छत्तीसगढ़ Switch to English
बाल विवाह उन्मूलन
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2025 को छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िला ने अपने 75 ग्राम पंचायतों को "बाल विवाह-मुक्त पंचायत" घोषित कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
- यह मान्यता सामाजिक सुधार प्रयासों और "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" पहल के तहत जन जागरूकता अभियानों की एक महत्त्वपूर्ण जीत को दर्शाती है।
मुख्य बिंदु
- बाल विवाह उन्मूलन के बारे में:
- 75 बाल विवाह मुक्त पंचायतों की घोषणा राष्ट्रीय पोषण माह और चल रहे "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" अभियान के शुभारंभ के साथ हुई।
- इन पंचायतों को पिछले दो वर्षों में बाल विवाह की कोई घटना दर्ज न होने के कारण मान्यता दी गई।
- 75 बाल विवाह मुक्त पंचायतों की घोषणा राष्ट्रीय पोषण माह और चल रहे "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" अभियान के शुभारंभ के साथ हुई।
- 10 मार्च 2024 को, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने यूनिसेफ के सहयोग से "बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान" का शुभारंभ किया।
- इस पहल का उद्देश्य सक्रिय जागरूकता, निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पूरे राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाना है।
- कार्यान्वयन:
- महिला एवं बाल विकास विभाग ने क्षेत्र में नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाया।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और स्वैच्छिक संगठनों ने बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शैक्षिक संवादों में बाल अधिकारों, शिक्षा के महत्त्व तथा लड़कियों के लिये बेहतर स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक परिणाम सुनिश्चित करने के लिये सही समय पर विवाह की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया, जिससे मानसिकता में बदलाव आया और माता-पिता ने अपनी बेटियों की कम उम्र में शादी करने की बजाए उनकी शिक्षा तथा आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया।
बाल विवाह
- यूनिसेफ बाल विवाह को लड़कियों और लड़कों दोनों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में वर्गीकृत करता है।
- सतत् विकास लक्ष्य 5.3 में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक लैंगिक समानता और महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तीकरण के लक्ष्य के साथ सतत् विकास लक्ष्य 5 को प्राप्त करने में बाल विवाह उन्मूलन महत्त्वपूर्ण है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2022 में दुनिया भर में 5 में से 1 लड़की (19%) की शादी बचपन में ही कर दी गई।
- वैधानिक ढाँचा: भारत ने वर्ष 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया, जिसमें पुरुषों के लिये विवाह की कानूनी उम्र 21 वर्ष और महिलाओं के लिये 18 वर्ष निर्धारित की गई।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों को विशिष्ट क्षेत्रों के लिये 'बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) नियुक्त करने की अनुमति देती है।
- CMPO बाल विवाह को रोकने, अभियोजन के लिये साक्ष्य एकत्र करने, ऐसे विवाहों को बढ़ावा देने या सहायता के खिलाफ परामर्श देने, उनके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समुदायों को संवेदनशील बनाने के लिये ज़िम्मेदार है।
- सरकार ने महिलाओं की शादी की उम्र को पुरुषों के बराबर करने के लिये इसे 21 साल करने के लिये 'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' नाम से एक विधेयक पेश किया है।