हरियाणा
अरावली में वॉचटावर
- 26 Nov 2025
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चर्चा में क्यों?
गुरुग्राम के अरावली क्षेत्र में दो नए वॉचटावर निर्मित किये जाएंगे, जिनका उद्देश्य निगरानी को सशक्त करना, अवैध गतिविधियों को रोकना और वन-सुरक्षा प्रयासों में सुधार लाना है।
मुख्य बिंदु
वॉचटावर के बारे में:
- वन विभाग ने मंगर बानी तथा धौज बेल्ट में दो ऊँचे वॉचटावरों के निर्माण को मंज़ूरी दी है।
- यह गुरुग्राम–अरावली क्षेत्र के संवेदनशील हिस्सों में निगरानी को बढ़ाएगा, जो विशेषकर गैरतपुर बास, ग्वाल पहाड़ी और मंगर जैसे पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में अतिक्रमण, खनन, वृक्षों की कटाई तथा अवैध कचरा फेंकने जैसी चुनौतियों का सामना करता है।
- अधिकारियों ने वॉचटावरों को कैमरा-आधारित निगरानी के साथ एकीकृत करने की योजना बनाई है, जिससे वनकर्मियों को गतिविधियों पर नज़र रखने, घुसपैठ का पता लगाने और स्टाफ के साथ अधिक प्रभावी ढंग से समन्वय करने में मदद मिलेगी।
अरावली पर्वतमाला:
- अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रेणियों में से एक है, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई है।
- यह थार मरुस्थल से सिंधु-गंगा के मैदानों की ओर होने वाले मरुस्थलीकरण को रोकने वाले एक प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करती है।
- इस क्षेत्र में शुष्क पर्णपाती वन, झाड़ीदार भू-दृश्य जैसे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं तथा यहाँ भारतीय तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सांभर और भारतीय मोर जैसी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- अरावली भूजल पुनर्भरण, जलवायु विनियमन और NCR में नगरीय ऊष्मा द्वीप (UHI) प्रभाव
- को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- इसके प्रमुख खतरों में अवैध खनन, शहरीकरण, अतिक्रमण, प्रदूषण और आवास विखंडन शामिल हैं।