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कानून और समाज

भारत में बाल श्रम की रोकथाम कैसे हो?

12 Jun, 2023

बीते दिनों की बात है मैं सुबह-सुबह बस स्टेशन पर बैठकर अपनी बस के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसी बीच मेरे पास दो छोटे बच्चे आए, जिनमें एक की उम्र करीब 5 साल और दूसरे की 6 साल के...

ब्रह्मांड और हमारी दुनिया

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के 50 वर्ष - समालोचनात्मक विश्लेषण (भाग-I)

23 Jun, 2023

  आयुष वर्मा    आयुष वर्मा गुजरात कैडर के वर्ष 2018 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी हैं, आपको ऑल-राउंड उत्कृष्ट प्रदर्शन में भारत सरकार के स्वर्ण पदक, मुख्य वानिकी (कोर...

कानून और समाज

पर्यावरण संरक्षण और मानवीय अस्तित्व

21 Jun, 2023

पिछले कई दिनों से सारे TV चैनल और अखबार 'बिपरजॉय….. बिपरजॉय…' चिल्ला रहे हैं। यह अरब सागर में उठा एक अति विनाशकारी चक्रवातीय तूफान है जिसने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान...

कानून और समाज

शिक्षा में साहित्य की प्रासंगिकता

20 Jun, 2023

साहित्य का शाब्दिक अर्थ सहभाव है। सहभाव शब्द और अर्थ के मध्य विद्यमान होता है। साहित्य की परिभाषा इतनी व्यापकता लिए हुए है कि इसमें संपूर्ण मानव जीवन समाहित किया जा सकता...

विमर्श

पिता होने का अर्थ

20 Jun, 2023

भगवान स्वरूप कटियार की कविता की एक पंक्ति है “पिता के पास लोरियाँ नहीं होतीं”। असल में पिताओं के पास होती हैं थपकियाँ, जिससे बच्चा मीठी नींद में सोता है। ये थपकियाँ ही...

कानून और समाज

एक आदर्श पंचायती राज व्यवस्था कैसे स्थापित हो सकती है?

30 May, 2023

भारत मे स्थानीय स्वशासन का इतिहास सदियों पुराना है। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध चोल साम्राज्य के शासन के दौरान ऐसी संस्थाएं अनिवार्य रूप से उनके प्रशासन का हिस्सा थी। चोल...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

खड़ी बोली की विकास यात्रा में हरिऔध का योगदान

19 May, 2023

हिंदी साहित्य का एक समृद्ध इतिहास रहा है। इसे हम आदिकाल, मध्यकाल एवं आधुनिक काल के रूप में देखते आए हैं। आदिकाल में भाषा का जो स्वरूप था वह अभी प्रारम्भिक हिंदी को गढ़ने का...

कानून और समाज

थैंक्यू माँ

17 May, 2023

वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया माँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया हृदय को भेदने वाली मुनव्वर राना की ये पंक्तियाँ इस धरती पर माँ के दर्जे को बखूबी बयां कर रही...

समाचारों में-आओ बात करें

खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

11 May, 2023

''मैं हमेशा ये सोच के रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिये गोल्ड लाता। ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी।'' साल 2016 में आई आमिर खान की फिल्म 'दंगल'...

कानून और समाज

समलैंगिक विवाह एवं विभिन्न अधिकार

09 May, 2023

वर्ष 2010-12 का समय था। पहली बार घर से लगभग 400 किलोमीटर दूर रहकर पढ़ने आई थी शहर। हॉस्टल ही नया घर हुआ उसपर भी ये कि हॉस्टल में 2 सबसे जूनियर लड़कियों में थी एक मैं और दूसरी मेरी...


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