छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी हुई दोगुनी
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2022 में 17 से बढ़कर अप्रैल 2025 तक 35 हो गई, जो राज्य के सफल वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को दर्शाती है।
- इस वृद्धि को छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में रेखांकित किया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने की।
मुख्य बिंदु
- अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघों की सबसे अधिक आबादी (18) है, इसके बाद गुरु घासीदास-तमोर पिंगला (GGTP) टाइगर रिज़र्व में 7, इंद्रावती टाइगर रिज़र्व में 6, भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य में 3 और उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व में 1 बाघ है।
- GGTP को वर्ष 2024 में भारत का 56वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया गया है, जो अब आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व और असम के मानस टाइगर रिज़र्व के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- स्थानांतरण योजना:
- छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से मध्य प्रदेश से बाघों को उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित करने की अनुमति मिल गई है।
- उदंती-सीतानदी के लिये दो मादा और एक नर बाघ तथा गुरु घासीदास के लिये तीन नर बाघों सहित कुल पाँच बाघों को स्थानांतरित किया जाएगा।
- छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से मध्य प्रदेश से बाघों को उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित करने की अनुमति मिल गई है।
- बाघ संरक्षण योजना (TCP):
- राज्य ने एक व्यापक बाघ संरक्षण योजना (TCP) को लगभग अंतिम रूप दे दिया है, जिसका उद्देश्य आवास प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना और टाइगर रिज़र्व में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
- यह योजना पर्यटकों की संख्या बढ़ाने और स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिये कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में सुविधाएँ बढ़ाने पर भी केंद्रित है।