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स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Nov 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश घटनाक्रम

चर्चा में क्यों?

9 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (खेल) नवनीत सहगल ने बताया कि देश में अप्रैल 2023 में आयोजित होने वाले खेलो इंडिया नेशनल यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश में होंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • नेशनल यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी तथा नोएडा में होगा। इसमें रोईंग, बास्केटबाल, जूडो, कबड्डी, कुश्ती, स्वीमिंग, बॉक्सिंग सहित लगभग 20 खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा।
  • इन खेलों में पूरे देश से लगभग 150 यूनिवर्सिटी के करीब 4,500 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। नेशनल यूनिवर्सिटी गेम्स में अंडर-26 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। वूमेन गेम्स पर विशेष फोकस रहेगा।
  • नोएडा में कबड्डी, जूडो, आर्चरी तथा फेंसिंग का आयोजन होगा। गोरखपुर में रोईंग और वाराणसी में रेसलिंग, मलखंब तथा योगा से संबंधित खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित कराई जाएंगी। अन्य प्रतियोगिताएँ राजधानी लखनऊ में होंगी।
  • अपर मुख्य सचिव खेल नवनीत सहगल के मुताबिक यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन से विश्वविद्यालयों में खेल का माहौल बनेगा और यहाँ के खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं के आयोजन से प्रदेश में खेल संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • गौरतलब है कि यह आयोजन खेल मंत्रालय से उत्तर प्रदेश को मिल रहा है, ऐसे में भारतीय खेल प्राधिकरण के दिल्ली में स्थित खेलो इंडिया मुख्यालय की भी यूनिवर्सिटी गेम्स में अहम भूमिका रहेगी।
  • इससे पहले यूनिवर्सिटी गेम्स का पहला संस्करण ओडिशा (2020) और दूसरा संस्करण कर्नाटक (2021) में हो चुका है। कर्नाटक में आयोजित 20 स्पर्धाओं में देश भर से 190 यूनिवर्सिटी के साढ़े चार हज़ार खिलाड़ी शामिल हुए थे।

बिहार Switch to English

बिहार में वज्रपात से बचाने को लगेगा हूटर

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण ने वज्रपात से लोगों को बचाने के लिये सभी ज़िलों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है, ताकि लोगों को 40 मिनट पहले वज्रपात की जानकारी मिल सके।

प्रमुख बिंदु 

  • आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस हूटर का इस्तेमाल औरंगाबाद, पटना व गया ज़िले में होगा। जनवरी तक इसे आरंभ किया जाएगा।
  • अभी इंद्रवज्र ऐप से ठनका गिरने की सूचना 30 मिनट पहले दी जाती है। इस ऐप को सवा लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी दूर नहीं हो रही है। खेतों में काम करने वाले किसानों के पास मोबाइल उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें यह संदेश नहीं मिल पा रहा है। इस कारण प्राधिकरण ने गाँवों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है।
  • प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि हूटर की आवाज़ पाँच किमी. तक जाएगी। ठनका गिरने के आधे घंटे पहले हूटर बजेगा। खेतों में काम करने वाले किसान भी इसकी आवाज़ सुनते ही सुरक्षित जगह पर चले जाएंगे।
  • इसके अलावा तड़ित चालक भी लगाया जाएगा, जिसकी शुरुआत की गई है। यह यंत्र सरकारी भवनों पर लगाया जाएगा और यह 130 मीटर के क्षेत्र में गिरने वाले ठनका को अपनी ओर खींच लेगा।
  • गौरतलब है कि बिहार में वज्रपात से हर साल कई लोगों की मृत्यु होती है। बिहार में वज्रपात की घटनाएं बढ़ने से मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले पाँच वर्षों में वज्रपात से 1475 लोगों की मौत हुई है।
  • जून, 2022 में जारी वार्षिक वज्रपात रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार बिहार बिजली गिरने के मामले में दसवें स्थान पर है। इस दौरान बिहार में वज्रपात की 2,59,266 घटनाएँ दर्ज हुईं, जो कि 2020-21 की तुलना में 23 फीसदी कम हैं। इससे पहले वर्ष 2018 में पूरे देश में वज्रपात से 3000 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 302 लोग बिहार के थे। वहीं 2019 में वज्रपात से मरने वालों की संख्या 221 रही।
  • बिहार में वज्रपात या किसी भी प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर मरने वाले लोगों के आश्रितों को सरकार की तरफ से अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में चार लाख रुपए का भुगतान किया जाता है।
  • विदित है कि आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है, जिससे ऋणात्मक आवेश (Negative charge) उत्पन्न होता है। वहीं पृथ्वी में पहले से धनात्मक आवेश (Positive charge) मौजूद होता है। दोनों ऋणात्मक एवं धनात्मक आवेश एक-दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। जब इन दोनों आवेशों के बीच में कोई संवाहक (Conductor) आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है, लेकिन आसमान में कोई संवाहक नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है। 

राजस्थान Switch to English

कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को मानसिक संबल एवं सुरक्षा देने हेतु गाइडलाइन्स-2022

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में संचालित कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत्/निवासरत् विद्यार्थियों को मानसिक संबल एवं सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से गाइडलाइन्स-2022 को स्वीकृति दी। इस स्वीकृति से कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को एक तनावमुक्त तथा सुरक्षित माहौल मिल सकेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • गाइडलाइन्स-2022 में विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा एवं शैक्षणिक दबाव के कारण उत्पन्न हुए मानसिक तनाव एवं अवसाद के निराकरण हेतु मनोचिकित्सकीय सेवा प्रदान करना, प्रवेशित तथा छात्रावासों में निवास करने वाले विद्यार्थियों की पूर्ण सुरक्षा, विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की व्यवस्थाएँ, ज़िला प्रशासन स्तर पर पर्याप्त निगरानी तंत्र की स्थापना, कोचिंग छात्र-छात्राओं के लिये सुविधा केंद्र, साफ-सफाई का बेहतर प्रबंधन, कोचिंग संस्थानों के स्तर पर अपेक्षित कार्यवाही, कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों के लिये आमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन, विद्यार्थियों की दिनचर्या में साइबर कैफे की सुविधा आदि दिशा-निर्देश शामिल किये गए हैं।
  • इस गाइडलाइन्स में कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को आईआईटी एवं मेडिकल संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण न होने की स्थिति में उपलब्ध करियर विकल्पों के बारे में बताया जाएगा। इसके अतिरिक्त संस्थान छोड़ने की स्थिति में ईज़ी एक्जिट पॉलिसी एवं फीस रिफंड का प्रावधान किया गया है।
  • गाइडलाइन्स के तहत एक कम्पलेन्ट पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा नई गाइडलाइन्स में कोचिंग सेंटर के सभी कार्मिकों का पुलिस वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाएगा। आवासीय कोचिंग संस्थानों में सभी प्रकार के मूवमेंट का डाटा संधारित करने का प्रावधान भी गाइडलाइन्स में शामिल है। कोचिंग संस्थानों द्वारा किसी भी प्रकार की मिथ्या प्रचार की रोकथाम की व्यवस्था गाइडलाइन्स में की गई है। इन दिशा-निर्देशों की पालना नहीं करने पर कोचिंग संस्थानों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
  • कोचिंग संस्थानों द्वारा गाइडलाइन्स का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये राज्यस्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसमें उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, मेडिकल शिक्षा, गृह विभाग सहित सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त गाइडलाइन्स के अंतर्गत प्रत्येक ज़िले में ज़िलास्तरीय कोचिंग संस्थान निगरानी समिति का गठन किया गया है, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ अभिभावकों, कोचिंग संस्थानों, एनजीओ के प्रतिनिधि एवं मनोवैज्ञानिक तथा मोटिवेशनल स्पीकर और ज़िले के अतिरिक्त ज़िला कलक्टर शामिल हैं।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कोचिंग संस्थानों के प्रभावी नियमन के लिये बनाए गए ‘राजस्थान निजी शिक्षण संस्थान विनियामक प्राधिकरण विधेयक, 2022’ के लागू होने तक माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में उक्त गाइडलाइन्स को मंज़ूरी दी है।

हरियाणा Switch to English

राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पंचकूला, यमुनानगर, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद व कुरुक्षेत्र सहित 5 ज़िले पर्यटन हब में शामिल

चर्चा में क्यों?

10 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने भारत सरकार की स्वदेश दर्शन-0 योजना के अंतर्गत पर्यटन आधारभूत संरचना के विकास के लिये आयोजित प्रथम राज्य संचालन कमेटी की बैठक में बताया कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पंचकूला, यमुनानगर, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद व कुरुक्षेत्र सहित 5 ज़िलों को पर्यटन हब में शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि स्वदेश दर्शन-2.0 योजना पर्यटन को बढावा देने के लिये बेहतर कारगर योजना है तथा इस पर अधिक ध्यान देकर कार्य किया जाना चाहिये, ताकि राज्य में पर्यटन को विकसित करके रोज़गार के अवसर भी बढ़ाए जा सकें।
  • उन्होंने बताया कि पंचकूला ज़िले में पर्यटन के लिये संरचनात्मक ढाँचा तैयार करने हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पंचकूला में मोरनी हिल्स, यादविन्द्रा गार्डन, कौशल्या डैम, नाडा साहिब जैसे 55 पर्यटन स्थल हैं।
  • महेंद्रगढ़ व फरीदाबाद ज़िले को भी स्वदेश दर्शन-2.0 योजना में शामिल करने के प्रस्ताव को पर्यटन मंत्रालय को भेजा जाएगा, ताकि इन ज़िलों में भी पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। महेंद्रगढ़ में माधोगढ़ का किला, बीरबल का छत्ता, जलमहल, ढोसी पर्वत जैसे अनेक प्राचीन स्मारक स्थल हैं, जिनको पर्यटन के लिये विकसित किया जा रहा है।
  • उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में ऐतिहासिक सूरजकुंड, दमदमा लेक, अरावली गोल्फ क्लब, सोहना का झरना आदि 17 पर्यटन स्थल हैं तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार सूरजकुंड में आधुनिक स्तर का विशेष पर्यटन खंड बनाने पर भी कार्य किया जाएगा, ताकि यह पर्यटकों के लिये और अधिक आकर्षण का केंद्र बन सके।
  • ज्ञातव्य है कि यमुनानगर में आदिबद्री, लोहागढ़, हथनीकुंड बैराज, कलेसर नेशनल पार्क, चन्हेटी पिल्लर आदि कई पर्यटक स्थल हैं।
  • मुख्य सचिव ने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना 0 के तहत पर्यटन एवं संबद्ध बुनियादी ढाँचा, पर्यटन सेवाएँ, मानव एवं पूंजी विकास, स्थल प्रबंधन एवं प्रोत्साहन आदि पर कार्य किया जाना है। इनके अलावा सांस्कृतिक एवं हेरिटेज पर्यटन, साहसिक गतिविधियाँ, ग्रामीण एवं वेलनेस पर्यटन जैसी सुविधाओं और सेवाओं पर भी कार्य किया जाएगा। इसके लिये बैठकें, सम्मेलन एवं प्रदर्शनी स्थल तथा पर्यटन प्रोत्साहनों को भी बढ़ावा देने के लिये स्थानों का चयन किया जाएगा।
  • स्वदेश दर्शन 1.0 योजना के तहत पर्यावरण पर्यटन, वन्य जीव, बुद्विष्ठ, अध्यात्मिक, पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र, तीर्थंकर आदि स्थलों का चयन किया गया। इस योजना में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कृष्णा सर्किट परियोजना को शामिल कर 97.34 करोड़ रुपए की लागत से टूरिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है।
  • इनमें बहुउद्देशीय पर्यटन सूचना केंद्र, सरोवर की रेलिंग, अभिमन्यु घाट, लाईट एंड साउंड शो जैसी 5 योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिसे नवंबर माह में पूरा कर संचालित किया जाएगा तथा कुरुक्षेत्र के थानेसर शेख चिल्ली महल को भी इस योजना में शामिल कर विकसित किया जाएगा।       

झारखंड Switch to English

खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण विधेयक पारित

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य सरकार ने 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण विधेयक ध्वनिमत से पारित करा लिया।

प्रमुख बिंदु 

  • झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिये विधेयक-2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में रखा। विपक्ष की ओर से इसमें कई संशोधन आए, प्रवर समिति को भेजने का भी प्रस्ताव आया, लेकिन सरकार ने इसे ध्वनिमत से इन्कार कर दिया।
  • इस विधेयक के मुताबिक वे लोग झारखंड के स्थानीय अथवा मूल निवासी कहे जाएंगे, जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है।
  • जिनका नाम खतियान में दर्ज नहीं होगा अथवा जिनका खतियान खो गया हो या नष्ट हो गया हो, ऐसे लोगों को ग्राम सभा सत्यापित करेगी कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं। भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में, स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाज, परंपरा आदि के आधार पर की जाएगी।
  • विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने विधेयक में थर्ड एवं फोर्थ ग्रेड की नौकरी को स्थानीयता की नीति को नियोजन नीति से जोड़ा और कहा कि 1932 का खतियान जिन लोगों के पास होगा, वे लोग ही थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी के पात्र होंगे।
  • 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता का विस्तार पूरे झारखंड में होगा। ये अधिनियम भारत के संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद प्रभावी होगा।
  • स्थानीय व्यक्तियों का अर्थ झारखंड का अधिवास (डोमिसाइल) होगा, जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय एवं भौगोलिक सीमा के भीतर है और उसके या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण/खतियान में दर्ज है।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक बीमा और रोज़गार/बेरोज़गारी के संबंध में राज्य की सभी योजनाओं और नीतियों के हकदार होंगे तथा उन्हें अपनी भूमि, रोज़गार या कृषि ऋण/ऋण आदि पर विशेषाधिकार और संरक्षण प्राप्त होगा।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति प्राथमिकता के आधार पर अपने भूमि रिकॉर्ड को बनाए रखने के भी हकदार होंगे, जैसा नियम के तहत निर्धारित और विनियमित किया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति राज्य में व्यापार और वाणिज्य के लिये विशेष रूप से पारंपरिक और सांस्कृतिक उपक्रमों से संबंधित स्थानीय वाणिज्यिक सांस्कृतिक उपक्रमों और स्थानीय झीलों/नदियों/मत्स्य पालन पर अधिमान्य अधिकार के भी हकदार होंगे।
  • इसके अलावा विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल भी पास हुआ। राज्य में अब 77 फीसदी आरक्षण होगा। पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 28 फीसदी और अनुसूचित जाति (SC) को 12 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में चालान सहित परिवहन विभाग की छह सेवाएँ हुईं ऑनलाइन

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में चालान के प्रशमन शुल्क सहित परिवहन विभाग की छह सेवाएँ ऑनलाइन तथा परिवहन निगम के ही तीन मोबाइल ऐप लॉन्च करके इन सेवाओं का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य में परिवहन विभाग की ऑनलाइन हुईं सेवाएँ हैं -
    • ऑनलाइन टैक्स भुगतान : स्टेज कैरिज वाहनों के टैक्स पहले कार्यालय में जमा होते थे, लेकिन अब परिवहन वेबसाइट के माध्यम से कहीं से भी ऑनलाइन टैक्स जमा करा सकेंगे।
    • चालान प्रशमन शुल्क : अभी तक चालान की फीस दफ्तरों में जमा होती थी, लेकिन अब परिवहन विभाग की ई-चालान वेबसाइट के माध्यम से सीधे ऑनलाइन जमा करा सकेंगे।
    • अस्थायी परमिट ऑनलाइन : परिवहन विभाग के अस्थायी परमिट लेने के लिये अभी तक आरटीओ दफ्तर जाना पड़ता था, लेकिन अब ऑनलाइन आवेदन व शुल्क भुगतान होगा। ऑनलाइन स्क्रूटनी, अनुमोदन व परमिट डाउनलोड कर सकेंगे।
    • ऑनलाइन कॉन्ट्रेक्ट कैरिज परमिट : संभागीय परिवहन प्राधिकरण की ओर से अब कॉन्ट्रेक्ट कैरिज परमिट का आवेदन ऑनलाइन कर सकेंगे और शुल्क भी ऑनलाइन जमा करा सकेंगे। यह परमिट भी ऑनलाइन ही मिलेंगे।
    • वाहनों के पंजीकरण : अभी तक निजी वाहनों का पंजीकरण डीलर पॉइंट पर डाटा एंट्री, डॉक्यूमेंट अपलोड करने के बाद ऑनलाइन फीस व टैक्स जमा होता था। इसके बाद डीलर को पूरे कागज़ लेकर आरटीओ दफ्तर जाना पड़ता था। पत्रावलियाँ आरटीओ दफ्तरों में रखनी होती थीं, लेकिन अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। दफ्तरों में कागज़ों के ढेर से आज़ादी मिलेगी।
    • ट्रेड सर्टिफिकेट : व्यवसाय प्रमाण-पत्र बनवाने के लिये अब दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। ऑनलाइन ही सर्टिफिकेट जारी हो जाएगा।
  • परिवहन निगम ने ड्राइवरों के लिये हमसफर ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप को ड्राइवर के सामने मोबाइल फोन में इंस्टॉल किया जाएगा। यह ऐप ड्राइवर की हर हरकत पर नज़र रखेगा तथा नींद आने पर ड्राइवर को अलर्ट करेगा। इसमें सुरक्षित बस संचालन पर रिवार्ड मिलेंगे।
  • इसके अलावा अटेंडेंस ऐप लॉन्च किया गया है। इसमें जियो फेंसिंग क्षेत्र में आने पर परिवहन निगम के कर्मचारी अपने मोबाइल से ही अपनी हाजिरी लगा सकेंगे।
  • इसके अलावा निगम ने फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम लॉन्च किया है। इसके तहत बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। हर बस की लोकेशन देखने को व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाई जाएगी तथा बिना टिकट यात्रा करने वालों को सीसीटीवी की मदद से पकड़ा जा सकेगा। सभी बसों में फ्यूल सेंसर लगाए जाएंगे और केंद्रीय कंट्रोल रूम से सभी बसों की पूरी निगरानी की जा सकेगी। 

उत्तराखंड Switch to English

मुख्यमंत्री ने ‘अपणि सरकार’ मोबाइल ऐप किया लॉन्च

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) द्वारा विकसित ‘अपणि सरकार पोर्टल’का मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

प्रमुख बिंदु 

  • ‘अपणि सरकार पोर्टल’के लॉन्च होने के बाद यह ऐप अब प्लेस्टोर पर भी उपलब्ध हो गया है। इस मोबाइल ऐप पर राज्य की 254 सेवाएँ और अन्य 173 सेवाएँ वेब लिंक के माध्यम से उपलब्ध होंगी। इस ऐप पर लॉगिन करके आप सेवाओं का लाभ घर-बैठे ले सकते हैं। इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन की सुविधा भी अब मोबाइल ऐप से मिल सकेगी।
  • इस मोबाइल ऐप के माध्यम से सैनिक कल्याण विभाग की चार, लघु सिंचाई विभाग की 15, गृह विभाग की दस, निबंधन विभाग की पाँच, राजस्व विभाग की 18, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की दो, कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग की तीन, शहरी विकास निदेशालय की आठ, पंचायती राज विभाग की 12, समाज कल्याण विभाग की नौ, मत्स्य विभाग की सात, पेयजल विभाग की नौ तथा ऊर्जा विभाग की 23 सेवाएँ सीधे मिलेंगी।
  • इसी प्रकार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की एक, तकनीकी शिक्षा विभाग की 14, विद्यालयी शिक्षा विभाग की 20, कौशल विकास एवं रोज़गार विभाग की 12, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की तीन, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की 22, आयुर्वेदिक एवं यूनानी की 13, ग्राम्य विकास विभाग की दो, कृषि विभाग की पाँच, कृषि एवं कृषि विपणन विभाग की 19, लोक निर्माण विभाग की दो और विधिक माप विज्ञान विभाग की 16 सेवाएँ इस मोबाइल ऐप के माध्यम से सीधे मिलेंगी।
  • इसके अलावा राज्य परिवहन विभाग, ई-कोर्ट सेवाएँ, वस्तु एवं सेवा कर, आयकर विभाग, नागर विमानन मंत्रालय की नौ, पैन सेवा पोर्टल की नौ, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की आठ, विदेश मंत्रालय पासपोर्ट सेवा के तहत आठ, भारत निर्वाचन आयोग की सात, यूआईडीएआई की सात, कृषि और किसान कल्याण विभाग की छह, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड की छह, उत्तराखंड स्वरोज़गार योजनाएँ की पाँच तथा शहरी विकास निदेशालय की चार सेवाओं का वेब लिंक इस मोबाइल ऐप पर मिलेगा।
  • इसी प्रकार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व उच्च शिक्षा विभाग की तीन-तीन, जीवन प्रमाण की छह, उत्तराखंड जल संस्थान की पाँच, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तीन, रेल विभाग की तीन, सूचना का अधिकार की तीन, उकाडा उत्तराखंड की तीन, नगर निगम देहरादून की एक और स्वास्थ्य विभाग की ऑनलाइन पंजीकरण की एक सेवा का वेब लिंक इस मोबाइल ऐप पर मिलेगा।
  • आईटीडीए ने सीएम हेल्पलाइन का भी एंड्रॉयड मोबाइल ऐप तैयार किया है, जिससे प्रदेश के दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोग भी सीधे मुख्यमंत्री को अपनी शिकायत भेज सकेंगे। इसे प्ले स्टोर पर सीएम हेल्पलाइन लिखकर डाउनलोड किया जा सकता है।
  • आईटीडीए की तीन सेवाएँ भी शुरू हो गई हैं, जो निम्न हैं-
    • डीएआरसी लेक : यह केंद्रीयकृत डाटा स्टोरेज प्लेटफॉर्म है, जिसे जीआईएस और ड्रोन का डाटा स्टोर करने के लिये तैयार किया गया है। इस पर स्थानीय ड्रोन पायलटों की सूची भी रहेगी, जो कि कोई भी विभाग एक्सेस कर सकेगा।
    • एसडी-वान : हर तहसील, ब्लॉक, मुख्यालय की ज़िले से कनेक्टिविटी बाधित होने पर भी इससे इंटरनेट कनेक्टिविटी सुचारु रहेगी। यह हाईस्पीड इंटरनेट प्रणाली है।
    • आईटीडीए-सीएएलसी : इसका पहला सैटेलाइट सेंटर ऋषिकेश में स्थापित किया गया है। अब प्रदेशभर में यह सेंटर बनेंगे, जिससे युवाओं को ड्रोन चलाने, ठीक करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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