उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू अलर्ट
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बर्ड फ्लू (H5N1) के बढ़ते खतरे के कारण राज्यव्यापी अलर्ट जारी किया है, जिसमें संबंधित विभागों को जानवरों और पक्षियों, विशेष रूप से चिड़ियाघरों और वन्यजीव अभयारण्यों में सुरक्षा हेतु सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने के निर्देश दिये गए हैं।
मुख्य बिंदु
बर्ड फ्लू के बारे में
- परिचय: बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस, विशेष रूप से उपप्रकार H5N1 और H5N8 के कारण होता है तथा जंगली तथा घरेलू दोनों प्रकार के पक्षियों को प्रभावित करता है।
- मानव पर इसके प्रभाव के मामले: मानव पर इसका पहला संक्रमण वर्ष 1997 (हांगकांग) में दर्ज किया गया था। इसके अधिकांश मामले एशिया में दर्ज किये गए और इसका कारण संक्रमित पक्षियों के साथ निकट संपर्क था।
- संचरण: H5N1 मुख्य रूप से संक्रमित जीवित अथवा मृत पक्षियों अथवा दूषित वातावरण (जैसे, जीवित पक्षियों का बाज़ार) के साथ प्रत्यक्ष संपर्क होने के माध्यम से संचरित होता है।
- इसलिये, H5N1 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसंधान एवं विकास ब्लूप्रिंट के तहत प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- H5N1 का मानव संक्रमण दुर्लभ है, किंतु इसकी मृत्यु दर (~60%) बहुत अधिक है, जो कोविड-19 (~3%) से कहीं अधिक है।
- स्तनधारियों से मनुष्यों में संचरण देखा गया है, परंतु वायु जनित एवं निरंतर मानव-से-मानव संचरण की पुष्टि नहीं हुई है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसंधान एवं विकास ब्लूप्रिंट के अंतर्गत H5N1 को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- लक्षण: सामान्य लक्षणों में तेज़ बुखार, खाँसी, गले में खराश तथा मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
- गंभीर मामलों में श्वसन विफलता या तंत्रिका संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं।
- कुछ व्यक्ति संक्रमण के बावजूद लक्षणहीन भी रह सकते हैं।
- उपचार: वर्तमान मौसमी फ्लू के टीके H5N1 से सुरक्षा प्रदान नहीं करते।
- ओसेल्टामिविर जैसी एंटीवायरल दवाएँ प्रभावी होती हैं, विशेषकर जब उच्च जोखिम वाले या गंभीर मामलों में इन्हें प्रारंभ में ही दिया जाए।
इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकार