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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्लाउड सीडिंग (CLOUD SEEDING) से आप क्या समझते हैं? भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के विकास में इसके महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए इससे होने वाले नकारात्मक प्रभावों की चर्चा करें।

    06 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • क्लाउड सीडिंग के बारे में बताएँ। 
    • भारतीय कृषि के लिये इसके महत्त्व को बताएँ। 
    • इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में बताएँ। 
    • निष्कर्ष लिखें।

    मेघ बीजन या क्लाउड सीडिंग  एक प्रकार की  मौसम संशोधन की प्रक्रिया है जिसके द्वारा वायु में सिल्वर आयोडाइड जैसे आद्रताग्राही तत्त्वों का प्रयोग कर वर्षण की प्रक्रिया करवाई जाती है।  इसका प्रयोग किसी विशेष क्षेत्र में वर्षा को की मात्रा को बढ़ाने तथा किसी विशेष समय में वर्षा करवाने के साथ-साथ ओलावृष्टि और कोहरे को रोकने के लिये भी किया जा सकता है।

    भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के विकास में क्लाउड सीडिंग के महत्त्व को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है।

    • भारत में लगभग दो तिहाई कृषि क्षेत्र असिंचित है और कृषि के लिये वर्षा पर निर्भर है ऐसे में वर्षा के खराब होने पर इन  क्षेत्रों में कृषि भी प्रभावित होती है। क्लाउड सीडिंग से समय पर वर्षा करवा कर कृषि की उत्पादकता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
    • इसके अलावा भारत में अधिकांश वर्षा  दक्षिण-पश्चिमी मानसून  के द्वारा जून से सितंबर के बीच होती है  इसीलिये अन्य मौसम में वर्षा की कमी के कारण कृषि उत्पादकता नगण्य होती है। क्लाउड सीडिंग के द्वारा वर्षा करवा कर भारत में अन्य मौसमों  में कृषि को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे कृषि गहनता में वृद्धि होगी।
    • कुछ क्षेत्रों में ओला वृष्टि तथा कोहरे के कारण कृषि उत्पादों को व्यापक नुकसान होता है। क्लाउड सीडिंग के द्वारा इन समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है।
    • इसके अलावा  जल की कमी तथा  वर्षा के अनियमित वितरण के कारण भारतीय कृषि में क्षेत्र आधारित विषमता को भी देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये  पश्चिम बंगाल  की तुलना में राजस्थान में कृषि उत्पादकता कम है।  क्लाउड सीडिंग के द्वारा इस समस्या का समाधान भी किया जा सकता है।
    • इसके अलावा क्लाउड सीडिंग के द्वारा मरुस्थल के  प्रसार को रोककर कृषि  योग्य भूमि को भी बढ़ाया जा सकता है।

    किंतु क्लाउड सीडिंग से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिये सिल्वर आयोडाइड कण स्तनधारियों के लिये अत्यधिक विषैले होते हैं। ये इन प्राणियों में अक्षमता और घाव का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा ये अलग एल्गल बूम, बाढ़ तथा चक्रवात जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। लगातार प्रयोग किये जाने से ये कण वातावरण में संचित होकर समस्त पर्यावरण के लिये खतरा बन सकते हैं।

    स्पष्ट है कि क्लाउड सीडिंग  के द्वारा कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान तो किया जा सकता है किंतु क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया धारणीय विकास की अवधारणा को कमजोर करती है। अतः अत्यंत आवश्यक होने पर ही इस तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिये। कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिये समन्वित भूमि-जल प्रबंधन तथा कुशल सिंचाई तकनीकों का प्रयोग किया जाना अधिक धारणीय है।

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