मध्य प्रदेश Switch to English
पगारा बाँध के पास चीता देखे गए
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले में पगारा बाँध के पास कुनो राष्ट्रीय उद्यान से चीते दिखाई दिये, जिसके बाद वन विभाग ने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया।
मुख्य बिंदु
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बारे में:
- मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना ज़िलों में स्थित, कुनो राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
- इसे अपने पारिस्थितिकी महत्त्व के कारण वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ।
- इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम कुनो नदी के नाम पर रखा गया है, जो चंबल नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- यह क्षेत्र मुख्यतः शुष्क पर्णपाती वनों से आच्छादित है और विंध्य पर्वतमाला में स्थित है।
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान, प्रोजेक्ट चीता के अंतर्गत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित किये गए चीतों का निवास स्थान है।
- जीव-जंतु:
- तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय भेड़िया, काला हिरण, सांभर हिरण, घड़ियाल (कुनो नदी)।
- वनस्पति:
- मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ करधई, खैर और सलाई हैं।
- प्रोजेक्ट चीता:
- वर्ष 2022 में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य वर्ष 1952 से भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को पुनः स्थापित करना है, इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करना शामिल है।
- यह परियोजना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा मध्य प्रदेश वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है।
- परियोजना के दूसरे चरण में केन्या से चीते लाकर उन्हें कुनो और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में बसाने की योजना है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
- NTCA एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया है, जिसे वर्ष 2006 में संशोधित किया गया था। यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। NTCA की स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
- NTCA का गठन भारत में बाघ संरक्षण को प्रभावी रूप से लागू करने, उक्त अधिनियम के तहत सौंपी गई शक्तियों का प्रयोग करने और कार्यों को निष्पादित करने के लिये किया गया था।
भारतीय वन्यजीव संस्थान
- वर्ष 1982 में स्थापित यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
- यह देहरादून, उत्तराखंड में स्थित है। भारतीय वन्यजीव संस्थान वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम, शैक्षणिक पाठ्यक्रम तथा सलाह प्रदान करता है।