राजस्थान Switch to English
राज्य पर्यटन मंत्रियों की बैठक
चर्चा में क्यों?
पर्यटन मंत्रालय ने 14-15 अक्तूबर, 2025 को उदयपुर में दो दिवसीय राज्य पर्यटन मंत्रियों की बैठक सफलतापूर्वक संपन्न की।
मुख्य बिंदु
- परिचय: इस कार्यक्रम में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी एकत्रित हुए, ताकि भारत के पर्यटन परिदृश्य को सामूहिक रूप से पुनः आकार दिया जा सके।
- महत्त्व: यह बैठक प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण “एक राज्य: एक वैश्विक गंतव्य” को आगे बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण कदम थी। यह पहल केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में कम-से-कम एक वैश्विक मानक का पर्यटन स्थल विकसित करना है, जो विकसित भारत रोडमैप का हिस्सा है।
- चयन मानदंड: इसमें पहुँच, मौजूदा बुनियादी ढाँचा, धारण क्षमता और समग्र विकास क्षमता शामिल हैं।
- महत्त्व: यह बैठक प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण “एक राज्य: एक वैश्विक गंतव्य” को आगे बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण कदम थी। यह पहल केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में कम-से-कम एक वैश्विक मानक का पर्यटन स्थल विकसित करना है, जो विकसित भारत रोडमैप का हिस्सा है।
- हितधारक परामर्श: दो दिवसीय बैठक में मुख्य रूप से दो रणनीतियों पर चर्चा हुई: गंतव्य विकास (Destination Development) और गंतव्य प्रबंधन (Destination Management)।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय पर्यटन परिवर्तन एजेंडा के अनुरूप प्रतिष्ठित गंतव्यों के विकास के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत किये:
- 50 गंतव्य विकास: निजी क्षेत्र द्वारा संचालित पर्यटन हबों पर ध्यान केंद्रित।
- प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (PLI): गंतव्य प्रबंधन में उच्च मानकों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करने के लिये PLI आधारित डेस्टिनेशन मैच्युरिटी मॉडल की शुरुआत।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय पर्यटन परिवर्तन एजेंडा के अनुरूप प्रतिष्ठित गंतव्यों के विकास के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत किये:
- क्षेत्रीय प्रस्तुतियाँ: प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ने एक संभावित गंतव्य को वैश्विक पर्यटन हब के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिये, राजस्थान ने जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर और भरतपुर जैसे गंतव्यों का प्रस्ताव दिया, जिसमें कनेक्टिविटी, बुनियादी ढाँचे की तैयारियों तथा अनुमानित परिणामों पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।
- एकीकृत पर्यटन प्रचार योजना के प्रारूप मार्गदर्शक: बैठक में एकीकृत पर्यटन प्रचार योजना के प्रारूप मार्गदर्शक पर भी विशेष चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य भारत को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में एक समग्र पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
- केंद्र सरकार "डिजिटल और ग्रीन (DG) टूरिज़्म पॉलिसी" भी तैयार कर रही है, जिसमें सभी राज्यों से सुझाव लेकर सतत् तथा नवाचारपूर्ण पर्यटन विकास के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय ढाँचा तैयार किया जाएगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में पहली बार कोदो-कुटकी का उपार्जन
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने पहली बार प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक ज़िलों के किसानों से कोदो और कुटकी (मोटे अनाज) की खरीदी करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: कोदो और कुटकी का उपार्जन 'रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना' के तहत किया जाएगा।
- उपार्जन ज़िले: प्रमुख उत्पादन वाले ज़िले जैसे- जबलपुर, कटनी, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया, रीवा, सीधी तथा सिंगरौली को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि अन्य ज़िलों को उनकी आवश्यकता के अनुसार शामिल किया जाएगा।
- एजेंसी: उपार्जन की प्रक्रिया श्री-अन्न कंसोर्टियम ऑफ फार्मर-प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (Shri Ann Federation) द्वारा संचालित की जाएगी।
- फेडरेशन लगभग 30,000 मीट्रिक टन मोटे अनाज खरीदेगा, जिसमें कुटकी की प्रति क्विंटल कीमत ₹3,500 और कोदो की प्रति क्विंटल कीमत ₹2,500 तय की गई है।
- वित्तीय सहायता: श्री-अन्न फेडरेशन को राज्य के मूल्य स्थिरीकरण कोष से ₹80 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा।
- किसान प्रोत्साहन: किसानों के बैंक खातों में प्रति क्विंटल ₹1,000 की प्रोत्साहन राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
- कोदो और कुटकी:
- कोदो और कुटकी मिलेट्स के प्रकार हैं, जिनके वनस्पतिक नाम क्रमशः Paspalum scrobiculatum और Panicum sumatrense हैं।
- दोनों अनाजों को चावल की तरह ही खाया जा सकता है।
- कोदो में 100 ग्राम में 8.3 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि कुटकी में 100 ग्राम में 7.7 ग्राम प्रोटीन होता है।
रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना
- उद्देश्य: रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य मोटे अनाज (श्री-अन्न) उत्पादक किसानों का समर्थन करना है, उनके उत्पादों के लिये न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करना और इस प्रकार अधिक किसानों को मोटे अनाज की खेती में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- यह योजना अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने और मोटे अनाज, विशेष रूप से कोदो तथा कुटकी, के मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग को मज़बूत बनाने का भी उद्देश्य रखती है, ताकि इन उत्पादों के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान स्थापित की जा सके।
- उपार्जन और समर्थन: राज्य सरकार और फेडरेशन किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोदो तथा कुटकी का उपार्जन करते हैं, साथ ही डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से प्रति क्विंटल अतिरिक्त ₹1,000 प्रदान किया जाता है।
- क्षमता निर्माण और विपणन: यह योजना मोटे अनाज किसानों की क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है, कोदो और कुटकी के लिये विशेष पैकेजिंग तथा ब्रांडिंग गतिविधियों को बढ़ावा देती है एवं उनके उत्पादों के लिये न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करने हेतु बेहतर विपणन प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य रखती है।
- फेडरेशन का गठन: मोटे अनाज की खेती, प्रसंस्करण और विपणन में शामिल फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन (FPO) तथा समूहों को राज्य स्तरीय फेडरेशन के रूप में संगठित किया जाता है।
- यह फेडरेशन मोटे अनाज के लिये वैल्यू चेन विकसित करने में सहायक है और कोदो व कुटकी की खेती में संलग्न किसानों की आय बढ़ाने में योगदान देता है।
- शासन और निगरानी: यह योजना वर्ष 2013 के कंपनियों अधिनियम के तहत संचालित होती है, जिसमें फेडरेशन को कंपनी के रूप में गठित किया गया
- एक सशक्त निगरानी तंत्र कृषि विकास और किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत स्थापित किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी यथोचित क्रियान्वयन, नियमित मूल्यांकन सुनिश्चित करेंगे तथा हितधारकों से संबंधी समस्याओं का समाधान करेंगे।
हरियाणा Switch to English
NSG का 41वाँ स्थापना दिवस समारोह
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुग्राम के मानेसर स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के 41वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया।
- इस अवसर पर NSG परिसर में विशेष अभियान प्रशिक्षण केंद्र (Special Operations Training Centre - S.O.T.C.) की आधारशिला भी रखी गई।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की स्थापना वर्ष 1984 में एक संघीय आकस्मिक बल (Federal Contingency Force) के रूप में आतंकवाद से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।
- इसका मिशन विशेष बल को प्रशिक्षित, सुसज्जित और तत्पर रखना है जो आतंकवादी गतिविधियों का त्वरित और प्रभावी ढंग से सामना कर सके, इसके आदर्श वाक्य “सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा” के अनुरूप।
- संरचना:
- यह यूनाइटेड किंगडम की स्पेशल एयर सर्विस (SAS) और जर्मनी की GSG-9 के मॉडल पर आधारित है, जिसमें दो पूरक इकाइयाँ हैं- स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG), जिसमें सेना के कर्मी शामिल हैं तथा स्पेशल रेंजर ग्रुप्स (SRG), जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों एवं राज्य पुलिस बलों के कर्मी शामिल हैं।
- NSG की भूमिका: गृह मंत्री ने आतंकवाद के विरुद्ध चार दशकों से चली आ रही NSG की लड़ाई की सराहना की, इसके मूल सिद्धांतों "सर्वत्र, सर्वोत्कृष्ट, सुरक्षा" तथा "समर्पण, साहस और राष्ट्रभक्ति" जैसे गुणों पर प्रकाश डाला।
- NSG की विरासत: वर्ष 1984 में स्थापना के बाद से NSG ने कई महत्त्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया है, जैसे- ऑपरेशन अश्वमेध, ऑपरेशन वज्र शक्ति और अक्षरधाम तथा मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान निभाई गई इसकी अहम भूमिका।
- गृह मंत्री ने घोषणा की कि सरकार NSG के लिये महत्त्वपूर्ण परिचालन सुधारों की योजना बना रही है, जिसके तहत मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद और जम्मू में छह NSG हब स्थापित किये जाएंगे, साथ ही अयोध्या में एक नया हब भी बनाया जाएगा, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को और सशक्त किया जा सके।
- स्पेशल ऑपरेशंस ट्रेनिंग सेंटर (S.O.T.C.): उन्होंने S.O.T.C. की आधारशिला रखे जाने की घोषणा की, जिसे ₹141 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। यह केंद्र NSG कमांडो और देशभर की पुलिस बलों की आतंकवाद-रोधी इकाइयों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण प्रदान करेगा, जिससे उन्हें आतंकवाद से निपटने के लिये उन्नत तकनीकी कौशल प्राप्त होंगे।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
समुद्र शक्ति का पाँचवाँ संस्करण
चर्चा में क्यों?
भारतीय नौसेना 14 से 17 अक्तूबर तक आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में इंडोनेशियाई नौसेना के साथ द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ के पाँचवें संस्करण की मेज़बानी कर रही है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य समुद्र और तट दोनों पर पेशेवर तथा परिचालनिक गतिविधियों की एक शृंखला के माध्यम से दोनों देशों के बीच अंतरसंचालन क्षमता (interoperability) को बढ़ाना तथा समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करना है।
- भाग लेने वाली इकाइयाँ:
- INS कवरत्ती: भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े की एक पनडुब्बी-रोधी युद्धक (Anti-Submarine Warfare) कॉर्वेट।
- KRI जॉन ली: इंडोनेशियाई नौसेना की एक कॉर्वेट, जो एक एकीकृत हेलीकॉप्टर से सुसज्जित है।
- हार्बर फेज़: हार्बर चरण में गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे- क्रॉस-डेक दौरे, संयुक्त योग सत्र, मैत्रीपूर्ण खेल आयोजन और सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट एक्सचेंज (SMEE) कार्यक्रम के तहत पेशेवर आदान-प्रदान, जो दोनों देशों के नौसैनिक कर्मियों के बीच पेशेवर संवाद तथा सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की जाती हैं।
- सी चरण: सी चरण में जटिल और उच्च-गतिशीलता वाले समुद्री अभियान होंगे, जिनका उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच टैक्टिकल समन्वय (tactical coordination) में सुधार करना है। इन अभियानों में हेलीकॉप्टर युद्धाभ्यास, हवाई रक्षा अभ्यास (Air Defence Exercises), हथियार फायरिंग ड्रिल्स और विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सिज़र (VBSS) ऑपरेशन्स शामिल होंगे।
- महत्त्व: यह अभ्यास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखने के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच अन्य सैन्य अभ्यास: गरुड़ शक्ति, IND-INDO CORPAT