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स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Nov 2025
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राजस्थान Switch to English

RSCERT का करियर शिक्षा कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (RSCERT) ने राज्य के सरकारी स्कूल शिक्षकों की करियर-परामर्श क्षमताओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक नया करियर शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ किया है।

मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य: 
    • करियर शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है ताकि वे विद्यार्थियों को शैक्षणिक विकल्प, व्यावसायिक मार्ग, कौशल विकास विकल्प और उभरती करियर प्रवृत्तियों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान कर सकें।
    • इससे शिक्षकों को संरचित करियर परामर्श देने में मदद मिलेगी, विशेषकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के विद्यार्थियों को, जिनके पास पेशेवर मार्गदर्शन तक सीमित पहुँच है।
  • प्रमुख घटक:
    • इस पहल में करियर मैपिंग, अभिरुचि समझ, NEP-2020-अनुरूप मार्गदर्शन, व्यावसायिक शिक्षा, डिजिटल शिक्षण अवसर और छात्रवृत्ति जागरूकता पर आधारित मॉड्यूल शामिल हैं।
  • क्रियान्वयन:
    • RSCERT ने शैक्षणिक योजना और छात्र मार्गदर्शन में स्कूलों को सहायता देने के लिये प्रमाणित शिक्षक-परामर्शदाताओं का एक राज्यव्यापी पूल बनाने की योजना बनाई है।
    • यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोज़गार अवसरों के लिये विद्यार्थियों की तैयारी में सुधार लाने के राज्य के व्यापक लक्ष्य का समर्थन करता है

RSCERT

  • राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (RSCERT) राजस्थान में स्कूल पाठ्यक्रम विकास, शिक्षक प्रशिक्षण, पाठ्यपुस्तक तैयारी और शैक्षिक अनुसंधान के लिये सर्वोच्च शैक्षणिक प्राधिकरण है।
  • यह विद्यालय शिक्षा विभाग के अधीन कार्य करता है तथा राज्य की पाठ्यचर्या को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाता है।
  •  RSCERT शिक्षक क्षमता तथा सरकारी विद्यालयों में शिक्षण-प्राप्ति को मज़बूत करने के लिये राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण संस्थान (SIERT), ज़िला संसाधन समूहों तथा SCERT-स्तरीय संस्थानों के साथ भी समन्वय करता है।

बिहार Switch to English

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति ने 24 नवंबर 2025 को गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • उन्हें 24 नवंबर, 1675 को कश्मीरी पंडितों को जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिये औरंगज़ेब द्वारा फाँसी दे दी गई थी। दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित शीशगंज साहिब गुरुद्वारा उनके फाँसी स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

मुख्य बिंदु 

 गुरु तेग बहादुर के बारे में:

  • प्रारंभिक जीवन: 
    • वर्ष 1621 में अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर को उनके तपस्वी स्वभाव के कारण शुरू में त्यागमल के नाम से जाना जाता था। धार्मिक दर्शन एवं युद्ध कौशल में प्रशिक्षित होने के साथ युद्ध में वीरता के लिये उन्हें "तेग बहादुर" की उपाधि प्रदान की गई।
  • गुरु के रूप में योगदान: 
    • वर्ष 1664 में गुरु हरकिशन के बाद 9 वें सिख गुरु बने। इन्होंने वर्ष 1665 में आनंदपुर साहिब की स्थापना की तथा समानता, न्याय और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब में 700 से अधिक भजनों का योगदान दिया।
  • विरासत: 
    • इन्होंने औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान जबरन धर्मांतरण का विरोध किया तथा अपने अनुयायियों के बीच निर्भयता (निरभौ) और सद्भाव (निरवैर) को प्रोत्साहित किया।
    • धर्म और अंतःकरण की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उन्हें “हिंद-दी-चादर” (भारत की ढाल) के रूप में सम्मानित किया जाता है।

सिख धर्म के दस गुरु:

गुरु नानक देव (1469-1539)

  • ये सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक थे।
  • इन्होंने ‘गुरु का लंगर’ की शुरुआत की।
  • ये बाबर के समकालीन थे।
  • गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर करतारपुर कॉरिडोर को शुरू किया गया था।

गुरु अंगद (1504-1552)

  • इन्होंने गुरुमुखी नामक नई लिपि का आविष्कार किया और ‘गुरु का लंगर’ प्रथा को लोकप्रिय बनाया।

गुरु अमर दास (1479-1574)

  • इन्होंने आनंद कारज विवाह (Anand Karaj Marriage) समारोह की शुरुआत की।
  • इन्होंने सिखों के बीच सती और पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त किया|
  • ये अकबर के समकालीन थे।

गुरु राम दास (1534-1581)

  • इन्होंने वर्ष 1577 में अकबर द्वारा दी गई ज़मीन पर अमृतसर की स्थापना की।
  • इन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) का निर्माण शुरू किया।

गुरु अर्जुन देव (1563-1606)

  • इन्होंने वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की।
  • इन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया।
  • ये शाहिदीन-दे-सरताज (Shaheeden-de-Sartaj) के रूप में प्रचलित थे।
  • इन्हें जहाँगीर ने राजकुमार खुसरो की मदद करने के आरोप में मार दिया।

गुरु हरगोबिंद (1594-1644)

  • इन्होंने सिख समुदाय को एक सैन्य समुदाय में बदल दिया। इन्हें "सैनिक संत" (Soldier Saint) के रूप में जाना जाता है।
  • इन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की और अमृतसर शहर को मज़बूत किया।
  • इन्होंने जहाँगीर और शाहजहाँ के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

गुरु हर राय (1630-1661)

  • ये शांतिप्रिय व्यक्ति थे और इन्होंने अपना अधिकांश जीवन औरंगज़ेब के साथ शांति बनाए रखने तथा मिशनरी काम करने में समर्पित कर दिया।

गुरु हरकिशन (1656-1664)

  • ये अन्य सभी गुरुओं में सबसे कम आयु के गुरु थे और इन्हें 5 वर्ष की आयु में गुरु की उपाधि दी गई थी।
  • इनके खिलाफ औरंगज़ेब द्वारा इस्लाम विरोधी कार्य के लिये सम्मन जारी किया गया था।

गुरु तेग बहादुर (1621-1675)

  • इन्होंने आनंदपुर साहिब की स्थापना की।

गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708)

  • इन्होंने वर्ष 1699 में ‘खालसा’ नामक योद्धा समुदाय की स्थापना की।
  • इन्होंने एक नया संस्कार "पाहुल" (Pahul) शुरू किया।
  • ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया।

झारखंड Switch to English

आपकी योजना-आपकी सरकार आपके द्वार

चर्चा में क्यों?

झारखंड सरकार ने ज़िलों में आयोजित शिविरों के माध्यम से अपना वार्षिक सार्वजनिक-सेवा संपर्क अभियान 'आपकी योजना-आपकी सरकार आपके द्वार' शुरू किया।

  • पहले सप्ताह का विषय "सेवा में अधिकार सप्ताह" है। इस वर्ष का अभियान क्षेत्रीय विषयों पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य: 
    • यह एक राज्यव्यापी द्वार तक प्रशासन पहल है, जिसके अंतर्गत सरकारी विभाग पंचायत और ब्लॉक स्तर पर शिविर आयोजित कर तत्काल सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • प्रदान की जाने वाली सेवाएँ: 
    • अभियान जाति, आय और आवास प्रमाण-पत्र जारी करने, राशन कार्ड अद्यतन करने, प्रमुख कल्याण योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों का पंजीकरण करने तथा लंबित आवेदन निपटान पर केंद्रित है।
    • नागरिक आधार से जुड़े लाभ, पेंशन योजनाएँ, जॉब कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड और विभिन्न आदिवासी कल्याण अधिकारों के लिये आवेदन कर सकते हैं।
    • शिविर राज्य योजनाओं जैसे अबुआ आवास योजना और सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के अन्तर्गत नामांकन में भी सहायता करेंगे, जहाँ लागू हो।
  • क्रियान्वयन तंत्र: 
    • राजस्व, सामाजिक कल्याण, श्रम, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य विभागों के अधिकारी एकीकृत सेवा वितरण सुनिश्चित करने हेतु भाग लेते हैं।
  • जनसंपर्क पर ध्यान: 
    • इस वर्ष विशेष ध्यान दूर-दराज़ की आदिवासी बस्तियों पर दिया जा रहा है, ताकि PVTGs और वनवासीय समुदाय जैसे संवेदनशील समूहों को शामिल किया जा सके।

बिहार Switch to English

बिहार में मातृ-दुग्ध में यूरेनियम

चर्चा में क्यों?

बिहार के छह ज़िलों में स्तनपान कराने वाली 40 माताओं पर किये गये एक नवीन अध्ययन में सभी नमूनों में यूरेनियम (U-238) की उपस्थिति दर्ज की गई, जो प्रारंभिक महीनों में पूर्णतः स्तन-दूध पर निर्भर शिशुओं के लिये संभावित स्वास्थ्य जोखिम को इंगित करता है।

मुख्य बिंदु

  • यह अध्ययन अक्तूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच 17–35 वर्ष आयु वर्ग की माताओं पर भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा ज़िलों में किया गया।
  • स्तन-दूध में यूरेनियम की सांद्रता 5.25 µg/L तक दर्ज की गई, जिसमें अधिकतम एकल मान कटिहार तथा सर्वाधिक औसत खगड़िया में पाया गया।
  • शिशु जोखिम मॉडलिंग से पता चला कि अध्ययन में शामिल लगभग 70% शिशुओं का Hazard Quotient (HQ) > 1 था, जो निरंतर संपर्क की दशा में गैर-कैंसरजन्य जोखिम की संभावना दर्शाता है।
    यद्यपि स्तन-दूध में यूरेनियम की कोई स्थापित अनुमेय सीमा नहीं है,परंतु WHO ने पेयजल में यूरेनियम की अस्थायी दिशानिर्देश सीमा 30 µg/L निर्धारित की है। अध्ययन में अधिकांश स्तन-दूध मान इस स्तर से काफी कम थे।
  • संभावित स्रोतों में भूजल संदूषण, कृषि उर्वरक, जलभृतों का अत्यधिक दोहन तथा भू-जनित शैल संरचनाएँ शामिल हैं; अध्ययन में पहले दर्ज किये गये भूजल आँकड़ों का उल्लेख किया गया है, जैसे सुपौल जैसे ज़िलों में 82 82 µg/L तक यूरेनियम की उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार शिशु अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके अंग विकासशील अवस्था में होते हैं और वे वयस्कों की तुलना में यूरेनियम को कम प्रभावी ढंग से निष्कासित कर पाते हैं।

यूरेनियम संदूषण

  • यूरेनियम (U-238) एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला रेडियोधर्मी भारी धातु है, जिसकी रासायनिक विषाक्तता विशेष रूप से गुर्दे, हड्डियों और तंत्रिका संबंधी विकास को प्रभावित करती है।
  • 18 भारतीय राज्यों के 150 से अधिक ज़िलों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा बढ़ी हुई (> 30 µg/L) पाई गई है
  • शिशुओं के लिये प्रमुख स्वास्थ्य चिंताओं में नेफ्रोटॉक्सिसिटी, तंत्रिका-विकास में कमी, कम IQ, तथा कौशल में विलंब शामिल हैं, यद्यपि निम्न-स्तर जोखिम के नैदानिक प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं हैं।

उत्तराखंड Switch to English

मंगसीर बग्वाल

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के पर्वतीय गाँव दीवाली के बाद मनाए जाने वाले लोक उत्सव मंगसीर बग्वाल का उत्सवपूर्वक आयोजन कर रहे हैं, जो कृषि-चक्र और स्थानीय इतिहास पर आधारित है।

मुख्य बिंदु

  • मंगसीर बग्वाल कार्तिक दिवाली के लगभग एक महीने बाद मंगसीर (मार्गशीर्ष) माह में मनाया जाता है, जो पर्वतीय क्षेत्रों में प्रकाश-उत्सव के विलंबित आयोजन का द्योतक है।
  • यह पर्व गढ़वाली सेनापति माधो सिंह भंडारी की तिब्बती सेना पर विजय के उपरांत उनके घर-वापसी के ऐतिहासिक प्रसंग का स्मरण करता है, जिसके फलस्वरूप समुदाय ने दीपोत्सव को एक माह पश्चात मनाने की परंपरा शुरू की।
  • यह समय शीत ऋतु की फसल-कटाई पूर्ण होने का होता है, जब कृषि कार्य न्यूनतम हो जाता है तथा समुदाय सामूहिक भोज, संगीत और नृत्य हेतु एकत्र होता है।
  • अनुष्ठानों में रासो, तांदी जैसे लोकनृत्य, ढोल-दमाऊँ पर प्रदर्शन तथा चौथे दिन (‘भांड’) स्थानीय घास की मोटी रस्सी बनाकर गाँव के चौक में लपेटने की विशिष्ट रस्म सम्मिलित है।
  • यह त्योहार कृषि-पशुपालन जीवन-शैली, सामाजिक एकजुटता, अनुष्ठानिक शुद्धि और शीत ऋतु की तैयारी का द्योतक है।
  • यह पर्व लोक-कला, स्थानीय बोली, परंपरागत रीति-रिवाजों तथा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ शहरी प्रवास के कारण सांस्कृतिक अवनयन की चुनौती बढ़ रही है।

माधो सिंह भंडारी

  • माधो सिंह भंडारी (17वीं शताब्दी) गढ़वाल साम्राज्य के एक प्रसिद्ध सेनापति थे, जो अपनी रणनीतिक क्षमता और साहस के लिये विख्यात थे।
  • इन्हें ऐतिहासिक भंडारी खाल नहर के निर्माण हेतु विशेष रूप से याद किया जाता है, जो पर्वतीय भूभाग में एक महत्त्वपूर्ण सिंचाई नवाचार था, जिसने सिंचाई और ग्रामीण कृषि को बढ़ावा दिया।
  • लोक कथाओं में उन्हें गढ़वाल की सीमाओं की आक्रमणकारी ताकतों से रक्षा करने का श्रेय दिया जाता है, जिससे वे उत्तराखंड में साहस, बलिदान और सैन्य कौशल के प्रतीक बन गए ।

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