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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 May 2025
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राजस्थान में विकास परियोजनाएँ

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने राजस्थान में 26,000 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

मुख्य बिंदु

विकास परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएँ 

  • रेल अवसंरचना पर केंद्रित प्रयास
    • प्रधानमंत्री ने 'अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS)' के तहत पुनर्विकसित देशनोक रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया और बीकानेर–मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
      • यह योजना 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 86 ज़िलों में स्थित 103 अमृत स्टेशनों के पुनर्विकास का हिस्सा है, जिसके लिये 1,100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत स्वीकृत की गई है।
    • इन स्टेशनों में आधुनिक यात्री सुविधाओं, सुगम पहुँच (विशेष रूप से दिव्यांगजन-हितैषी प्रबंधों) और क्षेत्रीय प्रेरणा से युक्त वास्तुशैली को एकीकृत किया गया है।
    • प्रधानमंत्री ने राजस्थान में छह नवविद्युतित रेल लाइनों को राष्ट्र को समर्पित किया और चूरू–सादुलपुर रेललाइन की आधारशिला भी रखी। यह पहल लगभग 1,000 किमी के विद्युतीकरण अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 100% रेलवे विद्युतीकरण, प्रभावशीलता में वृद्धि, तथा उत्सर्जन में कमी करना है।
    • आधुनिकीकरण के उपरांत स्टेशन स्थानीय कला, संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे ये क्षेत्रीय पहचान के जीवंत प्रतीक बन रहे हैं।
    • राजस्थान का मंडलगढ़ स्टेशन राजपूत परंपराओं की भव्यता को दर्शाता है और अपनी वास्तुशिल्पीय संरचना के माध्यम से क्षेत्रीय गौरव को अभिव्यक्त करता है।
  • अन्य राज्यों के पुनर्विकसित स्टेशन
    • बिहार का थावे स्टेशन माँ थावेवाली की आध्यात्मिक परंपरा को समर्पित है और इसमें पारंपरिक मधुबनी चित्रकला को दर्शाया गया है, जो भक्ति और लोक कला का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
    • मध्य प्रदेश का ओरछा रेलवे स्टेशन भगवान राम की दैवीय उपस्थिति का प्रतीक है, जो इस क्षेत्र की आध्यात्मिक विरासत को और अधिक सशक्त बनाता है।
    • तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई स्टेशन का डिज़ाइन द्रविड़ स्थापत्य शैली से प्रेरित है, जो दक्षिण भारत के शास्त्रीय मंदिर वास्तुकला की सुंदरता को प्रतिबिंबित करता है।
    • गुजरात का डाकोर स्टेशन श्री रणछोड़राय जी को समर्पित है, जो इस क्षेत्र की धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
    • तेलंगाना के बेगमपेट स्टेशन में काकतीय वंश की स्थापत्य विरासत को संरक्षित किया गया है, जिससे राज्य का राजसी अतीत उजागर होता है।
  • सड़क अवसंरचना का विस्तार
    • प्रधानमंत्री ने तीन वाहन अंडरपासों और कई राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन की आधारशिला रखी
    • उन्होंने 4,850 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली सात महत्त्वपूर्ण सड़क परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित कीं, जिनका उद्देश्य भारत–पाक सीमा तक संपर्क को बेहतर बनाना, नागरिक आवाजाही को सुगम बनाना तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत प्रसारण को बढ़ावा
    • प्रधानमंत्री ने बीकानेर और डीडवाना-कुचामन में बड़े सौर ऊर्जा प्रकल्पों सहित कई नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का उद्घाटन व शुभारंभ किया।
    • PowerGrid मेवाड़ और सिरोही ट्रांसमिशन लिमिटेड की परियोजनाएँ विद्युत प्रसारण क्षमता में वृद्धि करेंगी और स्वच्छ ऊर्जा के निर्गमन (evacuation) को समर्थन देंगी।
    • ये प्रयास भारत के जलवायु लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे तथा सतत् ऊर्जा अवसंरचना को प्रोत्साहित करेंगे।
  • चिकित्सा अवसंरचना एवं जल आपूर्ति
    • राजसमंद, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा और धौलपुर में नर्सिंग कॉलेजों का उद्घाटन किया गया, जिससे चिकित्सा शिक्षा और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
    • झुंझुनू में ग्रामीण जल आपूर्ति एवं फ्लोरोसिस निवारण परियोजना तथा पाली ज़िले के सात नगरों में अमृत 2.0 योजना के अंतर्गत शहरी जल आपूर्ति उन्नयन, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सुरक्षित एवं सतत् पेयजल पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल हैं।

    अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS)

    • परिचय:
      • अमृत भारत स्टेशन योजना का लक्ष्य देश भर में 1309 स्टेशनों का पुनर्विकास करना है।
      • यह पुनर्विकास आधुनिक यात्री सुविधाएँ प्रदान करने के साथ-साथ इंटर-मोडल एकीकरण तथा यात्रियों के लिये सुव्यवस्थित दिशा-निर्देश की सुविधा प्रदान करने के लिये साइनेज़ (संकेतों के माध्यम से) सुविधा भी सुनिश्चित करेगा।
      • यह योजना रेल मंत्रालय द्वारा फरवरी 2023 में शुरू की गई थी।
    • शहरी विकास के लिये एकीकृत दृष्टिकोण:
      • पुनर्विकास योजना शहरी विकास के लिये एक समग्र दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर बनाई गई है, ऐसे में इन स्टेशनों को "सिटी सेंटर" के रूप में माना जा सकता है।
      • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य यात्रियों के सुलभ आवगमन के लिये अच्छी तरह से डिज़ाइन किये गए ट्रैफिक सर्कुलेशन, इंटर-मोडल कनेक्टिविटी तथा स्पष्ट संकेत बनाना है।

    अमृत ​​2.0 योजना

    • यह योजना 1 अक्तूबर, 2021 को शुरू की गई थी, जिसमें 5 वर्ष की अवधि यानी वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक के लिये अमृत 1.0 को शामिल किया गया है।
    • इसका उद्देश्य देश के 500 शहरों से लगभग 4,900 वैधानिक कस्बों तक जलापूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज और अमृत योजना के पहले चरण में शामिल 500 शहरों में सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन की कवरेज है।
    • अमृत ​​2.0 का उद्देश्य उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुनः उपयोग, जल निकायों के पुनरुद्धार और जल संरक्षण द्वारा शहर जल संतुलन योजना (City Water Balance Plan- CWBP) के विकास के माध्यम से जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
    • मिशन में शहरी नियोजन, शहरी वित्त को मज़बूत करने आदि के माध्यम से नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिये सुधार एजेंडा भी शामिल है।
    • अमृत ​​2.0 के अन्य घटक:
      • जल के न्यायसंगत वितरण, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, जल निकायों के मानचित्रण और शहरों/कस्बों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिये पेयजल सर्वेक्षण
      • जल वाले क्षेत्र में नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिये जल हेतु प्रौद्योगिकी उप-मिशन।
      • जल संरक्षण के बारे में जनता में जागरूकता फैलाने के लिये सूचना, शिक्षा और संचार (Education and Communication- IEC) अभियान चलाना।



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    अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस 2025

    चर्चा में क्यों?

    पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राजस्थान वन विभाग एवं राज्य जैवविविधता बोर्ड के सहयोग से 22 मई 2025 को "अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस" के अवसर पर उदयपुर में राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

    • भारत 17 मेगा-जैवविविधता वाले देशों में से एक है, जिसका भू-क्षेत्र 329 मिलियन हेक्टेयर है और इसमें 1,00,000 से अधिक पशु प्रजातियाँ और 55,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

    मुख्य बिंदु

    अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस

    • यह दिवस विश्व में जैवविविधता के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 22 मई को मनाया जाता है।
      • संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 में इसी दिन जैवविविधता पर कन्वेंशन को अपनाया गया था।
    • वर्ष 2025 का विषय है 'प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास'।
    • वर्ष 2000 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने आधिकारिक तौर पर 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के रूप में घोषित किया।
    • UNCBD जैवविविधता के संरक्षण के लिये एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है।
    • भारत इस संधि का एक पक्ष है तथा उसने जैवविविधता अधिनियम, 2002 पारित किया है।
    • UNGA ने वर्ष 2011-2020 को जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में नामित किया है, जिसका उद्देश्य जैवविविधता के लिये एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना है।

    कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ 

    • राष्ट्रीय अभियान का शुभारंभ:
      • विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून) की पूर्व संध्या पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति’ पर आधारित एक पंद्रह दिवसीय राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की गई।
        इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के उन्मूलन को लेकर जन-संपर्क और नीति-चर्चा को सशक्त बनाना है।
      • इस अवसर पर जैवविविधता और जैव संसाधन पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें भारत की स्वदेशी जैवविविधता, औषधीय पौधों, पारंपरिक फसल किस्मों और संरक्षण नवाचारों को प्रदर्शित किया गया।
    • जैवविविधता संरक्षण के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता:
    • भारत ने वर्ष 2024 में जैवविविधता कन्वेंशन (CBD) की 16वीं पक्षकार सम्मेलन (COP16) में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचा (KMGBF) को आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका प्रदर्शित की।
    • भारत ने जैवविविधता संरक्षण में नेतृत्व निम्नलिखित रूपों में दिखाया:
      • अद्यतन राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत करना (सितंबर 2024)
      • 30 अक्तूबर 2024 को संशोधित राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) जारी करना।
    • भारत की संरक्षण उपलब्धियों में शामिल हैं:
      • संरक्षित आर्द्रभूमि (Wetlands) का विस्तार, जिसमें 89 रामसर स्थलों के माध्यम से 1.35 मिलियन हेक्टेयर भूमि शामिल है।
      • जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के तहत 49 जैवविविधता विरासत स्थलों (Biodiversity Heritage Sites) की अधिसूचना।
      • इस कार्यक्रम में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की सफलता पर प्रकाश डाला गया, जो विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर शुरू हुआ और जिसके तहत वैश्विक स्तर पर 142 करोड़ पेड़ लगाए गए, जिससे नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनाया गया।
    • कार्यक्रम के दौरान प्रकाशन:
      • अद्यतन राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्ययोजना (NBSAP) 2024–2030
      • भारत की सातवीं राष्ट्रीय रिपोर्ट (NR7) जैव विविधता कन्वेंशन (CBD) को
      • भारत के जैवविविधता विरासत स्थलों पर संकलन (Compendium)
        जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत 2025 की पहुँच एवं लाभ साझा नियमावली पर ब्रोशर

    राजस्थान में रामसर स्थल

    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर), एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है, जिसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है। 
    • जयपुर, अजमेर और नागौर ज़िलों में स्थित सांभर झील भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारी झील और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रामसर साइट है।
      • वर्ष 1990 में नामित यह झील अपनी अनूठी जैवविविधता के कारण पारिस्थितिक महत्त्व रखती है तथा प्रवासी पक्षियों के लिये महत्त्वपूर्ण शीतकालीन आवास के रूप में कार्य करती है, जिसमें फ्लेमिंगो, पेलिकन और कई अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं।

    कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF)

    • यह ढाँचा संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता कन्वेंशन (CBD) की 15वीं पक्षकार सम्मेलन (COP15) में दिसंबर 2022 में अपनाया गया।
    • इसका उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में सहायता करना और पूर्व रणनीतिक योजनाओं को सुदृढ़ बनाना है।
    • इस ढाँचे में वर्ष 2050 तक चार मुख्य लक्ष्य और वर्ष 2030 तक 23 लक्षित उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है, जो योजना, निगरानी, रिपोर्टिंग, वित्त और क्षमता विकास को कवर करते हैं।
      • लक्ष्य 3 के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि वर्ष 2030 तक विश्व के स्थलीय क्षेत्र का कम-से-कम 30% भाग संरक्षित क्षेत्र हो, जो वर्तमान में लगभग 16% है।
      • साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर्ष 2030 तक कम-से-कम 30% अव्यवस्थित स्थलीय, अंतर्देशीय जल, और समुद्री तथा तटीय पारिस्थितिक तत्त्व प्रभावी पुनरुद्धार के अधीन हों

    जैवविविधता संरक्षण से संबंधित भारत की पहल


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