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राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय

  • 29 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फोरेंसिक विज्ञान, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय

मेन्स के लिये:

फोरेंसिक विज्ञान, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, फॉरेंसिक विज्ञानके विनियम, भारत में फोरेंसिक विज्ञान की पृष्ठभूमि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU)

  • परिचय:
    • यह भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में देश और दुनिया भर में फोरेंसिक विशेषज्ञों की बढ़ती मांग तीव्र को पूरा करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
    • राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान की स्थिति के साथ दुनिया का पहला और एकमात्र विश्वविद्यालय है जो फोरेंसिक, व्यवहारिक, साइबर सुरक्षा, डिजिटल फोरेंसिक एवं संबद्ध विज्ञान को समर्पित है।
    • गुजरात के अलावा इसके परिसर (Campuses) भोपाल, गोवा, त्रिपुरा, मणिपुर और गुवाहाटी में खोले गए हैं।
  • दृष्टिकोण:
    • देश और दुनिया में फोरेंसिक विशेषज्ञों की भारी कमी को पूरा करना।
    • दुनिया को रहने हेतु बेहतर और सुरक्षित जगह बनाना।
    • फोरेंसिक विज्ञान, अपराध जाँच, सुरक्षा, व्यवहार विज्ञान और अपराध विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करना।
  • मिशन:
    • जाँच के माध्यम से शिक्षा।
    • अंतर्राष्ट्रीय मानकों की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना।
  • उत्कृष्टता के नए केंद्र:
    • विश्वविद्यालय में एक नया परिसर और तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं:
      • डीएनए उत्कृष्टता केंद्र।
      • साइबर सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र।
      • अभियोजन और फोरेंसिक मनोविज्ञान उत्कृष्टता केंद्र।

फोरेंसिक विज्ञान:

  • परिचय:
    • फोरेंसिक विज्ञान अपराधों की जाँच करने या न्यायालय में प्रस्तुत किये जा सकने वाले सबूतों का परीक्षण करने हेतु वैज्ञानिक तरीकों या विशेषज्ञता का उपयोग है।
    • फोरेंसिक विज्ञान में फिंगरप्रिंट और डीएनए विश्लेषण से लेकर नृविज्ञान और वन्यजीव फोरेंसिक तक विविध प्रकार के विषय शामिल हैं।
    • फोरेंसिक विज्ञान आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
      • फोरेंसिक वैज्ञानिक अपराध और अन्य जगहों से साक्ष्य की जाँच और विश्लेषण करते हैं ताकि उद्देश्यपूर्ण निष्कर्ष प्राप्त हो सके जो अपराधियों की जाँच और अभियोजन में सहायता कर सकें या निर्दोष व्यक्ति को मुक्त कर सकें।
  • भारत में फोरेंसिक विज्ञान:
    • भारत का पहला सेंट्रल फ़िंगरप्रिंट ब्यूरो वर्ष 1897 में कोलकाता में स्थापित किया गया था, जो वर्ष 1904 में क्रियान्वित हुआ था।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत हैदराबाद में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (CDFD) के लिये एक उन्नत केंद्र स्थापित किया गया है।
    • आपराधिक मामलों जैसे कि हत्या, आत्महत्या, यौन हमले, आतंकी गतिविधियों, वन्यजीव हत्या और अन्य अपराध मामलों में डीएनए प्रोफाइलिंग अब विभिन्न पुलिस विभागों, फोरेंसिक संस्थानों, वन्यजीव विभागों में जैविक तरल पदार्थ और ऊतक सामग्री से मानव और पशु पहचान के लिये उपलब्ध है।
    • भारत में 80 से अधिक विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं जिनमें गांधीनगर, गुजरात में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय और स्कूल ऑफ फॉरेंसिक साइंस एंड रिस्क मैनेजमेंट लवाड, गांधीनगर में शामिल हैं, जहाँ सुरक्षा उद्देश्यों के लिये छात्रों, पुलिस और अर्धसैनिक बलों को शिक्षण, अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
  • भारत में फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में व्याप्त समस्याएँ :
    • गलत धारणाएँ :
      • फोरेंसिक विज्ञान में सबसे बड़ी चुनौती दोषपूर्ण फोरेंसिक साक्ष्य के आधार पर निर्दोष को दंडित करना है।
      • लगभग 318 निर्दोष लोगों को डीएनए परीक्षण के आधार पर जेल से रिहा किया गया था, जिन्हें पहले दोषपूर्ण फोरेंसिक साक्ष्य के आधार पर गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था।
    • वैज्ञानिक निश्चितता का अभाव
    • शोध का अभाव
    • अच्छी तरह से परिभाषित आचार संहिता का अभाव
    • विशेषज्ञों के प्रमाणीकरण का अभाव
    • सभी तकनीकों के लिये गैर-उपलब्ध डेटाबेस और त्रुटि दर आँकड़ों की अनुपलब्धता
  • अधिनियम:
    • हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007:
      • यह अधिनियम फॉरेंसिक विज्ञान के निदेशक को राज्य पुलिस बोर्ड और राज्य सरकार को वैज्ञानिक जाँच के उद्देश्य से राज्य में बनाई जाने वाली फोरेंसिक सुविधाओं के संदर्भ में सुझाव देने के लिये अधिकृत करता है।
      • इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य 6 महीने के भीतर इसके लिये आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, अक्षमता की स्थिति में कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना होगा
      • अधिनियम ने जाँच एजेंसियों के लिये अपराध के मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करना और उसे फोरेंसिक जाँच के लिये भेजना अनिवार्य कर दिया।
      • पुलिस महानिदेशक, फॉरेंसिक विज्ञान के निदेशक के परामर्श से वैज्ञानिक पूछताछ, जाँच और आवश्यक उपकरणों के लिये सुविधाएँ तैयार करेंगे।
    • राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2020:
      • सितंबर 2020 में, भारत सरकार ने दो अधिनियम पारित किये:
      • राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) अधिनियम, 2020
        • NFSU गुजरात राज्य के गांधीनगर में बनाया गया था।
      • राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) अधिनियम, 2020
        • RRU गुजरात राज्य के लवड, दाहेगाम, गांधीनगर में स्थापित किया गया है।
        • राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का अधिदेश पुलिसिंग, कानून प्रवर्तन, सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जोखिम प्रबंधन में सीखने और अनुसंधान के वैश्विक मानकों को बढ़ावा देना है।

आगे की राह:

  • यदि देश में आम आदमी को शीघ्र प्रभावी न्याय प्रदान करना है तो भारत में फोरेंसिक के क्षमता निर्माण की तत्काल आवश्यकता है।
  • फोरेंसिक रिपोर्ट की गुणवत्ता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि जाँच अधिकारियों द्वारा प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिये किस प्रकार के नमूने भेजे जाते हैं।
    • ऐसे में जाँच अधिकारियों के लिये फोरेंसिक प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिये।
  • भारत में विभिन्न परीक्षण फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में समरूप तकनीक और विशेषज्ञता होनी चाहिये ताकि विशेषज्ञता और नवीनतम तकनीक के अभाव में रिपोर्ट की गुणवत्ता प्रभावित न हो।

स्रोत: पी.आई.बी

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