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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय तटीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला पारिस्थितिकी तंत्र कई प्रकार की चुनौतिओं का सामना कर रहा है। तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियों पर काबू पाने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों पर चर्चा कीजिये।

    23 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष उपस्थित संरक्षणात्मक चुनौतियाँ।
    • इन चुनौतियों को दूर करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

    भारत के पास कुल तटीय लंबाई लगभग 7500 किमी. है। भारतीय तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत प्रवाल भित्तियाँ, लाखों हेक्टेयर में फैला मैंग्रोव क्षेत्र, मछलियाँ एवं समुद्री कछुए तथा अन्य जीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, अर्थात् यह क्षेत्र जैव विविधता से अतिसंपन्न है।

    तटीय पारिस्थितिकी तंत्र में निम्नलिखित संरक्षणात्मक चुनौतियाँ व्याप्त हैं-

    1. प्रदूषण- तटीय क्षेत्रों में औद्योगिक अपशिष्ट, प्रदूषित जल, मानव मल का प्रवाह, खनिज तेलों का रिसाव आदि से सागरीय पारितंत्र पर गंभीर दुष्परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं।
    2. ज्ञान एवं जागरूकता की कमी- सागरीय व तटीय जैव-विविधता, जैसे- समुद्री घास, प्रवाल भित्तियाँ, जलवायु परिवर्तन आदि के संदर्भ में लोगों में ज्ञान एवं जागरूकता का अभाव है।
    3. अवैज्ञानिक मत्स्य प्रबंधन- तटीय क्षेत्रों में मछलियों को पकड़ने के लिये प्रयोग की जा रही अवैज्ञानिक मशीनें एवं अंधाधुंध मत्स्यन के कारण मछलियों की कुछ विशेष प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
    4. अनियंत्रित विकास- तटीय क्षेत्रों के ह्यस का मुख्य कारण तटों के सहारे वृहद् अवसंरचनात्मक विकास है। अनियोजित तथा अनियंत्रित विकास के कारण सागरीय पारितंत्र का लगातार क्षय हो रहा है।
    5. जैव-संसाधनों का अतिदोहन- तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले जीवित जैव संसाधनों, यथा- समुद्री घोड़े, समुद्री घोंघा, केकड़े, कछुए आदि के अत्यधिक दोहन से ये जीव संकटापन्न स्थिति में आ गए।
    6. कानूनी शिथिलता- तटीय क्षेत्रों के नियमन हेतु अनेक अधिसूचनाएँ जारी की गईं एवं संशोधन किया गया, लेकिन इनमें से अधिकांश अस्पष्ट एवं भ्रामक हैं। प्रशासनिक लापरवाही एवं भूमाफियाओं के कारण भी तटीय पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँच रहा है।

    पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियों को दूर करने के लिये सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं-

    • तटीय प्रदेशों के निकट स्थित सागरीय संरक्षित क्षेत्रों की समीक्षा करना।
    • भीतर कणिका क्षेत्र में समुदाय आधारित समुद्री कछुए के संरक्षण संबंधी नियम को मान्यता देना।
    • सागरीय क्षेत्रों में सरकार द्वारा मत्स्य पालन के विविधीकरण का अध्ययन एवं समस्याओं को दूर करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
    • सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है कि तटीय व सागरीय संरक्षण व जैव विविधता संबंधी नीतियों की नियमित समीक्षा की जाएगी।
    • तटीय क्षेत्रों के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करने संबंधी न्यायिक निर्णयों को लागू करने तथा इस क्षेत्र में लोगों में पारिस्थितिकीय जन-जागरूकता को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया है।
    • तटीय पारिस्थितिकी क्षेत्र में सरकार द्वारा समुदाय एवं गैर सरकारी संगठनों को भी सक्रिय किया जा रहा है, जिससे अतिसंवेदनशील तटीय पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

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