मुख्य परीक्षा
भारत में कृषि विकास से संबंधित पहलें
- 12 Jul 2025
- 9 min read
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
16वें एग्रीकल्चर लीडरशिप कॉन्क्लेव में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत में कृषि विकास को गति देने वाली प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें मृदा स्वास्थ्य, कृषि ऋण की पहुँच, डिजिटल नवाचार और वैश्विक व्यापार पर विशेष ज़ोर दिया गया।
भारत में कृषि विकास को प्रोत्साहित करने वाली प्रमुख पहलें क्या हैं?
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि: कई फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें दलहन और तिलहन की फसलों का MSP 98% तक बढ़ा है। इससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है, क्योंकि उनकी उपज के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया गया है।
- यह नीति किसानों को उनकी उपज के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करती है, जिससे बाज़ार की अस्थिरता से होने वाले जोखिम कम होते हैं और वित्तीय सुरक्षा मिलती है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड: अब तक 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं। ये कार्ड किसानों को उनकी भूमि की पोषण स्थिति की जानकारी देते हैं, जिससे वे उपयुक्त उर्वरक का सही मात्रा में उपयोग कर सकते हैं। इससे पैदावार बढ़ती है और हानिकारक रसायनों पर निर्भरता कम होती है।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): KCC किसानों को आसान और त्वरित ऋण सुविधा प्रदान करता है जिससे वे समय पर बीज, खाद, सिंचाई आदि के लिये पूंजी जुटा पाते हैं।
- वर्ष 2024 तक, 7.75 करोड़ सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते हैं जिन पर 9.81 लाख करोड़ रुपए का बकाया ऋण है। इसके अतिरिक्त, मत्स्य पालन के लिये 1.24 लाख और पशुपालन गतिविधियों के लिए 44.4 लाख KCC कार्ड जारी किये गए हैं।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि: यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका 100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा किया जाता है। इस योजना के तहत सभी भूमिधारक किसान परिवारों को तीन समान किश्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपए की आय सहायता प्रदान की जाएगी।
- यह धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी।
- वर्ष 2024 तक, लगभग 11.8 करोड़ किसानों को इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त हो चुकी है, जिससे यह विश्व की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजनाओं में से एक बन गई है।
- e-NAM एकीकरण: पारदर्शिता और मूल्य प्राप्ति में सुधार के लिये 1,400 मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) से जोड़ा गया है।
- उर्वरक सब्सिडी: भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये उर्वरक सब्सिडी के लिये 1.67 लाख करोड़ रुपए से अधिक का बजट निर्धारित किया है, जो भारत के कृषि बजट का लगभग 70% है। उर्वरक सब्सिडी भारत के कुल सब्सिडी व्यय का लगभग 40% है।
- मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए): ऑस्ट्रेलिया, यूएई, ईएफटीए राष्ट्रों और यूके के साथ भारत के एफटीए ने भारतीय कृषि उत्पादों के लिए नए अंतर्राष्ट्रीय बाजार खोल दिए हैं।
- डिजिटल एग्रीकल्चर (डिजिटल कृषि): कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), भू-स्थानिक तकनीक, मौसम पूर्वानुमान और वर्टिकल फार्मिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
- डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, जिसे वर्ष 2024 में स्वीकृति मिली, का उद्देश्य एक किसान-केंद्रित डिजिटल इकोसिस्टम का निर्माण करना है। इसमें एग्रीस्टैक (AgriStack) जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं, जो किसानों का डेटा, भूमि और फसल से जुड़ी जानकारी को डिजिटाइज़ करता है, ताकि उन्हें क्रेडिट, बीमा जैसी सेवाओं तक आसानी से पहुंच मिल सके।
- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को समर्थन: "10,000 FPOs के गठन और संवर्द्धन" योजना, जिसे वर्ष 2020 में शुरू किया गया था, का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट कर बेहतर बाज़ार पहुँच, इनपुट लागत में कमी तथा आय में वृद्धि सुनिश्चित करना है।
- फरवरी, 2025 तक लगभग 30 लाख किसान (40% महिलाएँ) FPO में शामिल हो चुके हैं।
- FPO को कृषि, खाद्य प्रसंस्करण सहित कई मंत्रालयों से समर्थन प्राप्त है। एक समर्पित क्रेडिट गारंटी फंड के माध्यम से उन्हें ऋण सुविधा में सुधार मिलता है, जिससे FPO की क्षमता बढ़ती है तथा ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है।
- कृषि-निर्यात और मूल्य संवर्द्धन: भारत के कृषि और मत्स्य निर्यात 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं और इसे 20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने की क्षमता है।
- बुनियादी ढाँचा और सिंचाई: वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन, ड्रिप सिंचाई और जैविक/प्राकृतिक खेती जैसी संरचनाओं में निवेश को बढ़ाया जा रहा है।
- एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) योजना का विस्तार किया गया है ताकि सामुदायिक खेती परिसंपत्तियों, एकीकृत प्रसंस्करण परियोजनाओं और पीएम-कुसुम (PM-KUSUM) के साथ समन्वय के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सके।
- वर्ष 2015 से 2025 के बीच, 96.97 लाख हेक्टेयर भूमि को 'प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)' योजना के तहत माइक्रो सिंचाई से जोड़ा गया है, जिसमें 46.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ड्रिप सिंचाई और 50.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र स्प्रिंकलर सिंचाई के अंतर्गत आता है।
भारत का कृषि विकास:
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2017 से 2023 के बीच प्रतिवर्ष 5% की दर से वृद्धि दर्ज की, जिसमें सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 24.38% से बढ़कर 2022-23 में 30.23% हो गई।
- वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत का एग्रो-फूड निर्यात 46.44 अरब अमेरिकी डॉलर (कुल निर्यात का 11.7%) तक पहुँच गया। प्रोसेस्ड फूड (प्रसंस्कृत खाद्य) का हिस्सा वित्त वर्ष 2018 में 14.9% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 23.4% हो गया है, जो मूल्य संवर्द्धन में वृद्धि को दर्शाता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: कृषि विकास और किसानों की आय बढ़ाने के प्रति भारत के एकीकृत दृष्टिकोण का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:Q. भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016) Q. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि क्षेत्र में हुई विभिन्न प्रकार की क्रांतियों की व्याख्या कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार मदद की है? (2017) |