मध्य प्रदेश Switch to English
एक जिला एक उत्पाद योजना
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को उसके अनूठे उत्पादों और 'एक ज़िला-एक उत्पाद' (ODOP) पहल के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में वर्ष 2024 ODOP पुरस्कारों में रजत पदक से सम्मानित किया।
- यह उपलब्धि 'स्थानीय हाथों से वैश्विक प्लेटफार्मों' के दृष्टिकोण को साकार करने के लिये राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्यों के साथ संरेखित है।
मुख्य बिंदु
मध्य प्रदेश के ODOP उत्पादों के बारे में:
- व्यापक उत्पाद कवरेज: मध्य प्रदेश में ODOP योजना के अंतर्गत भौगोलिक, जैविक, प्राकृतिक अथवा उत्पादन-विशिष्ट विशिष्टता के आधार पर चयनित उत्पादों को शामिल किया गया है।
- यह योजना सभी ज़िलों में क्रियान्वित की जा रही है, जिसमें हरी सब्ज़ियाँ, बाजरा, हस्तशिल्प, हथकरघा तथा स्थानीय औज़ारों जैसे विभिन्न उत्पादों को समर्थन प्रदान किया जा रहा है तथा स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- मध्य प्रदेश अपने ODOP उत्पादों का वैश्विक स्तर पर विस्तार कर रहा है। राज्य ने एक ज़मीनी स्तर का निर्यातक आधार विकसित किया है और कई स्थानीय उत्पाद अब अंतर्राष्टीय बाज़ारों तक पहुँच बना रहे हैं। प्रमुख उदाहरणों में शामिल हैं:
- बुरहानपुर के केले
- रायसेन का बासमती चावल
- बालाघाट का चिनौर चावल
- ODOP पहल एक जन-संचालित आंदोलन के रूप में विकसित हुई है, जो कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, FPO, स्टार्टअप और स्थानीय उद्यमियों को सक्रिय रूप से शामिल करती है।
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग मान्यता:
- मध्य प्रदेश के उन्नीस उत्पादों को GI टैग प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से सात को ODOP योजना में शामिल किया गया है। प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं:
- चंदेरी साड़ी, बाग प्रिंट, माहेश्वरी साड़ी
- कड़कनाथ चिकन, रतलामी सेव, मुरैना गजक
- गोंड चित्रकला, गढ़ा लोहा शिल्प, बेल धातु बर्तन और अन्य।
- मध्य प्रदेश के उन्नीस उत्पादों को GI टैग प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से सात को ODOP योजना में शामिल किया गया है। प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं:
एक जिला एक उत्पाद योजना के बारे में
- ODOP पहल का उद्देश्य भारत के प्रत्येक ज़िले से अद्वितीय उत्पादों की पहचान और पोषण करके संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है।
- इस पहल का उद्देश्य समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा स्थानीय समुदायों के लिये अवसर उत्पन्न करने हेतु प्रत्येक ज़िले से कम-से-कम एक विशिष्ट उत्पाद का चयन, ब्रांडिंग और प्रचार करना है।
- अब तक ODOP पहल के अंतर्गत 761 ज़िलों से 1,102 उत्पादों की पहचान की गई है, जो देश में शिल्प, उत्पादन और उद्योगों की समृद्ध विविधता को उजागर करते हैं।
- राज्य सरकार उद्यमियों को इन उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्टीय बाज़ारों में पहचान दिलाने हेतु वित्तीय सहायता, समूह विपणन सुविधाएँ तथा अन्य संसाधन प्रदान करती है।
भौगोलिक संकेत (GI) टैग
- परिचय:
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है, जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- विधिक ढाँचा:
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।
उत्तराखंड Switch to English
एमडीएमए ड्रग्स
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा के पास एक महिला को 10.23 करोड़ रुपए मूल्य के 5.688 किलोग्राम मिथाइलीनडाइऑक्सी-मिथाइलैम्फेटामाइन (MDMA) के साथ गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत मामला दर्ज किया।
नोट: भारत की राष्ट्रीय स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ नीति, संविधान के अनुच्छेद 47 द्वारा निर्देशित है, जो राज्य से औषधीय उपयोग को छोड़कर, स्वास्थ्य के लिये हानिकारक मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देता है।
- देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने और मादक पदार्थ कानूनों को लागू करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
मुख्य बिंदु
- MDMA के बारे में:
- MDMA (3,4-मिथाइलीनडाइऑक्सी-मिथाइलैम्फेटामाइन), एमफैटेमिन का एक कृत्रिम व्युत्पन्न है, जिसे व्यापक रूप से मनोरंजक दवा के रूप में जाना जाता है। 1980 के दशक से यह एक्स्टसी, ई, मौली, XTC, X, बीन्स और एडम्स जैसे नामों से लोकप्रिय रहा है।
- MDMA, मनोःसक्रिय पदार्थों के एक वर्ग से संबंधित है, जिसे एंटाक्टोजेन्स (ग्रीक में, जिसका अर्थ है "अंदर तक छूना") कहा जाता है।
- एक एंटाक्टोजेन्स के रूप में यह उत्साह उत्पन्न करता है, भावनात्मक निकटता बढ़ाता है, सहानुभूति और संचार को प्रोत्साहित करता है तथा दमित स्मृतियों को पुनः प्राप्त करने में सहायता करता है।
- यह हृदय, तंत्रिका, वृक्क और यकृत प्रणालियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
- इसके संभावित रूप से जानलेवा प्रभावों की तत्काल पहचान और नैदानिक एवं आपातकालीन स्थितियों में हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
- स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985:
- यह अधिनियम मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों से संबंधित विनिर्माण, परिवहन और उपभोग जैसे कुछ कार्यों को नियंत्रित करता है।
- अधिनियम के तहत, कुछ अवैध गतिविधियों जैसे भाँग की खेती, मादक दवाओं का निर्माण या उनमें संलिप्त व्यक्तियों को शरण देना एक अपराध है।
- इस अपराध के लिये दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को कम-से-कम 10 वर्ष के कठोर कारावास, जिसे 20 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा कम-से-कम 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- इसमें मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार से प्राप्त या उसमें प्रयुक्त संपत्ति को ज़ब्त करने का भी प्रावधान है।
- कुछ मामलों में जहाँ अपराध दुहराया गया हो, वहाँ मृत्युदंड का भी प्रावधान है।
- इस अधिनियम के तहत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया गया।
- भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
- प्रोजेक्ट सनराइज़:
- इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में, विशेष रूप से इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में, बढ़ते HIV प्रसार से निपटने के लिये शुरू किया गया था।
- नशा मुक्त भारत:
- सरकार द्वारा ‘नशा मुक्त भारत’ अभियान शुरू किया गया है, जो समुदाय आधारित जन जागरूकता कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
- निदान और NCORD पोर्टल:
- ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स हैं, जो नशा अपराधियों का विस्तृत डाटा-बेस रखते हैं तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नशा संबंधित अपराधों और प्रवृत्तियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली(SIMS):
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को SIMS सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु वित्तीय सहायता दी गई है, जो नशा अपराधों और अपराधियों का एक पूर्ण ऑनलाइन डाटा-बेस तैयार करेगा।
- राष्ट्रीय नशा-सेवन सर्वेक्षण:
- सरकार एम्स के राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र की सहायता से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को मापने के लिये राष्ट्रीय नशा-सेवन सर्वेक्षण भी आयोजित कर रही है।
- प्रोजेक्ट सनराइज़:
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB):
- भारत सरकार ने स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS Act) के अंतर्गत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की स्थापना की।
- NCB, भारत में मादक पदार्थ कानून प्रवर्तन के लिये सर्वोच्च समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करता है और गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
बिहार Switch to English
बिहार आइडिया फेस्टिवल
चर्चा में क्यों?
बिहार सरकार ने ज़मीनी स्तर पर नवाचार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु ‘बिहार आइडिया फेस्टिवल’ पोर्टल का शुभारंभ किया है।
- यह पहल छात्रों, युवाओं, उद्यमियों और स्टार्टअप टीमों, यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी, को अपने विचार सीधे सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित करती है।
मुख्य बिंदु
- बिहार आइडिया फेस्टिवल के बारे में:
- इस पहल का उद्देश्य पूरे राज्य से नवीन विचारों और व्यावहारिक समाधानों को एकत्र कर उन्हें समर्थन और संवर्द्धन हेतु एक मज़बूत मंच प्रदान करना है।
- यह मोबाइल अनुकूल पोर्टल विशेष रूप से दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों के उपयोगकर्त्ताओं को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, जिससे वे इसे आसानी से उपयोग कर सकें।
- सरकार की योजना है कि राज्य के सभी 38 ज़िलों से कम-से-कम 10,000 विचार एकत्र किये जाएँ, ताकि समावेशी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
- विशेषज्ञों की एक टीम इन विचारों का मूल्यांकन करेगी और नवाचार व व्यवहार्यता के आधार पर प्रारंभ में कम-से-कम 100 विचारों का चयन किया जाएगा।
- चयनित प्रतिभागी, तकनीकी एवं वित्तीय सहायता के पात्र होंगे, जिसमें बिहार स्टार्टअप नीति के तहत 10 लाख रुपए तक की सीड फंडिंग भी सम्मिलित है।
- आइडिया फेस्टिवल के विजेताओं को सीड फंडिंग पिच राउंड में वाइल्ड कार्ड एंट्री दी जाएगी।
- इस पहल का एक प्रमुख उद्देश्य महिला उद्यमियों का सशक्तीकरण भी है, जिससे वे ‘स्टार्टअप दीदी’ के रूप में उभर सकें, जैसा कि जीविका पहल के माध्यम से अनेक महिलाएँ प्रेरित हुई हैं
- जीविका (JEEViKA) पहल:
- जीविका, बिहार की एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण गरीबों का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण करना है। इसकी शुरुआत वर्ष 2006 में की गई थी।
- इस परियोजना का प्रबंधन बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (BRLPS) द्वारा किया जाता है, जो बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत कार्यरत एक स्वायत्त निकाय है।
- प्रारंभिक चरण में यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा समर्थित थी। इसके पश्चात इसमें बिहार कोसी बाढ़ पुनर्प्राप्ति परियोजना (BKFRP) के आजीविका पुनर्स्थापन घटक को भी जोड़ते हुए इसका विस्तार किया गया।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत गरीबी उन्मूलन हेतु रणनीतियों के कार्यान्वयन के लिये BRLPS को बिहार का राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) नामित किया गया है।
बिहार स्टार्टअप नीति
- राज्य सरकार ने वित्त पोषण, प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन के माध्यम से एक पारदर्शी एवं स्वतंत्र स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने हेतु वर्ष 2016 में बिहार स्टार्टअप नीति की शुरुआत की।
- बाद में इसे बिहार स्टार्टअप नीति 2017 के रूप में संशोधित किया गया।
- राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपए की प्रारंभिक निधि के साथ एक समर्पित स्टार्टअप ट्रस्ट की स्थापना की, जो इस नीति के क्रियान्वयन हेतु नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- बिहार स्टार्टअप नीति 2022:
- पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक समावेशी तथा युवा-केंद्रित बनाने के उद्देश्य से सरकार ने बिहार स्टार्टअप नीति 2022 को मंज़ूरी दी।
- इसका उद्देश्य अपनी पहुँच का विस्तार करना, तेज़ी से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना तथा स्थानीय प्रतिभा की क्षमता का उपयोग करते हुए बिहार को एक पसंदीदा स्टार्टअप गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
- मुख्य उद्देश्य:
- स्टार्टअप के लिये अनुकूल वातावरण का निर्माण करके समावेशी विकास को बढ़ावा देना।
- राज्य में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय युवा क्षमता का लाभ उठाना।
- सरकार की योजना है:
- नए इनक्यूबेटरों का विकास करना और मौजूदा इनक्यूबेटरों का विस्तार करना।
- पूरे राज्य में स्टार्टअप को समर्थन देने के लिये बुनियादी ढाँचा तथा सह-कार्यशील स्थानों की स्थापना करना।
- उद्यमिता विकास केंद्र (EDC) और उद्यमिता सुविधा केंद्र (EFC)।
स्कूलों, विश्वविद्यालयों, MOOCs और इंटर्नशिप के माध्यम से उद्यमिता शिक्षा का एकीकरण।- उद्यमशीलता की मानसिकता को पोषित करने के लिये नीति निम्नलिखित को बढ़ावा देती है:
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक इमारतों का हेरिटेज होटलों के रूप में विकास
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्राचीन किलों सहित 11 ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार करेगा तथा उन्हें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से हेरिटेज होटल, सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय में परिवर्तित करेगा।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- इस परियोजना का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है तथा राज्य में हज़ारों लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना है।
- इस पहल के तहत, निजी कंपनियाँ चिह्नित विरासत स्थलों का डिज़ाइन, विकास और जीर्णोद्धार करेंगी तथा उन्हें आगे उपयोग के लिये सरकार को सौंप देंगी।
- यह विरासत पुनरुद्धार कार्यक्रम सांस्कृतिक संरक्षण को आधुनिक विकास लक्ष्यों के साथ मिश्रित करने की एक बड़ी राज्य रणनीति का हिस्सा है, जो विरासत संरक्षण और स्थानीय विकास दोनों को सुनिश्चित करता है।
- इस पहल का उद्देश्य विरासत आधारित पर्यटन के माध्यम से बुंदेलखंड क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना तथा सांस्कृतिक पहचान पर आधारित सतत् विकास को प्रोत्साहित करना है।
- नवीकरण के लिये चिह्नित प्रमुख स्थल:
- तालबेहट किला – ललितपुर
- रनगढ़ और भूरागढ़ किला – बाँदा
- वज़ीरगंज बारादरी – गोंडा
- आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-इरम और दर्शन विलास – लखनऊ
- टिकैत राय बारादरी – कानपुर
- मस्तानी महल और सेनापति महल – महोबा
- टहरौली किला – झाँसी
- सीताराम महल/कोटवन किला – मथुरा
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022
- उद्देश्य:
- पर्यटन नीति के प्राथमिक उद्देश्य सतत् विकास सुनिश्चित करना, पर्यटकों की संतुष्टि बढ़ाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना तथा सामुदायिक समावेशिता और भागीदारी को बढ़ावा देना है।
- आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन:
- यह नीति उदार सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिनमें शामिल हैं:
- पूंजी निवेश सब्सिडी 10-25% तक (निवेश आकार के आधार पर 2-40 करोड़ रुपए तक सीमित)।
- 5 वर्षों तक 5 करोड़ रुपए तक के बैंक ऋण पर 5% ब्याज सब्सिडी।
- स्टांप ड्यूटी, भूमि रूपांतरण शुल्क तथा रोज़गार से जुड़े EPF प्रतिपूर्ति पर 100% छूट।
- अतिरिक्त प्रोत्साहनों का लक्ष्य टियर 2+ स्थान, महिला उद्यमी, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़े वर्ग तथा पर्यटन स्थलों पर केंद्रित है।
- यह नीति उदार सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिनमें शामिल हैं:
- पारिस्थितिकी, विरासत और विशिष्ट पर्यटन पर ध्यान: नीति निम्नलिखित के विकास को बढ़ावा देती है:
- वन्यजीव अभयारण्य, कैंपिंग स्थल, ट्रैकिंग तथा प्रकृति भ्रमण जैसे पारिस्थितिकी पर्यटन सर्किट।
- PPP मॉडल के माध्यम से हेरिटेज, MICE (मीटिंग, इन्सेन्टिव, कॉन्फ्रेंस, एग्ज़ीबिशन), वेलनेस तथा मनोरंजन पार्क।
- थीम आधारित सर्किटों के साथ एकीकरण – रामायण, कृष्ण, बौद्ध, महाभारत तथा शक्ति पीठ।
- उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में 65 करोड़ पर्यटक आए, जो अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे प्रमुख धार्मिक और विरासत स्थलों तथा विभिन्न प्राचीन मंदिरों एवं तीर्थस्थलों के विकास से प्रेरित थे।
- निवेश सुविधा एवं वैश्विक प्रोत्साहन:
- उत्तर प्रदेश का लक्ष्य प्रतिवर्ष 5,000 करोड़ रुपए आकर्षित करना है, जिसके लिये निम्नलिखित उपाय किये गए हैं:
- बाज़ार अनुसधान, अनुमोदन और निवेश सहायता हेतु पर्यटन निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ की स्थापना।
- रोड शो, अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कार्यक्रमों में भागीदारी तथा सहयोगात्मक ब्रांडिंग एवं उत्तर प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में प्रयास।
- उत्तर प्रदेश का लक्ष्य प्रतिवर्ष 5,000 करोड़ रुपए आकर्षित करना है, जिसके लिये निम्नलिखित उपाय किये गए हैं:
हरियाणा Switch to English
स्वामी कल्याणदेव महाराज की 21वीं पुण्यतिथि
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्वामी कल्याणदेव महाराज जी की 21वीं पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के शुकदेव आश्रम में स्थित उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- स्वामी कल्याणदेव महाराज को श्रद्धांजलि:
- मुख्यमंत्री ने स्वामी कल्याणदेव जी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया और इसे भावी पीढ़ियों के लिये शाश्वत प्रेरणा का स्रोत बताया।
- मुख्यमंत्री ने शुकदेव तीर्थ पर एक ओडिया पुस्तक का भी विमोचन किया।
- उन्होंने शुकदेव तीर्थ में हरियाणा भवन के निर्माण के लिये 11 लाख रुपए देने की भी घोषणा की।
- उन्होंने संत के त्याग, सेवा और सुधार के जीवन पर प्रकाश डाला, जो विनम्रता तथा आध्यात्मिक खोज पर आधारित था।
- उन्होंने कहा कि हज़ारों वर्ष पूर्व महर्षि शुकदेव ने इसी स्थान पर भागवत कथा के माध्यम से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति कराई थी।
- स्वामी कल्याणदेव जी के बारे में:
- स्वामी कल्याणदेव जी महाराज का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने 129 वर्ष तक का जीवन व्यतीत किया और अपने जीवन को ज्ञान, शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिये समर्पित कर दिया, जिसे वे अपना सच्चा धर्म मानते थे।
- इन्होने वर्ष 2004 में समाधि ली थी।
- उन्होंने कई स्कूल, कॉलेज और गुरुकुल स्थापित किये।
- उन्होंने अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों का विरोध किया तथा समानता, प्रेम तथा भाईचारे को बढ़ावा दिया।
- भारत सरकार ने उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिये पद्मश्री (1982) तथा पद्म भूषण (2000) जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान प्रदान किये।
- स्वामी कल्याण देव सेवा ट्रस्ट:
- शुकदेव आश्रम में स्थापित स्वामी कल्याण देव सेवा ट्रस्ट विभिन्न कल्याणकारी पहलों के माध्यम से सेवा और करुणा की विरासत को आगे बढ़ाता है।
- यह ट्रस्ट गरीबों, बीमारों और वंचितों की सहायता करता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत है।
- स्वामी कल्याणदेव जी महाराज का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने 129 वर्ष तक का जीवन व्यतीत किया और अपने जीवन को ज्ञान, शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिये समर्पित कर दिया, जिसे वे अपना सच्चा धर्म मानते थे।