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बिहार में पीएम विश्वकर्मा पर मेगा कॉन्क्लेव
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने पीएम विश्वकर्मा योजना की दूसरी वर्षगाँठ के अवसर पर पीएम विश्वकर्मा और राष्ट्रीय SC-ST हब मेगा कॉन्क्लेव का आयोजन किया।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाना, उद्यमशीलता को बढ़ावा देना तथा योजना की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना था।
- MSME मंत्रालय ने पीएम विश्वकर्मा योजना को सशक्त करने के लिये अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिज़ाइन (NID) और इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद (IRMA) के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु
- पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में:
- पीएम विश्वकर्मा एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Scheme) योजना है, जिसे 17 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य मैनुअल और उपकरण-आधारित कार्यों में लगे पारंपरिक कारीगरों तथा शिल्पकारों को व्यापक सहायता प्रदान करना है।
- नोडल मंत्रालय:
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) इस योजना के लिये नोडल मंत्रालय है।
- पात्रता:
- आवेदक को स्वरोज़गार के आधार पर असंगठित क्षेत्र में 18 परिवार-आधारित पारंपरिक व्यवसायों में से किसी एक में हाथों और औज़ारों के साथ काम करने वाला कारीगर या शिल्पकार होना चाहिये।
- पंजीकरण के समय उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिये तथा पंजीकरण के समय वह व्यापार में सक्रिय रूप से कार्यरत होना चाहिये।
- विगत 5 वर्षों में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), मुद्रा, पीएम स्वनिधि के तहत ऋण नहीं लिया होना चाहिये सिवाय उन लोगों के जिन्होंने पूरी तरह से चुका दिया है।
- प्रति परिवार केवल एक सदस्य (पति, पत्नी और अविवाहित बच्चे) को लाभ मिल सकता है।
- सरकारी कर्मचारी तथा उनके परिवार के सदस्य इसके पात्र नहीं हैं।
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पात्र व्यवसाय:
- 18 पात्र व्यवसायों में बढ़ई, नाव निर्माता, शस्त्र निर्माता, लोहार, हथौड़ा एवं उपकरण निर्माता, ताला निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/नारियल बुनकर, गुड़िया और खिलौने निर्माता, नाई, माला निर्माता, धोबी, दर्जी तथा मछली पकड़ने के जाल निर्माता शामिल हैं।
- MSME मंत्रालय के अनुमोदन से राष्ट्रीय संचालन समिति द्वारा सूची को अद्यतन और संशोधित किया जा सकता है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- मान्यता: लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और ID कार्ड प्राप्त होता है, जिससे उन्हें योजना के सभी लाभों तक पहुँच प्राप्त होती है।
- कौशल उन्नयन:
- मूल प्रशिक्षण (5-7 दिनों में 40 घंटे, 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता): इसमें कौशल उन्नयन, आधुनिक उपकरणों का उपयोग, डिजिटल लेनदेन और विपणन शामिल हैं।
- उन्नत प्रशिक्षण (15 दिन, 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता): उद्यमिता, आधुनिक प्रौद्योगिकी और व्यवसाय विस्तार पर केंद्रित।
- उपकरण प्रोत्साहन: आधुनिक उपकरण खरीद, उत्पादकता में सुधार और उत्पाद की गुणवत्ता के लिये e-RUPI/e-वाउचर के माध्यम से 15,000 रुपये तक प्रदान किये जाते हैं।
- ऋण सहायता: व्यवसाय विकास को बढ़ावा देने के लिये ब्याज अनुदान के साथ 'उद्यम विकास ऋण' के रूप में 1 लाख रुपये (प्रथम किश्त) और 2 लाख रुपये (द्वितीय किश्त) के जमानत-मुक्त ऋण।
- क्रियान्वयन:
- राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC): NSC सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा गठित शीर्ष समिति होगी।.
- NSC को योजना के क्रियान्वयन के संबंध में सभी प्रमुख नीतिगत और रणनीतिक निर्णय लेने तथा योजना में आवश्यक किसी भी संशोधन को स्वीकृति देने का अधिकार होगा, जैसे कि व्यापार की अतिरिक्त श्रेणियों को शामिल करना।
- राज्य निगरानी समिति (SMC): यह राज्य स्तर पर योजना के परिचालन क्रियान्वयन और निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगी तथा NSC एवं क्षेत्र-स्तरीय व्यवस्था के बीच एक सेतु के रूप में भी कार्य करेगी।
- ज़िला क्रियान्वयन समिति (DIC): यह क्षेत्र स्तर पर योजना के वास्तविक क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होगी और राज्य सरकार एवं अन्य समितियों के साथ समन्वय करेगी।