राजस्थान Switch to English
जगुआर विमान
चर्चा में क्यों?
नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान, भारतीय वायु सेना (IAF) का एक जगुआर प्रशिक्षक विमान राजस्थान के चुरू ज़िले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
प्रमुख बिंदु
जगुआर विमान:
- पृष्ठभूमि:
- जगुआर एक ब्रिटिश-फ्राँसीसी लड़ाकू विमान है जो मूलतः ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स और फ्राँसीसी एयर फोर्स में तैनात था।
- जगुआर जेट विमानों को वर्ष 1979 में भारतीय वायु सेना (IFA) में शामिल किया गया था।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने वर्ष 1981 में लाइसेंस प्राप्त संस्करणों का उत्पादन शुरू किया और वर्ष 2008 तक जारी रखा।
- भारत ने विभिन्न कॉन्फिगरेशन में 160 से अधिक जगुआर विमानों को शामिल किया है:
- जगुआर IS (एकल-सीट स्ट्राइक फाइटर)
- जगुआर IB (दो-सीट प्रशिक्षण विमान)
- जगुआर IM (नौसेना संस्करण)
- युद्ध इतिहास और वैश्विक संचालक:
- जैगुआर विमान का मौरितानिया, चाड, इराक, बोस्निया, पाकिस्तान, और हाल ही में भारत के ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में सक्रिय उपयोग हुआ है।
- यह विमान यूके, फ्राँस और भारत के लिये परमाणु हथियार डिलीवरी प्लेटफॉर्म के रूप में भी कार्य कर चुका है।
- वर्षों से फ्राँस, ब्रिटेन, ओमान, इक्वाडोर, नाइजीरिया और भारत जैसे देशों ने इस विमान का संचालन किया है।
- इसी तरह की भारतीय वायुसेना दुर्घटनाएँ:
- नवंबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच, वायुसेना ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में प्रशिक्षण मिशनों के दौरान चार विमान दुर्घटनाओं की रिपोर्ट दी।
- इन दुर्घटनाओं में MiG-29, मिराज 2000 और जगुआर जैसे विमानों की तकनीकी खराबी प्रमुख कारण रही।
- विमान सुरक्षा पर बढ़ती चिंताएँ:
- भारतीय वायुसेना के विमानों के हाल ही में हुए दुर्घटनाओं की शृंखला परिचालन विमानों में बार-बार होने वाली तकनीकी समस्याओं का संकेत देती है।
- अधिकांश दुर्घटनाएँ मिग-29 और जगुआर जैसे पुराने प्लेटफार्मों से संबंधित थीं, जिससे बेड़े के आधुनिकीकरण और रखरखाव प्रोटोकॉल पर चिंताएँ बढ़ गईं।
- भारतीय वायुसेना ने प्रत्येक मामले में जाँच शुरू कर दी है, लेकिन ऐसी घटनाओं की आवृत्ति गहन प्रणालीगत मूल्यांकन की आवश्यकता की ओर इशारा करती है।


बिहार Switch to English
बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण
चर्चा में क्यों?
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने नवंबर, 2025 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु
- संवैधानिक अधिदेश:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 भारत के निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने तथा संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के संचालन पर अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का दायित्व सौंपता है।
- अनुच्छेद 326 भारत के प्रत्येक नागरिक को, जिसकी आयु 18 वर्ष से कम न हो, वोट देने का अधिकार प्रदान करता है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत कानूनी ढाँचा
- धारा 16 विदेशी नागरिकों को निर्वाचन सूची में नामांकन से अयोग्य घोषित करती है।
- धारा 19 यह अनिवार्य करती है कि व्यक्ति की आयु निर्धारित तिथि को कम-से-कम 18 वर्ष होनी चाहिये तथा वह निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी होना चाहिये।
- धारा 20 में “सामान्य निवासी” (ordinarily resident) की परिभाषा दी गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि सिर्फ किसी क्षेत्र में संपत्ति का स्वामित्व होना वहाँ का निवासी होने के लिये पर्याप्त नहीं है।
- हालाँकि, यदि कोई व्यक्ति अस्थायी रूप से अपने निवास स्थान से अनुपस्थित है, तो भी उसे सामान्य निवासी माना जाएगा।
- धारा 21 चुनाव आयोग को यह अधिकार देती है कि वह निर्वाचन सूची का विशेष पुनरीक्षण किसी भी समय कर सकता है, यदि वह कारणों को लिखित रूप में दर्ज करता है।
- SIR शुरू करने के कारण:
- पिछले दो दशकों में व्यापक शहरीकरण और आंतरिक प्रवास के कारण चुनावी सूचियों में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं, ऐसा भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने अवलोकन किया है।
- डुप्लीकेट और अपात्र मतदाता प्रविष्टियों को लेकर उठी चिंताओं के चलते ECI ने राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है, जिसकी शुरुआत बिहार से की गई है।
- बिहार में पिछली बार विशेष पुनरीक्षण 2003 में हुआ था और अब इसे नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस अभ्यास के लिये प्राथमिकता दी गई है।
- वर्तमान पुनरीक्षण के लिये निर्धारित तिथि 1 जुलाई, 2025 रखी गई है।
- SIR के लिये संशोधित प्रक्रिया:
- वर्ष 2003 से पहले नामांकित मतदाताओं को केवल वर्ष 2003 की सूची का एक अंश प्रस्तुत करना होगा।
- वर्ष 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को अपनी और अपने माता-पिता की जन्मतिथि और स्थान को प्रमाणित करने वाले अतिरिक्त दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।
- सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियां और निर्देश:
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मतदाता सत्यापन के लिये स्वीकार्य 11 दस्तावेज़ों की भारत निर्वाचन आयोग की सूची संपूर्ण नहीं है।
- न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को सलाह दी कि वह चालू SIR में मतदाता पंजीकरण के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड, निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (EPIP) और राशन कार्ड पर विचार करे।
- ECI का क्षेत्राधिकार प्राधिकरण:
- नागरिकता के प्रश्नों का निर्धारण करने के लिये भारत के निर्वाचन आयोग के पास संवैधानिक या वैधानिक अधिकार का अभाव है।
- नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार गृह मंत्रालय के पास है।
- लाल बाबू हुसैन बनाम निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (1995) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि मतदाता सूची में पहले से सूचीबद्ध व्यक्तियों से उनकी नागरिकता पुनः साबित करने के लिये नहीं कहा जा सकता।
- SIR से संबंधित चुनौतियाँ:
- विशेष पुनरीक्षण (SIR) के दिशा-निर्देशों के अनुसार अब आधार मौजूद होने पर भी अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जिससे कई पात्र नागरिकों के बाहर होने की आशंका है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (RPA) के अनुसार, केवल वही व्यक्ति किसी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं जो उस क्षेत्र में सामान्य निवासी (ordinarily resident) हों।
- जो प्रवासी काम या शिक्षा के लिये स्थायी रूप से किसी नए स्थान पर स्थानांतरित हो गए हैं, वे अपने वर्तमान निवास स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं।
- हालाँकि, SIR प्रक्रिया में नागरिकों पर ही अपने पात्र होने का पूरा प्रमाण देने की ज़िम्मेदारी डाली गई है।
- बिहार सरकार के एक सर्वेक्षण के अनुसार, जहाँ 87% लोगों के पास आधार कार्ड है, वहीं केवल 14% के पास मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र तथा सिर्फ 2% के पास पासपोर्ट है।
- मान्य दस्तावेज़ों की सूची से आधार को बाहर करने का निर्णय गरीब और हाशिये पर मौजूद समुदायों को असमान रूप से प्रभावित कर सकता है।


हरियाणा Switch to English
डंकी रूट और मनी लॉन्ड्रिंग
चर्चा में क्यों?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध प्रवासियों से जुड़े "डंकी रूट" मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत पंजाब और हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर छापा मारा।
प्रमुख बिंदु
- डंकी रूट:
- "डंकी" या "डंकी रूट" दशकों से अस्तित्व में है, जिसे खतरनाक और अवैध प्रवास मार्गों के रूप में जाना जाता है।
- यह उन लंबी, घुमावदार और अक्सर जानलेवा यात्राओं को दर्शाता है जिन्हें लोग उस देश तक पहुँचने के लिये अपनाते हैं जहाँ वे प्रवास करना चाहते हैं, विशेष रूप से तब, जब उनके पास आवश्यक कानूनी अनुमति या वित्तीय संसाधन नहीं होते।
- अमेरिका में भारतीयों की अवैध प्रवास में वृद्धि:
- प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या वर्ष 2018–2019 में 8,027 से बढ़कर वर्ष 2022–2023 में 7.25 लाख हो गई है।
- भारत, लैटिन अमेरिका के बाहर से अमेरिका में प्रवास भेजने वाला एकमात्र शीर्ष पाँच देश है।
- वर्ष 2011 से अमेरिका में गैर-दस्तावेज़ी भारतीयों की आबादी में 70% की वृद्धि हुई है।
- अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा से पता चलता है कि सबसे तेज वृद्धि वर्ष 2020 और 2023 के बीच हुई।
- प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या वर्ष 2018–2019 में 8,027 से बढ़कर वर्ष 2022–2023 में 7.25 लाख हो गई है।
- मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन):
- परिचय:
- मनी लॉन्ड्रिंग एक जटिल प्रक्रिया है जिसका उपयोग व्यक्ति या संगठन अवैध रूप से प्राप्त धन के स्रोत को छिपाने के लिये करते हैं। इसमें कई लेन-देन के माध्यम से काले धन को वैध दिखाने की कोशिश की जाती है।
- परिचय:
- मनी लॉन्ड्रिंग के तरीके:
- स्ट्रक्चरिंग (स्मर्फिंग): बड़ी राशि को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर कम संदेहास्पद मात्रा में बैंक खातों में जमा करना।
- व्यापार-आधारित लॉन्ड्रिंग: व्यापारिक लेन-देन का उपयोग कर सीमाओं के पार धन का स्थानांतरण करना और अवैध धन के स्रोत को छिपाना।
- शेल कंपनियाँ: ऐसी कंपनियाँ बनाना जिनका कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं होता, लेकिन जिनके माध्यम से अवैध धन को वैध दिखने वाले लेन-देन के जरिये प्रवाहित किया जाता है।
- रियल एस्टेट: अवैध धन से अचल संपत्ति खरीदना और फिर उसे बेचकर उस धन को वैध परिसंपत्तियों में परिवर्तित करना।
- धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002:
- मुख्य प्रावधान:
- मनी लॉन्ड्रिंग को परिभाषित करता है, जिसमें अपराध से प्राप्त धन को छिपाना, उसका स्वामित्व रखना, अधिग्रहण करना या उपयोग करना और उसे वैध संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करना शामिल है।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जाँच करने, छापामारी और अपराध से अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
- वित्तीय संस्थाओं को वित्तीय खुफिया इकाई – भारत (FIU-IND) को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट जाँच के लिये अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होता है।
- विशेष अदालतों की स्थापना करता है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके और कानूनी दंड सुनिश्चित किया जा सके।
- इसकी अनुसूची (Schedule of Offenses) में आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद जैसे व्यापक पूर्ववर्ती अपराधों (predicate offenses) को शामिल किया गया है।
- प्रभावशीलता:
- मजबूत प्रतिरोधक प्रभाव: PMLA कड़ी जाँच, अभियोजन और संपत्ति ज़ब्ती के माध्यम से आर्थिक अपराधों और धोखाधड़ी को रोकता है।
- बेहतर अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत Interpol और FATF (Financial Action Task Force) के साथ मिलकर अवैध धन के प्रवाह पर निगरानी रखता है।
- बेहतर वित्तीय निगरानी: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को KYC मानकों को अपनाना अनिवार्य किया गया है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम में कमी आती है।
- मुख्य प्रावधान:


मध्य प्रदेश Switch to English
कृषि और ग्रामीण विकास के लिये मध्य प्रदेश सरकार के प्रमुख सुधार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हुई एक कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश सरकार ने कृषि सहायता को बढ़ावा देने, ग्रामीण आजीविका में सुधार करने और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
- इन निर्णयों से राज्य भर के किसानों और स्थानीय समुदायों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
प्रमुख बिंदु:
- किसानों के लिए सिंचाई कर में राहत:
- मध्य प्रदेश सरकार ने सभी किसानों के बकाया सिंचाई जल कर पर लगने वाले जुर्माने को माफ करने का निर्णय लिया है और इसके तहत लगभग 84 करोड़ रुपये के ब्याज को माफ किया जाएगा।
- सरकार ने घोषणा की है कि जो किसान 31 मार्च 2026 तक मूल बकाया राशि का भुगतान कर देंगे, उन्हें पूरे ब्याज हिस्से की छूट दी जाएगी।
- इस निर्णय से राज्य भर के लगभग 35 लाख किसानों को लाभ मिलने की संभावना है।
- मध्य प्रदेश सरकार ने सभी किसानों के बकाया सिंचाई जल कर पर लगने वाले जुर्माने को माफ करने का निर्णय लिया है और इसके तहत लगभग 84 करोड़ रुपये के ब्याज को माफ किया जाएगा।
- दालों की खरीद:
- कैबिनेट ने रबी विपणन वर्ष 2023–24 से 2025–26 तक के लिये ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की फसलों की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद को मंजूरी दी है।
- इसके साथ ही रबी सीजन 2024–25 में लक्ष्य सीमा से अधिक खरीद के लिये सरकारी गारंटी निःशुल्क प्रदान करने की मंजूरी भी दी गई है।
- मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ (Markfed) को नामित खरीद एजेंसी के रूप में कार्य सौंपा गया है।
- CAMPA फंड्स का उपयोग:
- कैबिनेट ने प्रतिवर्ष कार्य योजना (Annual Plan of Operation) 2025–26 के तहत क्षतिपूरक वनीकरण कोष (CAMPA) से आवंटित 1,478.38 करोड़ रुपए में से 1,038 करोड़ रुपए के उपयोग को मंजूरी दी है।
- इस राशि का उपयोग वन संरक्षण परियोजनाओं के लिये किया जाएगा, जिनमें वनीकरण, नदी पुनर्जीवन, मृदा एवं जल संरक्षण और वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों से गाँवों का स्वैच्छिक पुनर्वास शामिल हैं।
- आँगनवाड़ी ढाँचे का विस्तार:
- कैबिनेट ने सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 योजना और धरती आबा आदिवासी ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत नई आँगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना एवं संचालन को मंजूरी दी है।
- यह योजना वर्ष 2025–26 से 2028–29 तक 15.21 करोड़ रुपए प्राप्त करेगी, जिसमें 9.55 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और 5.66 करोड़ रुपए राज्य सरकार द्वारा दिये जाएंगे।
मूल्य समर्थन योजना (PSS)
- परिचय:
- भारत सरकार वर्ष 2018 में शुरू की गई छत्र योजना "पीएम-आशा" (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) के तहत PSS को लागू कर रही है।
- इस योजना में बाज़रा, ज्वार, मक्का, धान, कपास, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, तिल, गेहूँ, चना, सरसों और गन्ना जैसी प्रमुख फसलें शामिल हैं।
- केंद्रीय एजेंसियों और MSP की भूमिका:
- कृषि एवं सहकारिता विभाग तिलहन, दलहन और कपास की खरीद के लिये PSS को क्रियान्वित करता है।
- इस उद्देश्य के लिये NAFED (राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- जब भी बाज़ार मूल्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम चला जाता है, तो नेफेड खरीद शुरू कर देता है।
- खरीद तब तक जारी रहती है जब तक कीमतें MSP स्तर पर या उससे ऊपर स्थिर नहीं हो जातीं।
- योजना का उद्देश्य और प्रभाव:
- PSS का उद्देश्य किसानों के लिये स्थिर और लाभकारी मूल्य वातावरण सुनिश्चित करना है।
- यह मूल्य आश्वासन राज्य भर में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0
- परिचय:
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत सरकार (GoI) ने एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) और पोषण (प्रधान मंत्री की समग्र पोषण योजना) अभियान को सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 में पुनर्गठित किया।
- पुनर्गठित योजना में निम्नलिखित उप-योजनाएँ शामिल हैं:
- ICDS
- पोषण अभियान
- किशोरियों के लिये योजना (SAG)
- राष्ट्रीय शिशु गृह योजना
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA)
- परिचय:
- भारत सरकार ने DAJGUA नामक एक परिवर्तनकारी पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में समावेशी और सतत् विकास सुनिश्चित करना है।
- यह कार्यक्रम जनजातीय बहुल क्षेत्रों और आकांक्षी ब्लॉकों को लक्षित हस्तक्षेप के लिये प्राथमिकता देता है।
- इस पहल से 5 करोड़ से अधिक जनजातीय नागरिकों को लाभ मिलने की अपेक्षा है।
- मुख्य फोकस क्षेत्र और उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य सामाजिक अवसंरचना, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अंतर को कम करना है।
- यह एकीकृत प्रयासों के माध्यम से जनजातीय समुदायों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखती है।


राजस्थान Switch to English
सरिस्का बाघ अभयारण्य (STR)
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति (SC-NBWL), जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री कर रहे हैं, ने सरिस्का टाइगर रिज़र्व (STR) के क्रिटिकल टाइगर हैबिटैट (Critical Tiger Habitat - CTH) की सीमाओं को पुनः निर्धारित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
- हालाँकि, इस पर अंतिम निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी के बाद लिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्ताव के बारे में:
- सर्वोच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लेकर सरिस्का टाइगर रिज़र्व (STR) से संबंधित कई मुद्दों की जाँच कर रही है, जिसमें सीमाओं का पुनर्गठन (rationalisation) भी शामिल है। इस संबंध में केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) ने सुझाव दिया है कि गाँवों के पुनर्वास और पशु चराई जैसी मानव गतिविधियों से होने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिये सीमाओं में बदलाव किया जाए।
- प्रस्तावित बदलाव: इस पुनर्गठन के तहत CTH का क्षेत्र 881.11 वर्ग किमी से बढ़कर 924.49 वर्ग किमी हो जाएगा, जबकि बफर ज़ोन 245.72 वर्ग किमी से घटकर 203.2 वर्ग किमी रह जाएगा। इस परिवर्तन का उद्देश्य संरक्षण की आवश्यकताओं और विकासात्मक दबावों के बीच संतुलन स्थापित करना है।
- पारिस्थितिक और कानूनी संदर्भ: सीटीएच को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है और इसे मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए।
- इस पुनः सीमांकन से टाइगर हैबिटेट के पास बंद पड़ी लगभग 50 खनन गतिविधियों को लाभ मिल सकता है।
सरिस्का टाइगर रिज़र्व:
- सरिस्का टाइगर रिज़र्व राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है।
- इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था तथा वर्ष 1978 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक महत्त्व के लिये भी प्रसिद्ध है —
- यहाँ कंकरवाड़ी किला स्थित है, जहाँ औरंगज़ेब ने दारा शिकोह को बंदी बनाया था।
- पांडुपोल हनुमान मंदिर, पांडवों की कथा से जुड़ा एक धार्मिक स्थल है।
- भौगोलिक विशेषताएँ: सरिस्का का परिदृश्य पथरीली भूमि, घास के मैदान, कांटेदार झाड़ियाँ और अर्द्ध-पर्णपाती वन से युक्त है। यहाँ की वनस्पति में ढोक, सालर, कड़ाया, बेर, गुग्गल और बांस शामिल हैं।
- वन्यजीव: यह अभयारण्य रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर और लकड़बग्घा जैसे विविध प्राणियों का आवास है।
- जल स्रोत: सरिस्का टाइगर रिज़र्व के आसपास जय समंद झील और सिलिसेढ़ झील जैसे महत्वपूर्ण जल स्रोत भी स्थित हैं।
NBWL क्या है?
- NBWL: NBWL वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA, 1972) के तहत गठित वन्यजीव संरक्षण और विकास पर एक सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
- संरचना: NBWL एक 47 सदस्यीय समिति है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं, जो इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं, जबकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री इसके उपाध्यक्ष हैं।
- इसके सदस्यों में शामिल हैं:
- वन्यजीव संरक्षण में शामिल अधिकारी
- थल सेनाध्यक्ष, रक्षा सचिव और व्यय सचिव।
- केंद्र सरकार द्वारा नामित दस प्रख्यात संरक्षणवादी, पारिस्थितिकीविद् और पर्यावरणविद्।
- कार्य: इसका उद्देश्य वन्यजीव और वन के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है।
- बाघ अभयारण्यों में कार्य: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के मार्गदर्शन से किसी भी बाघ अभयारण्य को बिना अनुमति के असंवहनीय उपयोग के लिये हस्तांतरित नहीं किया जाएगा।

