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स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Nov 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में रुद्राक्ष से बड़ा कन्वेंशन सेंटर बनाने के दिये निर्देश

चर्चा में क्यों?

10 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के गोरखपुर में एक बड़ा कन्वेंशन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है, जिसकी सीट क्षमता तीन हज़ार से पाँच हज़ार के बीच होगी।

प्रमुख बिंदु 

  • गोरखपुर में बनने वाले कन्वेंशन सेंटर की क्षमता वाराणसी में बने हुए रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की क्षमता (1200) से ज़्यादा होगी।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि गोरखपुर का कन्वेंशन सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त ऐसा कन्वेंशन सेंटर होगा, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बड़े आयोजन हो सकेंगे। इसके लिये गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने ज़मीन की तलाश भी शुरू कर दी है।
  • गोरखपुर में इस कन्वेंशन सेंटर के बनने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार, प्रदर्शनी व अन्य सार्वजनिक आयोजन आसानी से हो सकेंगे।
  • कला, संस्कृति, व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने के लिये कन्वेंशन सेंटर एक हब का काम कर सकता है। इस कन्वेंशन सेंटर को वैवाहिक कार्यक्रम के लिये भी किराये पर दिया जा सकता है।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा संस्कृत अकादमी ने की वर्ष 2021 के लिये साहित्यकार सम्मानों की घोषणा

चर्चा में क्यों?

9 नवंबर, 2022 को हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि राज्य की संस्कृत अकादमी ने वर्ष 2021 के लिये साहित्यकार सम्मानों की घोषणा कर दी है।

प्रमुख बिंदु 

डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान के लिये डॉ. देवी सहाय पांडेय (अयोध्या) को तथा हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान के लिये प्रो. कमला भारद्वाज को चुना गया है।

  • वर्ष 2021 के लिये महर्षि वाल्मीकि सम्मान पुरस्कार हेतु करनाल के डॉ.सत्यपाल शर्मा, आचार्य स्थाणुदत्त सम्मान पुरस्कार के लिये पंचकूला के सर्वेश्वर प्रसाद सेमवाल को, महर्षि वेदव्यास सम्मान पुरस्कार हेतु कुरुक्षेत्र के प्रो.अरुणा शर्मा को तथा महर्षि विश्वामित्र सम्मान पुरस्कार के लिये अंबाला के डॉ. चंद्र कुमार झा को चुना गया है।
  • महाकवि बाणभट्ट सम्मान के लिये फरीदाबाद के डॉ.गीता आर्या को, गुरु विरजानंद आचार्य सम्मान हेतु पंचकूला के आचार्य स्वामी प्रसाद मिश्र को चुना गया है। इनके अलावा विद्या मार्तण्ड पं. सीताराम शास्त्री आचार्य सम्मान के लिये करनाल की अंजू बाला का चयन किया गया है।
  • विशिष्ट संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार कैथल के राजेश नैन को उनकी संस्कृत क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिये प्रदान किया जाएगा। स्वामी धर्मदेव संस्कृत समाराधक सम्मान वर्ष 2021 के लिये गुरु रविदास संस्कृत महाविद्यालय (गुरुकुल पोहडका) सिरसा का चयन किया गया है।
  • डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि इससे पहले अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से 2020 तक के पुरस्कारों के लिये चयनित साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है तथा शीघ्र ही इन चयनित साहित्यकारों को समारोह आयोजित कर सम्मान प्रदान किये जाएंगे।
  • ज्ञातव्य है कि संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान और हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान के लिये साहित्यकार को दो लाख रुपए की राशि और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है। इसी तरह महर्षि वाल्मीकि सम्मान, आचार्य स्थाणुदत्त सम्मान, महर्षि वेदव्यास सम्मान, महर्षि विश्वामित्र सम्मान के लिये डेढ़ लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं।
  • इनके अलावा, महाकवि बाणभट्ट सम्मान, गुरु विरजानंद आचार्य सम्मान, विद्या मार्तण्ड पंडित सीताराम शास्त्री आचार्य सम्मान, स्वामी धर्मदेव संस्कृत समाराधक सम्मान और विशिष्ट संस्कृत सेवा सम्मान के लिये एक लाख रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा को मिला ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य कृषि व्यवसाय पुरस्कार-2022’

चर्चा में क्यों?

10 नवंबर, 2022 को भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद द्वारा नई दिल्ली में इंडिया एग्रीबिज़नेस अवार्ड-2022 के तहत कृषि क्षेत्र में नीतियों, कार्यक्रमों, उत्पादन, इनपुट, प्रौद्योगिकियों, विपणन, मूल्यवर्धन, बुनियादी ढाँचे और निर्यात के क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदानकर्त्ताओं को प्रस्तुत करने के लिये हरियाणा को ‘बेहतर राज्य’की क्षेणी में पुरस्कृत किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • हरियाणा के कृषि एवं विकास कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल ने बताया कि हरियाणा राष्ट्रीय खाद्यान्न पूल में सबसे बड़ा योगदान देने वाले राज्यों में से एक है। राज्य ने बागवानी और कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देने की दिशा में विविधीकरण के लिये कई नीतिगत पहलें की हैं तथा लगभग 400 बागवानी फसल समूहों की मैपिंग की है और 700 किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया है।
  • क्लस्टरों में बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज को मज़बूत करने के लिये, हरियाणा ने एक महत्त्वाकांक्षी योजना ‘फसल क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीसीडीपी)’ शुरू की है, जिसमें एफपीओ के माध्यम से एकीकृत पैक हाउस स्थापित करने के लिये 35 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। अब तक 30 एकीकृत पैक हाउस स्थापित किये जा चुके हैं और चालू वित्त वर्ष के अंत तक ऐसे कुल 100 एकीकृत पैक हाउस स्थापित करने का लक्ष्य है।
  • कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों और कृषि उत्पादों के लिये अंतिम मूल्य श्रृंखला सुनिश्चित करने हेतु कुल 37 कृषि क्षेत्र की कंपनियों ने कृषि-व्यवसाय गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये बाय बैक तंत्र के साथ एफपीओ उत्पादों के व्यापार और विपणन हेतु 34 एफपीओ के साथ 54 समझौता ज्ञापन निष्पादित किये हैं।
  • उन्होंने बताया कि हरियाणा ‘भावांतर भरपाई योजना (बीबीवाई)’ के माध्यम से मूल्य संरक्षण में अग्रणी रहा है और बागवानी फसलों के लिये 24 करोड़ (पिछले तीन वर्षों में) तथा बाजरा लगभग 750 करोड़ रुपए के साथ प्रोत्साहित किया गया। इसमें वर्ष 2021-22 में 437 करोड़ रुपए से 41 लाख किसानों को कवर किया गया, जबकि वर्ष 2022-23 में लगभग 310 करोड़ रुपए से लगभग 2.25 लाख किसानों को कवर किया गया।
  • हरियाणा प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन में भी अग्रणी है और इसने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से 11 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये हैं। राज्य में राष्ट्रीय कौशल मिशन के तहत साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से 2500 से अधिक किसानों और उद्यमियों को कुशल बनाने के लिये एक प्रीमियम बागवानी प्रशिक्षण संस्थान भी स्थापित है।
  • कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि हरियाणा के गन्नौर में एशिया की सबसे बड़ी हार्टिकल्चर मार्केट बनने जा रही है। इसके बनने से हरियाणा के किसानों के साथ-साथ पूरे देश के किसानों को इसका फायदा मिलेगा। इस मार्केट के बनने से कृषि से संबंधित लोगों के लिये उनको एक ही जगह पर सभी चीज़ें उपलब्ध होंगें, जैसे- सब्जियाँ, फल, फूल, मछली व ड्राई फ्रूट्स आदि। यह मार्केट पेरिस और स्पेन की मार्केट से भी बेहतर बनाई जाएगी।    

झारखंड Switch to English

सिंदरी प्लांट में नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू

चर्चा में क्यों?

8 नवंबर, 2022 को झारखंड में हिंदुस्तान उर्वरक एव रसायन लिमिटेड (HURL) के सिंदरी प्लांट में नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन का काम शुरू हो गया।

प्रमुख बिंदु

  • इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर बधाई देते हुए कहा कि भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा है। आत्मनिर्भर भारत के सपने की तरफ कदम बढ़ाते हुए मेड इन इंडिया यूरिया उत्पादन होने से देश के किसानों को इसका काफी लाभ मिलेगा।
  • गौरतलब है कि भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड (एफसीआईएल) की मौजूदा सिंदरी उर्वरक इकाई झारखंड राज्य के धनबाद ज़िले में स्थित है।
  • हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई, 2018 को रखी थी। कारखाने से यूरिया का उत्पादन 31 दिसंबर, 2020 को होना था, परंतु वैश्विक महामारी कोविड के कारण प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य प्रभावित हुआ और उत्पादन के अपने निर्धारित समय से पिछड़ गया। कोरोना के कारण हर्ल प्रोजेक्ट से यूरिया उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से लगभग 22 महीने बाद शुरू हुआ।
  • उल्लेखनीय है कि यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है, जिसके कारण इसे नीम कोटेड यूरिया कहा जाता है। यूरिया के ऊपर नीम का लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधी के रूप में कार्य करता है।
  • नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है, जिसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नत्रजन पोषक तत्त्व की उपलब्धता होती है एवं फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ सरकार का विद्यार्थियों के हित में बड़ा निर्णय

चर्चा में क्यों?

10 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विद्यार्थियों के हित में यह निर्णय लिया गया है कि विद्यार्थियों को अब प्रतिवर्ष जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की बजाय एक ही बार जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जाएंगे। विद्यार्थियों को जारी जाति प्रमाण-पत्र स्थायी अभिलेख की तरह होंगे।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में सभी कलेक्टरों को जारी किये गए निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र (जाति प्रमाण-पत्र) की मान्यता समय के द्वारा सीमित नहीं होगी, अर्थात् यह कालातीत नहीं होगा, यह सर्वदा के लिये होगा। यह एक तरह से स्थायी अभिलेख है।
  • बार-बार जाति प्रमाण जारी किये जाने की आवश्यकता नहीं है। जाति प्रमाण-पत्र खो जाने की स्थिति में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा इसका डुप्लीकेट भी जारी किया जा सकेगा।
  • कलेक्टरों को निर्देश दिये गए हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित समस्त शासकीय, निजी शालाओं एवं केंद्रीय बोर्ड की शालाओं में कक्षा छठवीं से बारहवीं तक अध्ययनरत् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के जाति एवं निवास प्रमाण-पत्र उनकी शालाओं में अध्ययनरत् होने के दौरान ही उनकी शालाओं में वितरित किये जाएं तथा उक्त शिविर का आयोजन प्रत्येक वर्ष निरंतर रूप से जारी रखा जाए।
  • कलेक्टरों को निर्देश दिये गए हैं कि शालाओं में लंबित जाति प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र आगामी शैक्षणिक सत्र तक जारी किये जाएँ। कलेक्टरों को इस संबंध में मासिक प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से सामान्य प्रशासन विभाग (आरक्षण प्रकोष्ठ) को भेजने के निर्देश दिये गए हैं।

उत्तराखंड Switch to English

ईको पार्क से मिलेगी डांडाचली को नई पहचान

चर्चा में क्यों?

10 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के नई टिहरी ज़िला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि नई टिहरी से मात्र 15 किमी. की दूरी पर स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल डांडाचली को पर्यटन विभाग द्वारा ईको पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा गया है। मंज़ूरी मिलने के बाद डांडाचली देश-विदेश के पर्यटकों को एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल की अनुभूति कराएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • अतुल भंडारी ने बताया कि डांडाचली क्षेत्र पाँच वर्ग किमी. में देवदार व बांज के घने जंगलों से घिरा हुआ है। वाइल्ड लाइफ से भरपूर इस क्षेत्र में गुलदार, भालू, सेही, घुरल जैसे वन्यजीव बहुतायत में हैं। इसके जंगल में विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की भी भरमार है। डांडाचली का मौसम जून की गर्मी में भी ठंडक का एहसास कराता है, जबकि दिसंबर व जनवरी में यहाँ चार से पाँच फीट तक बर्फ जम जाती है।
  • उन्होंने बताया कि यहाँ देवदार के जंगल में नेचर ट्रैक बनाए जाएंगे। मचान, व्यू पॉइंट और साहसिक खेलों की सुविधा भी पर्यटकों को मिलेगी। इसके अलावा बर्मा ब्रिज, वुडन व ग्लास हाउस रेस्तरां और माउंटेन बाइक ट्रैक भी यहाँ पर बनाए जाएंगे।
  • हालाँकि, डांडाचली में ठहरने के लिये होटल आदि की व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को शाम ढलने से पूर्व ही चंबा या नई टिहरी वापस लौटना पड़ता है। इसके बावजूद पर्यटकों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है। नए साल का जश्न मनाने के लिये हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक डांडाचली पहुँचते हैं, लेकिन डांडाचली के पर्यटन मानचित्र पर न होने के कारण यहाँ आने वाले पर्यटकों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा जाता।
  • डांडाचली में ईको पार्क बनने पर स्थानीय युवाओं को भी रोज़गार मिलेगा तथा पर्यटकों की आमद बढ़ने से यहाँ दुकान व होम स्टे तो खुलेंगे ही, रोज़गार के अन्य साधन भी विकसित होंगे। 

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