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पांजूपुर में 1200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
- 25 सितंबर, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यमुनानगर ज़िले के पांजूपुर गाँव में लगभग 1200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले श्री गुरु तेगबहादुर साहिब राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस मेडिकल कॉलेज को लगभग 30 माह में पूरा किया जाएगा। यह मेडिकल कॉलेज आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, ऐसे में लोगों को इलाज के लिये चंडीगढ़ की दौड़ लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
- मेडिकल कॉलेज के निर्माण से यमुनानगर के साथ-साथ आस-पास के राज्यों के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ मिल पाएंगी।
- इस मेडिकल कॉलेज का फायदा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल को भी होगा। आने वाले दिनों में हरियाणा एक ऐसा राज्य बन जाएगा, जो दूसरे प्रदेशों को भी डॉक्टर देगा।


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हरियाणा में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हुक्का परोसने पर पूर्ण रोक
चर्चा में क्यों?
- 25 सितंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दानवीर कर्ण की नगरी करनाल में नशा मुक्ति अभियान के तहत राज्यस्तरीय साइक्लोथॉन के समापन समारोह पर राज्यभर में होटल, रेस्तरां, बार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में ग्राहकों को हुक्का परोसने पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- हालांकि, यह रोक ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल होने वाले परंपरागत हुक्के पर लागू नहीं होगी।
- मुख्यमंत्री ने साइक्लोथॉन के दौरान 25 दिनों तक अथक् प्रयास करने वाले पुलिसकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए घोषणा की कि सभी 250 प्रतिभागी कर्मियों को डीजीपी हरियाणा से क्लास-1 प्रशस्ति प्रमाण-पत्र मिलेगा।
- इसके अतिरिक्त उन्होंने इन समर्पित पुलिसकर्मियों के लिये पाँच दिन की छुट्टी की भी घोषणा की।
- साइकिल के चलन को बढ़ावा देने और पर्यावरण अनुकूल परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिये मनोहर लाल ने यह भी घोषणा की कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और व्यक्तियों को आवास सुविधाएँ प्रदान करने वाला कोई भी लाइसेंस प्राप्त बिल्डर संपत्ति रजिस्ट्री के साथ संपत्ति के मालिक को एक साइकिल उपहार में देगा।
- ऐसे मामलों में, जहाँ लाभार्थी के पास पहले से ही साइकिल है, एचएसवीपी या बिल्डर साइकिल के बदले में 3 हज़ार रुपए देगा।
- विदित है कि मुख्यमंत्री ने 1 सितंबर, 2023 को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ साइक्लोथॉन को हरी झंडी दिखाई थी।


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हकृवि ने सरसों की एक और नई किस्म आरएच 1975 विकसित की
चर्चा में क्यों?
- 25 सितंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) ने सरसों की एक और उन्नत किस्म आरएच 1975 विकसित की है।
प्रमुख बिंदु
- यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बिजाई के लिये एक उत्तम किस्म है, जोकि मौजूदा किस्म आरएच 749 से लगभग 12 प्रतिशत अधिक पैदावार देगी।
- विदित है कि हकृवि ने आरएच 749 किस्म वर्ष 2013 में विकसित की थी। अब दस वर्ष बाद सिंचित क्षेत्रों के लिये इस किस्म से बेहतर किस्म आरएच 1975 विकसित की गई है, जोकि अधिक उत्पादन के कारण किसानों के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।
- विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि जम्मू में आयोजित 30वीं वार्षिक सरसों व राई कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल) डॉ. टीआर शर्मा की अध्यक्षता में गठित पहचान कमेटी द्वारा हाल में आरएच 1975 किस्म को सिंचित परिस्थिति में समय पर बिजाई के लिये चिह्नित किया गया है।
- कुलपति ने कहा कि 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ औसत उत्पादन तथा 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता रखने वाली आरएच 1975 किस्म में लगभग 39.5 फीसद तेल की मात्रा है, जिसके कारण यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय होगी।
- इससे तिलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को बल मिलेगा।
- आरएच 1975 किस्म हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू व उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में बीजाई के लिये चिह्नित की गई है, इसलिये इन राज्यों के किसानों को इस किस्म का लाभ मिलेगा। किसानों को इस किस्म का बीज अगले साल तक उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
- उपरोक्त किस्मों से पहले वर्ष 2018 में विकसित की गई सरसों की किस्म आर.एच. 725 वर्तमान में किसानों के बीच सबसे अधिक प्रचलित व लोकप्रिय बन चुकी है, जोकि हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगभग 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्रों में अकेली उगाई जाने वाली किस्म है। यह किस्म औसत 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है व इसकी उत्पादन क्षमता भी 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।
- अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बताया कि इस किस्म को हकृवि के सरसों वैज्ञानिकों डॉ. राम अवतार, डॉ. नीरज, डॉ. मंजीत व डॉ. अशोक कुमार की टीम ने डॉ. राकेश पूनिया, डॉ. निशा कुमारी, डॉ. विनोद गोयल, डॉ. महावीर एवं डॉ. राजबीर सिंह के सहयोग से तैयार किया है।
- उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी इस टीम ने सरसों की दो किस्में आर.एच. 1424 व आर.एच. 1706 विकसित की हैं। ये किस्में भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी।
- सरसों अनुसंधान में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये इस टीम को हाल ही में जम्मू में आयोजित कार्यशाला में सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से भी नवाजा गया है।
- ज्ञातव्य है कि हकृवि के सरसों केंद्र की देश के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्रों में गिनती होती है।


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