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भारत में डायबिटीज़

  • 09 Aug 2025
  • 19 min read

स्रोत: IE

लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) पर आधारित लैंसेट ग्लोबल हेल्थ अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2019 में 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के कम-से-कम पाँच में से एक भारतीय डायबिटीज़ से ग्रसित था।

  • लगभग 40% डायबिटीज़ रोगियों को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी नहीं थी, जो निदान और जागरूकता में कमी को दर्शाता है।

डायबिटीज़ क्या है?

  • परिचय: डायबिटीज़ या मधुमेह एक क्रोनिक गैर-संचारी रोग है जिसमें अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है या शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं कर पाताइंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा (Blood Sugar) को नियंत्रित करता है। जब इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता, तो रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसीमिया (हाई ब्लड सुगर) कहते हैं।
    • विपरीत स्थिति में, बहुत अधिक इंसुलिन के कारण हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा/लो ब्लड सुगर) हो सकता है।
  • डायबिटीज़ के प्रकार
    • टाइप 1 डायबिटीज़: यह एक स्व-प्रतिरक्षी स्थिति है जिसमें इंसुलिन उत्पादन करने वाली कोशिकाओं का विनाश होता है, जिसके लिये रोज़ाना इंसुलिन की आवश्यकता होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है।
    • टाइप 2 डायबिटीज़: शरीर इंसुलिन का प्रतिरोध करता है या पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता। यह अधिक वज़न, निष्क्रियता और आनुवंशिकी से संबद्ध है। यह डायबिटीज़ के 95% से अधिक मामलों के लिये ज़िम्मेदार है और जीवनशैली में बदलाव के साथ इसे रोका जा सकता है।
    • गर्भकालीन डायबिटीज़: गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा का स्तर। यह माँ और बच्चे के लिये जोखिम बढ़ाता है और बाद में टाइप 2 डायबिटीज़ के विकास की संभावना को बढ़ाता है।
  • भारत की पहल
    • स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहन: फिट इंडिया मूवमेंट के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया जा रहा है।
    • जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग: आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में डायबिटीज़ के लिये स्क्रीनिंग की जा रही है।
    • शिक्षा और जागरूकता: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों में 'शुगर बोर्ड' अनिवार्य किये हैं, ताकि बच्चों को भोजन में चीनी की मात्रा तथा स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित किया जा सके।

नोट: टाइप 5 डायबिटीज़ हाल ही में पहचाना गया एक प्रकार, जो कम वज़न वाले किशोरों और युवा वयस्कों (बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 18.5 kg/m² से कम) को प्रभावित करता है। 

  • यह टाइप 1 (स्व-प्रतिरक्षी) या टाइप 2 (इंसुलिन प्रतिरोध) से भिन्न है, क्योंकि यह कुपोषण के कारण अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाने से होता है, जिसके परिणामस्वरूप इंसुलिन की कमी होती है।

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