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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Dec 2022
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मुख्यमंत्री ने किया बिलासपुर एवं अंबिकापुर में रीजनल सी-मार्ट का वर्चुअली उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

2 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा स्थित अपने कार्यालय से बिलासपुर एवं अंबिकापुर में रीजनल सी-मार्ट का वर्चुअली उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत 863 संग्राहक परिवारों को 13 करोड़ 46 लाख 35 हज़ार रुपए की सहायता अनुदान राशि एवं छात्रवृत्ति योजनांतर्गत 7566 छात्र-छात्राओं को 8 करोड़ 4 लाख 65 हज़ार रुपए की छात्रवृत्ति राशि का अंतरण किया।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 28 ज़िलों में सी-मार्ट बन गए हैं। अब उत्पादों की बिक्री की समस्या नहीं है। सी-मार्ट से उपभोत्ताओं और स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को आसानी हो गई है। समूह की महिलाओं की आय भी बढ़ रही है।
  • उन्होंने कहा कि उन वस्तुओं का उत्पादन ज्यादा करें, जिनकी मार्केट में ज्यादा मांग है। नया उत्पाद बनाने से पूर्व उसका बाज़ार में मांग कैसी होगी, इसका आकलन बेहतर तरीके से कर लें।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि आज स्व-सहायता समूह के द्वारा बनाए गए उत्पादों को सी-मार्ट के माध्यम से एक बाज़ार मिला है। इससे उनकी आमदनी में वृद्धि होने के साथ ही रोज़गार भी बढ़ा है।
  • उन्होंने कहा कि एक सी-मार्ट दूसरे ज़िले के या संभाग के सी-मार्ट से ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए हैं, जिससे किस सी-मार्ट में कौन-कौन से उत्पाद हैं, इसकी जानकारी मिल जाती है।
  • मुख्यमंत्री बघेल ने शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के हितग्राहियों से सहानुभूतिपूर्वक बात की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस योजना से कम समय में ही पीड़ित परिवार को सहायता राशि मिल रही है। इससे उनके परिवार को एक आर्थिक संबल मिला है।
  • मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम के दौरान कहा कि मेधावी छात्र-छात्राओं को मिलने वाली इस राशि से उनकी आगे की पढ़ाई में काफी सहायता मिलती है और भी अन्य छात्र-छात्राओं को पूरी मेहनत से पढ़ाई करने के लिये प्रोत्साहन मिलता है।

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स्वास्थ्य और पोषण की डेल्टा रैंकिंग में आकांक्षी ज़िला सुकमा देश में प्रथम

चर्चा में क्यों?

2 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार नीति आयोग द्वारा अक्टूबर माह की जारी आकांक्षी ज़िलों की डेल्टा रैंकिंग में सुकमा ज़िले ने देश में प्रथम स्थान हासिल किया है।

प्रमुख बिंदु

  • आकांक्षी ज़िला सुकमा को अक्टूबर माह के लिये स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में देश में प्रथम रैंक मिला है।
  • गौरतलब है कि प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे लगातार प्रयासों से ज़िले में स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी मापदंडों में स्थिति बेहतर हुई है। ज़िले में गर्भवती महिलाओं की एएनसी रजिस्ट्रेशन में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं संस्थागत प्रसव में ज़िले में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वर्तमान स्थिति में 90 प्रतिशत संस्थागत प्रसव किये जा रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत ज़िले के आंगनबाड़ियों में गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार प्रदान करने की दर 14 प्रतिशत है। इसी तरह ज़िले में टीबी के मरीजों की पहचान में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं टीबी मरीजों के सफल इलाज में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • ज़िला प्रशासन द्वारा ज़िले में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, मूलभूत सुविधाओं के विकास, कौशल विकास, जल संसाधन के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप नीति आयोग द्वारा जारी आँकड़ों के आधार पर अक्टूबर माह के ओवरऑल रैंक में सुकमा ज़िला को तीसरा स्थान मिला है, जो कि ज़िले में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी किये जा रहे बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।

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छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी

चर्चा में क्यों?

2 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा बेरोज़गारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार नवंबर माह में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 0.1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है।

प्रमुख बिंदु

  • सीएमआईई द्वारा 1 दिसंबर को जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार नवंबर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि नवंबर माह में देश में बेरोज़गारी दर का यह आँकड़ा 8.2 फीसदी रहा है।
  • छत्तीसगढ़ 1 प्रतिशत बेरोज़गारी की दर के साथ लगातार देश का न्यूनतम बेरोज़गारी दर वाला राज्य बना हुआ है।
  • गौरतलब है कि सीएमआईई के मई-अगस्त 2018 में जारी किये गए आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 22 प्रतिशत थी। राज्य शासन की योजनाओं से इसमें उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। बेरेाज़गारी की दर छत्तीसगढ़ में माह दिसंबर 2022 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है।
  • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आँकड़ों से यह साबित हुआ है कि छत्तीसगढ़ राज्य के 90 फीसद लोग किसी न किसी रोज़गार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं।
  • नवंबर माह में देश के शहरी क्षेत्रों में 0 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी का आँकड़ा 7.8 फीसद रहा है।
  • न्यूनतम बेरोज़गारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोज़गार के नए अवसरों के सृजन के लिये बनाई गई योजना और नीतियाँ रही हैं। छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गाँव तक हर हाथ को काम मिला है।
  • सीएमआईई द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2022 में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। वहीं इसी अवधि में 1.2 फीसदी के साथ उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है। ओड़िसा 1.6 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा 6.2 प्रतिशत है और गुजरात में 2.5 प्रतिशत रहा है।
  • दूसरी ओर नवंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोज़गारी दर के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है, जहाँ 6 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है। जम्मू एवं कश्मीर में बेरोज़गारी दर 23.9 फीसदी दर्ज की गई।
  • छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गाँवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किये गए। इसमें ‘सुराजी गाँव योजना’के अंतर्गत ‘नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी’कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर ‘गोधन न्याय योजना’के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोज़गार मिला। रोज़गार के नए अवसर सृजित हुए।
  • 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों का प्रसंस्करण व मूल्य-संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोज़गार मिला। इसी तरह स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिये सी-मार्ट प्रारंभ किये गए हैं।
  • ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना से उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा।
  • ‘राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मज़दूर योजना’के तहत ‘पौनी-पसारी’व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किये गए। इससे उद्यमिता विकास को गति मिली।  

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