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हरियाणा

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF), 2025

  • 06 Dec 2025
  • 17 min read

चर्चा में क्यों?

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) का 11वाँ संस्करण 6-9 दिसंबर, 2025 तक हरियाणा के पंचकूला में आयोजित किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु 

  • उद्देश्य: 
    • वर्ष 2015 में शुरू किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदर्शनियों, B2B मीटिंग्स, प्रतियोगिताओं, संपर्क गतिविधियों और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से प्रयोगशालाओं तथा समाज के बीच सेतु का काम करना है।
    • IISF वैज्ञानिकों, छात्रों, स्टार्टअप्स, उद्योग जगत के नेताओं, निवेशकों, मीडिया, नीति निर्माताओं और सामुदायिक समूहों को एक साथ लाता है तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • प्रतिभागी:
    • IISF 2025 में भारत और विदेश से 40,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे, जो इसे देश के सबसे बड़े विज्ञान संपर्क कार्यक्रमों में से एक बनाता है।
  • आयोजक: 
    • IISF 2025 का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा और इसका समन्वय IITM पुणे द्वारा किया जा रहा है, जिसमें DST, DBT, CSIR, अंतरिक्ष विभाग, DAE तथा संपर्क पार्टनर विजना भारती का प्रमुख योगदान शामिल है।
  • व्यापक वैज्ञानिक सत्र: इस महोत्सव में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्योग और नवाचार के उभरते क्षेत्रों को कवर करने वाले 150 से अधिक तकनीकी तथा विषयगत सत्र शामिल हैं।
  • थीम और विज़न: 
  • वर्ष 2025 की थीम "विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिये", विज्ञान आधारित विकास, राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और वैश्विक कल्याण में भारत के योगदान पर ज़ोर देती है।
  • पाँच विषयगत क्षेत्र: IISF निम्नलिखित पर प्रकाश डालेगा:
    • उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी विज्ञान
    • समाज और शिक्षा के लिये विज्ञान
    • S&T के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत
    • जैव प्रौद्योगिकी और जैव-अर्थव्यवस्था
    • पारंपरिक ज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकरण।
  • समावेशी कार्यक्रम: विशेष सत्र विज्ञान क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं, स्कूली छात्रों, युवा उद्यमियों, नवप्रवर्तकों और शुरुआती करियर वाले शोधकर्त्ताओं को लक्षित करते हैं, जो IISF की समावेशी प्रकृति को सुदृढ़ करते हैं।
  • अग्रणी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन: प्रमुख ट्रैकों में AI/AGI, क्वांटम प्रौद्योगिकी, जीन संपादन, जैव-अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष प्रणालियाँ, उपग्रह, प्रक्षेपण वाहन और जलवायु विज्ञान पर प्रकाश डाला गया, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ भाग लेंगे।
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