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भारत FIDE विश्व कप 2025 की मेज़बानी करेगा
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने FIDE विश्व कप 2025 की मेज़बानी मिलने पर भारत के गौरव को व्यक्त किया। क्योंकि लगभग 23 वर्षों के अंतराल के बाद यह प्रतियोगिता भारतीय धरती पर आयोजित होने जा रही है।
- यह टूर्नामेंट 30 अक्तूबर से 27 नवंबर, 2025 तक गोवा में आयोजित होगा। इसमें 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि और अगले वर्ष के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिये तीन स्थान निर्धारित किये जाएंगे।
- 206 खिलाड़ियों वाले इस टूर्नामेंट में विश्व चैंपियन डी. गुकेश, मैग्नस कार्लसन, फैबियानो कारूआना और भारत के आर. प्रज्ञानंदधा जैसे शीर्ष खिलाड़ी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- भारत की पूर्व मेज़बानी:
- भारत ने वर्ष 2002 में हैदराबाद में अंतिम बार FIDE विश्व कप का आयोजन किया था।
- इस प्रतियोगिता में विश्वनाथन आनंद विजेता तथा रुस्तम कासिमदजानोव उपविजेता रहे थे।
- शतरंज की उत्पत्ति:
- शतरंज की उत्पत्ति छठी शताब्दी ईस्वी में गुप्त साम्राज्य के दौरान उत्तरी भारत में हुई थी।
- इसे प्रारम्भ में ‘चतुरंग’ कहा जाता था, जो वास्तविक जीवन की युद्ध-रणनीति को दर्शाता था।
- 8×8 बोर्ड पर खेले जाने वाले इस खेल में पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी और रथ का प्रतिनिधित्व करने वाले मोहरे होते थे।
- यह खेल भारत से फारस पहुँचा और फिर यूरोप में फैला। 15वीं शताब्दी तक यह आधुनिक शतरंज के रूप में विकसित हुआ, जिसमें रानी तथा ऊँट (बिशप) की शक्तियों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की गई।
- अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस :
- वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने 20 जुलाई कोअंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस घोषित किया।
- इस दिवस को शिक्षा, शांति और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में शतरंज की भूमिका को मान्यता देने हेतु घोषित किया गया।
- साथ ही यह सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs)—SDG 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), SDG 5 (लैंगिक समानता), SDG 11 (सतत् शहर एवं समुदाय) तथा SDG 16 (शांति, न्याय और सशक्त संस्थानों) का भी समर्थन करता है।
- FIDE (अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ) :
- FIDE विश्व कप 2025 का आयोजन FIDE द्वारा किया जा रहा है, जो विश्व स्तर पर शतरंज का प्रमुख शासी निकाय है।
- अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) स्थानीय आयोजक के रूप में FIDE के सहयोग से कार्य कर रहा है।
- FIDE की स्थापना वर्ष 1924 में पेरिस में की गई थी, जिसने शतरंज को औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्रदान किया।
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संत मदर टेरेसा की 115वीं जयंती
चर्चा में क्यों?
संत मदर टेरेसा की 115वीं जयंती 26 अगस्त, 2025 को मदर्स हाउस, कोलकाता में मनाई गई ।
मुख्य बिंदु
मदर टेरेसा के बारे में:
- मदर टेरेसा, जिनका जन्म वर्ष 1910 में स्कोप्जे, ओटोमन साम्राज्य (अब उत्तरी मैसेडोनिया) में एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीहु (Agnes Gonxha Bojaxhiu) के रूप में हुआ था, ने अपना जीवन गरीब लोगों की सेवा के लिये समर्पित कर दिया।
- उनकी यात्रा 12 वर्ष की आयु में शुरू हुई जब उन्हें मिशनरी के रूप में सेवा करने का आह्वान महसूस हुआ।
- वर्ष 1928 में, 18 वर्ष की आयु में, वह भारत गईं, जहाँ उन्होंने वर्ष 1931 में अपनी धार्मिक प्रतिज्ञा ली। 17 वर्षों तक उन्होंने कलकत्ता के सेंट मैरी हाई स्कूल में पढ़ाया।
- मदर टेरेसा ने वेटिकन से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद 7 अक्तूबर, 1950 को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की।
- उनका संगठन, जो विश्व स्तर पर विस्तारित था, शरणार्थियों, बुज़ुर्गों और एड्स से पीड़ित लोगों सहित निराश्रित लोगों की देखभाल पर ध्यान केंद्रित करता था।
- 1990 के दशक तक, मिशनरीज ऑफ चैरिटी के 40 देशों में दस लाख से अधिक स्वयंसेवक थे, जो मदर टेरेसा की करुणा की भावना का प्रसार कर रहे थे।
- शांति और समझ को बढ़ावा देने में उनके अथक कार्य के लिये उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें पोप जॉन XXIII शांति पुरस्कार (1971), नेहरू पुरस्कार (1972) और वर्ष 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार शामिल हैं।
- मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर, 1997 को हुआ और वे अपने पीछे करुणा तथा सेवा की एक स्थायी विरासत छोड़ गईं।
- वर्ष 2016 में पोप फ्राँसिस ने उन्हें संत घोषित किया जिससे दुनिया में सबसे प्रिय मानवतावादी हस्तियों में से एक के रूप में उनकी स्थिति और मज़बूत हो गई।
नोट: मदर टेरेसा भारत की एकमात्र प्राकृतिकीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त नागरिक हैं, जिन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (1980) से सम्मानित किया गया।
- वह भारत रत्न पाने वाले केवल दो विदेशियों में से एक हैं। दूसरे हैं खान अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हें सीमांत गांधी के नाम से जाना जाता है, जिन्हें वर्ष 1987 में यह सम्मान दिया गया था।