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छत्तीसगढ़

भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य

  • 14 May 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य के कवर्धा रेंज में तेंदू पत्ता एकत्र करते समय भालू ने पीड़ितों पर हमला कर दिया।

मुख्य बिंदु

  • भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य के बारे में:
    • भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में स्थित है।
    • यह सतपुड़ा पहाड़ियों की मैकाल श्रेणी में स्थित है, जो अपनी समृद्ध जैवविविधता और अप्रभावित पारिस्थितिकी तंत्र के लिये जाना जाता है।
    • यह अभयारण्य लगभग 352 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • इसका नाम पास में स्थित 1,000 वर्ष से अधिक पुराने प्राचीन भोरमदेव मंदिर के नाम पर रखा गया है।
    • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी विशेष मूर्तियों के कारण इसे "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" कहा जाता है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व:
    • भोरमदेव कान्हा-अचानकमार वन्यजीव गलियारे का हिस्सा है, जो कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) को अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य (छत्तीसगढ़) से जोड़ता है।
    • इस भूभाग में लहरदार पहाड़ियाँ, घने जंगल और मौसमी नदियाँ शामिल हैं।
  • जल निकाय:
    • यह अभयारण्य फेन और संकरी नदियों का उद्गम स्थल है, जो इसके वन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखती हैं।
  • वनस्पति:
  • वन्य जीवन:
    • यहाँ विविध प्रकार के जीव-जंतु निवास करते हैं जैसे बाघ, तेंदुए, भालू, विभिन्न हिरण प्रजातियाँ और पक्षी।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

  • अवस्थिति: यह मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- मंडला (Mandla) और बालाघाट (Balaghat) में 940 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • इतिहास: वर्तमान कान्हा क्षेत्र दो अभयारण्यों- हॉलन (Hallon) और बंजार (Banjar) में विभाजित था। वर्ष 1955 में इसे कान्हा नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया तथा वर्ष 1973 में कान्हा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
  • कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।

विशेषताएँ:

  • जीव-जंतु: 
    • मध्य प्रदेश का राजकीय पशु- हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा या स्वैम्प डियर (Swamp deer or Rucervus duvaucelii) विशेष रूप से कान्हा टाइगर रिज़र्व में पाया जाता है।
    • अन्य प्रजातियों में टाइगर, तेंदुआ, भालू, गौर और भारतीय अज़गर आदि शामिल हैं।
  • पेड़-पौधे:
    • यह अपने सदाबहार साल के जंगलों (शोरिया रोबस्टा) के लिये जाना जाता है।
    • यह भारत में आधिकारिक शुभंकर, "भूरसिंह द बारहसिंगा" (Bhoorsingh the Barasingha) का पहला टाइगर रिज़र्व है

अचानकमार टाइगर रिज़र्व

  • यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1975 में की गई और वर्ष 2009 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया
  • यह बृहद अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है।
  • इसमें कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक गलियारा मौजूद है और यह इन रिज़र्वों के बीच बाघों के आवागमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • नदी:
    • इस रिज़र्व के ठीक बीच से मनियारी नदी बहती है, जो इस वन की जीवन रेखा है।
  • जनजाति:
    • यहाँ बैगा जनजाति की बहुलता है, जो वन में वास करने वाला जनजाति समुदाय है जिसे "विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • रिज़र्व के प्रमुख क्षेत्र के 626 हेक्टेयर में 25 गाँव हैं, जिनमें से लगभग 75% जनसंख्या बैगा जनजाति की है।
  • वृक्ष:
    • इसके अधिकांश क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वृक्ष विस्तृत हैं।
  • वनस्पतिजात:
    • साल, बीजा, साजा, हल्दू, सागौन, तिनसा, धावरा, लेंडिया, खमर, बाँस सहित औषधीय पौधों की 600 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • प्राणिजात:

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