उत्तर प्रदेश Switch to English
डायरेक्ट-सीडेड राइस (DSR) कॉन्क्लेव 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) में आयोजित डायरेक्ट-सीडेड राइस (DSR) कॉन्क्लेव 2025 में, उत्तर प्रदेश की 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के विज़न के अनुरूप वर्ष 2030 तक वैश्विक खाद्य भंडार बनने के लक्ष्य की पुष्टि की।
- मुख्यमंत्री ने कृषि में आधुनिककरण और प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देने के लिये नए कृषि ज्ञान उत्पादों तथा यांत्रिकी नवाचारों का शुभारंभ किया एवं किसानों को मिनी किट वितरित की।
मुख्य बिंदु
- कॉन्क्लेव के बारे में:
- यह नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के नेताओं के लिये एक मंच है, जहाँ वे उत्तर प्रदेश तथा उसके बाहर अनुकूल, समावेशी एवं जलवायु-संवेदनशील कृषि विकास के लिये क्रियान्वयन योग्य मार्ग तलाश करते हैं।
- वैश्विक खाद्य भंडार विज़न :
- मुख्यमंत्री ने कॉन्क्लेव के दौरान उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में सतत, जलवायु-संवेदनशील और प्रौद्योगिकी-संचालित कृषि परिवर्तनों पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्रों (CGIAR) के संघ को सहयोग देने की राज्य की महत्त्वाकांक्षा पर ज़ोर दिया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) और अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) जैसे साझेदार शामिल हैं।
- ये सहयोग उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर खाद्य उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाएंगे।
- कृषि प्रगति और उपलब्धियाँ:
- उत्तर प्रदेश भारत के खाद्य उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है, जो देश के कृषि योग्य क्षेत्र का केवल 11% होने के बावजूद राष्ट्रीय उत्पादन में 21% का योगदान देता है।
- विगत आठ वर्षों में, राज्य सरकार के प्रयासों के कारण कृषि-खाद्य उत्पादन में पाँच गुना वृद्धि हुई है, विशेष रूप से अनाज, दालें, तिलहन और सब्जियों में।
- यह सफलता राज्य द्वारा संचालित पहलों जैसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा तथा किसान सम्मान निधि योजना का परिणाम है, जिससे प्रतिवर्ष 10 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है।
- क्षमता निर्माण:
- राज्य में चार कृषि विश्वविद्यालय हैं तथा एक अन्य विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना है। ये विश्वविद्यालय अनुसंधान, प्रशिक्षण और ज्ञान-साझाकरण प्रयासों के केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं एवं कृषि परिवर्तन को गति दे रहे हैं।
- पारंपरिक कृषि ज्ञान:
- मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तर प्रदेश की समृद्ध कृषि परंपराएँ, जैसे प्रतिष्ठित काला नमक चावल, जो एक ज़िला एक उत्पाद पहल का हिस्सा है, ऐतिहासिक महत्त्व रखती हैं। क्योंकि इसे भगवान बुद्ध द्वारा महाप्रसाद के रूप में अर्पित किया गया था।