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उत्तराखंड के स्कूलों में गीता श्लोकों का पाठ
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान भगवद्गीता का एक श्लोक अनिवार्य रूप से पढ़े जाने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य आधुनिक शिक्षा के साथ पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को समाहित कर विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण से संबंधित गुणों का विकास करना है।
मुख्य बिंदु
- माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी निर्देश में शिक्षकों को पाठ के लिये "सप्ताह का एक श्लोक" चुनने का निर्देश दिया गया है।
- मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित भगवद् गीता की शिक्षाओं को मानवीय मूल्यों, नेतृत्व, भावनात्मक संतुलन तथा वैज्ञानिक सोच में उनके योगदान को धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से समझाया जाएगा।
- यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो शिक्षा पाठ्यक्रम में भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को शामिल करने को प्रोत्साहित करती है।
भगवद् गीता
- भगवद् गीता, ऋषि वेदव्यास द्वारा रचित 700 श्लोकों वाला दार्शनिक संवाद है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में अंतर्निहित है।
- इसमें अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के मध्य हुआ संवाद है, जिसमें धर्म (कर्त्तव्य), कर्म (कार्य), भक्ति तथा ज्ञान के विषयों पर शिक्षाएँ दी गई हैं।
- गीता में वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक दर्शन सहित विभिन्न भारतीय दार्शनिक विचारधाराओं का समन्वय किया गया है तथा यह कर्मयोग का आधार भी प्रदान करती है।