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कॉलेजियम ने झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश की
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को झारखंड उच्च न्यायालय के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की है।
मुख्य बिंदु
- न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 124(2): सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और अन्य न्यायाधीशों के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद की जाती है।
- कॉलेजियम प्रणाली: कॉलेजियम प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की पद्धति को संदर्भित करती है।
- संविधान में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इसका विकास हुआ है।
- संघटन:
- सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम: इसमें मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
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उच्च न्यायालय कॉलेजियम: इसका नेतृत्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उसके दो वरिष्ठतम न्यायाधीश करते हैं।
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कॉलेजियम प्रणाली का विकास: यह प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के चार ऐतिहासिक मामलों के माध्यम से विकसित हुई, जिन्हें न्यायाधीशों के मामले कहा जाता है:
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प्रथम न्यायाधीश मामला (1981)– एसपी गुप्ता बनाम भारत संघ
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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि "परामर्श" शब्द का अर्थ "सहमति" नहीं है।
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इस फैसले ने न्यायिक नियुक्तियों में कार्यपालिका को प्राथमिकता दी।
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दूसरा न्यायाधीश मामला (1993)– सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ
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न्यायालय ने प्रथम न्यायाधीश मामले को खारिज कर दिया और कहा कि परामर्श का अर्थ सहमति है।
- कॉलेजियम की अवधारणा प्रस्तुत की गई, जिसके तहत मुख्य न्यायाधीश को दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना आवश्यक होगा।
- थर्ड जजेज़ केस (1998)
- सर्वोच्च न्यायालय ने कॉलेजियम का विस्तार कर इसे पाँच सदस्यों तक कर दिया- मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश।
- राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)
- 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 द्वारा कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर NJAC की शुरुआत की गई।
- हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया।
- इस फैसले ने न्यायिक नियुक्तियों के लिये कॉलेजियम प्रणाली को एकमात्र तंत्र के रूप में पुनः पुष्टि की।

