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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विभिन्न प्रयासों के बावजूद भारत में लघु एवं सीमांत किसानों की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आ रहा है। इस समस्या के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए लघु एवं सीमांत किसानों की स्थिति में सुधार के लिये समुचित उपायों का वर्णन करें।

    18 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • प्रस्तावना
    • लघु एवं सीमांत कृषकों की समस्याओं का प्रमुख कारण
    • लघु एवं सीमांत कृषकों की स्थिति में सुधार के उपाय

    भारत एक कृषि प्रधान देश है, क्योंकि भारत की आधे से अधिक आबादी कृषि कार्य में संलग्न है। यही कारण है कि लघु एवं सीमांत किसानों की स्थिति में सुधार किये बिना कृषि क्षेत्र को सशक्त नहीं बनाया जा सकता है। एनएसएसओ (NSSO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 50 प्रतिशत से अधिक कृषक परिवार ऋणग्रस्तता की स्थिति में हैं।

    भारत में लघु एवं सीमांत कृषकों की समस्याओं के प्रमुख कारणः

    • सबसे प्रमुख कारण मानसून की अनिश्चितता है। भारतीय कृषि को मानसून पर निर्भर रहने के कारण मानसून का जुआ भी कहा जाता है।
    • दूसरी प्रमुख समस्या सिंचाई की समुचित व्यवस्था का न होना है। ज्ञातव्य है कि देश में अभी तक मात्र एक तिहाई बोए गए क्षेत्रों को ही सिंचाई सुविधा मिल सकी है, शेष क्षेत्र असिंचित है।
    • कृषि उपकरणों, बीजों, उर्वरकों एवं कीटनाशकों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जबकि किसानों के उत्पाद की कीमतें उस अनुपात में नहीं बढ़ी हैं।
    • मृदा की गुणवत्ता जाने बिना ही बीजों एवं उर्वरकता का प्रयोग अनुमान के आधार पर होता है जो बाद में कम उत्पादकता का कारण बनता है।
    • कृषि उत्पादों के भंडारण एवं विपणन की समुचित व्यवस्था का अभाव है।

    कृषकों की स्थिति में सुधार के उपायः

    • सिंचाई की समुचित व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिये तथा ग्रामीण क्षेत्रें में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिये जिससे कि कृषकों को अपनी आवश्यकता के लिये समुचित ब्याज दर पर पैसे की व्यवस्था हो सके।
    • राज्य के द्वारा किसानों को बीज, उर्वरक तथा कीटनाशक प्रदान करना चाहिये।
    • समन्वित कीट प्रबंधन की व्यवस्था अपनानी चाहिये ताकि विभिन्न प्रकार के कीटों से फसलों की रक्षा की जा सके।
    • सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए जाने चाहिये, ताकि मृदा की गुणवत्ता का आकलन किया जा सके तथा उसके अनुरूप बीजों व कीटनाशकों का समुचित प्रयोग सुनिश्चित किया जा सके।
    • सूक्ष्म सिंचाई विधियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये तथा वर्षा जल संग्रहण पर ज़ोर देना चाहिये।
    • किसानों को उनके उत्पादों का समुचित मूल्य प्रदान करने की व्यवस्था करनी चाहिये।

    निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि देश में लघु एवं सीमांत किसानों की स्थिति काफी कमज़ोर है किंतु समुचित उपायों को अपनाकर उनकी स्थिति में सुधार लाया जा सकता है और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाया जा सकता है।

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