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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत-नेपाल संबंधों का एक पक्ष ‘संविधान संशोधन’ तथा ‘मधेशी’ मुद्दा है तो दूसरा पक्ष पर्यावरणीय, सांस्कृतिक तथा आर्थिक मोर्चे का है। चर्चा कीजिये।

    22 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • नेपाल-भारत के मध्य संविधान एवं मधेसी मुद्दे पर क्या टकराव है?
    • पर्यावरण, संस्कृति तथा आर्थिक मोर्चे पर भारत-नेपाल के मध्य क्या सहयोग है?

    भारत एवं नेपाल सांस्कृतिक एवं भौगोलिक रूप से घनिष्ठ निकटता वाले राष्ट्र हैं। सदियों से साझी परंपरा एवं धर्म वाले दोनों राष्ट्रों के मध्य भारतीय स्वतंत्रता के पश्चात् भी संबंध सौहार्द्रपूर्ण बने रहे। 

    परंतु नेपाल की राजनीतिक उथल-पुथल ने भारत-नेपाल संबंधों को विकृत करना प्रारंभ कर दिया जिसकी चरम परिणति नेपाल के संविधान एवं मधेसी मुद्दे पर देखने को मिली। 

    वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुआ नेपाली संविधान दरअसल मधेसी मूल के लोगों के अधिकारों का हनन कर रहा था। इस संविधान के प्रावधानों में मधेसियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व एवं नागरिकता संबंधी भेदभाव सम्मिलित था। चूँकि ये मधेसी भारतीय मूल के हैं तथा भारतीय सीमा के समीप ही रहते हैं। अतः भारत ने इनके अधिकारों के संदर्भ में संविधान संशोधन के लिये नेपाल सरकार पर दबाव बनाया जिसका परिणाम दोनों देशों के संबंधों में अति ताव की स्थिति के रूप में देखने को मिला। नेपाल द्वारा तथाकथित भारत की तरफ से आर्थिक नाकेबंदी तथा भारत द्वारा तथाकथित मधेसियों द्वारा आर्थिक नाकेबंदी ने भारत-नेपाल के संबंधों को निम्नतम स्थिति तक पहुँचा दिया। 

    भारत-नेपाल संबंधों का यह पक्ष जहाँ संबंधों की नकारात्मकता दिखाता है, वहीं आर्थिक-सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर भारत-नेपाल के मध्य घनिष्ठ सहयोग देखने को मिलता है। 

    भारत-नेपाल में ‘रोटी-बेटी का संबंध’ इसके सांस्कृतिक पक्ष को मजबूत करता है तो हिमालय के पर्यावरण की सुरक्षा को दोनों साझा उत्तरदायित्व मानते हैं। इसी प्रकार स्थलरुद्ध होने के कारण नेपाल अपना संपूर्ण आयात भारतीय बंदरगाहों से करता है। 

    अतः स्पष्ट है कि भारत-नेपाल के मध्य कुछ मामलों में अत्यधिक सहयोग की स्थिति है तो कुछ पर विरोधी तत्त्व ज्यादा प्रभावी हैं। परंतु नेपाल के नए प्रधानमंत्री की हालिया यात्र ने दोनों देशों के गतिरोध को दूर करने का प्रयास करते हुए भारतीय संदेहों को दूर करने हेतु मधेसियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है जोकि भारत-नेपाल के अटूट संबंधों की पुनर्व्याख्या है।

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