उत्तर प्रदेश Switch to English
इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स विनिर्माण नीति
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु राज्य मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स विनिर्माण नीति-2025 (UP ECMP-2025) को स्वीकृति दे दी है।
मुख्य बिंदु
- नीति के बारे में:
- यह नीति केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट विनिर्माण योजना (ECMS) के अनुरूप है, जिसका निवेश लक्ष्य 5,000 करोड़ रुपये है और लाखों रोज़गार सृजन का अनुमान है।
- उद्देश्य:
- नीति का उद्देश्य डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल और मल्टीलेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) सहित 11 प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
- 5,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ, इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार के अवसर सृजित होंगे, जिससे उत्तर प्रदेश एक प्रमुख निवेश गंतव्य बन जाएगा।
- प्रशासनिक ढाँचा:
- नीति कार्यान्वयन इकाई और एक सशक्त समिति द्वारा समर्थित एक नोडल एजेंसी स्थापित की जाएगी, जो नीति के कार्यान्वयन की देखरेख करेगी तथा कुशल शासन एवं पहलों के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
- समय-सीमा:
- यह नीति 1 अप्रैल 2025 से पूर्वव्यापी रूप से प्रभावी होगी तथा इस तिथि से किये गए निवेश नीतिगत लाभों के लिये पात्र होंगे, जो छह वर्षों तक विस्तारित होंगे।
- प्रोत्साहन:
- उद्यमियों को केंद्रीय ECMS लाभों के साथ-साथ राज्य स्तरीय प्रोत्साहन भी प्राप्त होंगे, जिससे उत्तर प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला मज़बूत होगी और एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।
- महत्त्व:
- यह नीति इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में नवाचार को प्रोत्साहित करेगी और भारत की आयात निर्भरता को कम करेगी, जो घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को मज़बूत करने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
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निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को स्वीकृति दे दी है। यह नीति निर्यातकों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों का समाधान करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने के लिये तैयार की गई है।
मुख्य बिंदु
- नीति के बारे में:
- इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में एक सुदृढ़ निर्यात पारितंत्र (Export Ecosystem) विकसित करना है, जो नए तथा स्थापित दोनों प्रकार के निर्यातकों को सहयोग प्रदान करेगा। साथ ही, वर्ष 2030 तक राज्य के निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
- क्षेत्रवार प्राथमिकता:
- नीति में इलेक्ट्रॉनिक्स, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग उत्पाद, वस्त्र उद्योग, कृषि उत्पाद, रसायन एवं औषधि उद्योग, चमड़े के उत्पाद, खेल उपकरण, काँच व सिरेमिक तथा सेवा क्षेत्र (आईटी, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स) जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।
- एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) पर ज़ोर:
- नीति में एक ज़िला, एक उत्पाद (ODOP) के अंतर्गत आने वाले उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है, ताकि राज्य के पारंपरिक व स्वदेशी उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँचाया जा सके।
- प्रोत्साहन: इस नीति के अंतर्गत नए निर्यातकों और स्टार्टअप्स को विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जाएंगे, जिसमें शामिल हैं:
- वित्तीय सहायता: डिजिटल मार्केटिंग एवं उत्पाद कैटलॉगिंग हेतु अधिकतम 1 लाख रुपये।
- वर्चुअल मेले: वर्चुअल प्रदर्शनी आयोजन हेतु अधिकतम 25,000 रुपये।
- निर्यात प्रमाणन: अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद प्रमाणन हेतु 75% या अधिकतम 25 लाख रुपये तक का व्यय वहन।
- प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन: निर्यातकों को निर्यात प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों से लाभ मिलेगा, जिनमें निर्यात ऋण बीमा सहायता तथा ECGC कवरेज व्यय हेतु अनुदान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य निर्यात प्रदर्शन को सुदृढ़ करना है।
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नोएडा में भारत की पहली टेंपर्ड ग्लास विनिर्माण इकाई
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में मोबाइल उपकरणों के लिये भारत की पहली टेंपर्ड ग्लास विनिर्माण इकाई का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- विनिर्माण इकाई के बारे में:
- यह इकाई ऑप्टीमस इलेक्ट्रॉनिक्स (एक भारतीय दूरसंचार तथा विनिर्माण उद्यम) और कॉर्निंग इनकॉर्पोरेटेड, अमेरिका के सहयोग से वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड “इंजीनियर्ड बाय कॉर्निंग” के तहत उच्च गुणवत्ता वाले टेंपर्ड ग्लास का उत्पादन करेगी।
- मांग:
- यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में मोबाइल फोन के एक प्रमुख सहायक उपकरण, टेंपर्ड ग्लास की बढ़ती मांग को पूरा करेगी।
- भारत में टेंपर्ड ग्लास का घरेलू बाज़ार 500 मिलियन यूनिट से अधिक होने का अनुमान है, जिसका खुदरा मूल्य लगभग 20,000 करोड़ रुपये है, जबकि वैश्विक बाज़ार 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का है।
- निवेश:
- इस इकाई के प्रथम चरण में 70 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिसकी उत्पादन क्षमता 25 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष होगी, जिससे 600 से अधिक लोगों के लिये प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- द्वितीय चरण में क्षमता को बढ़ाकर 200 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष किया जाएगा, जिसके लिये अतिरिक्त 800 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे 4,500 से अधिक प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- महत्त्व:
- विगत 11 वर्षों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 11.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जिसमें 3 लाख करोड़ रुपये का निर्यात और 2.5 मिलियन रोज़गार सृजित हुए हैं। यह कदम इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को सशक्त बनाने तथा मेक-इन-इंडिया पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।