राजस्थान Switch to English
मनरेगा योजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने गर्मी के मौसम में श्रमिकों की सुविधा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत किये जाने वाले कार्यों के समय में परिवर्तन किया है।
मुख्य बिंदु
- मनरेगा के बारे में:
- MGNREGA ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- सक्रिय कर्मचारी: 14.32 करोड़ (सत्र 2023-24)
- प्रमुख विशेषताएँ:
- MGNREGA के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य के लिये अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है, तो "बेरोज़गारी भत्ता" प्रदान किया जाना चाहिये।
- इसके लिये आवश्यक है कि महिलाओं को इस तरह से प्राथमिकता दी जाए कि कम से कम एक तिहाई महिलाएँ लाभार्थी हों जिन्होंने पंजीकरण कराकर काम के लिये अनुरोध किया हो।
- MGNREGA की धारा 17 में मनरेगा के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण अनिवार्य है।
- MGNREGA के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य के लिये अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- क्रियान्वित संस्था:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना के संपूर्ण क्रियान्वयन की निगरानी कर रहा है।
- उद्देश्य:
- यह अधिनियम ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था, इसका उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को अर्ध या अकुशल कार्य प्रदान करना है।
- यह देश में अमीर और गरीब के बीच के अंतर को कम करने का प्रयास करता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
फोरेंसिक हैकाथॉन 2025 में IIT BHU को शीर्ष सम्मान प्राप्त
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (BHU), वाराणसी के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग की शोध टीम ने फोरेंसिक हैकाथॉन 2025 में शीर्ष सम्मान प्राप्त किया है।
- यह हैकाथॉन राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय फोरेंसिक विज्ञान शिखर सम्मेलन का हिस्सा था।
मुख्य बिंदु
- पुरस्कार के बारे में:
- यह पुरस्कार केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रदान किया गया।
- टीम को उनके अभिनव शोध के लिये दो लाख रुपए नकद पुरस्कार और एक स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।
- विकसित तकनीक
- इस टीम ने ग्लाइकेन-आधारित फोरेंसिक तकनीक विकसित की है, जो जैविक तरल पदार्थों के आधार पर सटीक आयु अनुमान की सुविधा देती है अर्थात इससे डीएनए के बिना भी किसी व्यक्ति की सही आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
- यह तकनीक ग्लाइकोमिक प्रोफाइलिंग को मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म के साथ जोड़ती है ताकि कालानुक्रमिक आयु और जैविक आयु दोनों का अनुमान लगाया जा सके।
- वर्तमान में प्रचलित डीएनए-आधारित फोरेंसिक विश्लेषण, जिसमें एपिजेनेटिक मार्कर शामिल होते हैं, में जैविक परिवर्तनशीलता और तकनीकी सीमाएँ होती हैं।
- डीएनए मिथाइलेशन-आधारित मॉडल के लिये अक्सर प्राचीन और अच्छी गुणवत्ता वाले डीएनए की आवश्यकता होती है, जो फोरेंसिक मामलों में अनुपलब्ध हो सकते हैं।
- महत्त्व
- इस नवाचार के ज़रिये अपराध स्थल से प्राप्त नमूनों के आधार पर संदिग्धों की प्रोफाइलिंग को अधिक सटीक बनाया जा सकता है, विशेष रूप से तब, जब डीएनए मिलान उपलब्ध न हो।
- यह तकनीक लापता व्यक्तियों की पहचान, सामूहिक आपदाओं में अज्ञात पीड़ितों की पहचान तथा किशोर होने या उम्र के गलत विवरण के दावों की पुष्टि करने में उपयोगी हो सकती है।
- जैविक आयु किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा स्थिति और तनाव के बारे में महत्त्वपूर्ण साक्ष्य देती है, जो अपराध के पुनर्निर्माण में मदद कर सकते हैं।
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA)
- डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) जटिल आणविक संरचना वाला एक कार्बनिक अणु है।
- DNA अणु की किस्में मोनोमर न्यूक्लियोटाइड्स की एक लंबी शृंखला से बनी होती हैं। यह एक डबल हेलिक्स संरचना में व्यवस्थित है।
- जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक ने खोजा कि DNA एक डबल-हेलिक्स पॉलीमर है जिसे वर्ष 1953 में बनाया गया था।
- यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों की आनुवंशिक विशेषता के हस्तांतरण के लिये आवश्यक है।
- DNA का अधिकांश भाग कोशिका के केंद्रक में पाया जाता है इसलिये इसे केंद्रीय DNA कहा जाता है।


बिहार Switch to English
वीर कुंवर सिंह विजय दिवस
चर्चा में क्यों?
बाबू वीर कुँवर सिंह के विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत बिहार के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- कुंवर सिंह के बारे में:
- वीर कुँवर सिंह का जन्म वर्ष 1777 में जगदीशपुर (वर्तमान भोजपुर ज़िला, बिहार) में हुआ था। वह जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जैनिया कबीले के परिवार से थे।
- वह बिहार में अंग्रज़ो के खिलाफ लड़ाई के मुख्य महानायक थे। उन्होंने बिहार में वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया। वह तब लगभग 80 वर्ष के थे जब उन्हें हथियार उठाने के लिये बुलाया गया और उनका स्वास्थ्य भी खराब था।
- उनके भाई, बाबू अमर सिंह और उनके सेनापति, हरे कृष्ण सिंह दोनों ने उनकी सहायता की थी। कुछ लोगों का मानना है कि कुंवर सिंह की प्रारंभिक सैन्य सफलता के पीछे का असली कारण यही था।
- उन्होंने बेहतरीन युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया और लगभग एक साल तक ब्रिटिश सेना को परेशान किया तथा अंत तक अजेय रहे। वह गुरिल्ला युद्ध कला के विशेषज्ञ थे।
- 26 अप्रैल, 1858 को उनका निधन हो गया।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिये 23 अप्रैल 1966 को भारत गणराज्य द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।
- वर्ष 1992 में बिहार सरकार द्वारा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा की स्थापना की गई।
- वर्ष 2017 में वीर कुंवर सिंह सेतु, जिसे आरा-छपरा ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, का उद्घाटन उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने के लिये किया गया था।
- वर्ष 2018 में कुंवर सिंह की मृत्यु की 160वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये बिहार सरकार ने उनकी एक प्रतिमा को हार्डिंग पार्क में स्थानांतरित कर दिया था। पार्क को आधिकारिक तौर पर 'वीर कुंवर सिंह आज़ादी पार्क' का नाम भी दिया गया था।
1857 का विद्रोह
- यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संगठित प्रतिरोध की पहली अभिव्यक्ति थी।
- यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के सिपाहियों के विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जनता की भागीदारी भी इसने हासिल कर ली।
- विद्रोह को कई नामों से जाना जाता है: सिपाही विद्रोह (ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा), भारतीय विद्रोह, महान विद्रोह (भारतीय इतिहासकारों द्वारा), 1857 का विद्रोह, भारतीय विद्रोह और स्वतंत्रता का पहला युद्ध (विनायक दामोदर सावरकर द्वारा)।

