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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Dec 2021
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साहित्य अकादमी के वर्ष 2017 के शेष कृति पुरस्कार घोषित

चर्चा में क्यों?

2 दिसंबर, 2021 को संस्कृति विभाग की साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद ने कैलेंडर वर्ष 2017 के शेष 6 अखिल भारतीय और 6 प्रादेशिक कृति पुरस्कारों की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय पुरस्कार में एक लाख रुपए और प्रादेशिक पुरस्कार में 51 हज़ार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की जाती है।
  • अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने बताया कि छ: अखिल भारतीय पुरस्कारों में ‘आत्मकथा-जीवन’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय विष्णु प्रभाकर पुरस्कार’ वाराणसी के संदीप देव को रचना ‘हमारे श्री गुरु जी’ के लिये, ‘संस्मरण’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार’ खंडवा के  संतोष तिवारी को उनकी रचना ‘रिश्ते मन से मन के’ के लिये, ‘रेखाचित्र’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय महादेवी वर्मा पुरस्कार’ दिल्ली के संजय सिन्हा को ‘शुक्रिया’ के लिये, ‘यात्रा वृत्तांत’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार’ गाज़ियाबाद के विनोद बब्बर को ‘भगीरथ के देश में’ के लिये, ‘अनुवाद’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार’ दिल्ली के अमरनाथ श्रीवास्तव को ‘कारगिल के परमवीर’ के लिये और ‘फेसबुक/ब्लॉग/नेट’ श्रेणी में ‘अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार’ उज्जैन के सुरेश चिपलूनकर को उनके पेज: ‘ब्लॉक/फेसबुक’ के लिये दिया गया है।
  • शेष छ: प्रादेशिक पुरस्कारों में ‘संवाद, पटकथा लेखन’ श्रेणी में ‘प्रादेशिक नरेश मेहता पुरस्कार’भोपाल के अयोध्या प्रसाद सोनी को उनकी रचना ‘खाली पिंजरा और हिंदुस्तान का पानी’के लिये, ‘लघुकथा’श्रेणी में ‘प्रादेशिक जैनेन्द्र कुमार ‘जैन’ पुरस्कार’ भोपाल के घनश्याम मैथिल ‘अमृत’को उनकी रचना ‘एक लोहार की’ के लिये, ‘एकांकी’ श्रेणी में ‘प्रादेशिक सेठ गोविंद दास पुरस्कार’ भोपाल के अरविंद शर्मा को ‘सपना सच हो गया’ के लिये, ‘व्यंग्य’ श्रेणी में ‘प्रादेशिक शरद जोशी पुरस्कार’उज्जैन के मुकेश जोशी को ‘ऑल इज वेल’ के लिये, ‘गीत’श्रेणी में ‘प्रादेशिक वीरेंद्र मिश्र पुरस्कार’सतना के छोटेलाल पांडेय को ‘वीरव्रती आज़ाद’और ‘गजल’श्रेणी में ‘प्रादेशिक दुष्यंत कुमार पुरस्कार’ ग्वालियर के मनीष जैन ‘रौशन’ को उनकी रचना ‘रंग खुशबू के’के लिये दिया गया है।

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5वाँ टी-20 मास्टर कप (वेटरन) का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

2 दिसंबर, 2021 को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने ओल्ड कैम्पियन ग्राउंड में बल्ला चलाकर 5वें टी-20 मास्टर कप (वेटरन) का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इसके पूर्व उन्होंने उद्घाटन मैच की टीमों- ‘मीडिया मास्टर्स’ और ‘सेकेंड इनिंग मास्टर्स’ के खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त किया। 
  • स्पोर्ट्स क्लब ऑफ भोपाल समिति संरक्षक राहुल कोठारी ने बताया कि समिति द्वारा पाँचवीं बार टी-20 मास्टर्स कप (वेटरन) और सीनियर डिवीज़न इंटर क्लब क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन स्पोर्ट्स क्लब ऑफ भोपाल और भोपाल क्रिकेट अकादमी के संयुक्त तत्वावधान किया जा रहा है। 
  • विगत 2 वर्षों से प्रतियोगिता कोविड-19 महामारी के कारण नहीं कराई जा सकी। इस बार प्रतियोगिता में 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं। प्रतियोगिता लीग आधारित आयोजित की गई है। इसमें सभी खिलाड़ी कलरफुल ड्रेस में सफेद लेदर बॉल से खेलेंगे।
  • आयोजन सचिव योगेंद्र व्यास ने बताया कि प्रतियोगिता में बेस्ट बॉलर, बैट्समैन, फील्डर, विकेट-कीपर और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार दिया जाएगा।

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महिला आरक्षक को लिंग परिवर्तन कराने की मिली अनुमति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश में गृह विभाग ने पहली बार किसी महिला को लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति दी है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि इस महिला आरक्षक ने पुरुष बनने के लिये लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति मांगी थी। जिन्हें पुलिस महानिदेशक ने लिंग परिवर्तन करवाने की अनुमति दी है। 
  • राष्ट्रीय स्तर के मनोचिकित्सकों ने इस बात की पुष्टि की है कि महिला आरक्षक को बचपन से ही जेंडर आइडेंटिटी संबंधी डिसऑर्डर रहा है।
  • महिला आरक्षक ने अपने ज़िले में पुरुषों की तरह पुलिस के काम किये हैं। साथ ही विधिवत आवेदन दिया व शपथ-पत्र पेश किया।
  • भारत सरकार के राजपत्र में 2019 में लिंग बदलने की मंशा की अधिसूचना प्रकाशित की गई थी। इसके बाद ही आवेदन पुलिस मुख्यालय को भेजा गया था। पुलिस मुख्यालय ने इस आवेदन पर गृह विभाग से अनुमति मांगी थी।
  • विधि विभाग ने गृह विभाग को दिये परामर्श में कहा था कि भारतीय नागरिक को उसके धर्म या जाति पर ध्यान दिये बिना अपने लिंग का चुनाव करने की स्वतंत्रता है। इसके बाद अनिता को लिंग परिवर्तन की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है।
  • उल्लेखनीय है कि पाँच वर्ष पहले बीड की 29 वर्षीय महिला कॉन्स्टेबल ललिता साल्वे ने लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी। वह देश का पहला केस था। तमाम कानूनी अड़चनों को दूर करने के बाद वह ललिता साल्वे से ललित साल्वे बन गई थीं।
  • जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर/जेंडर डिस्फोरिया वह स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति को यह महसूस होता है कि उसका प्राकृतिक लिंग उसकी लैंगिक पहचान से मेल नहीं खाता।

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