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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Oct 2025
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लखनऊ में नौसेना शौर्य संग्रहालय

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में प्रस्तावित ‘नौसेना शौर्य संग्रहालय’ की तैयारियों की समीक्षा की। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की वीरता, विरासत और तकनीकी कौशल का स्मरण कराएगी।

मुख्य बिंदु

  • परिचय:
    • CG सिटी में एकाना स्टेडियम के पास विकसित किया जा रहा यह संग्रहालय उत्तर भारत का पहला समुद्री विरासत केंद्र होगा। 
    • इसका उद्देश्य शिक्षा, अनुभव और प्रौद्योगिकी को जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता देना है।
    • यह संग्रहालय भारत की समुद्री शक्ति का उत्सव मनाने, राज्य की प्राचीन समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने और राष्ट्रीय गर्व को प्रेरित करने के लिये स्थापित किया जा रहा है।
  • प्रारंभ और प्रगति:
    • दिसंबर 2024 तक पूरा होने के प्रारंभिक लक्ष्य के साथ 2022 में शुरू की गई इस परियोजना में लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण केवल 30% प्रगति हुई है और अब इसके वर्ष 2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना है।
  • परियोजना संरचना: 
    • नौसेना शौर्य संग्रहालय को दो प्रमुख खंडों में विकसित किया जा रहा है:
      • INS गोमती शौर्य स्मारक (पवित्र स्मारक): इसमें INS गोमती (F-21), गोदावरी-क्लास की स्वदेशी मिसाइल फ्रिगेट शामिल है, जिसने भारतीय नौसेना में 34 वर्षों तक सेवा दी और ऑपरेशन कैक्टस तथा ऑपरेशन पराक्रम जैसी प्रमुख अभियानों में भाग लिया।
    • नौसेना शौर्य वाटिका: इसमें TU-142 समुद्री निगरानी विमान (29 वर्षों की सेवा) और सी किंग SK-42B हेलीकॉप्टर शामिल होंगे, जो नौसैनिक अभियानों में उपयोग किए गए।
  • संरचना: 
    • संग्रहालय को नौसैनिक रेलिंग, पोर्टहोल शैली की खिड़कियाँ और समुद्री प्रतीकों के साथ एक जहाज के अमूर्त रूप में तैयार किया गया है, जिसमें दो मुख्य क्षेत्र होंगे: व्याख्या केंद्र तथा ओपन-एयर संग्रहालय
  • प्रौद्योगिकी का विरासत से मिलन: संग्रहालय में आधुनिक प्रौद्योगिकी को ऐतिहासिक कहानियों के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिसमें शामिल हैं:
    • इसमें इमर्सिव कहानी सुनाने के लिये 7D थिएटर होंगे।
    • विमान वाहक लैंडिंग और युद्धपोत सिमुलेटर यथार्थवादी नौसैनिक अनुभव प्रदान करेंगे।
    • डिजिटल वाटर स्क्रीन शो और समुद्री जीवन एक्वेरियम भी होंगे।
    • भारत के प्राचीन समुद्री इतिहास को प्रदर्शित करने के लिये जलमग्न द्वारका मॉडल बनाया गया है।
    • आगंतुक ‘अपने नायकों की तरह पोशाक पहन सकते हैं’ और आभासी नौसैनिक मिशन जैसी इंटरैक्टिव गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
  • प्रशासनिक निगरानी:
    • परियोजना की निगरानी के लिये पर्यटन महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जिसमें मैरीटाइम हेरिटेज सोसायटी, यूपी प्रोजेक्ट्स कॉर्पोरेशन और नौसैनिक विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

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राष्ट्रीय एकता दिवस

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय एकता दिवस प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के भारत के एकीकरण में योगदान के सम्मान में मनाया जाता है।

  • वर्ष 2025 में यह दिवस विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि यह सरदार पटेल की 150वीं जयंती का प्रतीक है।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय एकता दिवस: 
    • यह दिवस सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा प्रतिपादित एकता, अखंडता और समावेशिता के मूल्यों का प्रतीक है।
    • इसे पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था, जब सरकार ने राष्ट्र-निर्माण में पटेल के ऐतिहासिक योगदान को सम्मानित करने का निर्णय लिया।
    • वर्ष 2015 के आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारतपहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और परस्पर जुड़ाव को सशक्त करना था।
  • कार्यक्रम:
    • केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा माई भारत मंच के माध्यम से आयोजित सरदार @150 एकता यात्रा का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य युवाओं में एकता, देशभक्ति तथा नागरिक दायित्व की भावना को बढ़ावा देना था, जो ‘एक भारत, आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
    • इसके अतिरिक्त, 31 अक्तूबर, 2025 को देश के प्रमुख शहरों में “रन फॉर यूनिटी” नामक राष्ट्रव्यापी दौड़ का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ नई दिल्ली से हुआ।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:

 

  • 31 अक्तूबर 2018 को सरदार पटेल की स्मृति में 182 मीटर (600 फीट) ऊँची विश्व की सबसे विशाल प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन गुजरात के केवडिया में किया गया।
  • यह प्रतिमा नर्मदा नदी के तट पर, सरदार सरोवर बाँध (जो कंक्रीट की मात्रा के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुरुत्व बांध है) के समीप साधु बेट पहाड़ी पर स्थित है।
  • वर्ष 2020 में इसे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के “आठ अजूबों” की सूची में भी शामिल किया गया था।


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न्यायमूर्ति सूर्यकांत 53वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत का 53वाँ मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय:
    • वे 24 नवंबर, 2025 को न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के उत्तराधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे और 10 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 माह का कार्यकाल पूरा करेंगे।
    • वह हरियाणा से भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे।
    • वह पहली पीढ़ी के वकील हैं, जो अपनी स्पष्ट टिप्पणियों, संतुलित निर्णयों और संवैधानिक नैतिकता पर ज़ोर देने के लिये जाने जाते हैं।
    • उनके कार्यकाल में न्यायिक सुलभता, प्रशासनिक सुधार और संवैधानिक व्याख्या में स्थिरता पर विशेष ध्यान दिये जाने की संभावना है। 
  • महत्त्वपूर्ण निर्णय:
    • अनुच्छेद 370: पाँच-सदस्यीय पीठ के सदस्य रहे, जिसने अनुच्छेद 370 के निरसन को वैध ठहराया।
    • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा: इस संबंध में महत्त्वपूर्ण निर्णय देने वाली पीठ का हिस्सा रहे।
    • चुनाव आयोग की निगरानी: वर्तमान में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया की देखरेख करने वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश: 

  • अनुच्छेद 124 (2) के तहत मुख्य न्यायाधीश सहित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • वरिष्ठतम न्यायाधीश को सेवा की अवधि के आधार पर मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है ( यह परंपरा है, कोई कानूनी बाध्यता नहीं)।
  • अर्हता: मुख्य न्यायाधीश के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को
    • भारत का नागरिक होना चाहिये,
    • कम-से-कम 5 वर्ष उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या
    • 10 वर्ष अधिवक्ता के रूप में कार्य किया होना चाहिये,
    • अथवा राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिये।
  • मुख्य न्यायाधीश को केवल संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के पश्चात् ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

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