप्त करने में सहजता होगी।
  • बड़े पैमाने पर जनता को एक मज़बूत नेटवर्क, उत्पाद और सेवाओं की व्यापक पेशकश का समर्थन करने की क्षमता और क्रेडिट तक आसान पहुँच के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं तक जनता की पहुँच बढ़ाने के संदर्भ में लाभ होगा।

स्रोत : पी.आई.बी


विविध

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक-2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index-CCPI) में मोरक्को को स्वीडन के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला देश घोषित किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को (Morocco) ने पिछले पाँच वर्षों में नवीकरणीय वस्तुओं की हिस्सेदारी में अत्यधिक वृद्धि करते हुए नवीकरणीय अक्षय ऊर्जा को बढ़ाया है।
  • ग्रिड के लिये दुनिया के सबसे बड़े सौर संयंत्र के कनेक्शन के साथ, मोरक्को 2020 तक 42% स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर है।
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2019 में मोरक्को ने 70.48 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया है।
  • स्वीडन 76.28 अंकों के साथ शीर्ष पर है।
  • भारत 62.93 अंक प्राप्त कर 11वें स्थान पर है, जबकि 2018 में वह 14वें स्थान पर था।

performance index

  • सूची में शीर्ष पाँच देशों में स्वीडन (Sweden) और मोरक्को (Morocco) के साथ लिथुआनिया (Lithuania), लाटविया (Latvia) और यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) हैं।
  • सूची में सबसे निम्न रैंकिंग वाले पाँच देश हैं - सऊदी अरब (SA), यू. एस. (US), ईरान (Iran), दक्षिण कोरिया (South Korea) और ताइवान (Tiavan)।

क्या है जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI)?

ccpi

climate

  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति के बारे में स्पष्ट समझ विकसित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये बनाया गया एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।
  • पहली बार 2005 में जारी किये जाने के बाद से जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये देशों द्वारा किये गए प्रयासों की निगरानी करता है।
  • इसका उद्देश्य उन देशों पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव बढ़ाना है जो अब तक, जलवायु संरक्षण पर महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
  • पेरिस जलवायु समझौते (Paris Climate Agreement) को लागू करने के लिये, देशों को अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ाने और वैश्विक लक्ष्य में व्यक्तिगत योगदान देने के लिये ठोस उपाय करना चाहिये।
  • मानकीकृत मानदंडों के आधार पर सूचकांक 56 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन का मूल्यांकन और तुलनात्मक अध्ययन करता है, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन के 90% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार है
  • CCPI को जर्मनवॉच (Germanwatch), न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट( NewClimate Institute) और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क (Climate Action Network) द्वारा सालाना तौर पर प्रकाशित किया जाता है।
  • रैंकिंग परिणामों को चार श्रेणियों - ‘GHG उत्सर्जन’, ’नवीकरणीय ऊर्जा’ और ‘ऊर्जा उपयोग’ तथा ‘जलवायु नीति’ के अंतर्गत 14 संकेतकों पर देशों के समग्र प्रदर्शन के आधार पर परिभाषित किया गया है।
  • अब तक सूचकांक में किसी भी देश को एक से तीन तक के रैंकिंग पर जगह नहीं मिली, जो यह दर्शाता है कि खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिये किये जाने वाले प्रयास अभी भी अपर्याप्त हैं।

स्रोत : द हिंदू एवं CCPI वेबसाइट


शासन व्यवस्था

‘परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य संबंधी अन्य उपायों के लिये समग्र योजना’ को जारी रखने की स्वीकृति

चर्चा में क्यों?


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) ने 14वें वित्त आयोग की वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2019-20 तक की अवधि के दौरान ‘परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य संबंधी अन्य उपायों के लिये समग्र योजना’ (Scheme for Family Welfare and Other Health Interventions) में 5 योजनाओं को जारी रखने की स्वीकृति दे दी है।

  • सभी पाँचों योजनाएँ केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ (Central Sector Schemes) हैं, जिनका शत-प्रतिशत वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। ये योजनाएँ हैं-

1. स्वस्थ नागरिक अभियान (Swastha Nagrik Abhiyan-SNA): इसका उद्देश्य भारत में किसी भी स्थान पर रहने वाले लोगों (किसी भी उम्र की महिला अथवा पुरुष) के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिये स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जुड़ी जानकारियों का प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ बेहतर जीवनशैली को बढ़ावा देना और नागरिकों का सशक्तीकरण करना है।

  • इस योजना को 1030.15 करोड़ रुपए के अनुमानित परिव्यय के साथ तीन वर्षों के लिये मंज़ूरी दी गई है।

2. गर्भ-निरोधकों की निःशुल्क आपूर्ति (Free Supply of Contraceptives): इसका उद्देश्य राज्यों को कंडोम, गर्भ-निरोधक गोलियों, गर्भावस्था परीक्षण किट सहित अन्य गर्भ-निरोधकों की निःशुल्क आपूर्ति करना है ताकि माताओं एवं शिशुओं का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के साथ ही आबादी में भी स्थिरता लाई जा सके।

3. स्वास्थ्य सर्वेक्षण एवं स्वास्थ्य अनुसंधान (Health Surveys and Health Research-HSHR): MIS योजना का नाम HSHR करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसका उद्देश्य भारत और इसके राज्यों की आबादी, स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित आँकड़े प्राप्त करना है।

  • समय-समय पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey NFHS) के ज़रिये भी ये आँकड़े प्राप्त किये जाएँगे।
  • उल्लेखनीय है कि NHFS विश्व भर में अपनी तरह के सबसे बड़े सर्वेक्षणों में से एक है।
  • NHFS ज़िला स्तर पर नीतियों एवं कार्यक्रमों के लिये महत्त्वपूर्ण आँकड़े मुहैया कराता है।

4. गर्भ-निरोधकों का सामाजिक विपणन (Social Marketing of Contraceptives): इसका उद्देश्य किफायती मूल्य पर निम्न आय वाले समूहों के लिये परिवार नियोजन से संबंधित उत्पादों एवं सेवाओं की ब्रांडिंग, आकर्षक पैकेजिंग, विपणन एवं बिक्री करना है।

  • यह योजना किसी विशेष समूह या श्रेणी तक ही सीमित नहीं है, इसमें पूरे देश की आबादी को कवर करने का प्रावधान है।
  • गर्भ-निरोधकों के सामाजिक विपणन और गर्भ-निरोधकों की निःशुल्क आपूर्ति जैसे घटकों को विशेष रूप से निम्न आय वाले समूह में शामिल लोगों पर लक्षित किया जाता है।

5. जनसंख्या अनुसंधान केंद्र (Population Research Centres-PRCs): इसका उद्देश्य PRC, विशेष रूप से उन केंद्रों से जुड़ी योजना का किसी तीसरे पक्ष द्वारा आकलन कराना है जिन्हें आगे जारी रखने पर विचार किया जा रहा है।

व्यय

  • 14वें वित्त आयोग (Fourteenth Finance Commission) की वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2019-20 तक की अवधि के दौरान इस योजना पर कुल 2381.84 करोड़ रुपए की राशि व्यय की जाएगी और इसका शत-प्रतिशत वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।

कार्यान्वयन रणनीति एवं लक्ष्य

  • इसके तहत मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (National Health Policy) 2017 के महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों के साथ-साथ उन सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को भी आवश्यक सहयोग प्रदान करना है जिस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में भारत भी शामिल है।
  • मीडिया/IEC संपर्क के ज़रिये किये जाने वाले प्रयास का उद्देश्य बीमार लोगों की देखभाल से भी कहीं आगे बढ़कर आरोग्य की अवधारणा की ओर अग्रसर होना है, जिसके लिये पारंपरिक एवं सोशल मीडिया से जुड़े समस्त साधनों का उपयोग किया जाएगा।
  • गर्भ-निरोधकों के निःशुल्क वितरण एवं सामाजिक विपणन का लक्ष्य आधुनिक गर्भ-निरोधक प्रसार दर (Modern Contraceptive Prevalence Rate-MCPR) को बेहतर करना, परिवार नियोजन (Family Planning) में मदद करना और आबादी में स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • NFHS का लक्ष्य स्वास्थ्य संबंधी सभी संकेतकों से जुड़े विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध कराना है।

प्रभाव

  • प्रस्ताव में शामिल 5 योजनाएँ राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (National Health Policy-NHP) 2017 और सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDGs) के रूप में व्यक्त की गई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में निहित लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • ‘SNA’ योजना में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ ज़्यादा स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराकर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग संबंधी लोगों के व्यवहार में बेहतरी लाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
  • ‘HSHR (Health Surveys and Health Research-HSHR) के ज़रिये भारत सरकार द्वारा संचालित किये जा रहे समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों/योजनाओं की प्रगति पर करीबी नज़र रखने में मदद मिलेगी।
  • इससे समय पर इनमें आवश्यक सुधार करने में सहायता मिलेगी। गर्भ-निरोधकों के निःशुल्क वितरण एवं सामाजिक विपणन से आबादी में स्थिरता लाने के अलावा शिशुओं एवं माताओं का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना भी संभव हो पाएगा।

स्रोत : पी.आई.बी


शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम योजना

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने 2017-2018 से 2019-2020 की अवधि के लिये राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम योजना (Rastriya Yuva Sashaktikaran Karyakram Scheme) को जारी रखने की मंज़ूरी दे दी है।

  • व्यय वित्त समिति (Expenditure Finance Committee-EFC) के अनुमोदन के अनुरूप इसके लिये 1160 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के परामर्श से योजना को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया चलाई गई।
  • योजना का उद्देश्य युवाओं में व्यक्तित्व और नेतृत्वकारी गुणों का विकास करना  तथा उन्हें राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में संलग्न करना है।
  • इस योजना को 8 उप-योजनाओं के रूप में राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम के अधीन कर दिया गया है। इसके कारण योजनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिली।

योजना के लाभार्थी

  • योजना के लाभार्थियों में 15-29 वर्ष आयु समूह के युवा शामिल हैं जो राष्ट्रीय युवा नीति (National Youth Policy), 2014 में ‘युवा’ की परिभाषा के अनुरूप है।
  • विशेष रूप से किशोरों से संबंधित कार्यक्रम के घटकों के मामले में आयु समूह 10-19 वर्ष है।
  • राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित 8 उप-योजनाओं को शामिल किया गया है-
  1. नेहरू युवा केंद्र संगठन (Nehru Yuva Kendra Sangathan-NYKS)
  2. राष्ट्रीय युवा वाहिनी (National Youth Corps-NYC)
  3. राष्ट्रीय युवा और किशोर विकास कार्यक्रम (National Programme for Youth & Adolescent Development-NPYAD)
  4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation)
  5. युवा छात्रावास (Youth Hostels-YH)
  6. स्काउट और गाइड संगठनों को सहायता (Assistance to Scouting & Guiding Organizations)
  7. राष्ट्रीय अनुशासन योजना (National Discipline Scheme-NDS)
  8. राष्ट्रीय युवा नेतृत्व कार्यक्रम (National Young Leaders Programme-NYLP)

राष्ट्रीय युवा नीति (National Youth Policy)-2014


राष्ट्रीय युवा नीति 2003 के स्थान पर राष्ट्रीय युवा नीति 2014 की शुरुआत की गई है।

  • इसका लक्ष्य युवाओं की पूर्ण क्षमता हासिल करने के लिये उन्हें सशक्त बनाने और उनके ज़रिये देश को राष्ट्रों के बीच सही जगह हासिल करने में समर्थ बनाना है।
  • इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये नीति में पाँच भली-भाँति परिभाषित उद्देश्यों और प्राथमिकता वाले 11 क्षेत्रों की पहचान की गई है। ये 11 क्षेत्र हैं-
  1. शिक्षा
  2. रोज़गार और कौशल विकास
  3. उद्यमिता
  4. स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वस्‍थ जीवन-शैली
  5. खेल
  6. सामाजिक मूल्‍यों को बढ़ावा देना
  7. सामुदायिक सहभागिता
  8. राजनीति और शासन में भागीदारी
  9. युवा सहभागिता
  10.  समावेशन
  11.  सामाजिक न्याय

विशेषताएँ

  • राष्‍ट्रीय युवा नीति 2014 में 15 से 23 वर्ष के बीच के व्‍यक्तियों को युवा के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • राष्‍ट्रीय युवा नीति 2014 के अंतर्गत देश के युवाओं  के लिये भारत सरकार के विज़न को परिभाषित किया गया है और उन मुख्‍य क्षेत्रों को अभिज्ञात किया गया है जिनमें युवा विकास के लिये कार्रवाई अपेक्षित है और इसके अंतर्गत सभी हितधारकों के लिये कार्रवाई की एक रूपरेखा प्रदान की गई है।

स्रोत : पी.आई.बी


जैव विविधता और पर्यावरण

पश्चिमी घाट के घास के मैदानों को नुकसान

चर्चा में क्यों?


नए साल के आगमन के साथ ही पश्चिमी घाट के घास के मैदानों के लिये एक बुरी खबर ने भी दस्तक दी है। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल ‘जैविक संरक्षण’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है कि पिछले चार दशकों में इस क्षेत्र से लगभग एक-चौथाई घास के मैदान गायब हो चुके हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे मुख्य वज़ह विदेशी आक्रामक पेड़ हैं। हालाँकि पाइन, बबूल और नीलगिरि का उपयोग करते हुए घास के मैदान का वनीकरण का कार्य 1996 में ही समाप्त कर दिया गया था, लेकिन फिर भी विदेशी पेड़ इन पारिस्थितिक तंत्रों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

Lost Cover

  • सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER, तिरुपति) के वैज्ञानिकों सहित एक टीम ने तमिलनाडु के पलानी की पहाड़ियों में घास के मैदानों में ह्रास की स्थिति दर्ज़ की है। जिसके बाद इस टीम ने शोला घास के मैदानों में आए बदलावों के अध्ययन के बारे में सोचा।
  • सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों की सूचना के आधार पर यह बताया गया कि शोला घास के मैदानी क्षेत्रों से करीब 60 फ़ीसदी क्षेत्र पूरी तरह बदल चुके हैं, जबकि 40 फ़ीसदी घास के मैदान गायब हो चुके हैं।
  • इस नुकसान का अधिकांश हिस्सा नीलगिरि, पलानी और अनामलाई पर्वत श्रृंखलाओं के पहाड़ की चोटी पर हुआ, जहाँ पश्चिमी घाट के शोला-घास के मैदान के आधे से अधिक पारिस्थितिकी तंत्र इस क्षेत्र में शामिल हैं। इस नुकसान की मुख्य वज़ह विदेशी पेड़ों (देवदार, बबूल और नीलगिरी) का विस्तार ही है।
  • शेष बचे घास के मैदानों के संरक्षण हेतु सभी संभव प्रयास किये जाने चाहिये।

स्रोत- द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (3 जनवरी)

  • केंद्र सरकार ने देना बैंक और विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को दी मंज़ूरी; केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में की थी इन बैंकों के विलय की घोषणा; स्टेट बैंक और ICICI बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा विलय के बाद बनने वाला यह बैंक; बैंकिंग सेक्टर में सुधार के तहत उठाया गया है यह कदम
  • केंद्र सरकार ने असम समझौते के क्रियान्वयन के लिये गठित की एक उच्चस्तरीय समिति; बोडो समुदाय से संबंधित कई लंबित मुद्दों के समाधान के लिये भी कई कदम उठाने का फैसला; केंद्र सरकार, असम सरकार और अखिल असम छात्र संघ ने 15 अगस्त 1985 को किये थे असम समझौते पर हस्ताक्षर; समिति इस समझौते के अनुच्छेद 6 की समीक्षा कर देगी अपनी सिफारिशें
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये सरकार ने पूर्व सेबी प्रमुख यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता में गठित की एक समिति; इन उद्यमों को समय से ऋण सुविधा और इनकी आर्थिक और वित्तीय मजबूती के विषय में दीर्घकालिक उपाय सुझाने का काम करेगी यह समिति; समिति में कुल आठ सदस्य होंगे; समिति से जून 2019 के आखिर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है; रिज़र्व बैंक द्वारा MSME उद्यमों के 25 करोड़ रुपए तक के फँसे कर्ज़ की एक बार पुनर्संरचना (Restructuring) की अनुमति देने के बाद इस समिति का हुआ गठन
  • केंद्र सरकार ने हेमंत भार्गव को भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया; LIC के सबसे वरिष्ठ प्रबंध निदेशक हेमंत भार्गव ने लिया सेवानिवृत्त वी.के. शर्मा का स्थान; फिलहाल LIC में उनके अलावा दो अन्य प्रबंध निदेशक हैं; सरकार शुरू कर चुकी है LIC के पूर्णकालिक चेयरमैन के चयन की प्रक्रिया
  • सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.के. सीकरी बने NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष; उन्होंने हाल ही में रिटायर हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर का स्थान लिया; भारत के मुख्य न्यायाधीश होते हैं NALSA के पदेन अध्यक्ष; हिरासत में लिये गए लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराता है NALSA; 1995 में गठित NALSA का पूरा नाम है भारतीय राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority of India)
  • केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी को भंग करते हुए इसका पुनर्गठन कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण बनाने को दी मंज़ूरी; निर्णय लेने के वर्तमान बहुस्तरीय ढाँचे के स्थान पर गवर्निंग बोर्ड बनाया गया है, जिसके अध्यक्ष स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री होंगे; राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण सक्षम, कारगर तथा पारदर्शी रूप से निर्णय लेने की प्रक्रिया के माध्यम से प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना को लागू करने के लिये उत्तरदायी और अधिकृत होगा
  • केंद्र सरकार ने 2017-2018 से 2019-2020 की अवधि के लिये राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम जारी रखने को दी मंज़ूरी; युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम; इस कार्यक्रम के तहत नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय युवा वाहिनी, राष्ट्रीय युवा और किशोर विकास कार्यक्रम, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, युवा छात्रावास, स्काउट और गाइड संगठनों को सहायता, राष्ट्रीय अनुशासन योजना तथा राष्ट्रीय युवा नेतृत्व कार्यक्रम नाम की 8 उप-योजनाएँ चलाई जाती हैं
  • फगवाड़ा, जालंधर स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में 3 से 7 जनवरी तक हो रहा है 106वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस का आयोजन; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया उद्घाटन; भविष्य का भारत: विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Future India: Science & Technology) है इस बार की थीम; मणिपुर की राजधानी इंफाल में हुआ था 105वीं विज्ञान कांग्रेस का आयोजन; जनवरी 1914 में एशियाटिक सोसाइटी, कोलकाता में पहली बार हुआ था विज्ञान कांग्रेस का आयोजन
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘गौ कल्याण सेस’ लगाने का किया फैसला; सड़क पर इधर-उधर घूमते आवारा गौवंश के लिये प्रदेश के हर ज़िले में गौशाला बनाने के लिये लगाया गया है सेस; प्रत्येक गौशाला में कम-से-कम 1000 आवारा पशुओं के देखभाल की होगी व्यवस्था; इनके लिये एक्साइज़ आइटमों पर आधा फीसदी, टोल टैक्स यूपी एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की तरफ से आधा फीसदी और मंडी परिषद की तरफ से 2 फीसदी इस फंड में डाला जाएगा; प्रदेश के सभी ग्रामीण निकायों (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ज़िला पंचायत) एवं शहरी निकायों (नगरपालिका, नगर निगम) में स्थायी गौवंश आश्रय स्थल बनेंगे
  • चेन्नई रिफाइनरी की विस्तार परियोजना में भाग लेने की ईरान ने जताई इच्छा; ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी (नेशनल ईरान ऑयल कंपनी) ने चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड की विस्तार परियोजना में निवेश करने का दिया संकेत; लगभग 35,698 करोड़ रुपए है इस विस्तार परियोजना की लागत
  • अमेरिका और इज़राइल पक्षपात का आरोप लगाते हुए यूनेस्को से अलग हुए; संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) है इसका पूरा नाम; द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित यूनेस्को के संस्थापक देशों में शामिल रहा है अमेरिका; 1949 में यूनेस्को में शामिल हुआ था इज़राइल; दुनियाभर में वर्ल्ड हेरिटेज प्रोग्राम के लिये जाना जाता है यूनेस्को
  • चोलेन्द्र शमशेर जे.बी. राणा बने नेपाल सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश; राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ‘शीतल निवास’ में दिलाई शपथ; नेपाली राष्ट्रपति का सरकारी आवास है शीतल निवास; इससे पहले भारत में कानून की शिक्षा हासिल कर चुके ओम प्रकाश मिश्रा थे नेपाल के मुख्य न्यायाधीश
  • ब्राज़ील में जायर बोलसोनारो ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली; पहले सेना में कैप्टेन रहे जायर बोलसोनारो को राजधानी ब्रासिलिया स्थित नेशनल कांग्रेस में दिलाई गई शपथ; वह कंज़रवेटिव सोशल लिबरल पार्टी के सदस्य हैं; भ्रष्टाचार, अपराध और आर्थिक अव्यवस्था दूर करने के लिये दिया National Pact का सुझाव; पिछले वर्ष 28 अक्तूबर को हुए चुनाव में फर्नांडो हद्दाद को हराया था जायर बोलसोनारो ने
  • प्रख्यात क्रिकेट कोच रमाकांत अचरेकर का मुंबई में निधन; 2010 में पद्मश्री और 1990 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित रमाकांत अचरेकर सचिन तेंदुलकर, विनोद काम्बली और अजीत अगरकर जैसे दिग्गज क्रिकेटरों के कोच रहे; दादर के शिवाजी पार्क में देते थे कोचिंग

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