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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Oct 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

गायक छन्नूलाल मिश्र का निधन

चर्चा में क्यों?

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का लंबी बीमारी के बाद 89 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में निधन हो गया।

मुख्य बिंदु 

  • छन्नूलाल मिश्र के बारे में: 
    • उनका जन्म 3 अगस्त, 1936 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के हरिहरपुर गाँव में हुआ था और 5 अक्तूबर 2025 को उनका निधन हो गया।
  • संगीत यात्रा
    • वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, विशेष रूप से ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन शैलियों के अग्रणी प्रतिपादकों में से एक थे।
    • उन्होंने प्रारंभिक संगीत प्रशिक्षण अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से प्राप्त किया।
    • किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान तथा ठाकुर जयदेव सिंह के मार्गदर्शन में उनकी शास्त्रीय संगीत शिक्षा और समृद्ध हुई।
    • उन्होंने बनारस घराने की ख्याल, ठुमरी और पूरब अंग शैलियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित कर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।
  • पुरस्कार:

    हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत

    • हिंदुस्तानी संगीत, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो मुख्य पद्धतियों में से एक है, दूसरा दक्षिण भारत का कर्नाटक संगीत है।
    • यह मुख्यतः गायन-केंद्रित है, जिसमें ध्रुपद और ख्याल शास्त्रीय हिंदुस्तानी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि ठुमरी, धमार, तराना, टप्पा, कव्वाली तथा गजल अर्द्ध-शास्त्रीय हिंदुस्तानी शैलियाँ हैं।

    ठुमरी

    • परिचय: 
      • यह उत्तर भारत का एक अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत रूप है, जो 19वीं शताब्दी में नवाब वाज़िद अली शाह के संरक्षण में उन्नत हुआ 
      • यह अपनी भावपूर्ण गहराई, माधुर्य और अभिव्यक्तिपूर्ण कहानी कहने की शैली के लिये प्रसिद्ध है।
      • वर्ष 1856 में अवध के पतन के बाद इसका केंद्र बनारस में स्थानांतरित हो गया, जहाँ इसे आध्यात्मिक और भक्तिपरक स्वर (राधा-कृष्ण थीम) मिला।
    • विशेषता: 
      • इसमें राग नियमों के सख्त पालन के बजाए भाव (भावना) पर ज़ोर दिया जाता है और सुधार तथा स्वतंत्रता की अनुमति दी जाती है।
    • प्रभाव: 
      • इसमें होरी, कजरी, दादरा, झूला, चैती और अन्य लोक या अर्द्ध-शास्त्रीय रूपों के तत्त्व शामिल हैं।
    • ठुमरी के रूप:
      • पूर्वी ठुमरी (पूर्वी/धीमी गति): गीतात्मक और गहन भावनात्मक, मुख्यतः बनारस घराने से सम्बंधित।
      • पंजाबी ठुमरी (तीव्र गति): ऊर्जावान और जीवंत, पटियाला घराने से संबंधित।
    • प्रमुख घराने: 
      • बनारस घराना, लखनऊ घराना और पटियाला घराना। 


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    श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती

    चर्चा में क्यों?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करते हुए युवाओं से उनकी निडर साहस और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का अनुकरण करने का आग्रह किया।

     मुख्य बिंदु

    • वे एक भारतीय क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिनका जन्म 4 अक्टूबर 1857 को मांडवी, गुजरात में हुआ था। 
    • लंदन में उन्होंने वर्ष 1905 में इंडियन होम रूल सोसाइटी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था। 
    • उन्होंने लंदन में भारतीय छात्रों के लिये छात्रावास और बैठक-स्थल के रूप में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की।
    • उन्होंने ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट नामक पत्रिका भी शुरू की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
    • वह बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष थे और वीर सावरकर से प्रभावित थे।
    • ब्रिटिश आलोचना के प्रत्युत्तर में वे इंग्लैंड से पेरिस चले गए और तत्पश्चात प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिनेवा में स्थायी रूप से बस गए, जहाँ 30 मार्च, 1930 को उनका निधन को गया।
    • उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी अस्थियाँ स्वतंत्र भारत में लाई जाएँ, यह इच्छा अगस्त 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरी की गई।
    • उनकी स्मृति में ‘क्रांति तीर्थ’ नामक स्मारक का निर्माण मांडवी के निकट किया गया, जिसका उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया।


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