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स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Sep 2025
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छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ में लुटी जलाशय में दरार

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले के धनसपुर गाँव में स्थित लुटी (सातबहिनी) जलाशय में दरार आने से अचानक बाढ़ आ गई, जिसके परिणामस्वरूप अनेक लोग घायल हो गए तथा संपत्ति को व्यापक क्षति पहुँची।

मुख्य बिंदु

  • लुटी जलाशय के बारे में: 
    • लुटी बाँध, जिसे लुटी (सतबहिनी) जलाशय के रूप में भी जाना जाता है, भारत के छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले में विश्रामनगर के पास धनेशपुर गाँव में स्थित एक छोटा बाँध है।
    • इसका निर्माण 1980 के दशक के प्रारंभ में हुआ था और यह स्थानीय सिंचाई तथा कृषि के लिये प्रमुख जल स्रोत के रूप में कार्य करता रहा है।
    • रिपोर्टों में कई वर्षों से बाँध में रिसाव तथा संरचनात्मक मज़बूती को लेकर आशंकाएँ व्यक्त की जाती रही थीं, किंतु हाल ही में हुई तीव्र मानसूनी वर्षा ने इसकी जर्जर संरचना को प्रभावित कर दिया।

लुटी बाँध के बारे में मुख्य विवरण

विशेषता

विवरण

नाम

लुटी बांध

उद्देश्य

सिंचाई

नदी

उपका नाला

निकटतम नगर

सूरजपुर 

ज़िला

सरगुजा

बेसिन

गंगा

आकस्मिक बाढ़ (Flash Flood) 

  • परिभाषा: 
    • तीव्र वर्षा के दौरान या उसके तुरंत बाद जल स्तर में अचानक वृद्धि को आकस्मिक बाढ़ (Flash flood) कहते हैं। 
    • यह अत्यधिक स्थानीयकृत और अल्पकालिक घटना होती है, जो सामान्यतः वर्षा के 6 घंटे के भीतर घटित होती है। 
  • कारण: 
    • फ्लैश फ्लड मुख्यतः तीव्र वर्षा के कारण होती है, जो मृदा की अवशोषण क्षमता और जल निकासी प्रणालियों को प्रभावित करती है।
    • भारी वर्षा के अतिरिक्त, अचानक तापमान वृद्धि, बाँध या तटबंधों के टूटने, हिम या मलबे के जमाव के कारण तथा हिमनद झीलों के अचानक फटने के कारण तेज़ी से हिम विगलन से भी फ्लैश फ्लड आ सकती है।
    • इसके अतिरिक्त, सड़कों और इमारतों जैसी अभेद्य सतहों वाले शहरीकरण से अपवाह बढ़ता है, जल अवशोषण कम होता है तथा बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
  • उदाहरण: 
    • हिमाचल प्रदेश (2023), उत्तराखंड (2013) तथा मुंबई (2005) में आई आपदाएँ भी भारी वर्षा के कारण हुई थीं, जिनसे जान-माल व्यापक हानि हुई।




झारखंड Switch to English

मिथिला सांस्कृतिक परिषद

चर्चा में क्यों?

जमशेदपुर में स्थित मिथिला सांस्कृतिक परिषद (मिथिला संस्कृति परिषद), मैथिली सलाहकार बोर्ड के तहत साहित्य अकादमी से संबद्ध होने वाला झारखंड का पहला संस्थान बन गया है।

  • इस परिषद से अपेक्षा की जाती है कि यह राष्ट्रीय साहित्यिक प्रयासों के साथ समन्वय करते हुए क्षेत्र में मैथिली भाषा एवं साहित्य के संवर्द्धन, संरक्षण तथा समृद्धि में योगदान देगा।
  • साहित्य अकादमी ने सलाहकार बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर पंजाबी, ओडिया, तमिल, अंग्रेज़ी और हिंदी से 22 पुस्तकों का मैथिली में अनुवाद करने की भी स्वीकृति दी है।

मुख्य बिंदु

  • मैथिली सलाहकार बोर्ड के बारे में:
    • साहित्य अकादमी का मैथिली सलाहकार बोर्ड एक समर्पित पैनल है, जो प्रमुख भारतीय भाषाओं को समर्थन देने हेतु अकादमी के प्रयासों के तहत मैथिली साहित्य की देखरेख और प्रचार-प्रसार करता है।
    • साहित्य अकादमी भारत की राष्ट्रीय साहित्य अकादमी है, जो 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं को सहयोग प्रदान करती है और प्रत्येक भाषा के लिये पृथक सलाहकार बोर्ड गठित करती है।
    • बोर्ड में प्रतिष्ठित मैथिली लेखक, आलोचक और विद्वान शामिल होते हैं, जो प्रकाशन हेतु पुस्तकों की अनुशंसा करते हैं, संगोष्ठियों का आयोजन करते हैं तथा मैथिली में साहित्यिक गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं।
    • बोर्ड का कार्यकाल सामान्यतः पाँच वर्षों का होता है और इसके सदस्य मैथिली साहित्य जगत में महत्त्वपूर्ण योगदान के आधार पर नामित किये जाते हैं।
    • यह बोर्ड मैथिली भाषा के लिये साहित्य अकादेमी पुरस्कार हेतु नामांकन में भी भूमिका निभाता है और भाषायी तथा साहित्यिक प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में योगदान देता है।

मैथिली भाषा

  • मैथिली बिहार में बोली जाने वाली एक भाषा है, जो इंडो-आर्यन शाखा के पूर्वी उप-समूह से संबंधित है। भोजपुरी और मगधी इस भाषा से निकटता से संबंधित हैं।
  • माना जाता है कि इस भाषा का विकास मगध प्राकृत से हुआ है।
  • मध्यकाल में यह संपूर्ण पूर्वी भारत की साहित्यिक भाषा थी।
  • इसे 14वीं शताब्दी में कवि विद्यापति ने लोकप्रिय बनाया और साहित्य में इसकी महत्ता को सुदृढ़ किया।
  • मैथिली भाषा को वर्ष 2003 में संवैधानिक दर्जा दिया गया और यह संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से एक बन गई।


छत्तीसगढ़ Switch to English

फास्ट 5 सीनियर राष्ट्रीय नेटबॉल चैंपियनशिप

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की महिला टीमों ने हरियाणा के पलवल स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम में आयोजित चौथी फास्ट 5 सीनियर राष्ट्रीय नेटबॉल चैंपियनशिप 2025-26 में कांस्य पदक जीते।

मुख्य बिंदु

  •  चैंपियनशिप के बारे में:

 

  • यह चैंपियनशिप 28 से 31 अगस्त 2025 तक आयोजित की गई थी, जिसमें 26 राज्य टीमों ने भाग लिया।
  • विजेता:
    • राजस्थान टीम, जिसकी कप्तानी निधि शर्मा (जिन्होंने इससे पहले उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में टीम को स्वर्ण और रजत पदक दिलाया था) ने की, ने उत्कृष्ट टीमवर्क तथा प्रदर्शन किया।
    • छत्तीसगढ़ टीम ने क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में कड़ी टक्कर देते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया।
  • महत्त्व: 
    • इन सफलताओं से नेटबॉल और अन्य खेलों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे लैंगिक सशक्तीकरण तथा युवा खेल विकास के दृष्टिकोण को समर्थन मिलेगा।
  • पदक विजेता 
    • पुरुष वर्ग
      • स्वर्ण – हरियाणा
      • रजत – केरल
      • कांस्य – तेलंगाना और पंजाब
    • महिला वर्ग
      • स्वर्ण – हरियाणा
      • रजत – पंजाब
      • कांस्य – छत्तीसगढ़ और राजस्थान

नेटबॉल

  • नेटबॉल एक तीव्र गति से खेला जाने वाला खेल है, जिसे दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में सात खिलाड़ी होते हैं, जिसका लक्ष्य एक आयताकार कोर्ट पर ऊँचे घेरे (रिंग) में बॉल डालकर गोल करना होता है।
  • नेटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया भारत में नेटबॉल के लिये राष्ट्रीय शासी निकाय है। 
  • यह संस्था सभी राज्यों और आयु वर्गों में इस खेल को बढ़ावा देने, नियंत्रित करने तथा विकसित करने का कार्य करती है।


बिहार Switch to English

मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना

चर्चा में क्यों?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना का शुभारंभ किया, जिसके तहत महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिये 10,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी, बशर्ते वे जीविका स्वयं सहायता समूहों में शामिल हों।

  • इसे प्रधानमंत्री द्वारा बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ के शुभारंभ से पूरक बनाया गया, जिसका उद्देश्य जीविका सदस्यों को किफायती ऋण उपलब्ध कराना है।

मुख्य बिंदु 

योजना के बारे में: 

  • उद्देश्य: बिहार में प्रत्येक परिवार की एक महिला को स्व-रोज़गार उद्यम शुरू करने के लिये 10,000 रुपये की प्रारंभिक वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • कार्यान्वयन: योजना के अंतर्गत रोज़गार प्रारंभ करने की इच्छुक महिलाओं को जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ना अनिवार्य होगा, जिसके माध्यम से आवश्यक धन उपलब्ध कराया जाएगा।
    • योजना के लिये आवेदन-पत्र का प्रारूप तैयार हो चुका है और महिलाओं को सितंबर से धनराशि मिलनी शुरू हो जाएगी।
  • नोडल एजेंसी: ग्रामीण विकास विभाग इस योजना के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा, जबकि शहरी विकास एवं आवास विभाग इसके कार्यान्वयन के लिये आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।
  • भविष्य की संभावनाएँ: छह महीने बाद योजना के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा। इस पहल की सफलता के आधार पर लाभार्थियों को 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता प्रदान की जा सकती है।
  • स्थानीय बाज़ारों की भूमिका: यह योजना स्थानीय बाज़ारों या 'हाट बाज़ारों' की स्थापना को भी प्रोत्साहित करेगी, जहाँ महिलाएँ स्वयं निर्मित उत्पादों की बिक्री कर सकेंगी। इससे उनकी आर्थिक स्वावलंबन क्षमता सुदृढ़ होगी।
  • प्रभाव: इस पहल का उद्देश्य बिहार से रोज़गार की तलाश में होने वाले लोगों के पलायन को रोकना तथा राज्य के भीतर बेहतर रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना है।

बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड

  • उद्देश्य: इसकी परिकल्पना एक वैकल्पिक वित्तीय तंत्र के रूप में की गई है, ताकि माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) पर निर्भरता कम की जा सके तथा कम ब्याज दरों पर समय पर अधिक ऋण राशि उपलब्ध कराई जा सके।
  • सदस्यता: जीविका के अंतर्गत पंजीकृत सभी क्लस्टर-स्तरीय संघ इस संघ के सदस्य बनेंगे।
  • वित्तपोषण: इस संस्था के संचालन हेतु बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार दोनों ही वित्तीय सहयोग प्रदान करेंगी।
  • पारदर्शिता: यह व्यवस्था पूर्णतः डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्य करेगी, जिससे जीविका दीदियों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष, त्वरित तथा पारदर्शी धन अंतरण सुनिश्चित होगा। इस प्रक्रिया को सहयोग देने के लिये 12,000 सामुदायिक कार्यकर्त्ताओं को टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे।


उत्तर प्रदेश Switch to English

अनुपम गुप्ता UP SEIAA के अध्यक्ष नियुक्त

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा अनुपम गुप्ता को तीन वर्ष के कार्यकाल हेतु उत्तर प्रदेश में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

  • वे भारतीय वन सेवा (IFS) के सेवानिवृत्त अधिकारी (1989 बैच) हैं, जिन्होंने वानिकी क्षेत्र में 35 वर्षों तक सेवा की है।

मुख्य बिंदु 

राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA)

  • परिचय:
  • उद्देश्य और कार्य:
    • SEIAA की प्राथमिक भूमिका राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के भीतर श्रेणी 'बी' परियोजनाओं (श्रेणी 'ए' की तुलना में कम प्रभाव वाली छोटी परियोजनाएँ, जिन्हें केंद्रीय मंत्रालय द्वारा मंज़ूरी दी जाती है) का मूल्यांकन और अनुमोदन करना है।
    • SEIAA राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (SEAC) के साथ मिलकर कार्य करता है, जो परियोजना मूल्यांकन के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
  • संरचना और नियुक्ति: 
    • प्राधिकरण का गठन आमतौर पर राज्य सरकार या केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन की सिफारिशों पर केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
    • इसमें तीन सदस्य होते हैं: 
      • अध्यक्ष (पर्यावरण नीति/प्रबंधन विशेषज्ञ),
      • एक अन्य विशेषज्ञ सदस्य तथा
      • सदस्य सचिव (राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का अधिकारी, जिसे पर्यावरण कानून का अनुभव हो)।
  • अध्यक्ष और विशेषज्ञ सदस्य को अधिसूचना प्रकाशित होने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया जाता है।
  • परिवेश पोर्टल:
    • भारत में प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का अपना SEIAA है। इन प्राधिकरणों को मंत्रालय के परिवेश पोर्टल के माध्यम से सूचीबद्ध और सुलभ बनाया गया है, जो देश में पर्यावरण मंज़ूरी प्रस्तावों के प्रबंधन का कार्य करता है।


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