छत्तीसगढ़ Switch to English
बस्तर ओलंपिक का समापन
चर्चा में क्यों?
बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और बस्तर को देश के सबसे विकसित जनजातीय क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजनाओं की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- संक्रमण: गृह मंत्री ने बताया कि बस्तर ने भय से आशा की ओर संक्रमण किया है, जहाँ गोलियों की जगह स्कूल, सड़कें, रेलवे और हाइवे बन चुके हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले बस्तर ओलंपिक तक पूरा देश नक्सल-मुक्त हो जाएगा।
- उद्घाटन: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जगदलपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम में तीन दिवसीय संभाग स्तरीय बस्तर ओलंपिक का उद्घाटन किया था।
- भागीदारी: इस आयोजन में बस्तर के सभी सात ज़िलों से लगभग 3,500 एथलीटों ने भाग लिया, जिनमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और नक्सल प्रभावित खिलाड़ी भी शामिल थे, जो नुआ बात श्रेणी के अंतर्गत आते थे।
- विस्तार: दूसरे संस्करण में भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 1.65 लाख खिलाड़ियों से बढ़कर इस वर्ष लगभग 3.92 लाख हो गई।
- समावेशिता: महिलाओं, दिव्यांग खिलाड़ियों, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों और नक्सली हिंसा से प्रभावित लोगों ने ओलंपिक में भाग लिया, जिससे ओलंपिक सामाजिक समावेशिता का प्रतीक बन गया।
- सशक्तीकरण: बस्तर क्षेत्र में लड़कियों के बीच बढ़ते आत्मविश्वास और सशक्तीकरण को दर्शाते हुए, महिलाओं की भागीदारी में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।
- मंच: बस्तर ओलंपिक क्लस्टर, ब्लॉक, ज़िला और संभाग स्तरों पर आयोजित किये गए, जिससे प्रतिभा पहचान के लिये संरचित मार्ग तैयार हुआ।
- खेल विधाएँ: इस टूर्नामेंट में एथलेटिक्स, तीरंदाज़ी, फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी और खो-खो सहित 11 खेल विधाओं को शामिल किया गया था।
- अवसर: राज्य सरकार ने प्रतिभाशाली एथलीटों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिये तैयार करने हेतु बेहतर प्रशिक्षण तथा अवसर प्रदान करने का आश्वासन दिया।
- मान्यता: सरकार ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक प्रतियोगिताओं में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले छत्तीसगढ़ के एथलीटों के लिये क्रमशः 3 करोड़ रुपये, 2 करोड़ रुपये तथा 1 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कारों की घोषणा दोहराई।
- परिवर्तन: बस्तर ओलंपिक का समापन बस्तर के संघर्ष से शांति, विश्वास, सांस्कृतिक पुनरुद्धार और समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं की ओर बदलाव के एक मज़बूत प्रतीक के रूप में हुआ।
उत्तर प्रदेश Switch to English
विशेष अभियान 5.0 के तहत माइक्रो फॉरेस्ट का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
संजय कुमार ने 14 दिसंबर, 2025 को उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर स्थित पीएम श्री नवोदय विद्यालय में विशेष अभियान 5.0 के तहत एक माइक्रो फॉरेस्ट (फलों का बाग और परागण पार्क) का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- 3,200 वर्ग मीटर से अधिक बंजर भूमि को Eco Clubs for Mission LiFE के तहत एक पारिस्थितिकीय शिक्षण स्थल में परिवर्तित किया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक, छात्र और Say Trees के प्रतिनिधि शामिल हुए।
- शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 पर ज़ोर देते हुए, संजय कुमार ने सर्वांगीण, मानसिक रूप से स्वस्थ और मूल्य-प्रेरित छात्रों के पोषण हेतु अनुभवात्मक, आनंदमय और प्रकृति आधारित शिक्षण पर प्रकाश डाला।
- इको क्लब्स: मिशन लाइफ के लिये इको क्लब, जो 9.23 लाख से अधिक स्कूलों में कार्यरत हैं, सात विषयों के अनुरूप व्यावहारिक पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा देते हैं, जिससे पर्यावरणीय चेतना में वृद्धि होती है।
- संरक्षण: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने छात्रों से फलदार वृक्षों और हरित क्षेत्रों की देखभाल, सतत जीवन, पारिस्थितिकी संतुलन तथा समग्र विकास का समर्थन करने का आग्रह किया।
- अभियान: विशेष अभियान 5.0 के तहत, 6.16 लाख से अधिक स्वच्छता अभियान चलाए गए; एक ई-कचरा अभियान में 1 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए, 4,000 किलोग्राम ई-कचरा एकत्र किया गया और शास्त्री भवन में एक जागरूकता भित्ति चित्र के लिये 100 किलोग्राम का पुन: उपयोग किया गया।
- स्थिरता: इस माइक्रो फॉरेस्ट में 500 से अधिक फलदार वृक्ष और 350 से अधिक परागणकारी पौधे शामिल हैं, यह जैवविविधता तथा सूक्ष्म जलवायु में सहायक हैं, इसे 'से ट्रीज़' द्वारा समर्थित किया गया है, यह SDG 4 एवं 13 के अनुरूप है व देश के स्कूलों में विस्तार किया जाएगा।
मिशन लाइफ
- मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) भारत द्वारा अक्तूबर 2022 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के लिये सचेत और सोच-समझकर उपभोग के माध्यम से स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देना है।
- यह पहल सात विषयों पर केंद्रित है: जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, कचरा कम करना, ई-कचरा प्रबंधन, एकल-उपयोग प्लास्टिक समाप्त करना, स्थायी खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना तथा स्वस्थ जीवनशैली अपनाना।
राजस्थान Switch to English
तपेदिक स्क्रीनिंग हेतु AI एक्स-रे
चर्चा में क्यों?
राजस्थान राज्य स्वास्थ्य विभाग ने क्षय रोग (Tuberculosis) के निदान को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 29 उन्नत पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को राज्य में स्थापित किया।
मुख्य बिंदु
- प्रौद्योगिकी: पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रणाली के माध्यम से दूरस्थ गाँवों सहित संदिग्ध तपेदिक मामलों की त्वरित पहचान में सक्षम हैं।
- संपर्क: इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और दूरस्थ समुदायों में तपेदिक के शीघ्र निदान, उपचार तथा प्रभावी प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
- प्राथमिकता: ईंट भट्टों, निर्माण स्थलों, खनन क्षेत्रों, जेलों, छात्रावासों, झुग्गी-झोपड़ियों और अन्य सामूहिक आवासों जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को तपेदिक जाँच के लिये चिह्नित किया गया।
- दृष्टिकोण: स्वास्थ्य विभाग ने तपेदिक के निदान और उपचार में होने वाली देरी को कम करने के लिये सक्रिय केस फाइंडिंग को एक लागत-प्रभावी रणनीति के रूप में अपनाया।
- अवसंरचना: इस पहल के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मौजूद प्रमुख कमियों, जैसे एक्स-रे उपकरणों की कमी और प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट की कमी, को दूर करने का प्रयास किया गया।
- स्क्रीनिंग: संदिग्ध तपेदिक मामलों की पहचान हेतु कंप्यूटर-सहायता प्राप्त पहचान से युक्त उच्च-संवेदनशील डिजिटल चेस्ट एक्स-रे स्क्रीनिंग को अपनाया गया।
- निदान: स्क्रीनिंग में चिह्नित व्यक्तियों को त्वरित पुष्टिकरण निदान तथा उपचार-पूर्व अनुवर्ती कार्रवाई में चूक को कम करने के लिये एक्सपर्ट आणविक परीक्षण से जोड़ा गया।
- स्थापना: राजस्थान के 29 ज़िलों में पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें स्थापित की गईं। हाल ही में संचालित स्क्रीनिंग अभियान में लगभग 160 लाख की संवेदनशील आबादी में से 2.3 लाख व्यक्तियों में तपेदिक के लक्षण पाए गए।
- स्थिति: राजस्थान में तपेदिक का प्रकोप अत्यधिक है, जहाँ वर्ष 2024 में 1.7 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए, जबकि जून 2025 तक 89,132 मामले सामने आए।
- लक्ष्य निर्धारण: स्वास्थ्य विभाग ने HIV/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों, मधुमेह रोगियों, वरिष्ठ नागरिकों, कुपोषित व्यक्तियों तथा तपेदिक से उबर रहे लोगों जैसे उच्च जोखिम समूहों की जाँच के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त एक्स-रे मशीनों के उपयोग की योजना बनाई है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
राज कुमार गोयल मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राज कुमार गोयल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष केंद्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद की शपथ ली।
- राज कुमार गोयल ने पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल समरिया का स्थान लिया, जिनके पद छोड़ने के बाद यह पद सितंबर 2025 से रिक्त था।
मुख्य बिंदु
- परिचय: राज कुमार गोयल वर्ष 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहे हैं, जो मूल रूप से जम्मू-कश्मीर कैडर के थे। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिज़ोरम और केंद्रशासित प्रदेश (AGMUT) कैडर के सदस्य बन गए।
- अगस्त 2025 में उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्ति ली। अपने कार्यकाल के दौरान गोयल ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं।
- वे अगस्त 2025 में विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए।
- अपने करियर के दौरान उन्होंने ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी अपनी सेवाएँ दी थीं।
- सूचना आयुक्तों की नियुक्ति: ववर्तमान में आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी सूचना आयुक्त (IC) के पद पर कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, जया वर्मा सिन्हा, स्वागत दास, संजीव कुमार जिंदल, सुरेंद्र सिंह मीना तथा खुशवंत सिंह सेठी को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति हेतु अनुशंसित किया गया है।
केंद्रीय सूचना आयोग
- स्थापना: इसकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय (संवैधानिक निकाय नहीं) के रूप में की गई थी।
- संरचना: इस अधिनियम के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्त हो सकते हैं।
- नियुक्ति: सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री।
- पात्रता और छूट: विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता या शासन में अनुभव वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति।
- सांसद, विधायक नहीं होना चाहिये, या किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिये।
- किसी राजनीतिक दल से संबद्धता, व्यवसाय या पेशेवर गतिविधि की अनुमति नहीं होती।
- ये पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं हैं।
- CIC की शक्तियाँ: गवाहों को बुलाना, दस्तावेज़ों का निरीक्षण करना, सार्वजनिक अभिलेखों की मांग करना तथा जाँच के लिये समन जारी करना।
- कार्य: इसकी प्राथमिक भूमिका RTI अधिनियम, 2005 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना और नागरिकों के सूचना के अधिकार को बनाए रखना है।
- यह न्यायालय केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अन्य संस्थाओं से संबंधित मामलों का समाधान करता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
वीरांगना टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश का तीसरा चीता आवास
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सागर ज़िले के नौरादेही स्थित वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व में अगले मानसून से पूर्व चीते (Cheetah) के लिये नया आवास स्थापित करने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- स्वीकृति: राज्य मंत्रिमंडल ने मध्य प्रदेश के तीसरे टाइगर रिज़र्व के रूप में वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व को विकसित करने के लिये सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।
- आवास स्थल: चीतों के लिये पहला आवास स्थल सितंबर 2022 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर में स्थापित किया गया, जबकि दूसरा अप्रैल 2025 में गांधी सागर अभयारण्य, मंदसौर में स्थापित किया गया था।
- संख्या: कुनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में 28 चीते हैं, जबकि गांधी सागर अभयारण्य में दो चीते हैं तथा भविष्य में इनकी संख्या में और वृद्धि की संभावना है।
- स्थानांतरण: जनवरी 2026 में बोत्सवाना से आठ और चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए जाने की संभावना है।
- सफलता : मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और विशेष रूप से मध्य प्रदेश, विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ चीतों का पुनर्वास सफल रहा है।
- वन्यजीव: बाघों की मृत्यु बढ़ती संख्या के कारण होती है, जबकि सरकार क्षति को कम करने और वन्यजीवों के प्रवास तथा आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिये कार्यरत है।
- विविधता: राज्य सरकार असम से गैंडे और बंगलूरू से किंग कोबरा सहित अन्य प्रजातियों को भी स्थानांतरित कर रही है और संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये साँप पार्क, बचाव केंद्र एवं चिड़ियाघर विकसित कर रही है।
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व
- परिचय: वीरंगना रानी दुर्गावती के नाम पर नामित वीरंगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी और यह अपनी समृद्ध जैवविविधता के लिये प्रसिद्ध है।
- जैवविविधता: लगभग 550 वर्ग किलोमीटर में स्थापित यह रिज़र्व बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुओं, हिरणों की प्रजातियों और विविध प्रकार के पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं का आवास स्थल है, जो वन्यजीव तथा प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
- अवस्थिति: यह अभ्यारण्य जबेरा से लगभग 11 किलोमीटर दूर दमोह-जबलपुर मार्ग पर स्थित है, जहाँ मार्ग के किनारे वन्यजीवों को देखना सामान्य घटना है।
राजस्थान Switch to English
RVCF द्वारा इंडिया ग्रोथ फंड लॉन्च
चर्चा में क्यों?
राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड ने 150 करोड़ रुपये के कोष और 100 करोड़ रुपये के ग्रीन शू विकल्प के साथ अपना चौथा फंड, इंडिया ग्रोथ फंड IV लॉन्च किया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस फंड को ऐसे प्री-सीरीज़ ए और सीरीज़ ए टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिये विकसित किया गया था, जिनके पास स्केलेबल बिज़नेस मॉडल, सुदृढ़ रोज़गार सृजन क्षमता तथा महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो।
- क्षेत्र: प्रमुख निवेश क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, कृषि प्रौद्योगिकी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी और डिजिटल परिवर्तन शामिल हैं।
- समर्थन: पूंजी के अलावा, राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड स्टार्टअप्स को स्थायी रूप से आगे बढ़ने में मदद करने के लिये रणनीतिक मार्गदर्शन, शासन संबंधी सहायता और उद्योग नेटवर्क तक पहुँच प्रदान करेगा।
- दृष्टिकोण: फंड, राजस्थान सरकार की नवाचार-आधारित विकास दृष्टि और स्व-संवर्धित स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के दीर्घकालिक लक्ष्य के अनुरूप है।
- पारंपरिक योगदान: 23 वर्षों से अधिक के संचालन के साथ, राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड ने 44 निवेश किये हैं, जो मुख्य रूप से प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का समर्थन करते हैं।
- प्रतिफल: पहले के दो फंडों को सकारात्मक प्रतिफल के साथ पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था, जबकि तीसरा फंड विनिवेश के अधीन है और निवेशित राशि के लगभग दोगुने प्रतिफल की संभावना है।
- प्रभाव: कुछ चयनित निवेशों में 20 गुना से अधिक रिटर्न प्राप्त हुआ, पोर्टफोलियो की चार कंपनियों को सार्वजनिक लिस्टिंग प्राप्त हुई और निवेशित उद्यमों ने 10 मिलियन से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान की तथा 10,000 से अधिक रोज़गार सृजित हुए।
- समावेशिता: वित्त पोषित उद्यमों में से लगभग 66% की स्थापना पहली बार उद्यम करने वाले उद्यमियों द्वारा की गई थी और लगभग एक तिहाई में महिला संस्थापक थीं, जो फंड के समावेशी विकास दृष्टिकोण को उजागर करती है।
वेंचर कैपिटल फंड
- वेंचर कैपिटल फंड निवेश के ऐसे साधन हैं जो निवेशकों को स्टार्ट-अप तथा छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों में पैसा लगाने की अनुमति देते हैं।
- ये फंड मुख्य रूप से उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनमें उच्च विकास क्षमता और पर्याप्त लाभ उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के तहत, वेंचर कैपिटल फंड को श्रेणी I वैकल्पिक निवेश निधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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