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उत्तर प्रदेश में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पंजीकृत मामलों की अधिक संख्या होने के बावजूद, उत्तर प्रदेश ने प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर के मामले में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
प्रमुख निष्कर्ष
- राष्ट्रीय औसत बनाम उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन:
- भारत की कुल अपराध दर: प्रति लाख जनसंख्या पर 448.3
- उत्तर प्रदेश: प्रति लाख जनसंख्या पर 335.3 (राष्ट्रीय औसत से 25% से अधिक कम)।
- उत्तर प्रदेश का विवरण:
- 24 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में भारतीय दंड संहिता (IPC) और विशेष एवं स्थानीय कानूनों (SLL) के तहत 7.93 लाख मामले दर्ज किये गए।
- अपराध दर के मामले में यह राज्य 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में 11वें स्थान पर है।
- अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से तुलना:
- केरल: सर्वोच्च अपराध दर, प्रति लाख 1,631.2
- दिल्ली (केंद्रशासित प्रदेश): प्रति लाख जनसंख्या पर 1,602
- वर्ष-दर-वर्ष तुलना (2022 बनाम 2023):
- भारत 2022: प्रति लाख 258
- उत्तर प्रदेश 2022: 71.6 प्रति लाख (4.01 लाख मामलों के साथ 18वें स्थान पर)।
- केरल वर्ष 2022 में भी शीर्ष पर रहा (661 प्रति लाख)।
- वर्ष 2023 में राष्ट्रीय स्तर और उत्तर प्रदेश दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की स्थापना वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों से संबंधित जानकारी का भंडार तैयार करने के लिये की गई थी ताकि टंडन समिति, राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय (MHA) टास्कफोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर अपराध को अपराधियों से जोड़ने में जाँचकर्त्ताओं की सहायता की जा सके।
- यह गृह मंत्रालय का एक अंग है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- NCRB भारतीय और विदेशी अपराधियों के फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड के लिये एक "राष्ट्रीय भंडार" के रूप में भी कार्य करता है और फिंगरप्रिंट खोज के माध्यम से अंतरराज्यीय अपराधियों का पता लगाने में सहायता करता है।
- NCRB के चार खंड हैं: अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS), अपराध सांख्यिकी, फिंगरप्रिंट और प्रशिक्षण।
- NCRB के प्रकाशन:
- क्राइम इन इंडिया, आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएँ, प्रिज़न स्टेटिस्टिक्स, और भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट।
- ये प्रकाशन न केवल पुलिस अधिकारियों के लिये बल्कि अपराधशास्त्रियों, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और नीति-निर्माताओं के लिये भी अपराध संबंधी आँकड़ों का मुख्य संदर्भ स्रोत हैं, और यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उपयोगी हैं।
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17वाँ जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में 17वें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम को संबोधित किया।
- 25 सितंबर से 1 अक्तूबर, 2025 तक चलने वाले इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लगभग 200 प्रतिभागी शामिल होंगे।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: 17वाँ जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलने वाली पहल है जिसका उद्देश्य जनजातीय युवाओं को राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल करना तथा उन्हें भारत की विविध संस्कृति, इतिहास और विकास से परिचित कराना है।
- उद्देश्य:
- युवा आकांक्षाओं को बढ़ावा देना: पाँच राज्यों के 12 ज़िलों के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को देश की सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक-आर्थिक विविधता को समझने के लिये भारत के 24 विविध स्थानों का भ्रमण करने का अवसर प्रदान करना।
- विकास के अवसरों से परिचित कराना: उन्हें तकनीकी, औद्योगिक और कौशल विकास की प्रगति के साथ-साथ शिक्षा और रोज़गार के अवसरों से परिचित कराना, साथ ही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: आदिवासी युवाओं को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- आत्म-सम्मान का निर्माण: विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी युवाओं के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ावा देना, उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाना और एकता की भावना का निर्माण करना।
- कॉरियर विकास: प्रमुख नेताओं, उपलब्धि प्राप्त करने वालों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत का अवसर प्रदान करना और उनके व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक विकास में सहायता के लिये कॉरियर परामर्श, जीवन कौशल प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता प्रदान करना।
- प्रतिभागी: कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित गाँवों से चुने गए 40 आदिवासी छात्रों का एक समूह भी 'भारत दर्शन' यात्रा का हिस्सा है।
- ये छात्र लखनऊ और अन्य स्थानों के प्रमुख सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।
- आयोजक: नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आदिवासी युवाओं के विकास के लिये जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- 'भारत दर्शन' यात्रा का आयोजन सीमा सुरक्षा बल (BSF) और नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
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उत्तर प्रदेश: पूर्ण एग्री-स्टैक पंजीकरण की ओर
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने ज़िलाधिकारियों को एग्री-स्टैक योजना के तहत 100% किसान पंजीकरण सुनिश्चित करने के साथ-साथ डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) और किसान रजिस्ट्री को पूरा करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: एग्री स्टैक एक सरकारी नेतृत्व वाली डिजिटल फाउंडेशन है जिसे कृषि क्षेत्र में सभी हितधारकों को एक साथ लाने, किसानों के लिये परिणामों में सुधार करने और डेटा-संचालित समाधानों के माध्यम से नई सेवाओं को सक्षम करने के लिएये डिज़ाइन किया गया है।
- कार्यान्वयन: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित इंडिया एंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर (InDEA) 2.0 ढाँचे पर आधारित है।
- एग्री स्टैक एक खुले, संघीय मॉडल का अनुसरण करता है, जिसके डिज़ाइन के केंद्र में राज्य सरकारें होती हैं, जो इस क्षेत्र के डिजिटल विकास में समावेशिता और सामूहिक भागीदारी सुनिश्चित करती हैं।
- घटक:
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किसान और कृषिभूमि भूखंड रजिस्ट्री: किसानों के लिये एक केंद्रीकृत डेटाबेस, जो योजना, परामर्श और योजना वितरण के लिये उनके कृषिभूमि भूखंड रिकॉर्ड से जुड़ा हुआ है, जिसमें आधार पर आधारित एक अद्वितीय किसान ID है।
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एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (UFSI): एग्री स्टैक में हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय के लिये एक प्रणाली, जो सरकार, बैंकों, कृषि-तकनीक कंपनियों और निजी उपयोगकर्त्ताओं के लिये आसान पहुँच को सक्षम बनाती है।
- फसल बोई रजिस्ट्री: उन्नत प्रौद्योगिकी (स्मार्टफोन, ड्रोन, सैटेलाइट) का उपयोग करके अधिक सटीक और कुशल फसल डेटा संग्रह के लिये एक रजिस्ट्री, जो सरकार द्वारा बेहतर फसल उत्पादन अनुमान लगाने में सहायता करती है।
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