बिहार
बिहार ई-वोटिंग शुरू करने वाला पहला राज्य
- 21 Jun 2025
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चर्चा में क्यों?
बिहार शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ई-वोटिंग प्रणाली शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है ।
- बिहार राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) सी-डैक द्वारा विकसित दो मोबाइल एप्लिकेशन “ई-वोटिंग एसईबीएचआर” और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विकसित एक अन्य ऐप के माध्यम से इस डिजिटल वोटिंग पद्धति को लागू करेगा।
प्रमुख बिंदु
- ई-वोटिंग प्रणाली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली में मतदान केंद्रों पर ई-वोटिंग मशीनों या कियोस्क का उपयोग शामिल हो सकता है, जो तुरंत वोट रिकॉर्ड करते हैं और इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना रसीद प्रदान करते हैं।
- भारत में अपनी तरह का पहला: बिहार नगरपालिका और शहरी निकाय चुनावों के लिए ई-वोटिंग प्रणाली अपनाने वाला देश का पहला राज्य है।
- एस्टोनिया 2005 में ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग करने वाला विश्व का पहला देश था।
- तकनीकी विशेषताएं:
- यह प्रणाली ब्लॉकचेन सुरक्षा और लाइवनेस डिटेक्शन और फेस मैचिंग जैसे बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से छेड़छाड़-रहित मतदान सुनिश्चित करती है।
- बिहार के एसईसी ने मतदाता सत्यापन के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम , मतगणना और परिणामों के लिए ओसीआर, तथा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के स्ट्रांग रूम के लिए डिजिटल लॉक जैसे डिजिटल नवाचार भी शुरू किए हैं।
- महत्व:
- समावेशी मतदान: ई-वोटिंग प्रवासियों, दूरदराज के मतदाताओं, विकलांगों, गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को कहीं से भी मतदान करने में सक्षम बनाती है।
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मतदान में वृद्धि: यह पहल मतदान को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बनाकर मतदाता भागीदारी को बढ़ाएगी।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इतिहास:
- 1977: मुख्य चुनाव आयुक्त एसएल शकधर ने ईवीएम का विचार प्रस्तावित किया।
- 1980-81: इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा ईवीएम का विकास और प्रदर्शन किया गया।
- 1982-83: केरल के परुर निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों पर पहली बार ईवीएम का प्रयोग किया गया, तथा बाद में 8 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 11 विधानसभा क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया गया।
- 1984: सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन की आवश्यकता का हवाला देते हुए ईवीएम के उपयोग पर रोक लगा दी।
- 1988: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत 15 मार्च 1989 से ईवीएम का उपयोग कानूनी रूप से संभव हो गया।
- 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों पर वापसी की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
- 2013: अधिक पारदर्शिता के लिए मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को शामिल करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया गया ।
- वीवीपैट का पहली बार नागालैंड के 51-नोकसेन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में इस्तेमाल किया गया था।