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स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Jun 2025
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छत्तीसगढ़ Switch to English

अबूझमाड़ क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2026 तक माओवादी प्रभाव समाप्त करने के प्रयासों के बीच, छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र के विकास को लेकर सतत् विकास, जनजातीय अधिकार तथा माओवादी प्रभाव को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।

मुख्य बिंदु

  • अबूझमाड़ क्षेत्र के बारे में:  
    • अबूझमाड़ नाम का हिंदी में अर्थ है 'अगम्य पठार' जबकि गोंडी भाषा में इसे 'साल वन' के रूप में जाना जाता है।
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, अबूझमाड़ में लगभग 40,000 अबूझमाड़िया जनजातियाँ निवास करती हैं, जो गोंड जनजाति का एक उपसमूह है।
    • इन्हें छत्तीसगढ़ के 7 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • ब्रिटिश शासनकाल में अबूझमाड़ को भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत 'बहिष्कृत क्षेत्र' के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
    • स्वतंत्रता के बाद इसकी दुर्गमता और विकासहीनता के कारण माओवादियों ने इसे अपना अनौपचारिक मुख्यालय बना लिया और ‘मुक्त क्षेत्र’ (liberated zone) की संज्ञा दी।
  • अबूझमाड़ पर नियंत्रण की सरकारी योजना:
    • केंद्रीय गृह मंत्री ने मार्च 2026 तक माओवादी उन्मूलन की घोषणा की है, जिसमें नई सड़कों, सुविधाओं और मुख्य वन क्षेत्रों में लौह अयस्क खनन के विस्तार के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की योजना है।
  • अधिकार तथा विधिक चिंताएँ:

    • वन एवं पर्यावास अधिकार: वन अधिकार अधिनियम, 2006, वन में रहने वाले समुदायों को आवास अधिकार सहित विशेष अधिकार प्रदान करता है।

    • वर्ष 2019 में जब अबूझमाड़िया समुदाय ने इन अधिकारों का दावा करने का प्रयास किया, तो उन्हें माओवादी धमकियों तथा राज्य के सहयोग की कमी का सामना करना पड़ा।

  • सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व:

    • अबूझमाड़ क्षेत्र के भीतर स्थित वेरवाकोट पहाड़ी को गोंडी धार्मिक विश्वासों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ से मानव जीवन की उत्पत्ति मानी जाती है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)

  • PVTG के बारे में:
    • ये समुदाय भारत की जनजातियों में सबसे अधिक असुरक्षित माने जाते हैं। इसका मुख्य कारण है कि, अधिक विकसित और मुखर जनजातीय समूह जनजातीय विकास निधि का एक बड़ा भाग अर्जित कर लेते हैं, जिसके कारण PVTG को विशेष ध्यान तथा लक्षित सहायता की आवश्यकता होती है।
    • वर्ष 1973 में ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (Primitive Tribal Groups- PTG) को सबसे कम विकसित जनजातियों के रूप में चिह्नित किया। वर्ष 2006 में भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया।
    • भारत सरकार ने वर्ष 1975 में ऐसे 52 समूहों की पहचान की जबकि वर्ष 1993 में 23 समूहों को इस श्रेणी में और जोड़ा गया, जिससे कुल 705 अनुसूचित जनजातियों में से PVTG की संख्या 75 हो गई।
    • PVTGs आमतौर पर छोटे, समरूप, भौगोलिक रूप से अलग-थलग, सरल प्रौद्योगिकी, अलिखित भाषा और धीमी सामाजिक-आर्थिक प्रगति वाले होते हैं।
    • देश में PVTGs की संख्या सबसे अधिक ओडिशा में है।
  • सरकारी सहायता:
    • जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा PVTG के विकास हेतु एक केंद्रीय प्रायोजित योजना चलाई है, जिसमें 18 राज्यों तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के लिये 100% केंद्रीय वित्तपोषण प्रदान किया जाता है।
      • इस योजना का उद्देश्य है- PVTG का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास करना, साथ ही उनकी विशिष्ट संस्कृति व परंपराओं का संरक्षण सुनिश्चित करना।
      • यह योजना शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आजीविका से संबंधित परियोजनाओं को समर्थन देती है, जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप होती हैं।


बिहार Switch to English

बिहार ई-वोटिंग शुरू करने वाला पहला राज्य

चर्चा में क्यों?

बिहार शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ई-वोटिंग प्रणाली शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है ।

  • बिहार राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) सी-डैक द्वारा विकसित दो मोबाइल एप्लिकेशन “ई-वोटिंग एसईबीएचआर” और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विकसित एक अन्य ऐप के माध्यम से इस डिजिटल वोटिंग पद्धति को लागू करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • ई-वोटिंग प्रणाली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली में मतदान केंद्रों पर ई-वोटिंग मशीनों या कियोस्क का उपयोग शामिल हो सकता है, जो तुरंत वोट रिकॉर्ड करते हैं और इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना रसीद प्रदान करते हैं। 
  • भारत में अपनी तरह का पहला: बिहार नगरपालिका और शहरी निकाय चुनावों के लिए ई-वोटिंग प्रणाली अपनाने वाला देश का पहला राज्य है।
    • एस्टोनिया 2005 में ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग करने वाला विश्व का पहला देश था।
  • तकनीकी विशेषताएं:
  • यह प्रणाली ब्लॉकचेन सुरक्षा और लाइवनेस डिटेक्शन और फेस मैचिंग जैसे बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से छेड़छाड़-रहित मतदान सुनिश्चित करती है।
  • बिहार के एसईसी ने मतदाता सत्यापन के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम , मतगणना और परिणामों के लिए ओसीआर, तथा  इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के स्ट्रांग रूम के लिए डिजिटल लॉक जैसे डिजिटल नवाचार भी शुरू किए हैं।
  • महत्व:
  • समावेशी मतदान: ई-वोटिंग प्रवासियों, दूरदराज के मतदाताओं, विकलांगों, गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को कहीं से भी मतदान करने में सक्षम बनाती है।
  • मतदान में वृद्धि: यह पहल मतदान को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बनाकर मतदाता भागीदारी को बढ़ाएगी।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इतिहास:

  • 1977: मुख्य चुनाव आयुक्त एसएल शकधर ने ईवीएम का विचार प्रस्तावित किया।
  • 1980-81: इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा ईवीएम का विकास और प्रदर्शन किया गया।
  • 1982-83: केरल के परुर निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों पर पहली बार ईवीएम का प्रयोग किया गया, तथा बाद में 8 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 11 विधानसभा क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया गया।
  • 1984: सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन की आवश्यकता का हवाला देते हुए ईवीएम के उपयोग पर रोक लगा दी।
  • 1988: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत 15 मार्च 1989 से ईवीएम का उपयोग कानूनी रूप से संभव हो गया।
  • 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों पर वापसी की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
  • 2013: अधिक पारदर्शिता के लिए मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को शामिल करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया गया ।
    • वीवीपैट का पहली बार नागालैंड के 51-नोकसेन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में इस्तेमाल किया गया था।

हरियाणा Switch to English

भारत का सबसे बड़ा गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल

चर्चा में क्यों?

भारत के सबसे बड़े गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल का हरियाणा के मानेसर में उद्घाटन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • टर्मिनल के बारे में:
    • इसे प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत विकसित किया गया है।
    • टर्मिनल का उद्देश्य मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को मज़बूत करना, देशभर में माल ढुलाई को सुचारू बनाना और हरियाणा को एक प्रमुख ऑटोमोबाइल विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
    • यह हरियाणा रेल अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (HRIDC), हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (HSIIDC) और गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) का एक संयुक्त उपक्रम है।
  • महत्त्व:
    • उन्नत माल ढुलाई संपर्क: यह टर्मिनल मारुति के मानेसर और गुरुग्राम संयंत्रों से आने वाले वाहनों को 380 भारतीय शहरों के 17 वितरण केंद्रों से जोड़ेगा।
      • यह गुजरात के पीपावाव और मुंद्रा जैसे प्रमुख निर्यात बंदरगाहों से भी जुड़ेगा।
    • ऑटोमोबाइल क्षेत्र को समर्थन: हरियाणा में भारत की लगभग 50% कारों का निर्माण होता है।
      • मारुति संयंत्र में HRIDC द्वारा निर्मित आंतरिक रेलवे साइडिंग, राज्य की ‘कारोबार करने में सरलता’ की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
    • पहली कार्गो ट्रेन: टर्मिनल से पहली मालगाड़ी को रवाना किया गया।

पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 

  • परिचय: 
    • इसे अगले पाँच वर्षों में भारत के बुनियादी ढाँचे को बदलने के उद्देश्य से वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था। 
    • इसे BISAG-N (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भूसूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा डिजिटल मास्टर प्लानिंग टूल के रूप में विकसित किया गया है। 
  • उद्देश्य:
    • इस योजना का उद्देश्य परियोजनाओं के क्रियान्वयन में गति लाना, विलंब को कम करना, मंत्रालयों के बीच समन्वय की बाधाओं को दूर करना तथा विश्वस्तरीय अवसंरचना के माध्यम से भारत की जीवन सुगमता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाना है।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • डिजिटल एकीकरण: यह एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो 16 मंत्रालयों को आपसी समन्वय  तथा क्रियान्वयन के लिये जोड़ता है।
    • बहु-क्षेत्रीय सहयोग: यह योजना भारतमाला, सागरमाला, आंतरिक जलमार्ग, ड्राई पोर्ट और UDAN जैसी प्रमुख परियोजनाओं को समेकित करती है।
    • आर्थिक क्षेत्र: यह योजना कपड़ा, औषधि, रक्षा तथा कृषि जैसे क्षेत्रों में क्लस्टर और कॉरिडोर विकसित करने पर केंद्रित है।
    • प्रौद्योगिकी का प्रयोग: बेहतर योजना और वास्तविक समय निगरानी के लिये उन्नत स्थानिक उपकरणों और इसरो उपग्रह डाटा का उपयोग किया जाता है।
  • मुख्य प्रेरक क्षेत्र: 
  • आधार स्तंभ: 
    • पीएम गति शक्ति के 6 आधार स्तंभ हैं- व्यापकता, प्राथमिकता, अनुकूलन, समन्वय, विश्लेषणात्मक क्षमता और गतिशील निगरानी।


बिहार Switch to English

साहित्य अकादमी युवा एवं बाल पुरस्कार 2025

चर्चा में क्यों?

मुख्य बिंदु:

  • प्रमुख विजेता:
    • साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025:
      • अंग्रेज़ी: अद्वैत कोत्तारी को उपन्यास "सिद्धार्थ: द बॉय हू बिकेम द बुद्ध" के लिये।
      • हिंदी: पार्वती तिर्की को "फिर उगना" (कविता संग्रह) के लिये।
      • उर्दू: नेहा रुबाब को उपन्यास "मज़हरुल हक़: तहरीक-ए-आज़ादी-ए-हिंद: हिंद का फरामोश करदह क़ायद" के लिये।
    • बाल साहित्य पुरस्कार:
      • अंग्रेज़ी: नितिन कुशलप्पा एमपी को "दक्षिण: साउथ इंडियन मिथ्स एंड फेबल्स रिटोल्ड" के लिये।
      • हिंदी: सुशील शुक्ल को "एक बातै बारा" के लिये।
      • मैथिली: मुन्नी कामत को "चुक्का" (बाल कहानियों का संग्रह) के लिये।
      • उर्दू: गज़नफर इकबाल को "क़ौमी सितारे" (लेख संग्रह) के लिये।

साहित्य अकादमी के बारे में:

  • स्थापना: 
    • 12 मार्च 1954 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के रूप में औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया।
  • उद्देश्य: 
    • भारतीय साहित्य को बढ़ावा देना, उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, विभिन्न भाषाओं के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना तथा सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना।
  • भाषाएँ: 
    • 24 भारतीय भाषाओं में कार्य, जिनमें सभी 22 संवैधानिक भाषाएँ, तथा अंग्रेज़ी और राजस्थानी शामिल हैं।
  • गतिविधियाँ:
    • पुस्तकें, पत्रिकाएँ, शब्दकोश और विश्वकोश प्रकाशित करता है, अब तक 6000 से अधिक पुस्तकें; लगभग हर 19 घंटे में एक नई पुस्तक
    • भारत और विदेशों में प्रति वर्ष लगभग 300 सेमिनार, कार्यशालाएँ तथा साहित्यिक बैठकें आयोजित करता है।
    • अनुवाद केंद्र और अभिलेखागार चलाता है; जनजातीय और मौखिक साहित्य को बढ़ावा देता है।
    • 24 वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार, 24 अनुवाद पुरस्कार, भाषा सम्मान, फेलोशिप तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम प्रदान करता है।

साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार

  • परिचय: इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। यह प्रतिवर्ष उन उत्कृष्ट बाल साहित्य कृतियों को सम्मानित करने हेतु प्रदान किया जाता है, जो 9 से 16 वर्ष की आयु के पाठकों के लिये लिखी गई हों। यह पुरस्कार साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं में दिये जाते हैं।
  • पुरस्कार के घटक: 50,000 रुपए की पुरस्कार राशि, उत्कीर्ण पट्टिका (प्लाक), एक शॉल और प्रशस्ति पत्र।
  • पात्रता मानदंड:
    • कृति मौलिक और रचनात्मक होनी चाहिये तथा पिछले 5 वर्षों के भीतर प्रकाशित हुई हो।
    • किसी भाषा में पुरस्कार पर विचार करने हेतु कम से कम 3 पात्र पुस्तकें होनी चाहिये
      • पौराणिक कथाओं के रूपांतरण स्वीकार्य हैं।
      • मरणोपरांत कृतियाँ पात्र हैं यदि लेखक का निधन उस 5-वर्षीय अवधि के भीतर हुआ हो।
    • अनुवाद, संकलन, संक्षेपण, शोध-प्रबंध तथा साहित्य अकादमी के बोर्ड सदस्यों, फेलो (Fellows) या भाषा सम्मान प्राप्तकर्त्ताओं की कृतियाँ अपात्र मानी जाती हैं।

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

  • परिचय
    • इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में उन युवा भारतीय लेखकों (35 वर्ष या उससे कम आयु) को सम्मानित करने के लिये की गई थी, जिन्होंने 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं में मौलिक साहित्यिक कृतियाँ प्रस्तुत की हों।
    • केवल अकादमी पुरस्कार ही आत्म-नामांकन तथा प्रकाशक नामांकन के लिये खुले होते हैं।
    • इसमें 50,000 रुपए की नकद राशि, एक पट्टिका, शॉल तथा प्रशस्ति पत्र शामिल होते हैं।
  • पात्रता:
    • लेखक भारतीय नागरिक होना चाहिये तथा पुरस्कार वर्ष की 1 जनवरी को आयु 35 वर्ष या उससे कम होनी चाहिये।
    • कृति मौलिक होनी चाहिये, अनुवाद, संक्षिप्तीकरण, शोधप्रबंध या पहले से पुरस्कृत कृति नहीं होनी चाहिये।
    • मरणोपरांत कृतियाँ स्वीकार नहीं की जातीं।
    • भाषा में न्यूनतम तीन पात्र पुस्तकों की उपलब्धता अनिवार्य है।


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